कंगना रनौत ने लगाया मुंबई सिविक बॉडी पर भेदभाव करने का आरोप, कहा पड़ोसी मनीष मल्होत्रा को दिया डिमोलिशन नोटिस का जवाब देने के लिए सात दिन का समय
LiveLaw News Network
22 Sept 2020 4:03 PM IST
अपने खिलाफ पक्षपात और निजी प्रतिशोध का आरोप लगाते हुए, अभिनेता कंगना रनौत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष एक पत्युत्तर दायर किया है। कंगना ने अपने रिजाॅइंडर या पत्युत्तर में कहा है कि ग्रेटर मुंबई के नगर निगम की तरफ से दायर अतिरिक्त हलफनामे में यह कहा गया था कि वह लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है, परंतु सच यह है कि एमसीजीएम ने ''अपने गैर कानूनों कामों को कवर करने के लिए अंतिम प्रयास करते हुए यह बात कही है।''
इस मामले में अभिनेत्री ने अपनी याचिका में संशोधन करते हुए आरोप लगाया था कि ''सत्ता में रहने वालों'' कुछ लोग उससे प्रतिशोध लेना चाहते हैं। इसलिए उसने उक्त संपत्ति के 40 प्रतिशत भाग को ढ़हाने के कारण हुए नुकसान के बदले 2 करोड़ रुपये की मांग की थी। इसके बाद ही नगर निगम ने अतिरिक्त हलफनामा दायर कर कहा था कि रनौत खुद भी स्वीकृत योजना के विरुद्ध उक्त संपत्ति में अवैध रूप से परिवर्तन और परिवर्धन करने से इनकार नहीं कर रही थी। ऐसे में वह एमसीजीएम के खिलाफ आरोप लगाकर लोगों को गुमराह कर रही है।
15-पेज के एक रिजाॅइंडर में, 33 वर्षीय अभिनेत्री ने एमसीजीएम की तरफ से दायर किए गए हलफनामें के सभी प्रकथनों का खंडन किया है। साथ ही कहा है कि नागरिक निकाय ने उस पर लगाए गए आरोपों का स्पष्टीकरण देने के लिए उसे उचित अवसर नहीं दिया।
पत्युत्तर में कहा गया है कि-
''मैं विशेष रूप से इस बात से इनकार करती हूं कि रिकॉर्ड से यह पता चलता है कि कि याचिकाकर्ता ने स्वीकृत भवन योजना के विपरीत अवैध रूप से संपत्ति में पर्याप्त परिवर्तन और परिवर्धन किया है। मैं इस बात से भी इनकार करती हूं कि कथित रूप से अवैध काम किया जा रहा था। मैंने इसके लिए प्रतिवादी को पूरे सबूत भी दिए हैं।
मैं इस बात से भी इनकार करती हूं कि स्वीकृत योजनाएं स्थापित करती हैं कि अवैध कार्य किया गया था। मैं यह कहना चाहती हूं कि क्या प्रतिवादियों ने मुझे कानूनी रूप से आवश्यक उचित अवसर दिया था, ताकि मैं विशेषज्ञों से उचित सलाह लेने के बाद उनके आरोपों का जवाब दे पाती।''
याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसके खिलाफ स्पष्ट रूप से भेदभाव किया है। याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि उसके पड़ोस में रहने वाले डिजाइनर मनीष मल्होत्रा को भी नोटिस जारी किया गया था। उसको जवाब देने के लिए मुंबई म्यूनिसपल काॅरपोरेशन एक्ट, 1888 की धारा 351 के तहत 7 दिन का समय दिया गया था। जबकि उसे धारा 354 ए के तहत नोटिस जारी किया गया था-
''प्रतिवादी नंबर एक व उसके अधिकारियों ने एमएमसी एक्ट की धारा 354 ए को अवैध तरीके से लागू किया है ताकि मुझे अपना पक्ष रखने का अवसर न मिल सकें। इसप्रकार यह कार्यवाही प्रतिवादी नंबर एक व उसके अधिकारियों द्वारा वैधानिक शक्तियों का दुरूपयोग करने के समान है। वास्तव में यहाँ यह बताना उचित है कि प्रतिवादी नंबर एक और उसके अधिकारियों ने मुझसे व्यक्तिगत रूप से प्रतिशोध लेने के लिए एमएमसी एक्ट की धारा 354ए के तहत यह नोटिस जारी किया था, जबकि उन्होंने उसी दिन इसके विपरीत, प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा को एमएमसी एक्ट की धारा 351 के तहत नोटिस जारी किया था। जबकि मनीष का बंगला नंबर छह मेरे पड़ोस में ही स्थित है।
मनीष को उसका पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय दिया गया था। प्रतिवादी नंबर 1 और उसके अधिकारियों का यह आचरण स्पष्ट रूप से पूर्वाग्रह को प्रदर्शित करता है और यह भी प्रदर्शित करता है कि मुझे जारी किया गया उपरोक्त नोटिस द्वेष भावना से प्रेरित है और मेरे द्वारा दिए गए बयानों का करारा जवाब देने के रूप में जारी किया गया था।''
इसके अलावा, अभिनेत्री ने तर्क दिया है कि -
''प्रतिवादी नंबर 1 और 2 के पास, मेरी संशोधित रिट याचिका में मेरे द्वारा इंगित की गई किसी भी विसंगति का कोई जवाब नहीं है। इसके बजाय, प्रतिवादी नंबर 1 और 2 ने मेरी संशोधित रिट याचिका के वाक्यों के केवल कुछ हिस्सों को पुनरूप से पेश करते हुए मेरी ही दलीलों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने की कोशिश की है। प्रतिवादी नंबर दो द्वारा दायर किया गया संशोधित जवाब ,सिर्फ उनके अवैध कृत्यों को कवर करने के लिए किया गया एक अंतिम प्रयास है।
इसके अलावा, अभिसाक्षी ने गैरकानूनी कामों को सही ठहराने के लिए हर स्तर पर गलत बयान देकर मामले को सुधारने की कोशिश की है। हालाँकि, साइट पर कथित रूप से उपलब्ध सामग्री की प्रकृति/श्रमिकों की संख्या का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। दिनांक 10 सितंबर, 2020 को पहली बार दायर हलफनामे में अभिसाक्षी या डिपोनन्ट ने कहा था कि निरीक्षण के समय ''श्रमिक, सामग्री व उपकरण मौजूद थे।'' परंतु इसके संबंध में कोई फोटो पेश नहीं की गई (सिर्फ एक श्रमिक लीकेज को ठीक करने का काम कर रहा था)।
संशोधित उत्तर में, डिपोनन्ट ने एक बार फिर यह कहकर अपने मामले को सुधारने की कोशिश की कि ''प्लाईवुड की सामग्री के साथ 6 कामगार मौजूद थे और नवीकरण व फिनिशिंग का काम चल रहा था।'' डिपोनन्ट ने स्पष्ट रूप से खुद के अवैध कार्यों को सही ठहराने की कोशिश की है। सच तो यह है कि आरोपित नोटिस में उल्लिखित कथित कार्य की सूची खुद ही यह बताती है कि कोई ''काम नहीं'' चल रहा था।''
अंत में, नगर निगम के हलफनामे को संबोधित करते हुए, अभिनेत्री ने इस आरोप का भी खंडन किया है कि सूचीबद्ध लेखों को नष्ट करने की बात (जिनके नुकसान के बदले पैसा मांगा गया है) झूठी है या केवल जवाबी कार्रवाई के रूप में ही बनाई गई सूची है। अभिनेत्री ने अपने बंगले की तुलनात्मक तस्वीरें भी पेश की हैं,जो एमसीजीएम और उसके अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाही से पहले और उसके बाद की हैं। साथ ही उस सामान की सूची भी पेश की है,जो इस कार्यवाही के दौरान नष्ट कर दिया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस कार्यवाही से हुए नुकसान का पूरा आकलन होना अभी बाकी है।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति आरआई छागला की खंडपीठ आज दोपहर 3 बजे करेगी।
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