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यूपी बार काउंसिल बनाम बीसीआईः  एडवोकेट एक्ट के तहत बीसीआई को राज्य बार काउंसिल को निर्देश देने का अधिकार - बीसीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा
यूपी बार काउंसिल बनाम बीसीआईः एडवोकेट एक्ट के तहत बीसीआई को राज्य बार काउंसिल को निर्देश देने का अधिकार - बीसीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा

दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष मनन मिश्रा ने कहा कि 19 जनवरी, 2021 और 2 फरवरी, 2021 को यूपी बार काउंसिल की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए जारी सर्कुलर के लिए उसने अधिवक्ता अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया गया है। अपने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए बीसीआई ने यूपी बार काउंसिल की गतिविधियों की निगरानी के लिए समितियों का गठन किया था।बीसीआई अध्यक्ष मिश्रा ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ को बताया कि बीसीआई के पास अधिवक्ता अधिनियम,...

Once The Investigation Is Completed It Is Mandatory For The Police To Inform The Informant About Action Taken: Tripura High Court
एक बार जब अन्वेषण पूरा हो जाता है तो पुलिस को कार्रवाई के बारे में अपराध की प्रथम इत्तिला देने वाले को सूचित करना अनिवार्य है: त्रिपुरा उच्च न्यायालय

त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने सोमवार (01 फरवरी) को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि Cr.P.C की धारा 173 (2) (ii) की आवश्यकता का सभी मामलों में 'कड़ाई से पालन' किया जाए। मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति एस.जी. चट्टोपाध्याय की खंडपीठ ने विशेष रूप से राज्य सरकार के गृह विभाग को निर्देश दिया कि वह सभी पुलिस स्टेशनों को एक उचित परिपत्र जारी करे, जिसमें पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी और जांच अधिकारी को सभी मामलों में धारा 173 (2) (ii) Cr.PC की आवश्यकता का पालन करने के...

एक बार जब याचिका में गलती का मुद्दा उठाया जाता है, तो उसको साबित करने का जिम्मा भी पक्षकार का होता है:  मद्रास हाईकोर्ट
'एक बार जब याचिका में गलती का मुद्दा उठाया जाता है, तो उसको साबित करने का जिम्मा भी पक्षकार का होता है': मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने कहा कि एक व्यक्ति, जो न्यायालय के समक्ष पेश किसी भी सबूत को हटाने के लिए एक बार जब याचिका में गलती का मुद्दा उठाया जाता है, तो उसको साबित करने का जिम्मा भी पक्षकार का होता है।न्यायमूर्ति आर सुब्रमण्यन की एकल पीठ ने एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मांग का दावा किया गया था कि वह एक हिंदू महिला है और गलती से उसे स्कूल प्रमाणपत्र में ईसाई के रूप में दिखाया गया है।बेंच ने महिला के पति द्वारा की गई प्रार्थना को भी अनुमति दी, जिसमें महिला के पति ने उनकी शादी...

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों के प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए सॉफ्टवेयर ऐप लॉन्च किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों के प्रदर्शन पर नजर रखने के लिए सॉफ्टवेयर ऐप लॉन्च किया

उत्तराखंड राज्य के न्यायिक अधिकारियों के प्रदर्शन की निगरानी के लिए एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (जिला न्यायालय प्रदर्शन निगरानी उपकरण-डीसीपीएमटी) का उद्घाटन 03 मार्च, 2021 को उच्च न्यायालय, नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रघुवेंद्र सिंह चौहान ने किया ।मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रघुवेंद्र सिंह चौहान के मार्गदर्शन व निर्देशों के तहत उत्तराखंड हाईकोर्ट नैनीताल की सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट टीम ने डीसीपीएमटी बनाया है। इन-हाउस सॉफ्टवेयर का उद्देश्य उत्तराखंड उच्च न्यायालय के माननीय...

सरोगेट महिला भी मातृत्व अवकाश का लाभ पाने की हकदार, सरोगेट मां और प्राकृतिक मां के बीच अंतर करना महिला होने का अपमान: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
सरोगेट महिला भी मातृत्व अवकाश का लाभ पाने की हकदार, सरोगेट मां और प्राकृतिक मां के बीच अंतर करना महिला होने का अपमान: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि एक सरोगेट मां भी सीसीएस (लीव) रूल्स, 1972 के नियम 43 (1) के तहत मातृत्व अवकाश का लाभ पाने की हकदार है। यह भी कहा गया है कि यह "महिला होने का अपमान" होगा, यदि एक सरोगेट मां और प्राकृतिक मां के बीच अंतर किया जाता है।जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस संदीप शर्मा की पीठ ने एक सरोगेट मां की याचिका पर सुनवाई में उक्त टिप्पण‌ियां की हैं। याचिका में सरोगेट मां के लिए भी मातृत्व अवकाश का लाभ पाने की मांग की गई थी।पीठ ने कहा, "मातृत्व बच्चे के जन्म के साथ...

इसकी अनुमति कैसे मिली,  गुजरात हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट पर हैरानी जताई कि 5000 से अधिक स्कूल फायर सेफ्टी एनओसी के बिना चल रहे हैं
"इसकी अनुमति कैसे मिली", गुजरात हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट पर हैरानी जताई कि 5000 से अधिक स्कूल फायर सेफ्टी एनओसी के बिना चल रहे हैं

गुजरात हाईकोर्ट ने फायर प्रिवेंशन एंड प्रोटेक्शन सिस्टम के संबंध में बिना वैध और निर्विवाद प्रमाण पत्र के राज्य के 5,000 से अधिक स्कूलों के संचालन पर कड़ी टिप्पणी की। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति इलेश जे. वोरा की एक खंडपीठ ने रिपोर्ट पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा,"इसकी अनुमति कैसे दी गई? ऐसे स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के मासूम जीवन के साथ कोई कैसे खेल सकता है? यदि इस दिशा में जल्द से जल्द कोई कदम नहीं उठाया जाता है, तो यह अदालत राज्य सरकार से ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द करने के...

कानूनी बिरादरी को वैक्सीनेशन : दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत बायोटेक, एसआईआई से हलफनामा मांगा
कानूनी बिरादरी को वैक्सीनेशन : दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत बायोटेक, एसआईआई से हलफनामा मांगा

दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति विपिन सांघी और रेखा पल्ली की खंडपीठ ने शुक्रवार को कानून बिरादरी को COVID-19 वैक्सीनेशन से संबंधित एक मामले में अदालत द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों को संबोधित करते हुए भारत सरकार, दिल्ली राज्य सरकार और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक के लिए वकीलों के प्रस्तुतिकरण को ध्यान में रखते हुए कि उनके पास अतिरिक्त उत्पादन क्षमता है, अदालत ने संगठनों को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया कि...

अगले आदेश तक आवासीय भवनों पर टावर लगाने की अनुमति न दें, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया
अगले आदेश तक आवासीय भवनों पर टावर लगाने की अनुमति न दें, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया

'आवासीय भवन पर टावर लगाने' के 'महत्वपूर्ण सवाल' पर विचार-विमर्श करते हुए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार (03 मार्च) को पंजाब सरकार को निर्देश दिया कि वे अगले आदेश तक आवासीय भवनों पर टावरों को लगाने की अनुमति न दें।(अंतरिम उपाय)जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश इस तथ्य के मद्देनजर पारित किया है कि बेतरतीब ढंग से टावरों लगाने से लोगों के जीवन और संपत्ति को खतरा हो सकता है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन होगा।इसके अलावा, खंडपीठ ने...

मध्यस्थता विवादों से जुड़े वाणिज्यिक मामलों को जिला जज या अतिरिक्त जिला जज के स्तर के वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा ही सुना जा सकता हैः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट
मध्यस्थता विवादों से जुड़े वाणिज्यिक मामलों को जिला जज या अतिरिक्त जिला जज के स्तर के वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा ही सुना जा सकता हैः मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता विवादों से जुड़े वाणिज्यिक मामलों को केवल जिला जज या अतिरिक्त जिला जज के स्तर के वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा ही सुना जा सकता है। यह माना गया है कि एक सिविल जज आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट, 1996 की धारा 9,14, 34 और 36 के तहत मामलों की सुनवाई करने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं होगा।चीफ ज‌स्ट‌िस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की खंडपीठ ने 26 फरवरी के अपने आदेश में कहा कि मध्यस्थता अधिनियम की धारा 2 (1) (सी) में "न्यायालय" के परिभाषा खंड में...

लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार को सोनीपत की स्थानीय अदालत ने सभी तीन मामलों में जमानत दी
लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार को सोनीपत की स्थानीय अदालत ने सभी तीन मामलों में जमानत दी

दलित लेबर एक्टविस्ट नौदीप कोर के साथी और लेबर एक्टिविस्ट शिव कुमार को उनके खिलाफ दर्ज तीनों मामलों में सोनीपत जिले (हरियाणा) की एक स्थानीय अदालत से जमानत मिल गई है।इससे दो अन्य मामलों में उन्हें बुधवार (03 मार्च) को जमानत दी गई थी, तीसरे मामले में उन्हें आज यानी गुरुवार जमानत दी गई है।शिव कुमार मज़दूर अधिनायक संगठन के अध्यक्ष हैं और उन्हें 16 जनवरी को नौदीप कौर की गिरफ्तारी के कुछ दिन बाद गिरफ्तार किया गया था।सोनीपत के कुंडली इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्ट्री कर्मचारियों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ...

आप कोई सुपर-गवर्नमेंट नहीं हैं: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में पानी की कमी के खिलाफ दायर याचिका खारिज की
"आप कोई "सुपर-गवर्नमेंट" नहीं हैं": दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली में पानी की कमी के खिलाफ दायर याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक प्रोफेसर द्वारा दिल्ली में साफ पानी की कमी को लेकर दायर एक याचिका को खारिज कर दिया। प्रोफेसर ने अपनी याचिका में दिल्ली में पानी की कमी को दूर करने के लिए हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली राज्य को दिशानिर्देश जारी किए जाने की भी मांग की थी।इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रत्याशित जल आपूर्ति की कमी से निपटने के लिए विशिष्ट कदम उठाने की मांग पर याचिकाकर्ता को बताया कि तीन सरकारोंं के विशेषज्ञ इस मामले को पहले ही देख रहे हैं और वह खुद "सुपर-गवर्नमेंट" नहीं...

मुझे यौर लॉर्डशिप या माई लॉर्ड के रूप में संबोधित करने से बचें: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण कुमार त्यागी ने बार सदस्यों से अनुरोध किया
मुझे 'यौर लॉर्डशिप' या 'माई लॉर्ड' के रूप में संबोधित करने से बचें: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण कुमार त्यागी ने बार सदस्यों से अनुरोध किया

एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक नोटिस जारी कर बार के सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी को 'यौर लॉर्डशिप' या 'माय लॉर्ड' के रूप में संबोधित करने से बचें ।यह नोट न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी के अनुरोध के अनुसार जारी किया गया है, जिन्होंने बार सदस्यों से आग्रह किया है कि वे उन्हेंं ' ओब्लाइज़्ड और ग्रेटफुल ' कहने से बचें ।नोटिस में है-"यह बार के सम्मानित सदस्यों की जानकारी के लिए है कि माननीय श्री अरूण कुमार त्यागी ने अनुरोध किया है कि...

जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों को भी COVID-19 का खतरा: दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायिक बिरादरी को वैक्सीनेशन दिए जाने के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया
जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों को भी COVID-19 का खतरा: दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यायिक बिरादरी को वैक्सीनेशन दिए जाने के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लिया

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों सहित न्यायिक कामकाज से जुड़े सभी लोगों को वैक्सीनेशन दिए जाने की मांग पर स्वतः संज्ञान लेकर एक जनहित याचिका दायर करने का निर्देश दिया है। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने न्यायिक बिरादरी से संबंधित लोगों को उनकी आयु सीमा या शारीरिक स्थिति पर विचार किए बिना प्राथमिकता के आधार पर "अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता" के रूप में मानकर वैक्सीन दिए जाने की मांग की है। दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष श्री रमेश गुप्ता द्वारा भेजे गए एक संचार के बाद न्यायमूर्ति...

वाद में टॉम, डिक एवं हैरी जैसे अपरिष्कृत शब्दों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की
वाद में 'टॉम, डिक एवं हैरी' जैसे अपरिष्कृत शब्दों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की

दिल्ली हाईकोर्ट ने मसौदा याचिका में अपरिष्कृत शब्दों के इस्तेमाल के कारण राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण एवं अपीलीय न्यायाधिरकण के कामकाज के विरुद्ध शिकायत संबंधी एक याचिका खारिज कर दी है।न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने खुद से याचिका ड्राफ्ट की है। (मसौदा याचिका) पढ़ने से पता चलता है कि याचिका में अपरिष्कृत भाषा का इस्तेमाल किया गया है।"आदेश में याचिका के उस हिस्से का भी उल्लेख किया गया है, जो इस प्रकार है,"एए/एनसीएलटी किसी भी व्यक्ति –...

मानसिक रूप से विकलांग यौन शोषण पीड़िता को हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण ने तत्काल सहायता प्रदान की
मानसिक रूप से विकलांग यौन शोषण पीड़िता को हरियाणा विधिक सेवा प्राधिकरण ने तत्काल सहायता प्रदान की

यमुनानगर की कॉलोनी में एक चौंकाने वाली घटना घटित हुई है, जिसमें एक मानसिक रूप से विकलांग नाबालिग लड़की का एक किशोर द्वारा कथित रूप से यौन शोषण किया गया। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति और एचएएलएसए के एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन राजन गुप्ता ने घटना पर संज्ञान लेते हुए, परिवार के सदस्यों से संपर्क करने और चिकित्सा के लिए आवश्यक सहायता, सामाजिक कानूनी परामर्श और पीड़ित के पुनर्वास के लिए अंतरिम मुआवजा प्रदान करने के लिए तुरंत यमुनानगर के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश जारी...

Patna HC Takes Judicial Notice Of A Huge Structure Located Adjacent To The Newly Inaugurated Centenary Building
"यह गंभीर सुरक्षा चिंताएं पैदा करता है", पटना हाईकोर्ट ने शताब्दी भवन के निकट स्थित 'विशाल संरचना' का न्यायिक नोटिस लिया

पटना उच्च न्यायालय ने सोमवार (01 मार्च) को पटना उच्च न्यायालय के नवनिर्मित शताब्दी भवन के समीप उत्तर दिशा में स्थित एक 'विशाल संरचना'/बिल्डिंग का न्यायिक नोटिस लिया। न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह, न्यायमूर्ति विकाश जैन, न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह की पूर्ण पीठ ने एक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह न्यायिक नोटिस लिया। दिलचस्प बात यह है कि यह नोटिस, पटना हाईकोर्ट के शताब्दी भवन, जिसका उद्घाटन 27...

आगे की जांच के लिए कोर्ट की अनुमति अनिवार्य नहीं, लेकिन अनुमित लेना एक बेहतर लॉ  प्रैक्टिस के रूप में मान्य: केरल हाईकोर्ट
'आगे की जांच के लिए कोर्ट की अनुमति अनिवार्य नहीं, लेकिन अनुमित लेना एक बेहतर लॉ प्रैक्टिस के रूप में मान्य': केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने (मंगलवार) एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका (Criminal revision Petition) पर फैसला सुनाते हुए देखा कि क्या आगे की जांच के लिए अदालत की अनुमति अनिवार्य है या क्या इस तरह की जांच शुरू करने से पहले जरूरी सबूत इकट्ठे किए जाने चाहिए।न्यायमूर्ति आर नारायण पिशराडी की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आगे की जांच की अनुमति अनिवार्य नहीं है, यह शिष्टाचार और स्वामित्व के सिद्धांतों पर आधारित एक अच्छी तरह से स्वीकृत कानूनी नियम है।तथ्यविजिलेंस एंड एंटी करप्शन...

सौ खरगोश से आप एक घोड़ा नहीं बना सकते, इसी तरह सौ शक मिलकर सबूत नहीं बन सकते: दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली दंगे मामले के दो अभियुक्तों को डिस्चार्ज किया
'सौ खरगोश से आप एक घोड़ा नहीं बना सकते, इसी तरह सौ शक मिलकर सबूत नहीं बन सकते': दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली दंगे मामले के दो अभियुक्तों को डिस्चार्ज किया

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने दिल्ली दंगे मामले में हथियार या गोला-बारूद का उपयोग कर हत्या करने का प्रयास के मामले में दो अभियुक्तों को डिस्चार्ज किया और फ्योदोर दोस्तोवस्की की किताब "क्राइम एंड पनिशमेंट" की लाइनें को कोट करते हुए कहा कि, "सौ खरगोशों से आप एक घोड़ा नहीं बना सकते, इसी तरह सौ शक मिलकर सबूत नहीं बन सकते हैं।"इमरान और बाबू, दोनों अभियुक्त पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 143, धारा 144, धारा 147, धारा 148, धारा 149, धारा 307 और आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत मुकदमा दर्ज...

कर्नाटक हाईकोर्ट ने सड़क गड्ढों की समस्या के समाधान के लिए बीबीएमपी अधिकारियों को पेश होने के लिए कहा
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सड़क गड्ढों की समस्या के समाधान के लिए बीबीएमपी अधिकारियों को पेश होने के लिए कहा

कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को शहर में गड्ढों युक्त खराब सड़कों और फुटपाथों की मरम्मत के लिए एक कार्ययोजना के साथ आने से पहले कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (KSLSA) द्वारा तैयार रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए बृहत बेंगलुरु महानगर पालिक (BBMP) को उपस्थित होने का निर्देश दिया। 10 फरवरी को अदालत ने बीबीएमपी को बेंगलुरू शहर में प्राथमिकता के आधार पर गड्ढों को हटाने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा था और उस समय-सीमा को बताने के लिए कहा था जिसके भीतर इस कार्य योजना को लागू किया...

याचिकाकर्ता के लिए स्टोन ऐज में जीने का रास्ता खुला है, कोर्ट नहीं बता सकते कि मीडिया और सोशल मीडिया कैसे काम करेंगे: मद्रास हाईकोर्ट
"याचिकाकर्ता के लिए स्टोन ऐज में जीने का रास्ता खुला है, कोर्ट नहीं बता सकते कि मीडिया और सोशल मीडिया कैसे काम करेंगे": मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने उत्तरदाताओं (भारत संघ सहित) को निर्देश देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सोशल प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण और निगरानी रखने और इसके साथ ही इसके लिए आवश्यक सेंसर सदस्यों का पैनल बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की गई थी।मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति आर. हेमलता की खंडपीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका द्वारा एस उमामहेश्वरन ने अदालत के समक्ष भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 क्षेत्राधिकार का उपयोग करके सेंसर बोर्ड की भूमिका निभाते हुए सोशल मीडिया...