मुख्य सुर्खियां

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फेमेली पेंशन के लिए विधवा की याचिका खारिज की, दूसरी शादी करने को कहा दुराचार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फेमेली पेंशन के लिए विधवा की याचिका खारिज की, दूसरी शादी करने को कहा 'दुराचार'

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने माना कि एक सरकारी कर्मचारी की दूसरी पत्नी पारिवारिक पेंशन की हकदार नहीं है, यदि दूसरी शादी पहली पत्नी से तलाक लिए बिना और राज्य सरकार से पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना की गई हो, जैसा कि प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियमावली 1965 के तहत अनिवार्य है। जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने पति की मृत्यु के बाद परिवार पेंशन पाने के उसके दावे को खारिज करने वाले पुलिस अधीक्षक द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली एक महिला द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।याचिकाकर्ता...

एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपराध के लिए स्वीकारोक्ति रिकॉर्ड करने का अधिकार नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट
एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत अपराध के लिए स्वीकारोक्ति रिकॉर्ड करने का अधिकार नहीं: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत किए गए अपराधों के लिए स्वीकारोक्ति रिकॉर्ड करने का अधिकार नहीं है। कन्फेशन रिकॉर्ड करने की किसी विशेष प्रक्रिया के न होने पर ऐसे मामलों में सीआरपीसी के प्रावधान लागू होंगे।जस्टिस शशिकांत मिश्रा की एकल न्यायाधीश पीठ ने कानून की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा,"यह शब्द 'या किसी अन्य कानून के तहत समय के लिए लागू' का तात्पर्य है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम जैसे विशेष अधिनियमों के तहत अपराधों के संबंध में की गई जांच भी...

आईपीसी की धारा 195A के तहत अपराध के लिए पुलिस द्वारा लिया गया संज्ञान कानून में गलत है, झूठे साक्ष्य से संबंधित मामलों पर केवल अदालत ही विचार कर सकती है: केरल हाईकोर्ट
आईपीसी की धारा 195A के तहत अपराध के लिए पुलिस द्वारा लिया गया संज्ञान कानून में गलत है, झूठे साक्ष्य से संबंधित मामलों पर केवल अदालत ही विचार कर सकती है: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि पुलिस भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 195ए के तहत अपराध दर्ज करने के लिए सक्षम नहीं है और झूठे सबूत के संबंध में अपराध पर विचार करने के लिए केवल एक अदालत सक्षम है।जस्टिस ए. बदरुद्दीन की एकल पीठ ने कहा,"आईपीसी की धारा 195 में दी गई धमकी झूठे साक्ष्य दे रही है तो यह अदालत द्वारा विचार किया जाने वाला मामला है। इस मामले को देखते हुए यह माना जाना चाहिए कि पुलिस अधिकारी अपराध के संबंध में अपराध दर्ज नहीं कर सकता है। आईपीसी की धारा 195ए के तहत और किस प्रक्रिया के...

उम्मीद है कि मुख्य न्यायाधीश मुरलीधर को जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया जाएगा : पूर्व सीजेआई जी.बी. पटनायक
उम्मीद है कि मुख्य न्यायाधीश मुरलीधर को जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया जाएगा : पूर्व सीजेआई जी.बी. पटनायक

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस गोपाल बल्लभ पटनायक ने उम्मीद जताई है कि उड़ीसा हाईकोर्टके वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डॉ. एस. मुरलीधर को जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए विचार किया जाएगा। जस्टिस मुरलीधर जनवरी, 2021 से उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी, हालांकि सिफारिश को केंद्र की मंजूरी नहीं मिली।जस्टिस पटनायक शनिवार को उड़ीसा हाईकोर्ट...

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सात जजों की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद हड़ताल जारी रखने वाले कानपुर के वकीलों के खिलाफ अवमानना ​​के आरोप तय किये
इलाहाबाद हाईकोर्ट की सात जजों की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद हड़ताल जारी रखने वाले कानपुर के वकीलों के खिलाफ अवमानना ​​के आरोप तय किये

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कानपुर बार एसोसिएशन और वकील एसोसिएशन कानपुर नगर के पदाधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अपनी हड़ताल जारी रखने और न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक, असंसदीय भाषा का उपयोग करने और अपमानजनक व्यवहार करने के लिए अवमानना ​​​​के आरोप तय किये।गौरतलब है कि कानपुर जिले के वकील जिला जज कानपुर नगर के तबादले की मांग को लेकर 16 मार्च से लगातार हड़ताल पर हैं।मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर, जस्टिस सुनीता अग्रवाल, जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी, जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता,...

पत्नी पति के विवाहेतर साथी पर केवल इस आधार पर घरेलू हिंसा का मुकदमा नहीं चला सकती कि वह उनके घर में रहती थी: उड़ीसा हाईकोर्ट
पत्नी पति के विवाहेतर साथी पर केवल इस आधार पर घरेलू हिंसा का मुकदमा नहीं चला सकती कि वह उनके घर में रहती थी: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा है कि पति के अवैध/‌विवाहेतर साथी पर घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पत्नी केवल केवल इस कारण मुकदमा नहीं चला सकती है कि वह दंपति के घर में रहती थी।कोर्ट ने कहा, दोनों महिलाएं (पत्नी और विवाहेतर साथी केवल इसलिए कि एक ही छत के नीचे रहती हैं, अधिनियम की धारा 2 (एफ) के अनुसार 'घरेलू संबंध' साझा नहीं करती हैं।मामले में आरोपों को खारिज करते हुए जस्टिस शशिकांत मिश्रा की सिंगल जज पीठ ने कहा,"एकमात्र आरोप यह है कि शिकायतकर्ता के पति का याचिकाकर्ता संख्या 2 के साथ अवैध संबंध था और जहां तक...

एनजीटी ने शूटिंग के लिए अस्थायी सेटों के विस्तार से इनकार करने के MCZMA के आदेश के खिलाफ फिल्म स्टूडियो की अपील खारिज की
एनजीटी ने शूटिंग के लिए अस्थायी सेटों के विस्तार से इनकार करने के MCZMA के आदेश के खिलाफ फिल्म स्टूडियो की अपील खारिज की

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की वेस्टर्न जोन बेंच ने महाराष्ट्र कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी (MCZMA) के 12 सितंबर 2022 के आदेश के ख‌िलाफ बालाजी तिरुपति सिनेमाज एंड एक्सप्रेशन स्टूडियो की याचिका को खारिज कर दिया है। आदेश ने शूटिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अस्थायी टेंट को और छह महीने के लिए बढ़ाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।अपीलकर्ता फिल्म स्टूडियो ने आरोप लगाया कि आदेश प्राकृतिक न्याय, इक्विटी और निष्पक्ष खेल के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए पारित किया गया था। अपीलकर्ता के तर्क को...

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध तरीके से वसूला गया टैक्स 6% ब्याज के साथ वापस करने का निर्देश दिया
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध तरीके से वसूला गया टैक्स 6% ब्याज के साथ वापस करने का निर्देश दिया

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना है कि यदि कानून के किसी भी अधिकार के बिना कर एकत्र किया जाता है, तो यह किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से कानून के किसी भी अधिकार के बिना वंचित करने के बराबर होगा, और संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत उसके अधिकार का उल्लंघन होगा।जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस मनीषा बत्रा की खंडपीठ ने कहा कि उचित अधिकारी ने राशि स्वीकार करने के बाद कोई रसीद नहीं दी। याचिकाकर्ता की ओर से विरोधस्वरूप जमा की गई राशि वापस करने योग्य थी, क्योंकि याचिकाकर्ता को उसके अधिकार से वंचित किया गया...

दोषी के बारे में जान-बूझकर यह धारणा बनाने का प्रयास कि उसका व्यवहार अच्छा नहीं है, और उसे छुट्टी/पैरोल से मना करना वैध नहींः केरल हाईकोर्ट
दोषी के बारे में जान-बूझकर यह धारणा बनाने का प्रयास कि उसका व्यवहार अच्छा नहीं है, और उसे छुट्टी/पैरोल से मना करना वैध नहींः केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी दोषी के बारे में यह धारणा कि उसका व्यवहार अच्छा नहीं है, बनाने के लिए जान-बूझकर किया गया कोई भी प्रयास, और बदले में उसे छुट्टी ना देना, अवैध है।जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने एक दोषी के लिए साधारण छुट्टी की मांग वाली याचिका को मंजूर करते हुए कहा,"एक अनुचित प्रक्रिया का सहारा लेकर याचिकाकर्ता को जानबूझकर छुट्टी देने से इनकार करने का प्रयास किया गया है। नि:संदेह यह कार्रवाई यह धारणा बनाने के लिए है कि याचिकाकर्ता एक अच्छा व्यवहार करने वाला व्यक्ति नहीं है और...

बेंगलुरु कोर्ट ने बीजेपी विधायक संजीव मतंदूर की मॉर्फ्ड तस्वीरों को प्रकाशित करने से मीडिया को रोका
बेंगलुरु कोर्ट ने बीजेपी विधायक संजीव मतंदूर की 'मॉर्फ्ड' तस्वीरों को प्रकाशित करने से मीडिया को रोका

बेंगलुरु की एक सिटी सिविल कोर्ट ने राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा नेता संजीव मतंदूर की कथित 'मोर्फ्ड' तस्वीरों को प्रकाशित करने से मीडिया को रोक दिया है। कोर्ट ने इस संबंध में एक पक्षीय अंतरिम निषेधाज्ञा आदेश पारित किया है।विधायक ने यह कहते हुए मुकदमा दायर किया था कि चुनाव नजदीक है और उनकी पार्टी पुत्तूर विधायक निर्वाचन क्षेत्र से उन्हें उम्मीदवार बनाने की घोषणा करने वाली है। हालांकि, कुछ बदमाशों ने उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से कुछ अजनबी महिलाओं के साथ उनकी तस्वीर को...

जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने लंबे समय से लंबित मामलों को कम करने के लिए नए उपाय अपनाने की आदेश जारी किया
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने लंबे समय से लंबित मामलों को कम करने के लिए नए उपाय अपनाने की आदेश जारी किया

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में लंबित मामलों को कम करने के उपायों के साथ कार्यालय आदेश जारी किया।चीफ जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह इस विषय पर निर्देश पारित करते हुए इस आशय की अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि 10 वर्ष से ऊपर के सभी अंतिम सुनवाई के मामलों को मंगलवार और गुरुवार को सूचीबद्ध किया जाएगा। इन दिनों को अंतिम सुनवाई के दिनों के रूप में अनन्य रखा जाएगा, जिस दिन किसी अन्य गैर-सुनवाई मामले को तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक कि चीफ जस्टिस द्वारा अनुमति नहीं दी...

पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पति के एक्ट्र-मैरिटल पार्टनर पर केवल इसलिए मुकदमा नहीं चला सकती क्योंकि वो दंपति के घर में रहती थी: उड़ीसा हाईकोर्ट
पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पति के एक्ट्र-मैरिटल पार्टनर पर केवल इसलिए मुकदमा नहीं चला सकती क्योंकि वो दंपति के घर में रहती थी: उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत पति के एक्ट्र-मैरिटल पार्टनर पर केवल इसलिए मुकदमा नहीं चला सकती क्योंकि वो दंपति के घर में रहती थी।कोर्ट ने कहा कि दोनों महिलाएं (पत्नी और विवाहेतर साथी) अधिनियम की धारा 2 (एफ) के अनुसार 'घरेलू संबंध' साझा नहीं करती हैं, क्योंकि वे केवल एक ही छत के नीचे रहती हैं।अधिनियम के तहत आरोपों को खारिज करते हुए जस्टिस शशिकांत मिश्रा की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,"एकमात्र आरोप ये है कि शिकायतकर्ता के पति का याचिकाकर्ता संख्या 2 के साथ अवैध संबंध था...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने टीकाकरण शिविरों में फर्जी COVID टीके देने के आरोपी अस्पताल मालिकों, डॉक्टर को जमानत दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने टीकाकरण शिविरों में फर्जी COVID टीके देने के आरोपी अस्पताल मालिकों, डॉक्टर को जमानत दी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई भर के विभिन्न टीकाकरण शिविरों में फर्जी COVID टीके देने के आरोपी अस्पताल मालिकों और एक डॉक्टर को ये कहते हुए जमानत दे दी कि कथित फर्जी टीकों से किसी मरीज की मृत्यु या कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा।जस्टिस भारती डांगरे ने 8 मामलों में शिवम अस्पताल, कांदिवली के मालिक डॉ. शिवराज पटारिया और नीता पटारिया को जमानत देते हुए कहा,"अभियोजन पक्ष का ये मामला नहीं है कि कथित तौर पर फर्जी टीके पाए जाने के कारण कुछ मौतें हुई थीं या किसी मरीज को किसी प्रतिकूल प्रभाव का सामना करना पड़ा...

कुछ महीनों के लिए भी वकील का निलंबन उनके स्थायी भविष्य की संभावनाओं पर गंभीर प्रतिकूल परिणाम है: बॉम्बे हाईकोर्ट
कुछ महीनों के लिए भी वकील का निलंबन उनके स्थायी भविष्य की संभावनाओं पर गंभीर प्रतिकूल परिणाम है: बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एडवोकेट्स एक्ट 1961 के तहत कदाचार के मामले में देखा कि वकील अपने निजी जीवन में क्या करता है, उसे वकील के रूप में उसकी क्षमता के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है।अदालत ने वकील के भविष्य की संभावनाओं पर अस्थायी निलंबन के गंभीर परिणामों पर प्रकाश डाला और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को राज्य बार काउंसिल द्वारा उनके निलंबन पर रोक लगाने के लिए एडवोकेट अमरेश शर्मा के अंतरिम आवेदन पर शीघ्र निर्णय लेने को कहा।खंडपीठ ने कहा,"यहां तक कि कुछ महीनों के निलंबन का आदेश, और वास्तव में उस आदेश...

सीआरपीसी की धारा 329(2) - दिमागी रूप से कमज़ोर होने का निर्धारण करने के लिए अभियुक्त का शारीरिक रूप से पेश होना आवश्यक : उड़ीसा हाईकोर्ट
सीआरपीसी की धारा 329(2) - दिमागी रूप से कमज़ोर होने का निर्धारण करने के लिए अभियुक्त का शारीरिक रूप से पेश होना आवश्यक : उड़ीसा हाईकोर्ट

उड़ीसा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 329(2) के तहत अभियुक्त की अदालत में भौतिक उपस्थिति आवश्यक है, जिससे यह आकलन किया जा सके कि मानसिक विकार के कारण वह बचाव कर सकता है या नहीं। इसने रेखांकित किया कि संबंधित न्यायालय को केवल मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर अभियुक्तों की जांच किए बिना इस आशय का आदेश पारित नहीं करना चाहिए।जस्टिस राधा कृष्ण पटनायक की सिंगल जज बेंच ने कानून की बात को स्पष्ट करते हुए कहा,"...आरोपी की मानसिक क्षमता का निर्धारण करने के लिए और क्या वह...

कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों से जानबूझकर हटना आर्बिट्रेटर द्वारा दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के समान हो सकता है: झारखंड हाईकोर्ट
कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों से जानबूझकर हटना आर्बिट्रेटर द्वारा दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के समान हो सकता है: झारखंड हाईकोर्ट

झारखंड हाईकोर्ट ने दोहराया कि आर्बिट्रेटर कॉन्ट्रैक्ट से अधिकार प्राप्त करता है और इस प्रकार, कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों की अवहेलना करते हुए उसके द्वारा पारित निर्णय मनमाना प्रकृति का होगा।जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की पीठ ने टिप्पणी की कि कॉन्ट्रैक्ट राशि से जानबूझकर हटना न केवल अपने अधिकार की अवहेलना या आर्बिट्रेटर की ओर से कदाचार प्रकट करने के लिए है, बल्कि यह दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई के समान भी हो सकता है।अदालत ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (ए एंड सी अधिनियम) की धारा 37 के तहत अवार्ड देनदार...

ये समाज का काला चेहरा है कि कई परिवार आज भी अपने बेटे/बेटी की जाति से बाहर शादी करने में शर्म महसूस करते हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
ये समाज का काला चेहरा है कि कई परिवार आज भी अपने बेटे/बेटी की जाति से बाहर शादी करने में शर्म महसूस करते हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाल ही में कहा कि यह समाज का काला चेहरा है कि भारतीय परिवार आज भी अपने बेटे या बेटी की शादी अपनी जाति के बाहर करने में शर्म महसूस करते हैं।जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने एक महिला (पीड़ित) और उसके पति (आरोपी) की संयुक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। याचिका में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366 और पॉक्सो एक्ट की धारा 7/8 के तहत दायर चार्जशीट को रद्द करने की मांग की गई थी।मामले में एफआईआर फरवरी 2019 में आरोपी के खिलाफ दर्ज की गई...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान शिव के खिलाफ आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने के आरोपी को राहत देने से इनकार किया, कहा- ‘ऐसे अपराधों को फलने-फूलने की अनुमति नहीं दे सकते
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान शिव के खिलाफ आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने के आरोपी को राहत देने से इनकार किया, कहा- ‘ऐसे अपराधों को फलने-फूलने की अनुमति नहीं दे सकते'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भगवान शिव के खिलाफ आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट करने के आरोपी आसिफ के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया।जस्टिस जे जे मुनीर की पीठ ने कहा,"ऐसे अपराध जिनमें लोगों या समुदायों के वर्गों के बीच नफरत को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति होती है, उन्हें सख्ती से खत्म करना होगा। ऐसे अपराधों को समाज में फलने-फूलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।"आरोपी-आसिफ पर आईपीसी की धारा 153-ए और 295-ए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया है।केस के मुताबिक...

सुनिश्चित करें कि मवेशी कचरा या प्लास्टिक न खाएं, इससे दूध की गुणवत्ता पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा
सुनिश्चित करें कि मवेशी कचरा या प्लास्टिक न खाएं, इससे दूध की गुणवत्ता पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है: दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया कि नागरिकों को स्वच्छ दूध उपलब्ध कराया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि राष्ट्रीय राजधानी में मवेशी प्लास्टिक या कचरा नहीं खाते हैं।चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि कचरा या प्लास्टिक खाने वाले मवेशियों के दूध की गुणवत्ता पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है और इसका उपभोग करने वाले लोगों पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।वकील रितु गौबा द्वारा दायर जनहित याचिका का...