पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध तरीके से वसूला गया टैक्स 6% ब्याज के साथ वापस करने का निर्देश दिया

Avanish Pathak

8 April 2023 3:17 PM GMT

  • पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अवैध तरीके से वसूला गया टैक्स 6% ब्याज के साथ वापस करने का निर्देश दिया

    Punjab & Haryana High Court

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना है कि यदि कानून के किसी भी अधिकार के बिना कर एकत्र किया जाता है, तो यह किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से कानून के किसी भी अधिकार के बिना वंचित करने के बराबर होगा, और संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत उसके अधिकार का उल्लंघन होगा।

    जस्टिस रितु बाहरी और जस्टिस मनीषा बत्रा की खंडपीठ ने कहा कि उचित अधिकारी ने राशि स्वीकार करने के बाद कोई रसीद नहीं दी। याचिकाकर्ता की ओर से विरोधस्वरूप जमा की गई राशि वापस करने योग्य थी, क्योंकि याचिकाकर्ता को उसके अधिकार से वंचित किया गया था।

    याचिकाकर्ता/निर्धारिती लेड और लेड से संबंधित उत्पादों के निर्माण में लगा हुआ है। विभाग/प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता के इलेक्ट्रॉनिक बहीखाते में पड़े 24,18,516 रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट को अवरुद्ध कर दिया, जिस पर उन्होंने अपनी आपत्ति दर्ज कराई।

    विभाग ने याचिकाकर्ता के परिसरों की तलाशी ली और पूरी तलाशी के दरमियान निदेशक से पूछताछ की गई। निदेशक को जबरन उनके कार्यालय ले जाया गया, जहां उन्हें दो दिनों तक हिरासत में रखा गया। उस पर 1,99,90,000 रुपये जमा करने का दबाव बनाया और इसी के चलते उसने रुपये जमा करा दिए।

    जमा कराने को लेकर याचिकाकर्ता ने विरोध दर्ज कराया। विभाग ने याचिकाकर्ता के परिसरों की तलाशी ली और जबरन 25 लाख रुपये प्राप्त किए।

    विभाग ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने स्वेच्छा से राशि जमा की, जैसा कि फॉर्म जीएसटी डीआरसी-03 (पी-4) से स्पष्ट है, जिसमें क्रम संख्या 3-भुगतान के कारण को, याचिकाकर्ता ने स्वैच्छिक बताया है।

    अदालत ने विभाग के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया कि जमा राशि को लंबित जांच के परिणाम के अधीन रखा जाना चाहिए।

    जांच के लंबित रहने के दरमियान राशि जमा करने की अनुमति देने वाला एकमात्र प्रावधान अधिनियम की धारा 74(5) है, जिसे लागू नहीं किया गया। कंपनी से वसूली गई रकम संविधान के अनुच्छेद 265 और 300ए का उल्लंघन है।

    कोर्ट ने विभाग को 6% ब्याज के साथ 1,99,90,000 रुपये वापस करने का निर्देश दिया है।

    केस टाइटलः दिवाकर इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम सीजीएसटी कमिश्नर

    साइटेशन: सीडब्ल्यूपी-23788-2021

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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