सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह

LiveLaw News Network

12 Jun 2021 4:50 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह

    'जिन डॉक्टरों ने परीक्षा नहीं दी है, उनके हाथों में मरीज को कैसे दिया जा सकता है?' सुप्रीम कोर्ट ने पीजी मेडिकल छात्रों के फाइनल एग्जाम रद्द करने की याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल छात्रों के एक समूह द्वारा COVID-19 महामारी की स्थिति के मद्देनजर अंतिम परीक्षा से छूट देने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

    न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने कहा कि अदालत परीक्षा की छूट का आदेश पारित नहीं कर सकती, क्योंकि यह एक शैक्षिक नीति का मामला है। पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा, "वे मरीजों का इलाज करेंगे। मरीज उन लोगों के हाथ में कैसे आ सकते हैं, जिन्होंने परीक्षा पास नहीं की है?"

    पीठ ने हालांकि रिट याचिका (शशिधर ए और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य) में की गई अन्य प्रार्थनाओं पर केंद्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को नोटिस जारी किया है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'शीशे के घरों में रहने वाले लोगों को पत्थर नहीं फेंकना चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की जांच के खिलाफ परमबीर सिंह की याचिका पर विचार करने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के निष्कासित पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच को चुनौती दी गई थी।

    न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने और बॉम्बे हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी। हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने परम बीर सिंह के लिए विस्तृत तर्क दिए, लेकिन पीठ इस मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं थी।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'वित्तीय राहत का फैसला नहीं कर सकते': सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 की दूसरी लहर के बीच लोन चुकाने की मोहलत से संबंधित आदेश पारित करने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक रिट याचिका का यह देखते हुए निपटारा किया कि न्यायालय वित्तीय राहत के लिए निर्देश पारित नहीं कर सकता है। इस याचिका में COVID-19 महामारी के मद्देनजर वित्तीय बैंक से नए लोन चुकाने की मोहलत के रूप में वित्तीय राहत, पुनर्गठन योजना के तहत समय अवधि का विस्तार और एनपीए की घोषणा पर अस्थायी रोक के रूप में वित्तीय राहत मांगी गई थी। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की एक एक्शन बेंच ने कहा कि यह सरकार के स्थिति का आकलन करने और उचित निर्णय लेने के लिए है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को COVID-19 के कारण INI CET 2021 को एक महीने के लिए स्थगित करने का निर्देश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को COVID-19 की स्थिति को देखते हुए INI CET 2021 की परीक्षा को कम से कम एक महीने के लिए स्थगित करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ 16 जून 2021 को राष्ट्रीय महत्व संयुक्त प्रवेश परीक्षा (INI CET 2021) के आयोजन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में AIIMS, JIPMER और NIMHANS सहित देश की प्रमुख सरकारी चिकित्सा संस्थान द्वारा संस्थानों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जा रही परीक्षा को स्थगित करने के निर्देश मांग की गई थी।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    एनरिका लेक्सी मामला : इटली ने 10 करोड़ रुपये का मुआवजा जमा किया; सुप्रीम कोर्ट ने इतालवी नौसैनिकों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग वाले आवेदन पर फैसला सुरक्षित रखा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इटली गणराज्य द्वारा जमा किए गए 10 करोड़ रुपये के मुआवजे को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के दो इतालवी मरीन-मासिमिलानो लेटोरे और सल्वाटोर गिरोन के खिलाफ भारत में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाले आवेदन पर आदेश सुरक्षित रखा है। दरअसल , केरल तट के निकट साल 2012 में हुई समुद्र में गोलीबारी की घटना में दो भारतीय मछुआरे मारे गए थे। कोर्ट ने कहा कि मंगलवार (15 जून) को आदेश पारित किए जाएंगे।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    यह केवल इस देश में है कि जहां स्वास्‍थ्य का संबंध है, वहां चीजें बहुत उदार हैंः सुप्रीम कोर्ट

    यह केवल इस देश में है कि जहां स्वास्‍थ्य का संबंध है, वहां चीजें बहुत उदार हैं।" जस्टिस एम आर शाह ने मंगलवार को अनाज की मिलावट और घटिया गुणवत्ता के मामले में दायर अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ आईपीसी की धारा 272 (बिक्री के लिए खाने या पीने की वस्तु में मिलावट), 273 (हानिकारक भोजन या पेय की बिक्री), 420 (धोखाधड़ी) और 34 के तहत दर्ज एफआईआर के संबंध में अग्रिम जमानत की याचिका पर विचार कर रही थी। यह ध्यान दिया जा सकता है कि धारा 272 और 273, दोनों में अधिकतम 6 महीने की कैद या केवल जुर्माना है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    "हो सकता है फिजिकल सुनवाई करना संभव न हो": सुप्रीम कोर्ट ई-समिति ने सभी हाईकोर्ट को उनकी पसंद के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने के लिए अधिकृत किया

    सुप्रीम कोर्ट ई-समिति के अध्यक्ष डॉ. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सभी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को एक पत्र लिखते हुए कहा गया कि COVID-19 महामारी के कारण फिजिकल सुनवाई करना संभव नहीं हो सकता है और हो सकता है कि अदालतें कुछ समय के लिए सुनवाई के हाइब्रिड मॉडल का सहारा लें। इसलिए यह सभी हाईकोर्ट को उनकी पसंद के किसी भी मंच पर वीडियो कांफ्रेंसिंग व्यवस्था करने और वर्तमान वीसी प्लेटफॉर्म के साथ किसी भी मामलों की सुनवाई करने की स्थिति में उपलब्ध धनराशि को फिर से विनियोजित करने के लिए अधिकृत करने के लिए कहता है।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों को अवैध रूप से गोद लेने पर रोक लगाएं; गोद लेने के लिए सार्वजनिक विज्ञापन गैरकानूनी': सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 स्वत: संज्ञान मामले में कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों को अवैध रूप से गोद लेने पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अवैध रूप से गोद लेने में लिप्त गैर-सरकारी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि, "जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 के प्रावधानों के विपरीत प्रभावित बच्चों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए व्यक्तियों को आमंत्रित करना कानून के विपरीत है क्योंकि सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) की भागीदारी के बिना किसी बच्चे को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस अवैध गतिविधि में शामिल एजेंसियों / व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।"

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    'COVID-19 के दौरान अस्पतालों को सील करना उचित नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने अहमदाबाद के अस्पतालों को दंडात्मक कार्रवाई से बचाया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अंतरिम उपाय के रूप में अनुमति दी कि गुजरात राज्य में अस्पतालों और नर्सिंग होम बिल्डिंग के उपयोग के सर्टिफिकेट और अग्निशमन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) प्राप्त किए बिना बिल्डिंगों का उपयोग जारी रख सकते हैं। कोर्ट ने राज्य के लिए एसजी तुषार मेहता द्वारा की गई इस दलील की सराहना की कि इस महामारी और तीसरी लहर की आशंका के बीच अस्पतालों को पूरी तरह से सील करना उचित नहीं होगा।

    आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story