सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

8 Oct 2023 6:30 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (02 अक्टूबर 2023 से 06 अक्टूबर सितंबर 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    जे जे एक्ट | बाल न्यायालय को इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या बच्चे पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में माना कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 19(1) उपधारा (i) का अनुपालन, जिसके तहत बाल न्यायालय को यह जांच करने के आवश्यकता है कि कथित अपराधी को बच्चे या वयस्‍क अपराधी के रूप में मुकदमा चलाने की जरूरत है या नहीं, यह महज औपचारिकता नहीं है। इस संबंध में कोर्ट ने यह भी कहा कि धारा 19 की उपधारा 1 के खंड (ii) में प्रयुक्त 'हो सकता है' शब्द को 'करेगा' के रूप में पढ़ा जाएगा।

    केस टाइटलः अजीत गुर्जर बनाम मध्य प्रदेश राज्य, आपराधिक अपील संख्या 3023/2023

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    धारा 50 एनडीपीएस एक्ट किसी व्यक्ति के पास मौजूद बैग से बरामदगी पर लागू नहीं होता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दोहराया कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 में निर्दिष्ट व्यक्तिगत तलाशी की शर्तों के तहत केवल व्यक्ति के शरीर की तलाशी होती है, उसके पास मौजूद बैग की। न्यायालय ने माना कि धारा 50 एनडीपीएस एक्ट की प्रयोज्यता को केवल शरीर तक सीमित रखना और किसी व्यक्ति के पास मौजूदा बैग को बाहर करना प्रावधान के उद्देश्य को विफल कर सकता है, जो तलाशी अभियान के दौरान जांच एजेंसियों द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है।

    केस टाइटल: रंजन कुमार चड्ढा बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य

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    हिंदू अविभाजित परिवार का कर्ता हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्ति को अलग कर सकता है, भले ही उसमें नाबालिग का अविभाजित हित हो: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) के कर्ता को हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) की संपत्ति को बेचने/निपटाने/अलग करने का अधिकार है, भले ही परिवार के किसी नाबालिग का अविभाजित हित हो। न्यायालय ने बताया इसका कारण यह है कि एक एचयूएफ अपने कर्ता या परिवार के किसी वयस्क सदस्य के माध्यम से एचयूएफ संपत्ति के प्रबंधन में कार्य करने में सक्षम है। कोर्ट ने श्री नारायण बल बनाम श्रीधर सुतार (1996) 8 एससीसी 54 के फैसले का संदर्भ दिया।

    केस टाइटल : एनएस बालाजी बनाम पीठासीन अधिकारी, ऋण वसूली न्यायाधिकरण और अन्य | एसएलपी(सी) 21476-21477/2023

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    'एनडीपीएस एक्ट की धारा 50 के उल्लंघन में बरामद किया गया प्रतिबंधित पदार्थ अस्वीकार्य': सुप्रीम कोर्ट ने लोगों की तलाशी से संबंधित सिद्धांत जारी किए

    सुप्रीम कोर्ट ने नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) की धारा 50 से संबंधित उन सिद्धांतों को संक्षेप में प्रस्तुत किया है, जो संदिग्ध व्यक्तियों की तलाशी की शर्तों को निर्धारित करता है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस जेबी पारदीवाला (फैसले के लेखक) की खंडपीठ ने सिद्धांतों का सारांश इस प्रकार दिया:

    (i) एक्ट की धारा 50 अधिकार और दायित्व दोनों प्रावधान करती है। जिस व्यक्ति की तलाशी ली जानी है उसे यह अधिकार है कि यदि वह चाहे तो राजपत्रित अधिकारी या मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में अपनी तलाशी ले सकता है और पुलिस अधिकारी का यह दायित्व है कि वह व्यक्ति की तलाशी लेने से पहले ऐसे व्यक्ति को इस अधिकार के बारे में सूचित करे।

    केस टाइटल: रंजन कुमार चड्ढा बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य

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    पश्चिम बंगाल यूनिवर्सिटी विवाद| सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा नियुक्त अंतरिम कुलपतियों के वित्तीय लाभों पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में नियुक्त अंतरिम कुलपतियों की अतिरिक्त वित्तीय परिलब्धियों पर राज्य सरकार द्वारा उनके द्वारा की गई पूर्व नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका के लंबित रहने के दौरान रोक लगा दी। कुलपति नियुक्तियों के मुद्दे पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार और राज्यपाल बोस के बीच बढ़ते टकराव को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने "शैक्षिक संस्थानों के हित और लाखों छात्रों के भविष्य के करियर में" सुलह की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

    केस डिटेलः पश्चिम बंगाल राज्य बनाम डॉ. सनत कुमार घोष और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 17403/2023

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    शेड्यूल्‍ड 5 क्षेत्र पर संसदीय या राज्य कानून उसी स्थिति में लागू नहीं होगा, जब राज्यपाल ऐसा अधिसूचित किया हो: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मध्य प्रदेश में अनुसूचित क्षेत्रों की सीमा के भीतर टर्मिनल टैक्स लगाने की नगर परिषदों की शक्ति को बरकरार रखा। कोर्ट ने ऐसे कर लगाने के खिलाफ एक कोयला खनन कंपनी की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि पांचवीं अनुसूची का पैराग्राफ 5(1) राज्यपाल को यह निर्देश देने की शक्ति देता है कि या तो संसदीय या राज्य कानून अनुसूचित क्षेत्रों पर लागू नहीं होंगे या यह केवल कुछ अपवादों और संशोधनों के साथ लागू होंगे। कोर्ट ने पाया कि राज्यपाल द्वारा ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई थी। इसलिए, नगरपालिका परिषद राज्य के कानून के तहत अधिकार के रूप में कर लगा सकती है।

    केस टाइटल: साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड बनाम एमपी राज्य

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    किसी भी हाईकोर्ट को हाइब्रिड सुनवाई के लिए वीसी सुविधा तक पहुंच से इनकार नहीं करना चाहिए, बार सदस्यों को मुफ्त वाईफाई दिया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (06.10.2023) को सभी हाईकोर्ट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि बार के किसी भी सदस्य को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं या हाइब्रिड सुविधा के माध्यम से सुनवाई तक पहुंच से वंचित न किया जाए। शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों को अपने आदेश का पालन करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।

    कोर्ट ने आदेश दिया, "इस आदेश के दो सप्ताह बीत जाने के बाद कोई भी हाईकोर्ट बार के किसी भी सदस्य को वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा या हाइब्रिड सुविधा के माध्यम से सुनवाई तक पहुंच से इनकार नहीं करेगा।"

    केस टाइटल : सर्वेश माथुर बनाम पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल| WP(Crl.) नंबर 351/2023

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    "हम सरकार को फैसला लेने से नहीं रोकेंगे" : सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत सर्वे पर बिहार सरकार को प्रतिबंधित करने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिहार सरकार द्वारा किए गए जाति-आधारित सर्वेक्षण की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई जनवरी 2024 तक के लिए स्थगित कर दी। विशेष रूप से, कोर्ट ने राज्य पर जाति-सर्वेक्षण पर कार्य करने से रोक लगाने के लिए रोक या यथास्थिति का कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने मौखिक रूप से कहा, "हम राज्य सरकार या किसी भी सरकार को निर्णय लेने से नहीं रोक सकते।" पटना हाईकोर्ट ने 2 अगस्त को जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखा।

    मामले का विवरण- एक सोच एक प्रयास बनाम भारत संघ | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 16942/2023 और अन्य संबंधित मामले

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    आपराधिक कार्यवाही में डिस्चार्ज होने पर ऑटोमैटिकली रूप से संबंधित अनुशासनात्मक कार्यवाही में दोषमुक्ति नहीं हो जाती: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि संबंधित आपराधिक कार्यवाही में डिस्चार्ज होने से जीवित कार्यवाही में कोई लाभ नहीं मिलता। इस प्रकार किसी कर्मचारी के खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक कार्यवाही में ऑटोमैटिकली रूप से मुक्ति नहीं मिलती। जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि दोनों कार्यवाही अलग-अलग डोमेन में संचालित होती हैं और उनके अलग-अलग उद्देश्य हैं।

    केस टाइटल: भारतीय स्टेट बैंक और अन्य बनाम पी ज़ेंडेंगा

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    इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने बधिर वकीलों के लिए साइन लेंग्वेज इंटरप्रेटर नियुक्त किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बधिर वकील साराह सन्नी के लिए साइन लेंग्वेज इंटरप्रेटर नियुक्त किया। ऐतिहासिक रूप से सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी अपने खर्च पर इंटरप्रेटर नियुक्त नहीं किया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "आज हमारे पास साराह के लिए इंटरप्रेटर है। वास्तव में हम सोच रहे हैं कि संविधान पीठ की सुनवाई के लिए हमारे पास इंटरप्रेटर होगा, जिससे हर कोई उसका अनुसरण कर सके।"

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    राज्य सरकार को मोबाइल टावरों के निर्माण पर परमिट फीस लगाने का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि राज्य सरकार के पास मोबाइल टावरों के निर्माण पर परमिट फीस लगाने की क्षमता है। न्यायालय ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि राज्य को ऐसा करने का अधिकार देने वाले संसदीय कानून के अभाव में मोबाइल टावरों पर परमिट फीस नहीं वसूली जा सकती।

    केस टाइटल: भारत संचार निगम लिमिटेड और अन्य बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य, एसएलपी (सी) नंबर (एस).16014-16015 2020।

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    तीन साल हिरासत में लेकिन केवल सात गवाहों की जांच: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि त्वरित सुनवाई के अधिकार को बनाए रखने के लिए धारा 37 एनडीपीएस एक्ट में ढील दी जा सकती है, जमानत दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि 'त्वरित सुनवाई के अधिकार' का उल्लंघन किया गया है, एक ऐसे व्यक्ति को जमानत दे दी, जो 3 साल से अधिक समय से हिरासत में था, जिस पर व्यावसायिक मात्रा में प्रतिबंधित पदार्थ रखने का आरोप था। जस्टिस एनएस शेखावत ने कहा कि चूंकि आरोपी के त्वरित मुकदमे के अधिकार का उल्लंघन किया गया है, इसलिए धारा 37 के तहत निर्धारित शर्तों से छुटकारा पाया जा सकता है।

    केस टाइटल: ख़ुशी राम @ हैप्पी बनाम पंजाब राज्य

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    विवाहिता ने 24 सप्ताह की गर्भावस्था को टर्मिनेट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मेडिकल जांच के निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 24 सप्ताह से अधिक गर्भवती एक विवाहित महिला की गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने के ‌लिए याचिका पर विचार किया। सुनवाई के दरमियान शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि यदि ऐसी याचिका की अनुमति दी जाती है तो यह ऐसे माता-पिता के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खोल देगा जो अंतिम समय में घबरा जाते हैं। याचिकाकर्ता दो बच्चों की मां है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह लैक्टेशनल एमेनोरिया और पोस्ट पॉर्टम डिप्रेशन से पीड़ित है और इसलिए दंपति तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं हैं।

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    'अनुच्छेद 142 को कानून के खिलाफ लागू नहीं किया जा सकता': सुप्रीम कोर्ट ने खरीदार की जमा राशि के लिए SARFAESI नियमों के तहत समय बढ़ाने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट की अंतर्निहित शक्तियां अपने दायरे में व्यापक हैं, हालांकि इनका प्रयोग कोर्ट के समक्ष विचार के ‌लिए मौजूद मामले या कारण पर लागू कानून को प्रतिस्‍थापित करने के ल‌िए नहीं किया जा सकता है।

    मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने कहा, “इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए अदालत इस विषय से संबंधित किसी भी मूल वैधानिक प्रावधान की अनदेखी नहीं कर सकती है। अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण शक्तियां प्रकृति में अंतर्निहित हैं और उन शक्तियों की पूरक हैं जो विभिन्न कानूनों के माध्यम से न्यायालय को विशेष रूप से प्रदान की जाती हैं। हालांकि ये शक्तियां पक्षों के बीच पूर्ण न्याय करने के लिए बहुत व्यापक आयाम की हैं, इनका प्रयोग कोर्ट के समक्ष विचार के ‌लिए मौजूद मामले या कारण पर लागू कानून को प्रतिस्‍थापित करने के ल‌िए नहीं किया जा सकता है।''

    केस टाइटल: यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बनाम रजत इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा लिमिटेड और अन्य

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    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाला मामले में 'राजनीतिक दल को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया' सवाल पर स्पष्टीकरण दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को स्पष्ट किया कि दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में कथित लाभार्थी 'राजनीतिक दल' को आरोपी नहीं बनाए जाने के संबंध में मनीष सिसौदिया की जमानत पर सुनवाई के दौरान बुधवार को पीठ के द्वारा उठाए गए सवाल पर स्पष्टीकरण दिया। जस्टिस संजीव खन्ना और आरोपी एसवीएन भट्टी की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि वह केवल एक कानूनी प्रश्न पूछ रहे थे।

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    सुप्रीम कोर्ट ने NLU कंसोर्टियम से पूछा कि क्या 2023-24 के लिए NLU-त्रिपुरा में आवेदन करने वाले छात्रों को समायोजित किया जा सकता है

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLU) के कंसोर्टियम से पूछा कि क्या NLU उन छात्रों को समायोजित कर सकता है जिन्होंने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी त्रिपुरा में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। न्यायालय ने निराशा के साथ कहा कि NLU त्रिपुरा सुविधाओं और शिक्षकों की कमी के कारण शैक्षणिक वर्ष 2022-23 के लिए अपना संचालन शुरू नहीं कर सका और प्रवेश लेने वाले सभी 90 छात्रों को फीस वापस कर दी गई। कोर्ट ने इस स्थिति को "असंतोषजनक स्थिति" बताया।

    केस टाइटल : सौम्या संजय और अन्य बनाम नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी त्रिपुरा अगरतला और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) नंबर 41/2023

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    यदि इस तरह के प्रथागत अधिकार का अस्तित्व स्थापित हो तो प्रथागत तलाक के माध्यम से हिंदू विवाह को समाप्त किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक हिंदू विवाह को प्रथागत तलाक विलेख (customary divorce deed) के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है, बशर्ते ऐसे प्रथागत अधिकार का अस्तित्व स्थापित हो। यह हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 29(2) के आधार पर है, जिसमें कहा गया है कि अधिनियम का कोई भी प्रावधान हिंदू विवाह के विघटन को प्राप्त करने के लिए रीति-रिवाज द्वारा मान्यता प्राप्त या किसी विशेष अधिनियम द्वारा प्रदत्त किसी भी अधिकार को प्रभावित नहीं करेगा।

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    सुप्रीम कोर्ट में 7 जजों की बेंच ने सदन में वोट/ बोलने के लिए रिश्वत लेने पर सासंदों/ विधायकों को छूट के दायरे का परीक्षण किया

    सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने बुधवार को सवाल किया कि क्या भ्रष्टाचार के आरोपी विधायकों/ सांसदों को केवल इस आशंका पर छूट दी जानी चाहिएकि ऐसी छूट के अभाव का कार्यपालिका द्वारा राजनीतिक विपक्ष को निशाना बनाने के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना,जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की सात-न्यायाधीशों की पीठ 1998 के पीवी नरसिम्हा राव के फैसले की शुद्धता पर विचार कर रही है जिसे पिछले महीने सात न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ को संदर्भित किया गया था।

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    COVID-19 के दौरान परिसीमा अवधि बढ़ाने के आदेश उस अवधि पर भी लागू होते हैं, जब तक देरी माफ की जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (03.10.2023) को कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया। इस आदेश में देरी के आधार पर लिखित प्रस्तुति को रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन री: कॉग्निजेंस फॉर एक्सटेंशन ऑफ लिमिटेशन में पारित आदेशों की श्रृंखला का लाभ COVID-19 महामारी के आलोक में परिसीमा अवधि को बढ़ाने से अपीलकर्ताओं को लाभ होगा। अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।

    केस टाइटल: आदित्य खेतान और अन्य बनाम आईएल और एफएस फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड

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    ईडी को आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित में क्यों बताना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने समझाया

    सुप्रीम कोर्ट ने पंकज बंसल बनाम भारत संघ मामले में एक ऐतिहासिक फैसले मेंकहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आरोपी को गिरफ्तारी के कारण लिखित रूप में बताने होंगे। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धारा 19, जो ईडी के अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के आरोपी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देती है, इस अभिव्यक्ति का उपयोग करती है।

    अभियुक्त को 'ऐसी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किया जाएगा। धारा में यह निर्दिष्ट नहीं किया गया कि गिरफ्तारी के आधार की जानकारी कैसे दी जानी चाहिए। हाल के विजय मदनलाल चौधरी और सेंथिल बालाजी मामलों में इस पहलू पर ध्यान नहीं दिया गया।

    केस का शीर्षक: पंकज बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एसएलपी (सीआरएल) नंबर 9220-9221/2023, बसंत बंसल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एसएलपी (सीआरएल) नंबर 9275-9276/2023

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    दिल्ली ‌शराब नी‌ति: राजनीतिक दल को आरोपी क्यों नहीं बनाया, जबकि वह क‌‌‌थित लाभार्थी है? सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसौदिया की जमानत पर ईडी से पूछा

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को आम आदमी पार्टी नेता और दिल्‍ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। ‌सिसोदिया के खिलाफ दिल्ली शराब नीति संबंध‌ित कथित घोटोले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दो मामले दर्ज किए हैं।

    बुधवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबाआई और ईडी ने पूछा कि कथित तौर पर लाभार्थी होने के बाद भी राजनीतिक दल को पीएमएलए के तहत मामले में आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है?

    केस डिटेलः

    मनीष सिसौदिया बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 8167 2023

    मनीष सिसौदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 8188, 2023

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    पीएमएलए | आरोपी की गिरफ्तारी अगर धारा 19 के अनुसार वैध नहीं है तो रिमांड का आदेश फेल हो जाएगा: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय ने अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और कोर्ट धारा 167 सीआरपीसी के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए उसे रिमांड पर ले रही हैं तो यह सत्यापित करना और सुनिश्‍चित करना उसका कर्तव्य है कि गिरफ्तारी धारा 19 पीएमएल एक्ट, 2002 की आवश्यकताओं के अनुसार वैध है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि अगर अदालत इस कर्तव्य को उचित गंभीरता और परिप्रेक्ष्य के साथ नहीं निभा पाती है तो रिमांड का आदेश उसी आधार पर विफल हो जाता है।

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    ईडी के समन में केवल असहयोग करना पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी का आधार नहीं, ईडी समन किए गए व्यक्ति से अपराध स्वीकार करने की उम्मीद नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है कि धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 की धारा 50 के तहत जारी समन के जवाब में केवल असहयोग के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा, "2002 के अधिनियम की धारा 50 के तहत जारी किए गए समन के जवाब में एक गवाह का असहयोग उसे धारा 19 के तहत गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।"

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    जमानत की यह शर्त कि अभियुक्त को पुलिस के साथ Google लोकेशन शेयर करना चाहिए, प्रथम दृष्टया निजता के अधिकार का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मौखिक रूप से कहा कि जमानत की अवधि में किसी आरोपी को अपने मोबाइल फोन से अपनी गूगल पिन लोकेशन संबंधित जांच अधिकारी को बताने की जमानत की शर्त लगाना प्रथम दृष्टया उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मिथल की खंडपीठ दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसने बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड (एसबीएफएल) के आंतरिक लेखा परीक्षक को जमानत दे दी थी।

    केस टाइटल: प्रवर्तन निदेशालय बनाम रमन भूरारिया, डायरी नंबर- 23447 - 20

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    विशेषज्ञ ने कहा, अतीक अहमद के बच्चे बाल सुधार गृह में नहीं रहना चाहते, सुप्रीम कोर्ट ने सीडब्ल्यूसी से उनकी रिहाई पर निर्णय लेने को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (3 अक्टूबर) को आदेश दिया कि बाल कल्याण समिति मारे गए गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद के नाबालिग बेटों की रिहाई के मुद्दे पर सहायता व्यक्ति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आलोक में नए सिरे से विचार करेगी, जिस रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि वे बाल देखभाल संस्थान में रहना चाहते हैं।

    कोर्ट ने 18 अगस्त 2023 को डॉ. केसी जॉर्ज (सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक को-ऑपरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट) को बच्चों की इच्छाओं को जानने और रिपोर्ट करने के लिए एक सहायक व्यक्ति के रूप में नियुक्त किया था। उन्होंने बच्चों से बातचीत की और एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की जिसे 28 अगस्त, 2023 को अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया। नाबालिग बच्चे वर्तमान में प्रयागराज में एक बाल देखभाल संस्थान में रह रहे हैं।

    केस टाइटल : शाहीन अहमद बनाम यूपी राज्य

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    एमबीबीएस एडमिशन: सुप्रीम कोर्ट ने एम्स की एक्सपर्ट बॉडी की राय पर सेरेब्रल पाल्सी पीड़ित उम्मीदवार को ‌विकलांग कोटा के लिए पात्र घोषित किया

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित एक उम्मीदवार के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने उसे एमबीबीएस में एडमिशन के लिए पर्सन विद डिसएबिलिटी (पीडब्ल्यूडी) एक्ट, 2016 के तहत आरक्षण के लिए पात्र माना। कोर्ट ने 22 सितंबर 2023 को एम्स से विशेषज्ञों के एक बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने उम्मीदवार को योग्य घोषित किया था।

    केस का शीर्षक: बांभनिया सागर वाशरमभाई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया डब्ल्यूपी (सी) नंबर 856/2023, गौरव बनाम यूनियन ऑफ इंडिया एसएलपी सी 18017/2023 [ऐसे मामले, जहां एम्स कमेटी को कारण बताने के लिए कहा गया]

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    सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू की एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सुनवाई 9 अक्टूबर तक टाली, पूछा- क्या 17ए पीसी एक्ट, 2018 संशोधन से पहले के अपराधों पर लागू है?

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कौशल विकास घोटाला मामले में एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू की याचिका अगले सोमवार (9 अक्टूबर) के लिए पोस्ट कर दी। न्यायालय ने राज्य से हाईकोर्ट के समक्ष दायर दस्तावेजों का पूरा संकलन पेश करने को कहा और मामले को नौ अक्टूबर, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया। आज लगभग 50 मिनट तक चली सुनवाई में ज्यादातर मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए की प्रयोज्यता पर चर्चा हुई।

    केस डिटेलः नारा चंद्रबाबू नायडू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 12289 2023

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    अदालत में वह पंचनामा अस्वीकार्य, जहां गवाहों ने केवल सत्यापनकर्ता के रूप में काम किया और यह खुलासा नहीं किया कि वस्तुएं कैसे खोजी गईं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 'पंचनामा' (तलाशी और जब्ती की कार्यवाही दर्ज करने वाले दस्तावेज) को अदालत में अस्वीकार्य माना जाएगा यदि वे सीआरपीसी की धारा 162 का उल्लंघन करते हुए तैयार किए गए हों। विशेष रूप से, न्यायालय ने इन कार्यवाहियों में गवाहों द्वारा निभाई गई भूमिका और खोजों के दौरान वस्तुओं की खोज कैसे की गई, इसका पर्याप्त रूप से खुलासा करने में उनकी विफलता पर चिंता जताई।

    केस टाइटल: राजेश बनाम एमपी राज्य

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