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2 लाख स्टूडेंट के करियर को जोखिम में नहीं डाला जा सकता: सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG 2024 परीक्षा स्थगित करने की याचिका खारिज की
'2 लाख स्टूडेंट के करियर को जोखिम में नहीं डाला जा सकता': सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG 2024 परीक्षा स्थगित करने की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (9 अगस्त) को NEET-PG 2024 परीक्षा स्थगित करने की मांग वाली याचिका खारिज की, जो 11 अगस्त, 2024 को होने वाली है। याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के दो बैचों में परीक्षा आयोजित करने और सामान्यीकरण फॉर्मूला लागू करने के फैसले को भी चुनौती दी।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार किया।सीजेआई चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई शुरू होते ही कहा,"देश में बहुत सारी समस्याएं हैं, अब PG...

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक्टर आमिर खान का सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में शामिल होने पर स्वागत किया
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एक्टर आमिर खान का सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही में शामिल होने पर स्वागत किया

सुप्रीम कोर्ट में एक्टर और डायरेक्टर आमिर खान की मौजूदगी में 'सितारों से सजी' अदालत थी, जिन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की अदालत में विशेष उपस्थिति दर्ज कराई।खान द्वारा निर्मित फिल्म "लापता लेडीज", जो जेंडर समानता के विषय पर आधारित है, आज शाम को सुप्रीम कोर्ट के ऑडिटोरियम में जजों और रजिस्ट्री के सदस्यों के लिए दिखाई जाएगी। खान और किरण राव (फिल्म के डायरेक्टर) स्क्रीनिंग में शामिल होंगे और दर्शकों के साथ बातचीत करेंगे।सीजेआई ने खान के लिए अपने गर्मजोशी भरे स्वागत भाषण में उल्लेख किया कि...

ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट जमानत के मामले में सुरक्षित खेलने की कोशिश कर रहे हैं, भूल गए हैं कि जमानत नियम है: मनीष सिसोदिया मामले में सुप्रीम कोर्ट
ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट जमानत के मामले में सुरक्षित खेलने की कोशिश कर रहे हैं, भूल गए हैं कि 'जमानत नियम है': मनीष सिसोदिया मामले में सुप्रीम कोर्ट

शराब नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका मंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर अफसोस जताया कि देश में ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट इस सिद्धांत को भूल गए हैं कि 'जमानत नियम है, जेल अपवाद है' और सुरक्षित खेलने की कोशिश कर रहे हैं।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा,"हमारे अनुभव से हम कह सकते हैं कि ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट जमानत देने के मामले में सुरक्षित खेलने का प्रयास करते हैं। यह सिद्धांत कि जमानत नियम है और...

सड़क पर वाहन को ओवरटेक करने का प्रयास करने का मतलब लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सड़क पर वाहन को ओवरटेक करने का प्रयास करने का मतलब लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं: सुप्रीम कोर्ट

अपने हालिया आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सड़क पर ओवरटेक करने का प्रयास करने का मतलब लापरवाही से गाड़ी चलाना नहीं।जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की बेंच मोटर वाहन अधिनियम (MV Act) के तहत दुर्घटना मुआवजा दावे से उत्पन्न अपील पर फैसला कर रही थी।कोर्ट ने माना कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने अपीलकर्ताओं पर केवल सड़क पर ओवरटेक करने के लिए लापरवाही का आरोप लगाने में गलती की, जबकि वास्तव में प्रतिवादी का वाहन गलत दिशा से आ रहा था।बेंच ने कहा,"केवल इसलिए कि कोई व्यक्ति किसी वाहन को...

बंगाल में नौकरी घोटाला मामले में ED अभिषेक बनर्जी को दिल्ली बुला सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जारी रखी
बंगाल में नौकरी घोटाला मामले में ED अभिषेक बनर्जी को दिल्ली बुला सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जारी रखी

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (8 अगस्त) को स्कूल नौकरी घोटाले के मामले में ED के समन के खिलाफ टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी की याचिका पर सुनवाई जारी रखी। इस मुद्दे का सार यह है कि क्या ED पश्चिम बंगाल में स्कूल नौकरी मामले के संबंध में बनर्जी को दिल्ली बुला सकता है। धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के तहत कार्यवाही के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (CrCP) की प्रयोज्यता की सीमा पर तर्क दिए गए।जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और सीनियर एडवोकेट कपिल...

पुलिस अधिकारियों द्वारा अभियुक्तों को पेश किए जाने के दौरान मेडिकल अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया इकबालिया बयान साक्ष्य के रूप में अस्वीकार्य: सुप्रीम कोर्ट
पुलिस अधिकारियों द्वारा अभियुक्तों को पेश किए जाने के दौरान मेडिकल अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया इकबालिया बयान साक्ष्य के रूप में अस्वीकार्य: सुप्रीम कोर्ट

दो व्यक्तियों की हत्या की दोषसिद्धि खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस हिरासत के दौरान अभियुक्तों की चोट रिपोर्ट तैयार करते समय मेडिकल अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया इकबालिया बयान साक्ष्य के रूप में अस्वीकार्य है। खंडपीठ ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 26 के तहत प्रतिबंध के मद्देनजर ऐसा इकबालिया बयान स्वीकार्य साक्ष्य नहीं।जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि जिन इकबालिया बयानों पर ट्रायल कोर्ट ने बहुत अधिक भरोसा किया था, वे अस्वीकार्य हैं क्योंकि वे तब...

सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या को कम करने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरणों को सर्वोत्तम प्रयास करने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या को कम करने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरणों को सर्वोत्तम प्रयास करने चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति मांगने वाले प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण को सार्वजनिक परियोजना के संरेखण की पुनः जांच करके काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या को कम करने के लिए सर्वोत्तम प्रयास करने चाहिए।न्यायालय ने यह निर्देश भारत के संविधान के अनुच्छेद 51ए (मौलिक कर्तव्यों) की भावना और नागरिकों के स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को ध्यान में रखते हुए पारित किया।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने एमसी मेहता मामले में आवेदन पर...

S. 138 NI Act | लोन देने की क्षमता नहीं दर्शाई गई, बयानों में विरोधाभास: सुप्रीम कोर्ट ने चेक अनादर मामले में बरी होने का फैसला बरकरार रखा
S. 138 NI Act | 'लोन देने की क्षमता नहीं दर्शाई गई, बयानों में विरोधाभास': सुप्रीम कोर्ट ने चेक अनादर मामले में बरी होने का फैसला बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने चेक अनादर मामले में शिकायतकर्ता के बयानों में कुछ विरोधाभासों, साथ ही लोन देने की वित्तीय क्षमता दिखाने में असमर्थता और आयकर रिटर्न में लोन की पावती न होने को ध्यान में रखते हुए बरी होने के फैसले को बरकरार रखा।हालांकि चेक पर आरोपी के हस्ताक्षर साबित हो गए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस मामले में परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 (NI Act) की धारा 139 के तहत अनुमान लागू नहीं होता।शिकायत में शिकायतकर्ता ने कहा कि आरोपी ने राशि उधार लेते समय चेक जारी किया था, लेकिन जिरह में उसने अलग बयान दिया;...

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया: प्रस्तावित परिवर्तनों की व्याख्या
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया: प्रस्तावित परिवर्तनों की व्याख्या

संसद के चल रहे मानसून सत्र में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया। इसमें मौजूदा वक्फ अधिनियम, 1995 (जैसा कि 2013 में संशोधित किया गया था) में लगभग 40 संशोधन लाने का प्रस्ताव है।लंबी बहस के बाद मंत्री द्वारा सहमति जताए जाने के बाद सदन ने विधेयक को व्यापक जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया।यहां निम्नलिखित प्रस्तावित संशोधन (बोल्ड अक्षरों में हाइलाइट किए गए परिवर्तन) दिए गए हैं:परिभाषा खंड के तहतधारा 3(आर) के तहत: "वक्फ" का...

जिला न्यायपालिका से कुछ लोग मात्र 15 हजार रुपये मासिक पेंशन के साथ रिटायर होते हैं: सुप्रीम कोर्ट
'जिला न्यायपालिका से कुछ लोग मात्र 15 हजार रुपये मासिक पेंशन के साथ रिटायर होते हैं': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने जिला जजों को दी जाने वाली अल्प रिटायरमेंट पेंशन के मुद्दे पर चिंता व्यक्त की।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के कार्यान्वयन से संबंधित अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ मामले की सुनवाई कर रही थी।अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने न्यायिक अधिकारियों को दिए जाने वाले भत्तों पर टीडीएस कटौती के मुद्दे पर विचार करने के लिए समय मांगा। सुनवाई स्थगित करने पर सहमति जताते हुए सीजेआई ने न्यायिक...

किसी इकाई को ब्लैक लिस्ट में डालना सिविल डेथ के समान, यह न्यायोचित और आनुपातिक होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
किसी इकाई को ब्लैक लिस्ट में डालना 'सिविल डेथ' के समान, यह न्यायोचित और आनुपातिक होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

कोलकाता नगर निगम द्वारा वाणिज्यिक इकाई के विरुद्ध पारित ब्लैक लिस्ट में डालने के आदेश को निरस्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि ब्लैक लिस्ट में डालने के आदेश एक "कठोर उपाय" हैं। इस प्रकार, उन्हें न्यायोचित और आनुपातिक होना चाहिए।जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा,"ये सभी कारण वर्तमान मामले में अपीलकर्ता के आचरण को इतना घृणित बनाने से बहुत दूर हैं कि ब्लैक लिस्ट में डालने/निषेध करने के कठोर उपाय को उचित ठहराया जा सके। अपीलकर्ता को स्पष्ट...

लेक्चरर के रूप में एडहॉक नियुक्ति को CAS के तहत सीनियर वेतनमान की पात्रता के लिए नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
लेक्चरर के रूप में एडहॉक नियुक्ति को CAS के तहत सीनियर वेतनमान की पात्रता के लिए नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिसि अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने माना कि नियमित आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त होने से पहले लेक्चरर के रूप में एडहॉक नियुक्ति में दी गई सेवाओं को 'कैरियर एडवांसमेंट स्कीम' (CAS) के तहत सीनियर वेतनमान के अनुदान के लिए पात्रता निर्धारित करने के लिए नहीं गिना जा सकता।केंद्र सरकार द्वारा 22 जुलाई, 1988 को अधिसूचित CAS के अनुसार, यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में शिक्षकों के वेतनमान में 1 जनवरी, 1986 से संशोधन किया गया। प्रत्येक लेक्चरर को...

जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं कि आरोपी को अपराध कबूल करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं कि आरोपी को अपराध कबूल करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि जांच में सहयोग का मतलब यह नहीं है कि आरोपी को जांच अधिकारी के सामने अपना अपराध कबूल करना चाहिए।कोर्ट ने कहा,"हमारा दृढ़ मत है कि आरोपी द्वारा सहयोग न करना एक बात है और आरोपी द्वारा अपराध कबूल करने से इनकार करना दूसरी बात है। आरोपी पर यह बाध्यता नहीं होगी कि पूछताछ किए जाने पर उसे अपराध कबूल करना होगा। उसके बाद ही जांच अधिकारी संतुष्ट होगा कि आरोपी ने जांच में सहयोग किया।"जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने पुलिस निरीक्षक और मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट...

संविधान सामाजिक असमानताओं को दूर करने का एक शक्तिशाली साधन है: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
संविधान सामाजिक असमानताओं को दूर करने का एक शक्तिशाली साधन है: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा कि भारत का संविधान समाज के भीतर असमानताओं को रोकने का एक शक्तिशाली साधन है। उन्होंने राज्य बार में उच्च नामांकन शुल्क के खिलाफ हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और पिछले सप्ताह आयोजित विशेष लोक अदालत को इस तरह की असमानताओं के उदाहरण के रूप में रेखांकित किया।सुप्रीम कोर्ट ने माना कि युवा लॉ ग्रेजुएट्स के लिए ऐसी फीस, जो कानूनी रूप से निर्धारित राशि से अधिक है और हाशिए पर पड़े समुदायों और पहली पीढ़ी के वकीलों को असमान रूप से प्रभावित...

हम ट्रायल कोर्ट को नियंत्रित नहीं करने जा रहे हैं: वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ रामकृष्ण राजू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट
'हम ट्रायल कोर्ट को नियंत्रित नहीं करने जा रहे हैं': वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ रामकृष्ण राजू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ लंबित मामले को स्थानांतरित करने के लिए तेलुगु देशम पार्टी के विधायक रघु रामकृष्ण राजू की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने पहले ही ट्रायल में तेजी लाने के निर्देश पारित कर दिए हैं। अब वह किसी भी डिस्चार्ज आवेदन या अन्यथा के संबंध में ट्रायल कोर्ट को कोई निर्देश नहीं देगा।जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ के समक्ष यह मामला था, जिसने रेड्डी (और अन्य आरोपियों) द्वारा प्रस्तुत...