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भीमा कोरेगांव हिंसा मामला| क्या ज्योति जगताप का मामला उस फॉर्मूले में फिट बैठता है, जिसमें वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को जमानत दी गई? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा
भीमा कोरेगांव हिंसा मामला| क्या ज्योति जगताप का मामला उस 'फॉर्मूले' में फिट बैठता है, जिसमें वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को जमानत दी गई? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मौखिक रूप से कहा कि एक्टिविस्ट और भीमा कोरेगांव की आरोपी ज्योति जगताप की जमानत याचिका पर निर्णय लेने में यह निर्धारण शामिल होगा कि क्या उनका मामला 'उस फॉर्मूले पर फिट बैठता है' जिसमें सह-अभियुक्त वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा की जमानत याचिका पर फैसला किया गया। जगताप की जमानत पर सुनवाई 21 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ जगताप की जमानत याचिका खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई...

सुप्रीम कोर्ट साल 2007 के हेट स्पीच केस में आवाज का नमूना देने के निर्देश के खिलाफ आजम खान की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट साल 2007 के हेट स्पीच केस में आवाज का नमूना देने के निर्देश के खिलाफ आजम खान की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की उस याचिका पर 23 अगस्त, बुधवार को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत द्वारा नफरत फैलाने वाले भाषण मामले (Hate Speech Case ) में आवाज का नमूना देने के निर्देश को चुनौती दी है। आज़म खान ने 25 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की...

अपने शरीर पर केवल महिला का ही अधिकार है; अबॉर्शन पर अंतिम निर्णय महिला को ही लेना है: सुप्रीम कोर्ट
अपने शरीर पर केवल महिला का ही अधिकार है; अबॉर्शन पर अंतिम निर्णय महिला को ही लेना है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दोहराया कि महिला को अपने शरीर पर अकेले अधिकार है और वह इस सवाल पर अंतिम निर्णय लेने वाली है कि क्या वह अबॉर्शन कराना चाहती है। अदालत ने यह टिप्पणी 25 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने की याचिका स्वीकार करते हुए की।जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने यह आदेश पीड़िता की वर्तमान याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसने गुजरात हाईकोर्ट द्वारा राहत से इनकार किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।इस बात पर प्रकाश डालने...

न्यायेतर स्वीकारोक्ति कमजोर सबूत है, अगर यह स्वैच्छिक, सच्चा और प्रलोभन से मुक्त साबित हो तो इस पर भरोसा किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
न्यायेतर स्वीकारोक्ति कमजोर सबूत है, अगर यह स्वैच्छिक, सच्चा और प्रलोभन से मुक्त साबित हो तो इस पर भरोसा किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में माना कि हालांकि न्यायेतर स्वीकारोक्ति (Extra-Judicial Confession) को आम तौर पर सबूत के कमजोर टुकड़े माना जाता है, फिर भी वे स्वैच्छिक, सच्चे और प्रलोभन से मुक्त साबित होने पर सजा के लिए आधार के रूप में काम कर सकते हैं। अदालत को स्वीकारोक्ति की विश्वसनीयता के बारे में आश्वस्त होना चाहिए और यह मूल्यांकन आसपास की परिस्थितियों को ध्यान में रखता है।सुप्रीम कोर्ट ने पवन कुमार चौरसिया बनाम बिहार राज्य मामले पर भरोसा किया, जिसमें कहा गया, "आम तौर पर यह सबूत का कमजोर टुकड़ा...

सरकारी अधिकारियों को तलब करने के लिए अदालतों के लिए दिशानिर्देश तय करेंगे: सुप्रीम कोर्ट
सरकारी अधिकारियों को तलब करने के लिए अदालतों के लिए दिशानिर्देश तय करेंगे: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौखिक रूप से टिप्पणी की कि वह सरकार से जुड़े मुकदमे में अदालतों के समक्ष सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति से संबंधित दिशानिर्देश तय करेगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव (वित्त) और सचिव (वित्त) को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए घरेलू सहायता और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के निर्देशों का अनुपालन न करने पर हिरासत में...

निर्णयों को असंवैधानिक मानने के बाद नागरिकों को वास्तविक राहत देने से परहेज नहीं करना चाहिएः जस्टिस दीपक गुप्ता
निर्णयों को असंवैधानिक मानने के बाद नागरिकों को वास्तविक राहत देने से परहेज नहीं करना चाहिएः जस्टिस दीपक गुप्ता

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने हाल ही में संवैधानिक न्यायालयों के रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा कि संवेधानिक न्यायालयों ने कई कार्यकारी निर्णयों को असंवैधानिक माना है, फिर भी, उन्होंने नागरिकों वास्तविक राहत देने से परहेज किया है। लाइवलॉ की 10वीं वर्षगांठ व्याख्यान श्रृंखला के हिस्से के रूप में "पिछले दशक में मौलिक अधिकारों में विकास" विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान देते हुए जस्टिस गुप्ता ने अनुराधा भसीन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य मामलों का हवाला दिया, जिसमें जम्मू और कश्मीर...

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब तक प्रथम दृष्टया मामला न बन जाए, बिहार जाति सर्वेक्षण पर रोक नहीं लगाई जाएगी, केंद्र अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, जब तक प्रथम दृष्टया मामला न बन जाए, बिहार जाति सर्वेक्षण पर रोक नहीं लगाई जाएगी, केंद्र अपने विचार प्रस्तुत करना चाहता है

भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बिहार सरकार द्वारा किए गए जाति-आधारित सर्वेक्षण के कुछ 'प्रभाव' हो सकते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ बिहार सरकार के जाति-आधारित सर्वेक्षण को बरकरार रखने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ गैर-सरकारी संगठनों यूथ फॉर इक्वेलिटी और एक सोच एक प्रयास की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह फैसला हाईकोर्ट की एक खंडपीठ द्वारा सुनाया गया। इस खंडपीठ ने तर्क को खारिज कर दिया कि जाति के आधार पर...

बलात्कार के कारण महिला को बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर करना हमारे संवैधानिक दर्शन के खिलाफ , सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दी
बलात्कार के कारण महिला को बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर करना हमारे संवैधानिक दर्शन के खिलाफ , सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 25 वर्षीय बलात्कार पीड़िता की गर्भावस्था को समाप्त करने की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि बलात्कार के परिणामस्वरूप किसी महिला को बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर करना हमारे संवैधानिक दर्शन के खिलाफ है।यह देखते हुए कि इस तरह की गर्भावस्था से महिला के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, अदालत ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसने पहले गर्भावस्था की चिकित्सीय समाप्ति के लिए पीड़िता की याचिका को खारिज कर दिया था।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल...

सुप्रीम कोर्ट ने नगर पालिका भर्ती घोटाले में पश्चिम बंगाल की सीबीआई जांच की चुनौती खारिज की; कहा- यह शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा
सुप्रीम कोर्ट ने नगर पालिका भर्ती घोटाले में पश्चिम बंगाल की सीबीआई जांच की चुनौती खारिज की; कहा- यह शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल नगर पालिका भर्ती घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ट्रांसफर करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने प्रथम दृष्टया टिप्पणी की कि नगर पालिका भर्ती घोटाला शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। उल्लेखनीय है कि शिक्षक घोटाला की जांस सीबीआई और ईडी के पास है।पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल...

सोशल मीडिया पर मैसेज फॉरवर्ड करने वाला व्यक्ति उसकी सामग्री के लिए उत्तरदायी, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया
'सोशल मीडिया पर मैसेज फॉरवर्ड करने वाला व्यक्ति उसकी सामग्री के लिए उत्तरदायी', सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया।उक्त फैसले में हाईकोर्ट ने महिला पत्रकारों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में अभिनेता और भाजपा नेता एसवी शेखर के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।शेखर पर आरोप था कि उन्होंने अप्रैल 2018 में अपने फेसबुक अकाउंट पर कथित तौर पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और अश्लील टिप्पण‌ियां फॉरवर्ड की थी, जिसके बाद उन पर मामले दर्ज किए गए थे।हाईकोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया...

मणिपुर हिंसा | न्यायाधीशों की समिति ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी
मणिपुर हिंसा | न्यायाधीशों की समिति ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी

मणिपुर हिंसा से संबंधित मामले में राहत, उपचारात्मक उपायों, पुनर्वास उपायों और घरों और पूजा स्थलों की बहाली सहित मुद्दे के मानवीय पहलुओं को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तीन रिपोर्ट प्रस्तुत की।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने रिपोर्ट को वकीलों को प्रसारित करने का निर्देश दिया और उनसे प्रस्तावित सुझावों पर जवाब देने को कहा।समिति की अध्यक्षता जस्टिस गीता मित्तल (जम्मू-कश्मीर...

यह कैसी याचिका? : सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म करने के केंद्र के फैसले को वैध घोषित करने की याचिका खारिज की
'यह कैसी याचिका?' : सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म करने के केंद्र के फैसले को वैध घोषित करने की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई थी कि अनुच्छेद 370 (1) के तहत जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35 ए को हटाने का केंद्र का फैसला वैध था। पीठ की अध्यक्षता कर रहे भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शुरुआत में ही याचिका की प्रकृति के बारे में संदेह व्यक्त किया। पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे।सीजेआई ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल...

जब पुरुष और महिला लंबे समय तक एक साथ रहते हैं तो कानून उसे विवाह मानता है: सुप्रीम कोर्ट
जब पुरुष और महिला लंबे समय तक एक साथ रहते हैं तो कानून उसे विवाह मानता है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि जब एक पुरुष और एक महिला लंबे समय तक लगातार एक साथ रहते हों तो विवाह की धारणा बन जाती है। जस्टिस हिमा कोहिल और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा,''जब एक पुरुष और एक महिला लंबे समय तक एक लगताार एक साथ रहते हैं तो कानून का अनुमान विवाह के पक्ष होता है। इसमें कोई संदेह नहीं है, उक्त अनुमान खंडन योग्य है और इसका खंडन निर्विवाद सबूतों के आधार पर किया जा सकता है। जब कोई ऐसी परिस्थिति हो, जो ऐसी धारणा को कमजोर करती हो तो अदालतों को उसे नजरअंदाज...

गुजरात हाईकोर्ट में क्या हो रहा है? हम अपने आदेश पर हाईकोर्ट के पलटवार की सराहना नहीं करते: सुप्रीम कोर्ट अबॉर्शन मामले में कहा
'गुजरात हाईकोर्ट में क्या हो रहा है? हम अपने आदेश पर हाईकोर्ट के पलटवार की सराहना नहीं करते': सुप्रीम कोर्ट अबॉर्शन मामले में कहा

सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार पीड़िता की गर्भपात की मांग वाली याचिका पर आदेश पारित करने के तरीके को लेकर गुजरात हाईकोर्ट की एक बार फिर आलोचना की।पिछले शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने 28 सप्ताह के करीब प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करने की महिला की याचिका पर सुनवाई के लिए विशेष सुनवाई आयोजित की।जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान मामले को "कमजोर तरीके" से संभालने के लिए गुजरात हाईकोर्ट की आलोचना की।पहले तो हाईकोर्ट ने सुनवाई 12 दिन के लिए स्थगित कर दी और बाद में सुनवाई आगे...

बिना किसी कारण के अपील खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मिसाल नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता
बिना किसी कारण के अपील खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मिसाल नहीं माना जा सकता: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस दीपक गुप्ता

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता ने कुछ कार्यकारी फैसलों को असंवैधानिक मानने के बावजूद नागरिकों को वास्तविक राहत देने से परहेज करने में संवैधानिक न्यायालयों के दृष्टिकोण की आलोचना की।लाइवलॉ की 10वीं वर्षगांठ व्याख्यान श्रृंखला के हिस्से के रूप में "पिछले दशक में मौलिक अधिकारों में विकास" विषय पर एक ऑनलाइन व्याख्यान देते हुए, जस्टिस गुप्ता ने अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ और अन्य के उदाहरण मामले का हवाला दिया, जिसमें भारत में जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में 4 अगस्त, 2019 को राज्य की...

अभियोजक का राज्य, आरोपी और अदालत के प्रति कर्तव्य है; वे किसी पक्षकार के प्रतिनिधि नहीं हैं: सुप्रीम कोर्ट
'अभियोजक का राज्य, आरोपी और अदालत के प्रति कर्तव्य है; वे किसी पक्षकार के प्रतिनिधि नहीं हैं': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (18.08.2023) को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और पूर्व सांसद (सांसद) प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड के मामले में दोषी ठहराते हुए निचली अदालत द्वारा उन्हें बरी किए जाने और पटना हाईकोर्ट के इसकी पुष्टि करने के फैसले को पलट दिया।शीर्ष अदालत ने मामले में ट्रायल कोर्ट के पीठासीन अधिकारी के 'निंदनीय आचरण' की कड़ी आलोचना की, जिसके परिणामस्वरूप अदालत के अनुसार ट्रायल के विभिन्न चरणों में न्याय में बाधा उत्पन्न हुई। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि आपराधिक ट्रायल में तीन...

धारा 149 आईपीसी - गवाह से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह प्रत्येक आरोपी के विशिष्ट कृत्य के बारे में ग्राफिक डिटेल्स के साथ बताएगा : सुप्रीम कोर्ट
धारा 149 आईपीसी - गवाह से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह प्रत्येक आरोपी के विशिष्ट कृत्य के बारे में ग्राफिक डिटेल्स के साथ बताएगा : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 149 से जुड़े मामले में, एक गवाह से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह आरोपी के उस विशिष्ट प्रत्यक्ष कृत्य के बारे में ग्राफिक विवरण के साथ बात करेगा, जिसके लिए प्रत्येक आरोपी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।इस मामले में अपीलकर्ताओं-अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 149 और 148 सहपठित धारा 302 के तहत समवर्ती रूप से दोषी ठहराया गया। अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि अभियुक्तों के साथ-साथ लगभग 14 अन्य अभियुक्त हथियारों से लैस थे और उन्होंने...

विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक कैद में रखना गरिमा और स्वतंत्रता के संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है: सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस मामले में नाइजीरियाई आरोपी पर लगाई गई जमानत शर्तों में ढील दी
विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक कैद में रखना गरिमा और स्वतंत्रता के संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है: सुप्रीम कोर्ट ने एनडीपीएस मामले में नाइजीरियाई आरोपी पर लगाई गई जमानत शर्तों में ढील दी

सुप्रीम कोर्ट ने नाइजीरियाई आरोपी पर लगाई गई जमानत की शर्त में ढील देते हुए कहा कि विचाराधीन कैदियों को लंबे समय तक कैद में रखना गरिमा और स्वतंत्रता के संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि लंबे समय तक मुकदमे का सामना कर रहे आरोपी की स्वतंत्रता पर अदालत का ध्यान जाना चाहिए।इस मामले में हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई जमानत शर्तों में से एक इस प्रकार है:विशेष अदालत नाइजीरिया के उच्चायोग, नई दिल्ली से आश्वासन का प्रमाण पत्र मांगेगी कि मुकदमा समाप्त...

क्या दूतावास से आश्वासन लेने वाली जमानत की शर्त लगाई जा सकती है कि विदेशी अभियुक्त भारत नहीं छोड़ेगा? सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा
क्या दूतावास से आश्वासन लेने वाली जमानत की शर्त लगाई जा सकती है कि विदेशी अभियुक्त भारत नहीं छोड़ेगा? सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र को इस पर अपना विचार प्रस्तुत करने का निर्देश दिया कि क्या दूतावास/उच्चायोग से आश्वासन लेने वाली जमानत की शर्त यह है कि विदेशी नागरिक आरोपी देश नहीं छोड़ेगा।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ नारकोटिक्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) के तहत मुकदमा चलाने वाले विदेशी नागरिक पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई कुछ जमानत शर्तों को चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आश्वासन की आवश्यकता वाली शर्त भी शामिल थी।नाइजीरियाई उच्चायोग से कहा...

निवारक हिरासत - अनुच्छेद 22(4)(ए) के तहत तीन महीने की सीमा सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट तक प्रारंभिक चरण पर लागू होती है : सुप्रीम कोर्ट
निवारक हिरासत - अनुच्छेद 22(4)(ए) के तहत तीन महीने की सीमा सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट तक प्रारंभिक चरण पर लागू होती है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बंदी की अपील को खारिज कर दिया, जिसने आंध्र प्रदेश में बूट-लेगर्स अधिनियम, डकैत, नशीली दवाओं के अपराधियों, गुंडों, अनैतिक तस्करी अपराधियों और भूमि कब्जा करने वालों की खतरनाक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1986 (अधिनियम) के तहत निवारक हिरासत के आदेश को चुनौती दी थी।न्यायालय चेरुकुरी मणि बनाम मुख्य सचिव, आंध्र प्रदेश सरकार (2015) 13 SCC 722 में अपनाए गए दृष्टिकोण से असहमत था कि यदि राज्य सरकार का लक्ष्य किसी व्यक्ति को अधिकतम 12 महीने की अवधि के लिए हिरासत में रखना...