'सोशल मीडिया पर मैसेज फॉरवर्ड करने वाला व्यक्ति उसकी सामग्री के लिए उत्तरदायी', सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

Avanish Pathak

21 Aug 2023 9:10 AM GMT

  • सोशल मीडिया पर मैसेज फॉरवर्ड करने वाला व्यक्ति उसकी सामग्री के लिए उत्तरदायी, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया।

    उक्त फैसले में हाईकोर्ट ने महिला पत्रकारों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के आरोप में अभिनेता और भाजपा नेता एसवी शेखर के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।

    शेखर पर आरोप था कि उन्होंने अप्रैल 2018 में अपने फेसबुक अकाउंट पर कथित तौर पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और अश्लील टिप्पण‌ियां फॉरवर्ड की थी, जिसके बाद उन पर मामले दर्ज किए गए थे।

    हाईकोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया संदेशों को फॉरवर्ड करने वाला व्यक्ति उसकी सामग्री के लिए उत्तरदायी है।

    सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने हालांकि निर्देश दिया कि अभिनेता की ओर से व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने के ‌लिए किए गए अनुरोध पर ट्रायल कोर्ट कानून के अनुसार विचार कर सकती है।

    मद्रास हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि शेखर नामचीन व्यक्ति थे। उनके कई फॉलोवर भी हैं। उन्हें मैसेज फॉरवर्ड करते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी।

    शेखर ने अपनी सफाई में दावा किया था कि उन्होंने किसी अन्य व्यक्ति से प्राप्त मैसेज को उसकी सामग्री को पढ़े बिना केवल फॉरवर्ड किया था, और बाद में आपत्तिजनक पोस्ट उसी दिन हटा दी थी और माफी मांगी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि इन कृत्यों से शेखर को आप‌त्तिजनक मैसेजों को फॉरवर्ड करने के परिणाम भुगतने से माफी नहीं मिलेगी।

    हाईकोर्ट ने कहा कि मैसेज फॉरवर्ड करने वाले व्यक्ति को संदेश की सामग्री को स्वीकार करना चाहिए। अदालत ने कहा कि जब किसी व्यक्ति को फॉरवर्ड किए गए संदेश पर लाइक देखकर डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है, तो उसे परिणाम भुगतने के लिए समान रूप से तैयार रहना चाहिए, अगर उस संदेश में आपत्तिजनक सामग्री हो।

    हाईकोर्ट ने कहा कि हम एक ऐसे युग में रहते हैं, जहां सोशल मीडिया ने वस्तुतः हर व्यक्ति के जीवन पर कब्जा कर लिया है, जहां प्रत्येक मैसेज कुछ ही देर में दुनिया के कोने-कोने तक पहुंच सकता है।

    हाईकोर्ट ने कहा कि हम "आभासी डायरिया" से पीड़ित नहीं हैं, जहां हम पर मैसेजों की बौछार की गई थी। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को संदेश बनाते या अग्रेषित करते समय सामाजिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

    हाईकोर्ट ने कहा था कि शेखर की माफी पर कार्रवाई नहीं की जा सकती और केवल इसी आधार पर उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द नहीं की जा सकती।

    केस टाइटलः एसवीई शेखर बनाम एआई गोपालसामी, Special Leave to Appeal (Crl.) No(s). 9522- 9525/2023

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