सुप्रीम कोर्ट

पीड़ित मुआवज़ा मामलों में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश, सभी ट्रायल कोर्ट को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने पर जोर
पीड़ित मुआवज़ा मामलों में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा निर्देश, सभी ट्रायल कोर्ट को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने पर जोर

अपराध पीड़ितों के अधिकारों को मज़बूती देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के सभी विशेष और सत्र न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे प्रत्येक पात्र मामले में पीड़ित मुआवज़ा के भुगतान के संबंध में स्पष्ट आदेश पारित करें।अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट्स द्वारा ऐसे निर्देश न दिए जाने के कारण पीड़ितों को मुआवज़ा प्राप्त करने में गंभीर बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने यह आदेश ज्योति प्रवीन खंडपासोले द्वारा दायर जनहित याचिका पर...

सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के 20 साल पुराने हाउसिंग प्रोजेक्ट के समाधान के लिए पूर्व हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति गठित की
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के 20 साल पुराने हाउसिंग प्रोजेक्ट के समाधान के लिए पूर्व हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति गठित की

सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा स्थित शिव कला चार्म्स प्रोजेक्ट से जुड़े लंबे समय से लंबित आवासीय विवाद की स्वतंत्र जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पंकज नकवी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक एक-सदस्यीय समिति (One-Member Committee) गठित करने का निर्देश दिया है। यह मामला लगभग दो दशकों से लंबित है और इसमें सैकड़ों ऐसे घर खरीदार शामिल हैं जिन्हें गोल्फ कोर्स सहकारी आवास समिति (GCSAS) और शिव कला डेवलपर्स प्रा. लि. द्वारा विकसित इस प्रोजेक्ट में निवेश के बाद ठगा गया था।जस्टिस विक्रम...

आवारा कुत्तों की लगातार मौजूदगी जन सुरक्षा के लिए ख़तरा: सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक जगहों से कुत्तों को हटाने के लिए जारी किए दिशा-निर्देश
'आवारा कुत्तों की लगातार मौजूदगी जन सुरक्षा के लिए ख़तरा': सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक जगहों से कुत्तों को हटाने के लिए जारी किए दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने भारत भर में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की है और कहा है कि आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी जन सुरक्षा के लिए ख़तरा बनी हुई है। कोर्ट ने कहा कि कुत्तों के काटने की बार-बार होने वाली घटनाएं, खासकर शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, परिवहन केंद्रों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर, गंभीर प्रशासनिक खामियों और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के सुरक्षा के अधिकार को सुरक्षित रखने में व्यवस्थागत विफलता को उजागर करती हैं।कई मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, बेंच ने...

BREAKING | सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावों में विभाजन गुणक के इस्तेमाल पर रोक लगाई, मृत्यु के समय की आय को ध्यान में रखना अनिवार्य
BREAKING | सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावों में 'विभाजन गुणक' के इस्तेमाल पर रोक लगाई, मृत्यु के समय की आय को ध्यान में रखना अनिवार्य

सुप्रीम कोर्ट ने मोटर दुर्घटना दावों के मामलों में मुआवज़े की गणना पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि 'विभाजन गुणक' पद्धति लागू नहीं की जानी चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मुआवज़े की गणना केवल मृतक की मृत्यु के समय की आय के आधार पर की जानी चाहिए।कोर्ट ने कहा,"हमारा मानना ​​है कि मुआवज़े की गणना के लिए मृत्यु की तिथि तक की आय को आधार बनाया जाना चाहिए... दूसरे शब्दों में, विभाजन गुणक मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के लिए एक विदेशी अवधारणा है। इसका उपयोग न्यायाधिकरण और/या न्यायालयों द्वारा...

देशभर की सड़कों से हटाए जाए आवारा जानवर: सुप्रीम कोर्ट ने आश्रयों में भेजने का दिया आदेश
देशभर की सड़कों से हटाए जाए आवारा जानवर: सुप्रीम कोर्ट ने आश्रयों में भेजने का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने आज राष्ट्रीय और राज्य प्राधिकरणों को आदेश दिया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से तुरंत आवारा जानवरों, जिनमें मवेशी भी शामिल हैं, को हटाएं।न्यायालय ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उन राजमार्गों और सार्वजनिक स्थानों की पहचान करें जहां आवारा जानवर अक्सर दिखाई देते हैं और उन्हें कानून के अनुसार निर्दिष्ट आश्रयों में स्थानांतरित करें। साथ ही, कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि राजमार्गों और समान स्थलों पर नियमित अंतराल पर हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित...

BREAKING| कुत्तों के काटने के मामलों में खतरनाक वृद्धि: सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों, अस्पतालों, बस अड्डों आदि के परिसरों से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया
BREAKING| 'कुत्तों के काटने के मामलों में खतरनाक वृद्धि': सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों, अस्पतालों, बस अड्डों आदि के परिसरों से आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया

"कुत्तों के काटने की घटनाओं में खतरनाक वृद्धि" को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आदेश दिया कि हर शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, सार्वजनिक खेल परिसरों, बस अड्डों और डिपो, रेलवे स्टेशनों आदि में आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए उचित बाड़ लगाई जाए।संबंधित स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों की ज़िम्मेदारी होगी कि वे ऐसे संस्थानों/क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को उठाएं और पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हें निर्दिष्ट कुत्ता आश्रयों में पहुंचाएं। कोर्ट ने आगे आदेश दिया...

BREAKING| MV Act की धारा 166(3) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
BREAKING| MV Act की धारा 166(3) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों और हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वे किसी भी मोटर दुर्घटना मुआवज़ा याचिका को समय-सीमा समाप्त होने के कारण खारिज न करें।कोर्ट ने यह आदेश मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166(3) को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जिसमें दावा याचिका दायर करने के लिए दुर्घटना की तारीख से 6 महीने की समय-सीमा निर्धारित की गई। यह प्रावधान 2019 के संशोधन द्वारा जोड़ा गया।जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने कहा कि...

NEET-PG 2025 | उत्तर कुंजी प्रकाशित करने संबंधी अपनी नीति का खुलासा करें: सुप्रीम कोर्ट ने NBE से पूछा
NEET-PG 2025 | 'उत्तर कुंजी प्रकाशित करने संबंधी अपनी नीति का खुलासा करें': सुप्रीम कोर्ट ने NBE से पूछा

पारदर्शिता को महत्वपूर्ण कारक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि क्या NEET-PG परीक्षा की उत्तर कुंजी प्रकाशित करने से परीक्षा की शुचिता प्रभावित होगी। साथ ही न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि वह NEET-PG 2025 में विसंगतियों के व्यक्तिगत आरोपों पर विचार नहीं करेगा।जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस विपुल एम पंचोली की खंडपीठ ने NEET-PG परीक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें पारदर्शिता के तौर पर उत्तर कुंजी का खुलासा आदि शामिल हैं।शुरुआत...

उम्मीदवार की दोषसिद्धि को छिपाने से चुनाव रद्द, यह अप्रासंगिक है कि खुलासा न करने से परिणाम प्रभावित हुए या नहीं: सुप्रीम कोर्ट
उम्मीदवार की दोषसिद्धि को छिपाने से चुनाव रद्द, यह अप्रासंगिक है कि खुलासा न करने से परिणाम प्रभावित हुए या नहीं: सुप्रीम कोर्ट

यह देखते हुए कि 'दोषसिद्धि का खुलासा न करना' महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाना है, जो मतदाताओं के सूचित चुनाव करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर) को एक पूर्व पार्षद की अयोग्यता बरकरार रखी, जिन्होंने चुनावी हलफनामे में अपने आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं किया था कि उन्हें चेक अनादर मामले में दोषी ठहराया गया और एक साल की कैद हुई।पूर्व पार्षद की अपील खारिज करते हुए जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदुरकर की खंडपीठ ने चुनावी पारदर्शिता के महत्व पर ज़ोर देते हुए...

कानूनी उत्तराधिकारी का नाम रिकॉर्ड में दर्ज न किए जाने पर सुनवाई से पहले मृत पक्षकार के पक्ष में पारित निर्णय अमान्य: सुप्रीम कोर्ट
कानूनी उत्तराधिकारी का नाम रिकॉर्ड में दर्ज न किए जाने पर सुनवाई से पहले मृत पक्षकार के पक्ष में पारित निर्णय अमान्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर) को कहा कि किसी ऐसे पक्षकार के पक्ष में दिया गया निर्णय, जिसकी सुनवाई से पहले ही मृत्यु हो गई हो, कानूनी रूप से लागू नहीं होता और कानून में उसका कोई प्रभाव नहीं होता।दूसरे शब्दों में, यदि अपीलकर्ता की अपील की सुनवाई से पहले ही मृत्यु हो जाती है तो अपील रद्द हो जाती है।जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस ए.एस. चंदुरकर की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें दो प्रतिवादियों ने वादी के पक्ष में पारित ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए प्रथम अपील दायर की थी।...

गिरफ्तारी के लिखित आधार गिरफ्तार व्यक्ति की समझ में आने वाली भाषा में प्रस्तुत न किए जाने पर गिरफ्तारी और रिमांड अवैध: सुप्रीम कोर्ट
गिरफ्तारी के लिखित आधार गिरफ्तार व्यक्ति की समझ में आने वाली भाषा में प्रस्तुत न किए जाने पर गिरफ्तारी और रिमांड अवैध: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी समझ में आने वाली भाषा में गिरफ्तारी के लिखित आधार उपलब्ध न कराने पर गिरफ्तारी और उसके बाद रिमांड अवैध हो जाती है।कोर्ट ने कहा,"गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा न समझी जाने वाली भाषा में आधारों का केवल संप्रेषण ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 22 के तहत संवैधानिक आदेश को पूरा नहीं करता। गिरफ्तार व्यक्ति द्वारा समझी जाने वाली भाषा में ऐसे आधार प्रदान न करने से संवैधानिक सुरक्षा उपाय भ्रामक हो जाते हैं और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 के तहत प्रदत्त...

BREAKING: अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने के दो घंटे के अंदर लिखित आधार प्रस्तुत किए जाए, अन्यथा रिमांड होगी अवैध: सुप्रीम कोर्ट
BREAKING: अभियुक्त को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने के दो घंटे के अंदर लिखित आधार प्रस्तुत किए जाए, अन्यथा रिमांड होगी अवैध: सुप्रीम कोर्ट

एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर) को गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में देने की आवश्यकता को IPC/BNS के तहत सभी अपराधों पर लागू करने का निर्णय लिया, न कि केवल PMLA या UAPA जैसे विशेष कानूनों के तहत उत्पन्न होने वाले मामलों पर।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि गिरफ्तार व्यक्ति को उसकी समझ में आने वाली भाषा में गिरफ्तारी के आधार लिखित रूप में न देने पर गिरफ्तारी और उसके बाद की रिमांड अवैध हो जाएगी।अदालत ने कहा,"भारत के...

मृत्यु की धारणा के लिए निर्धारित 7 वर्ष की अवधि से पहले रिटायर हुए लापता कर्मचारी को अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं: सुप्रीम कोर्ट
मृत्यु की धारणा के लिए निर्धारित 7 वर्ष की अवधि से पहले रिटायर हुए लापता कर्मचारी को अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं: सुप्रीम कोर्ट

यह देखते हुए कि किसी व्यक्ति के लापता होने की तिथि से सात वर्ष बाद ही मृत्यु की धारणा बनती है, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ का आदेश रद्द कर दिया, जिसमें नगर निगम को लापता कर्मचारी के पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति देने का निर्देश दिया गया था, जो नागरिक मृत्यु की धारणा के लिए आवश्यक सात वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले ही रिटायर हो गया था।कोर्ट ने कहा कि चूंकि कर्मचारी का परिवार पहले ही रिटायरमेंट और पेंशन संबंधी लाभ स्वीकार कर चुका है, इसलिए वे बाद में अनुकंपा नियुक्ति का...

S. 156(3) CrPC | शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा होने पर मजिस्ट्रेट पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
S. 156(3) CrPC | शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा होने पर मजिस्ट्रेट पुलिस को FIR दर्ज करने का निर्देश दे सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (4 नवंबर) को कहा कि जब शिकायत में आरोपित तथ्य किसी अपराध के घटित होने का खुलासा करते हैं तो मजिस्ट्रेट पुलिस को CrPC की धारा 156(3) (अब BNSS की धारा 175(3)) के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश देने के लिए अधिकृत हैं।जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया, जिसमें मजिस्ट्रेट के निर्देश पर CrPC की धारा 156(3) के तहत दर्ज की गई FIR रद्द कर दी गई थी। चूंकि मजिस्ट्रेट को दी गई शिकायत में आरोपित तथ्य एक संज्ञेय अपराध...

जिला जजों की नियुक्तियां | पदोन्नति पाने वालों की सीधी भर्ती से तुलना नहीं की जा रही: सुप्रीम कोर्ट ने सीनियरिटी मानदंडों पर फैसला सुरक्षित रखा
जिला जजों की नियुक्तियां | पदोन्नति पाने वालों की सीधी भर्ती से तुलना नहीं की जा रही: सुप्रीम कोर्ट ने सीनियरिटी मानदंडों पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया कि क्या जिला न्यायाधीश के पदों पर कार्यरत न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति के लिए कोई कोटा होना चाहिए।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टित जॉयमाल्या बागची की पांच सदस्यीय पीठ इस बात पर विचार कर रही है कि न्यायिक सेवा में पारस्परिक वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए पूरे देश में एक समान दिशानिर्देश बनाए जाएं या नहीं। न्यायालय इस मुद्दे पर विचार कर रहा है कि क्या...

MV Act | निजी बस संचालक अधिसूचित राज्य परिवहन मार्गों से ओवरलैप करने वाले अंतर-राज्यीय मार्गों पर बस नहीं चला सकते: सुप्रीम कोर्ट
MV Act | निजी बस संचालक अधिसूचित राज्य परिवहन मार्गों से ओवरलैप करने वाले अंतर-राज्यीय मार्गों पर बस नहीं चला सकते: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजी संचालकों को पारस्परिक परिवहन समझौतों के तहत अंतर-राज्यीय मार्गों पर स्टेज-कैरिज परमिट नहीं दिए जा सकते, यदि उन मार्गों का कोई भी भाग मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अध्याय VI के तहत राज्य परिवहन उपक्रमों के लिए आरक्षित अधिसूचित अंतर-राज्यीय मार्ग से ओवरलैप करता है।जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के परिवहन विभागों के बीच अंतर-राज्यीय पारस्परिक...

कर्मचारियों से परामर्श न लेने मात्र से बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली अवैध नहीं: सुप्रीम कोर्ट
कर्मचारियों से परामर्श न लेने मात्र से बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली अवैध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा ओडिशा के महालेखाकार (लेखांकन एवं व्यय) कार्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (Biometric Attendance System - BAS) लागू करने के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने कर्मचारियों की इस दलील को खारिज कर दिया कि इस प्रणाली को लागू करने से पहले उनसे परामर्श नहीं किया गया था।जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने ओडिशा हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली की शुरुआत को अवैध ठहराया गया था। कोर्ट ने...

राज्य द्वारा उच्च सीमा तय करने के बाद कोई भेदभाव नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने असम वित्त निगम के रिटायर कर्मचारियों के लिए बढ़ी हुई ग्रेच्युटी राशि बरकरार रखी
'राज्य द्वारा उच्च सीमा तय करने के बाद कोई भेदभाव नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने असम वित्त निगम के रिटायर कर्मचारियों के लिए बढ़ी हुई ग्रेच्युटी राशि बरकरार रखी

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में गुवाहाटी हाईकोर्ट के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार किया, जिसमें रिटायर कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा निर्धारित ग्रेच्युटी की उच्च सीमा प्रदान करने के पक्ष में फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने कहा कि एक बार जब राज्य के नियमन में ग्रेच्युटी प्रदान करने की उच्च सीमा निर्धारित हो जाती है तो ग्रेच्युटी राशि के वितरण में कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है और प्रत्येक कर्मचारी के साथ समान व्यवहार किया जाएगा।जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की खंडपीठ ने उस मामले...