सुप्रीम कोर्ट

BREAKING| न्यायालय में केवल शारीरिक रूप से उपस्थित और बहस करने वाले वकीलों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी : सुप्रीम कोर्ट
BREAKING| न्यायालय में केवल शारीरिक रूप से उपस्थित और बहस करने वाले वकीलों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट में वकीलों की उपस्थिति दर्ज करने के संबंध में आदेश पारित किए।न्यायालय ने कहा कि केवल सीनियर एडवोकेट या एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड या एडवोकेट, जो मामले की सुनवाई के समय न्यायालय में शारीरिक रूप से उपस्थित हों और बहस कर रहे हों तथा ऐसे वकील की सहायता के लिए न्यायालय में एक-एक वकील/एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड सीनियर एडवोकेट, एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड या एडवोकेट, जैसा भी मामला हो, की उपस्थिति कार्यवाही के रिकॉर्ड में दर्ज की जाएगी।न्यायालय ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उपस्थिति सुप्रीम कोर्ट नियम...

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार: जेलों में RPwD Act के सख्त क्रियान्वयन की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार: जेलों में RPwD Act के सख्त क्रियान्वयन की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में देश भर की जेलों में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD Act) के सख्त क्रियान्वयन की मांग करने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। मामले को अगली बार 8 अप्रैल 2025 को विचार के लिए सूचीबद्ध किया गया।संक्षेप में कहें तो याचिकाकर्ता केरल में राजनीतिक कार्यकर्ता है, उसने प्रतिवादी-प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश चाहता है कि दिव्यांग कैदियों को जेलों में पर्याप्त सुविधाएं, संसाधन...

NCR में बिल्डर-बैंक गठजोड़: सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए CBI से प्रस्ताव मांगा; एक भी ईंट रखे बिना 60-80% फंड जारी होने को क्विड प्रो क्वो बताया
NCR में बिल्डर-बैंक गठजोड़: सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए CBI से प्रस्ताव मांगा; एक भी ईंट रखे बिना 60-80% फंड जारी होने को 'क्विड प्रो क्वो' बताया

इस मामले में जहां पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बिल्डर-बैंक गठजोड़ की जांच के संकेत दिए गए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच/जांच कैसे की जाए, इस पर प्रस्ताव मांगा। न्यायालय ने मुद्दों पर आगे बढ़ने में सहायता के लिए एक एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया।जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि प्रस्ताव 2 सप्ताह में उसके समक्ष रखा जाए।जस्टिस कांत ने कहा,"हमने उनसे (एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी) से CBI अधिकारियों के साथ चर्चा करने...

नए मुख्य चुनाव आयुक्त मतदाता टर्नआउट मुद्दे पर तैयार, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सुझाव मांगे
नए मुख्य चुनाव आयुक्त मतदाता टर्नआउट मुद्दे पर तैयार, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सुझाव मांगे

नए मुख्य चुनाव आयुक्त मतदाता टर्नआउट डेटा और फॉर्म 17C (जो किसी बूथ पर डाले गए वोटों की संख्या को रिकॉर्ड करता है) के प्रकाशन को लेकर उठाई गई चिंताओं को सुनने के लिए तैयार हैं, चुनाव आयोग ने आज सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी। आयोग ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता अपनी चिंताओं को उठाते हुए और अपने सुझाव देते हुए अपना प्रतिनिधित्व प्रस्तुत कर सकते हैं।इस बयान को रिकॉर्ड करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे 10 दिनों के भीतर चुनाव आयोग को अपना प्रतिनिधित्व सौंपें।चीफ...

COVID-19 के दौरान स्कूल फीस वापसी: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के निजी स्कूलों की जांच को समिति बनाई
COVID-19 के दौरान स्कूल फीस वापसी: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के निजी स्कूलों की जांच को समिति बनाई

सुप्रीम कोर्ट ने आज (18 मार्च) एक दो-सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस (रिटायर्ड) जी.पी. मित्तल करेंगे। यह समिति उन निजी स्कूलों की वित्तीय स्थिति की जांच करेगी, जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्देश को चुनौती दी है, जिसमें महामारी के दौरान लिए गए अतिरिक्त 15% फीस को समायोजित या वापस करने का आदेश दिया गया था।चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में लगभग...

पश्चिम बंगाल OBC वर्गीकरण मामला: नई पहचान प्रक्रिया जारी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जुलाई तक टाली
पश्चिम बंगाल OBC वर्गीकरण मामला: नई पहचान प्रक्रिया जारी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जुलाई तक टाली

पश्चिम बंगाल में 77 समुदायों के OBC वर्गीकरण को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाले मामले में, राज्य सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य में ओबीसी की पहचान के लिए नया सर्वेक्षण किया जाएगा और इसे लगभग 3 महीनों में पूरा कर लिया जाएगा।जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे पश्चिम बंगाल राज्य ने कलकत्ता हाईकोर्ट के 77 समुदायों के ओबीसी वर्गीकरण को रद्द करने के फैसले को चुनौती देते हुए दायर किया था।सिनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, जो पश्चिम बंगाल का...

चेक बाउंस होने पर तुरंत अपराध नहीं, 15 दिन बाद भुगतान न करने पर बनता है मामला: सुप्रीम कोर्ट
चेक बाउंस होने पर तुरंत अपराध नहीं, 15 दिन बाद भुगतान न करने पर बनता है मामला: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (NI Act) की धारा 138 के तहत अपराध के लिए कार्रवाई का कारण चेक के अनादर पर नहीं बल्कि मांग नोटिस प्राप्त होने के पंद्रह दिनों की समाप्ति के बाद भी राशि का भुगतान न किए जाने पर उत्पन्न होता है।जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ कंपनी के पूर्व निदेशक की उस याचिका पर निर्णय ले रही थी, जिसमें चेक के अनादर को लेकर उनके खिलाफ NI Act की धारा 138 के तहत दायर आपराधिक मामला रद्द करने की मांग की गई। अपीलकर्ता ने तर्क...

IBC स्थगन घोषित होने के बाद कंपनी के पूर्व निदेशक के खिलाफ NI Act की धारा 138 के तहत कोई मामला नहीं: सुप्रीम कोर्ट
IBC स्थगन घोषित होने के बाद कंपनी के पूर्व निदेशक के खिलाफ NI Act की धारा 138 के तहत कोई मामला नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (NI Act) की धारा 138 के तहत चेक अनादर के अपराध के लिए कार्रवाई का कारण दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 (IBC) के अनुसार कंपनी के संबंध में स्थगन की घोषणा के बाद उत्पन्न हुआ है तो कंपनी के पूर्व निदेशक के खिलाफ NI Act की धारा 138 के तहत कार्यवाही जारी नहीं रखी जा सकती।कोर्ट ने तर्क दिया कि स्थगन लागू होने पर निदेशक मंडल की शक्तियां निलंबित हो जाती हैं और कॉर्पोरेट देनदार का प्रबंधन दिवाला समाधान पेशेवर (IRP) द्वारा अपने हाथ में ले...

PMLA | मनी लॉन्ड्रिंग अपराध तब तक जारी रहता है जब तक अपराध की आय को छिपाया जाता है, इस्तेमाल किया जाता है या बेदाग दिखाया जाता है: सुप्रीम कोर्ट
PMLA | मनी लॉन्ड्रिंग अपराध तब तक जारी रहता है जब तक अपराध की आय को छिपाया जाता है, इस्तेमाल किया जाता है या बेदाग दिखाया जाता है: सुप्रीम कोर्ट

मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध एक सतत अपराध है और एक बार की घटना नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत मामले में आरोपमुक्त करने से इनकार किया।उन पर कलेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रिश्वत लेकर अपराध की आय अर्जित करने का आरोप था।उन्होंने यह तर्क देते हुए आरोपमुक्त करने की मांग की कि अपराध की आय उत्पन्न करने वाली कथित आपराधिक गतिविधि PMLA के प्रभावी होने से पहले हुई। याचिका का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने...

जब तक अवमानना ​​का खतरा न हो, आप कभी भी छूट के मामले पर फैसला नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के गृह सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया
'जब तक अवमानना ​​का खतरा न हो, आप कभी भी छूट के मामले पर फैसला नहीं कर सकते': सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के गृह सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना ​​नोटिस जारी किया, क्योंकि उन्होंने नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी सुखदेव सिंह को कोर्ट में हलफनामा देने के बावजूद छूट देने का फैसला नहीं लिया।कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,“राज्य सरकार के निर्देशों पर गंभीर बयान आदेश में दर्ज किया गया। अब हमें सूचित किया गया कि SRB को याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करना है। राज्य सरकार ने समय विस्तार देने के लिए स्पष्टीकरण आवेदन करने का भी शिष्टाचार नहीं दिखाया। इसलिए हम दिल्ली सरकार के गृह विभाग...

न्यायालय की कार्यवाही पर टिप्पणियों को लेकर इतनी संवेदनशीलता क्यों? ANI मानहानि मामले पर विकिपीडिया पेज हटाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट
"न्यायालय की कार्यवाही पर टिप्पणियों को लेकर इतनी संवेदनशीलता क्यों?" ANI मानहानि मामले पर विकिपीडिया पेज हटाने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने ने विकिपीडिया फाउंडेशन द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें विकिपीडिया के खिलाफ समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल (ANI) द्वारा शुरू की गई मानहानि की कार्यवाही से संबंधित चर्चाओं और विकिपीडिया पेज को हटाने का निर्देश दिया गया था।जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के निर्देश और इस टिप्पणी के बारे में चिंता व्यक्त की कि सामग्री चल रही अदालती कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के बराबर...

सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में अवैध भूमि आवंटन मामले में गुजरात के पूर्व IPS अधिकारी प्रदीप शर्मा की जमानत याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में अवैध भूमि आवंटन मामले में गुजरात के पूर्व IPS अधिकारी प्रदीप शर्मा की जमानत याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने कच्छ के भुज में दर्ज 2023 के अवैध भूमि आवंटन मामले के संबंध में सेवानिवृत्त IPS अधिकारी प्रदीप निरंकारनाथ शर्मा की जमानत खारिज की।शर्मा पर कच्छ जिले के तत्कालीन कलेक्टर के रूप में मौद्रिक लाभ के लिए सरकारी भूमि के कथित अवैध आवंटन के लिए भ्रष्टाचार और आपराधिक विश्वासघात का आरोप है। उनके खिलाफ 2023 में दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 439 के तहत FIR दर्ज की गई थी, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 217, 120 बी, 114 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (सी) के तहत दंडनीय अपराध के...

मेडिकल लापरवाही से पैर गंवाने वाली मरीज को NCDRC ने 75 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया
मेडिकल लापरवाही से पैर गंवाने वाली मरीज को NCDRC ने 75 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हाल ही में एक सर्जन और एक अस्पताल को निर्देश दिया कि वे संयुक्त रूप से एक मरीज को 75 लाख रुपये का मुआवजा दें, जिनके सर्जरी में लापरवाही के कारण अपना दाहिना पैर खो दिया। यह शिकायत डॉ. अनिर्बान चटर्जी और नाइटिंगेल डायग्नोस्टिक एंड मेडिकेयर सेंटर प्राइवेट लिमिटेड, कोलकाता के खिलाफ दायर की गई थी।साल 2015 में सर्जरी की गई थी, जब मरीज की उम्र 17 वर्ष थी। यह प्रक्रिया तब की गई जब मरीज के दाहिने ग्लूटियल क्षेत्र (कूल्हे के पास) में एक गांठ विकसित हो गई थी। 2015...

Prevention Of Corruption Act | ट्रैप केस में रिश्वत की मांग और स्वीकृति साबित नहीं हुई: सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को बरी किया
Prevention Of Corruption Act | 'ट्रैप केस में रिश्वत की मांग और स्वीकृति साबित नहीं हुई': सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को बरी किया

सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोपी दो सरकारी कर्मचारियों को बरी कर दिया, यह देखते हुए कि अभियोजन पक्ष रिश्वत की मांग और स्वीकृति के तथ्य को साबित करने में विफल रहा।कोर्ट ने दोहराया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (PC Act) की धारा 20 के तहत अभियुक्त के खिलाफ तब तक कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता, जब तक कि अभियोजन पक्ष द्वारा रिश्वत की मांग और स्वीकृति के तथ्य को साबित नहीं कर दिया जाता।इसके अलावा, कोर्ट ने सबूतों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए ट्रैप मामलों में स्वतंत्र...

Motor Accident Claims | कानूनी प्रतिनिधि वह होता है जिसे नुकसान होता है, जरूरी नहीं कि वह मृतक का जीवनसाथी, बच्चा या माता-पिता हो : सुप्रीम कोर्ट
Motor Accident Claims | कानूनी प्रतिनिधि वह होता है जिसे नुकसान होता है, जरूरी नहीं कि वह मृतक का जीवनसाथी, बच्चा या माता-पिता हो : सुप्रीम कोर्ट

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत कानूनी प्रतिनिधि शब्द की संकीर्ण व्याख्या नहीं की जानी चाहिए, जिससे उन लोगों को दावेदार के रूप में शामिल न किया जाए, जो मृतक की आय पर निर्भर थे।कोर्ट ने कहा कि अगर दावेदार मृतक की आय पर निर्भर थे तो उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने मिसालों का हवाला देते हुए कहा कि कानूनी प्रतिनिधि वह होता है, जो मोटर वाहन दुर्घटना के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु के कारण पीड़ित होता है। जरूरी नहीं कि वह पत्नी, पति, माता-पिता या बच्चा ही...

Maharashtra Slum Act | जनगणना की गई झुग्गी-झोपड़ियां भी झुग्गी-झोपड़ियां हैं, पुनर्विकास के लिए अलग से अधिसूचना की आवश्यकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट
Maharashtra Slum Act | 'जनगणना की गई झुग्गी-झोपड़ियां' भी 'झुग्गी-झोपड़ियां' हैं, पुनर्विकास के लिए अलग से अधिसूचना की आवश्यकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार जब किसी झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र को 'जनगणना की गई झुग्गी-झोपड़ियां' घोषित कर दिया जाता है, यानी सरकारी या नगर निगम के उपक्रम की भूमि पर स्थित झुग्गियां, तो ऐसी झुग्गियां महाराष्ट्र झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र (सुधार, निकासी और पुनर्विकास) अधिनियम, 1971 (Maharashtra Slum Act) के तहत अलग से अधिसूचना की आवश्यकता के बिना ही झुग्गी-झोपड़ी अधिनियम के तहत पुनर्विकास के लिए स्वतः ही पात्र हो जाती हैं।कोर्ट ने कहा,"यदि कोई झुग्गी-झोपड़ी 'जनगणना की गई झुग्गी-झोपड़ी' है तो उसे DCR के...

बिना क्रियान्वयन के लीज समझौते से लीजहोल्ड अधिकार नहीं बनते, दिल्ली विकास प्राधिकरण की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा
बिना क्रियान्वयन के लीज समझौते से लीजहोल्ड अधिकार नहीं बनते, दिल्ली विकास प्राधिकरण की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और एक पक्ष के बीच हुए लीज के समझौते में धाराओं की व्याख्या की। कोर्ट ने कहा कि लीज के समझौते से तब तक लीज अधिकार नहीं बनता जब तक कि लीज डीड निष्पादित और पंजीकृत न हो जाए। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की अपील पर फैसला कर रही थी, जिसमें विवादित संपत्ति की नीलामी बिक्री की पुष्टि की गई थी।डीडीए (तत्कालीन दिल्ली सुधार ट्रस्ट) ने 1957 में विवादित संपत्ति के लिए...

जब चयन पूरी तरह से इंटरव्यू मार्क्स पर आधारित हो तो मनमानी और पक्षपात की मौजूदगी का अनुमान लगाना उचित: सुप्रीम कोर्ट
जब चयन पूरी तरह से इंटरव्यू मार्क्स पर आधारित हो तो मनमानी और पक्षपात की मौजूदगी का अनुमान लगाना उचित: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने असम की तत्कालीन भाजपा सरकार के 2016 के फैसले को बरकरार रखा, जिसमें तत्कालीन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सरकार द्वारा 2014 में अधिसूचित असम वन सुरक्षा बल (एफपीएफ) में 104 कांस्टेबलों की भर्ती प्रक्रिया के लिए चयन सूची को रद्द करने का फैसला लिया गया था।जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने पाया कि भर्ती प्रक्रिया में विसंगतियों को देखते हुए रद्द करना न तो मनमाना था और न ही असंगत था, जिसमें जिला प्रतिनिधित्व में असमानता और आरक्षण नीति का उल्लंघन शामिल है।कोर्ट ने आगे इस बात...

सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामले में समझौते के तहत हासिल किए गए फ्लैट के लिए पत्नी को स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करने से छूट दी
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामले में समझौते के तहत हासिल किए गए फ्लैट के लिए पत्नी को स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करने से छूट दी

सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी को पंजीकरण अधिनियम 1908 (अधिनियम) के तहत स्टाम्प ड्यूटी के भुगतान से छूट दी, जिसे वैवाहिक विवाद में अपने पति के साथ समझौते के तहत फ्लैट मिला था।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने उस मामले की सुनवाई की, जिसमें पति द्वारा दायर तलाक का मामला स्थानांतरित करने की याचिका के लंबित रहने के दौरान पति और पत्नी ने मध्यस्थता कार्यवाही में आपसी सहमति से अपने विवाह को समाप्त करने पर सहमति जताई थी।मध्यस्थता कार्यवाही के दौरान बॉम्बे में फ्लैट पर अपने-अपने अधिकारों को...

पावर ऑफ अटॉर्नी के तहत हुई बिक्री पर बाद में रद्द करने का कोई प्रभाव नहीं : सुप्रीम कोर्ट
पावर ऑफ अटॉर्नी के तहत हुई बिक्री पर बाद में रद्द करने का कोई प्रभाव नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक वैध पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर किए गए बिक्री लेनदेन को बाद में इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता कि उस पावर ऑफ अटॉर्नी को बाद में रद्द कर दिया गया था। इस निर्णय के साथ, कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश की पुष्टि की, जिसमें एक वादपत्र को खारिज कर दिया गया था, जिसमें बाद में पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द होने के आधार पर कुछ पूर्व बिक्री लेनदेन को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी।यह पावर ऑफ अटॉर्नी वादी द्वारा पहले प्रतिवादी के नाम 15.10.2004 को निष्पादित किया गया था। 2018 में,...