हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

17 Nov 2024 10:00 AM IST

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (11 नवंबर, 2024 से 15 नवंबर, 2024) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    नाबालिग पत्नी के साथ सहमति से बनाया गया यौन संबंध भी बलात्कार: बॉम्बे हाई कोर्ट

    नागपुर स्थित बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने हाल ही में महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी, जो 18 वर्ष से कम उम्र की है, उसके साथ सहमति से यौन संबंध बनाता है तो भी उसे बलात्कार के अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है, भले ही पत्नी की सहमति हो या न हो।

    जस्टिस गोविंद सनप की एकल पीठ ने नाबालिग पत्नी के साथ बलात्कार करने के लिए व्यक्ति की सजा बरकरार रखते हुए उसकी इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़िता के साथ यौन संबंध सहमति से बनाया गया था। इसे बलात्कार नहीं माना जा सकता, क्योंकि वह उस समय उसकी पत्नी थी।

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    साक्ष्य अधिनियम की धारा 108 के तहत सिविल मृत्यु की अदालती घोषणा से मृत्यु की तारीख और समय के बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 108 के तहत किसी व्यक्ति की सिविल मृत्यु की घोषणा करने से उसकी मृत्यु की तिथि और समय के बारे में अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

    जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने आगे कहा कि धारा 108 की धारणा मृत्यु की घोषणा करने का एकमात्र तरीका नहीं है और किसी पक्ष को यह साबित करने का अधिकार है कि मृत्यु की तिथि और समय सात साल से पहले है।

    केस टाइटलः अमरदीप कश्यप बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव, MSME, लखनऊ के माध्यम से और 3 अन्य

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    किसी अन्य ब्रांड की उभरी हुई बीयर की बोतलों का दोबारा इस्तेमाल करके अपना बीयर उत्पाद बेचना ट्रेडमार्क का उल्लंघन: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पुरानी बीयर की बोतलों, जिन पर किसी अन्य कंपनी का ब्रांड नाम/लोगो अंकित है, का दोबारा उपयोग करके अपना बीयर उत्पाद बेचना ट्रेडमार्क उल्लंघन है।

    इस प्रकार जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस प्रणय वर्मा की खंडपीठ ने माउंट एवरेस्ट ब्रुअरीज लिमिटेड की पुरानी बोतलों में दो बीयर कंपनियों की बिक्री पर रोक लगा दी, जिन पर उनके बीयर ब्रांड 'स्टॉक' और उनके लोगो, पांडा का चेहरा अंकित है।

    केस टाइटलः माउंट एवरेस्ट ब्रुअरीज लिमिटेड बनाम एमपी बीयर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, रिट अपील संख्या 683/2024

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक नामा, मुबारत समझौते आदि के आधार पर मुस्लिम विवाह को भंग करने के लिए पारिवारिक न्यायालयों को निर्देश जारी किए

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत न्यायेतर तलाक के माध्यम से विवाह विच्छेद के लिए पारिवारिक न्यायालय अधिनियम की धारा 7 के तहत दायर किसी भी याचिका पर विचार करते समय राष्ट्रीय राजधानी में पारिवारिक न्यायालयों के मार्गदर्शन के लिए निर्देश पारित किए हैं। जस्टिस रेखा पल्ली और जस्टिस सौरभ बनर्जी की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि पारिवारिक न्यायालय प्रतिवादी को नोटिस जारी करने के बाद दोनों पक्षों के बयान दर्ज करेगा।

    केस टाइटल: एक्स बनाम वाई

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    तलाक के लिए जीवनसाथी का 'सिजोफ्रेनिया' ही पर्याप्त नहीं, मानसिक असंतुलन की डिग्री साबित होनी चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित पति या पत्नी का आधार हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 (1) (iii) के तहत तलाक की डिक्री देने के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह साबित होना चाहिए कि 'मानसिक विकार' यदि इस तरह और डिग्री का है कि पति या पत्नी से उचित रूप से साथी के साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

    यह देखते हुए कि HMA की धारा 13 (1) (iii) विवाह के विच्छेद को सही ठहराने के लिए कानून में किसी भी डिग्री के मानसिक विकार का अस्तित्व पर्याप्त नहीं बनाती है, जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा "जिस प्रतियोगिता में मन की अस्वस्थता और मानसिक विकार के विचार विवाह के विघटन के आधार के रूप में होते हैं, मानसिक विकार की डिग्री के मूल्यांकन की आवश्यकता होती है और इसकी डिग्री ऐसी होनी चाहिए कि राहत मांगने वाले पति या पत्नी से दूसरे के साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

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    POSH Act के तहत अपीलीय प्राधिकरण अंतिम निर्णय लंबित आंतरिक शिकायत समिति की अंतिम रिपोर्ट पर रोक लगा सकता है: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 और नियमों के प्रावधानों के तहत अपीलीय प्राधिकारी के लिए आंतरिक शिकायत समिति की अंतिम रिपोर्ट के खिलाफ अपील में रोक के लिए आवेदन पर विचार करने के लिए कोई स्पष्ट रोक नहीं है।

    जस्टिस एस सुनील दत्त यादव की एकल पीठ ने कहा, "अंतरिम आदेश देने के लिए विशिष्ट प्रावधान की अनुपस्थिति के बावजूद अपीलीय प्राधिकरण के पास अंतरिम आवेदन पर विचार करने की शक्ति होगी।"

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    आधार कार्ड आयु का प्रमाण नहीं, पहचान का दस्तावेज: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया

    यह दोहराते हुए कि आधार कार्ड को धारक की आयु के प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को सभी संबंधित अधिकारियों को यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि आधार कार्ड केवल एक पहचान दस्तावेज है।

    ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने सरोज एवं अन्य बनाम इफ्कोटोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी एवं अन्य (2024) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि आधार कार्ड आयु का दस्तावेज नहीं है। हाईकोर्ट के समक्ष मामला मुख्यमंत्री जन कल्याण (संबल) योजना के तहत लाभ का दावा करने के लिए आयु के निश्चित प्रमाण के रूप में आधार कार्ड के उपयोग से संबंधित था।

    केस टाइटल: सुनीता बाई साहू बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य

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    Hindu Succession Act | 2005 में बेटी को समान अधिकार देने वाले संशोधन से संपत्ति में मां और विधवा के हिस्से में कमी आई : मद्रास हाईकोर्ट

    हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में 2005 (Hindu Succession Act) के संशोधनों पर चर्चा करते हुए मद्रास हाईकोर्ट जज जस्टिस एन शेषसाई ने कहा कि संशोधन ने यह सुनिश्चित किया कि बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिले, लेकिन इसने उस संपत्ति की मात्रा भी छीन ली, जो अन्यथा मृतक की विधवा और मां के पास होती।

    अदालत ने कहा, “हालांकि, इस उल्लास के शोर में यह बात नजरअंदाज की गई कि बेटियों के अलावा, मृतक सहदायिक की विधवा और मां भी प्रथम श्रेणी की महिला उत्तराधिकारी हैं। सहदायिक के रूप में बेटियों की स्थिति में वृद्धि ने विधवा और मां को मिलने वाली संपत्ति की मात्रा को कम कर दिया। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि न तो पहले और न ही अब संसद ने हिंदू कानून के मूल सिद्धांतों जैसे कि सहदायिकता, पैतृक संपत्ति और उनके अंतर-संबंध और उनसे जुड़ी कानूनी जटिलताओं को नष्ट करने का प्रयास किया।"

    केस टाइटल: वसुमति और अन्य बनाम आर वासुदेवन और अन्य

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    वक्फ बोर्ड द्वारा विवाह प्रमाण पत्र जारी करना कानून में अनसुना: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को मौखिक रूप से कहा कि विवाहित मुस्लिम आवेदकों को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के लिए वक्फ बोर्ड को अधिकृत करने वाला सरकारी आदेश कानून में अनसुना था।

    अदालत ने ए आलम पाशा की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा। याचिका में सरकार के अवर सचिव, अल्पसंख्यक, वक्फ और हज विभाग के हाथों जारी 30 सितंबर, 2023 के सरकारी आदेश को वक्फ अधिनियम, 1995 में निहित प्रावधानों के साथ असंगत और प्रतिकूल घोषित करने की मांग की गई है, और इसलिए इसे अधिनियम के अधिकारातीत घोषित किया जाए।

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    अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा वचन दिया गया तो अवमानना के लिए उत्तरदायी नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने न्यायालय की अवमानना के लिए लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अधिकारी के निर्देश के बाद राज्य के वकील द्वारा दिया गया वचन वचन देने के लिए अधिकृत नहीं था।

    नायब तहसीलदार के पद पर पदोन्नति के लिए कानूनगो की परीक्षा आयोजित करने के निर्देश की मांग करने वाला मामला दायर किया गया था। हालांकि निरीक्षक, निदेशक भूमि अभिलेख के निर्देश के बाद राज्य के वकील द्वारा दिए गए वचन के मद्देनजर इसका निपटारा कर दिया गया कि यह परीक्षा दो महीने के भीतर आयोजित की जाएगी। न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत समय सीमा के भीतर परीक्षा आयोजित नहीं किए जाने पर न्यायालय की अवमानना के आरोप तय किए गए।

    केस टाइटल: टी.वी.एस.एन. प्रसाद और अन्य बनाम रेशम सिंह

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    RTI Act | सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों का खुलासा निजता का हनन नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों का खुलासा उम्मीदवारों की निजता का हनन नहीं होगा। ऐसा खुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के तहत स्वीकार्य है।

    जस्टिस महेश सोनक और जस्टिस जितेन्द्र जैन की खंडपीठ ने लोक सूचना अधिकारी (PIO) द्वारा पारित आदेशों और उसके बाद प्रथम और द्वितीय अपीलीय प्राधिकारियों द्वारा पारित आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें सार्वजनिक भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों से संबंधित जानकारी का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा गया कि इससे उनकी निजता के अधिकार का हनन होगा।

    केस टाइटल: ओंकार कलमनकर बनाम लोक सूचना अधिकारी (रिट याचिका 9648/2021)

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    14 अक्टूबर, 2022 से पहले खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहन के मालिक बाद की छूट अधिसूचना का हवाला देते हुए कर वापसी की मांग नहीं कर सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि 14 अक्टूबर, 2022 से पहले खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहन के मालिक एकमुश्त कर के भुगतान से छूट देने वाली बाद की अधिसूचना का हवाला देते हुए कर वापसी की मांग नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता ने 13 अक्टूबर, 2022 को खरीदे गए अपने हाइब्रिड वाहन के संबंध में भुगतान किए गए एकमुश्त कर की वापसी की मांग की थी।

    उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और गतिशीलता नीति, 2022 की अधिसूचना की तारीख यानी 14 अक्टूबर, 2022 से खरीदे और रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कर छूट प्रदान करने वाली राज्य द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर राहत मांगी गई।

    केस टाइटल: अंकुर विक्रम सिंह प्रतिवादी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

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    सीआरपीसी | मजिस्ट्रेट को प्रक्रिया जारी करने के चरण में विस्तृत आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं, विवेक का प्रयोग महत्वपूर्ण: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट

    जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने माना कि जब मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 190/204 के तहत प्रक्रिया जारी करता है तो औपचारिक या तर्कपूर्ण आदेश अनिवार्य नहीं होता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि मजिस्ट्रेट का आदेश मामले पर विचार-विमर्श का संकेत दे। जस्टिस राजेश ओसवाल ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 494, 109 और 34 के तहत कथित अपराधों से जुड़े एक मामले में प्रक्रिया जारी करने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

    केस टाइटल: बीरो देवी बनाम कंचन देवी

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    बहू को टीवी देखने, पड़ोसियों से मिलने, अकेले मंदिर जाने और कालीन पर सोने की अनुमति न देना क्रूरता नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने मृतक पत्नी के साथ क्रूरता करने के लिए एक व्यक्ति और उसके परिवार को दोषी ठहराने वाले 20 साल पुराने आदेश को खारिज करते हुए कहा कि मृतक को ताना मारने, उसे टीवी देखने नहीं देने, उसे अकेले मंदिर नहीं जाने देने और उसे कालीन पर सुलाने के आरोप आईपीसी की धारा 498ए के तहत क्रूरता का अपराध नहीं बनेंगे, क्योंकि इनमें से कोई भी कृत्य "गंभीर" नहीं था।

    ऐसा करते हुए, हाईकोर्ट ने पाया कि आरोपों की प्रकृति शारीरिक और मानसिक क्रूरता नहीं बन सकती क्योंकि आरोप आरोपी के घर के घरेलू मामलों से संबंधित थे। हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 498ए के साथ-साथ 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति और उसके परिवार (माता-पिता और भाई) को बरी कर दिया।

    केस टाइटल: X बनाम महाराष्ट्र राज्य

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    यूपी राजस्व संहिता | मौखिक सेल डीड के आधार पर धारा 144 के तहत दायर मुकदमे में धारा 38 (1) के तहत कार्यवाही के निष्कर्षों का खुलासा करना होगा, यदि कोई हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा कि मौखिक सेल डीड और कथित कब्जे के आधार पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 144 के तहत दायर मुकदमे में सेल डीड के संबंध में संहिता की धारा 38 (1) के तहत कार्यवाही के निष्कर्ष शामिल होने चाहिए।

    संदर्भ के लिए, 2006 संहिता की धारा 144 का संबंध काश्तकारों द्वारा घोषणात्मक मुकदमों से है और धारा 38 (1) मानचित्र, दाखिल-किताब (खसरा) या अधिकारों के अभिलेख (खतौनी) में किसी त्रुटि या चूक के सुधार के लिए संबंधित तहसीलदार को किए जाने वाले आवेदन से है।

    केस टाइटलः महेंद्र सिंह बनाम बोर्ड ऑफ रेवेन्यू यूपी एवं 5 अन्य

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    हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को मुस्लिम विवाहों का समयबद्ध तरीके से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत संपन्न विवाहों का रजिस्ट्रेशन दिल्ली (विवाह का अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2014 के अनुसार ऑनलाइन किया जाए।

    जस्टिस संजीव नरूला ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर गौर करने और 04 जुलाई को पारित निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जिसमें दिल्ली सरकार को सरकारी ऑनलाइन पोर्टल पर मुस्लिम विवाहों का रजिस्ट्रेशन सक्षम करने के लिए तुरंत कदम उठाने का निर्देश दिया गया।

    केस टाइटल: फैजान अयूबी एवं अन्य बनाम दिल्ली सरकार एवं अन्य।

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    S.60 Indian Evidence Act| तथ्य देखने या सुनने वाले व्यक्ति को प्रत्यक्ष साक्ष्य प्रदान करने वाला कहा जा सकता है: झारखंड हाईकोर्ट

    झारखंड हाईकोर्ट ने साक्ष्य अधिनियम की धारा 60 के तहत प्रत्यक्ष साक्ष्य की विश्वसनीयता पर जोर देते हुए कांस्टेबल की हत्या की सजा बरकरार रखी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रत्यक्षदर्शी द्वारा दी गई गवाही, जिसने किसी तथ्य को प्रत्यक्ष रूप से देखा या सुना हो, प्रत्यक्ष साक्ष्य होती है।

    जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की खंडपीठ ने कहा, “सूचना देने वाला घटना का प्रत्यक्ष प्रत्यक्षदर्शी है। इसे अफवाह नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उसने गोलीबारी की आवाज सुनी थी। घटना के तुरंत बाद अपीलकर्ता को गिरफ्तार किए जाने की परिस्थिति से उसकी गवाही की पुष्टि होती है।”

    केस टाइटल: जय प्रकाश यादव बनाम झारखंड राज्य

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