जानिए हमारा कानून

क्या आपातकालीन परिस्थितियों में न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन बना सकते हैं?
क्या आपातकालीन परिस्थितियों में न्यायालय व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सार्वजनिक हित के बीच संतुलन बना सकते हैं?

आपराधिक मामलों में न्यायिक निरीक्षण (Judicial Oversight) की भूमिकासुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट ऑफ ज्यूडिकेचर फॉर राजस्थान बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान एंड अदर (2021) मामले में जमानत (Bail) और अन्य आपराधिक मामलों में न्यायिक निरीक्षण के महत्त्व पर विचार किया। यह मामला COVID-19 महामारी के दौरान राजस्थान हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश द्वारा दिए गए निर्देशों से संबंधित था, जिनका प्रभाव जमानत अर्जियों और अन्य अत्यावश्यक मामलों पर पड़ा। यह निर्णय न्यायिक विवेक (Judicial Discretion), प्रशासनिक अधिकारों और...

पुलिस अधिकारी द्वारा आर्म्स लाइसेंस प्रस्तुत करने की और व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की शक्ति : सेक्शन 19 और 20 आर्म्स अधिनियम, 1959 अध्याय IV
पुलिस अधिकारी द्वारा आर्म्स लाइसेंस प्रस्तुत करने की और व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की शक्ति : सेक्शन 19 और 20 आर्म्स अधिनियम, 1959 अध्याय IV

आर्म्स अधिनियम, 1959 (Arms Act, 1959), भारत में आर्म्स और गोला-बारूद के स्वामित्व, उपयोग और विनियमन (Regulation) के लिए महत्वपूर्ण कानून है। इसका चौथा अध्याय, "शक्तियाँ और प्रक्रिया," अधिकारियों को कानून के अनुपालन (Compliance) सुनिश्चित करने के लिए विशेष अधिकार देता है।इसमें सेक्शन 19 और 20 महत्वपूर्ण हैं, जो लाइसेंस की मांग करने, आर्म्स और गोला-बारूद को जब्त करने और संदिग्ध परिस्थितियों में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की प्रक्रियाओं को निर्धारित करते हैं। इस लेख में इन प्रावधानों (Provisions)...

क्या बार एसोसिएशन के चुनाव में केवल नियमित वकीलों को ही मतदान का अधिकार है?
क्या बार एसोसिएशन के चुनाव में केवल नियमित वकीलों को ही मतदान का अधिकार है?

सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन के पदाधिकारी केवल उन वकीलों द्वारा चुने जाने चाहिए जो संबंधित हाईकोर्ट या अदालत में नियमित रूप से प्रैक्टिस करते हैं।बाहरी व्यक्तियों को, जो नियमित रूप से उस अदालत में प्रैक्टिस नहीं करते हैं, चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना की पीठ ने की। अवध बार एसोसिएशन चुनाव विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ...

प्रतिवादी को मुकदमे में साक्ष्य आरंभ करने के लिए कब कहा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने आदेश XVIII नियम 1 CPC की व्याख्या की
प्रतिवादी को मुकदमे में साक्ष्य आरंभ करने के लिए कब कहा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने आदेश XVIII नियम 1 CPC की व्याख्या की

हाल ही में दिए गए एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने उन परिस्थितियों की व्याख्या की, जिनके अंतर्गत प्रतिवादी को सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के आदेश XVIII नियम 1 के अनुसार मुकदमे की सुनवाई आरंभ करने का अधिकार प्राप्त होता है।CPC के अनुसार, वादी को आरंभ करने का अधिकार है। हालांकि, यदि प्रतिवादी वादी द्वारा आरोपित तथ्यों को स्वीकार करता है और तर्क देता है कि वादी कुछ अतिरिक्त तथ्य या कानून के किसी बिंदु के कारण राहत का हकदार नहीं है, तो प्रतिवादी को आरंभ करने का अधिकार प्राप्त होता है।जस्टिस जे.बी....