जानिए हमारा कानून
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 473: दंड की निलंबन, क्षमा और माफी
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) में धारा 473 का विशेष महत्व है क्योंकि यह राज्य या केंद्र सरकार को यह अधिकार प्रदान करती है कि वह किसी व्यक्ति को दिए गए दंड को कुछ शर्तों पर या बिना शर्तों के, निलंबित (suspend), क्षमादान (remit), या आंशिक रूप से समाप्त कर सकती है। यह धारा हमारे आपराधिक न्याय तंत्र में करुणा, मानवता और पुनर्वास की भावना को स्थान देती है।धारा 473 का सीधा संबंध धारा 472 से भी है, जो कि मृत्युदंड की क्षमा याचिका के विषय में विस्तार से...
Consumer Protection Act में बैंक और हॉस्पिटल सर्विस के विरुद्ध कप्लेंट
एक वाद में जहाँ कंप्लेंनेंट कृष्णा ग्रामीण बैंक था तथा वादी ने ग्रामीण निर्धनता स्कीम के अधीन स्वतः रोज़गार कार्यक्रम के अन्तर्गत कर्ज के लिए प्रतिवादी बैंक के यहाँ प्रार्थना पत्र दिया। प्रार्थी को किसी अन्य बैंक से किसी अन्य उद्देश्य के लिए दोषी नहीं मानना चाहिए। इसलिए यह तर्क स्वीकार नहीं किया जा सकता कि प्रतिवादी का बैंक से कर्ज लेने की प्रार्थना पत्र किसी अन्य कार्यक्रम के अन्तर्गत था। इस विचार पर प्रतिवादी बैंक द्वारा का कंप्लेंनेंट का ऋण मंजूरी आदेश निरस्त किया जाना तथा बकायेराशि का...
Consumer Protection Act कंप्लेंट कौन नहीं कर सकता है और कप्लेंट का मंज़ूर किया जाना
Consumer Protection Act के एक प्रकरण में कंप्लेंनेंट ने अभिकथन किया कि एक समाचार पत्र के रिपोर्ट के अनुसार कलकत्ता से दिल्ली जाने वाले फ्लाइट के यात्रीगण को काफी समय तक एयरपोर्ट पर रखना पड़ा क्योंकि मुख्यमंत्री के इन्तजार में इसके प्रस्थान का समय विलम्ब से कर दिया गया। मामले में यह धारण किया गया कि समाचार रिपोर्ट के आधार पर तृतीय पक्ष द्वारा कप्लेंट नहीं प्रस्तुत किया जा सकता है।एक अन्य मामले में कंप्लेंनेंट को कम्पनी के सदस्य के रूप में नामांकित किया गया तथा कुछ सेवाओं के लिए उत्तरदायी था जैसे...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 472 : मृत्युदंड प्राप्त दोषी द्वारा दया याचिका दायर करने की प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 के अंतर्गत राष्ट्रपति और राज्यपाल को दोषियों को क्षमादान, दंड को निलंबित करने, दंड को क्षमित करने अथवा दंड को परिवर्तित करने की शक्ति प्राप्त है। इन्हीं संवैधानिक प्रावधानों के तहत दया याचिका की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से भारतीय नगरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 472 में विधिवत तरीके से सम्मिलित किया गया है।यह धारा विशेष रूप से उन दोषियों से संबंधित है जिन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है और वे या उनके परिजन राष्ट्रपति या राज्यपाल के समक्ष दया याचिका प्रस्तुत...
क्या किसी मौत की सज़ा पाए कैदी को 28 साल बाद नाबालिग मानकर रिहा किया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने Narayan Chetanram Chaudhary v. State of Maharashtra (2023 LiveLaw (SC) 244) केस में एक ऐतिहासिक फैसला दिया। इस फैसले में कोर्ट ने एक ऐसे कैदी को रिहा कर दिया जिसे 5 हत्याओं के मामले में मौत की सजा दी गई थी और जो 28 साल से जेल में था।कोर्ट ने माना कि जब यह अपराध हुआ था, उस समय वह व्यक्ति सिर्फ 12 साल 6 महीने का था यानी वह एक नाबालिग (Juvenile) था। यह फैसला Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015 के Section 9(2) की व्याख्या (Interpretation) और उद्देश्य...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 7, 7A, 8 और 9 – इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स का संरक्षण, ऑडिट, प्रकाशन और सीमाएं
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) का प्रमुख उद्देश्य भारत में डिजिटल लेन-देन, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (Electronic Records), और इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षरों (Electronic Signatures) को वैधानिक मान्यता देना है।यह अधिनियम सरकारी प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप में करने का मार्ग प्रशस्त करता है। अधिनियम का अध्याय III विशेष रूप से "इलेक्ट्रॉनिक गवर्नेंस" (Electronic Governance) से संबंधित है। इस अध्याय की धारा 4 से लेकर धारा 9 तक की व्यवस्थाएं इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका...
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 से 93 के अंतर्गत अतिक्रमण की स्थिति में तहसीलदार द्वारा की जाने वाली कानूनी कार्यवाही
धारा 91 - भूमि का अनधिकृत अधिभोग (Unauthorised Occupation of Land)राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम की धारा 91 इस बात से संबंधित है कि यदि कोई व्यक्ति राज्य की भूमि पर बिना वैध अधिकार के कब्जा कर लेता है या वैध अधिकार समाप्त हो जाने के बाद भी कब्जा बनाए रखता है, तो उसे 'अतिक्रमणकर्ता' (trespasser) माना जाएगा। इस धारा के अंतर्गत तहसीलदार को ऐसे अतिक्रमणकर्ताओं को बिना किसी लम्बी प्रक्रिया के हटाने का अधिकार दिया गया है। अतिक्रमण की स्थिति में कार्यवाही यदि कोई व्यक्ति किसी सरकारी भूमि पर कब्जा कर...
Consumer Protection Act में कंप्लेंट का मतलब
कंप्लेंट से किसी कंप्लेंनेंट द्वारा लिखित रूप में किया गया ऐसा कोई अभिप्रेत है, किकिसी व्यापारी द्वारा किए गए किसी अनुचित व्यापारिक व्यवहार के परिणामस्वरूप कंप्लेंनेंटvको कोई नुकसान हुआ है।कंप्लेंट के उल्लिखित काल में एक या एक से अधिक त्रुटियां हैं।कंप्लेंट में वर्णित माल में किसी भी प्रकार की कोई कमी है।व्यापारी ने कंप्लेंट में वर्णित माल के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन नियम या ऐसे माल या ऐसे माल को अन्तर्विष्ट करने वाले किसी पैके पर संप्रदर्शित मूल्य से अधिक मूल्य...
Consumer Protection Act में कंप्लेंट कौन है और कंप्लेंट का आशय
इस एक्ट में धारा 2 के अनुसार निम्न कंप्लेंनेंट हैं-Consumer अथवा कम्पनी अधिनियम, 1956 अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन स्वैच्छिक Consumer संघ अथवा केन्द्रीय सरकार अथवा राज्य सरकार भी कंप्लेंट करती है।पंजीकृत शिकायत पेश करने वाला व्यक्ति कंप्लेंनेंटकहलाता है और कंप्लेंनेंटअथवा शिकायत करने वाला वही व्यक्ति हो सकता है जिसने खराब किस्म अथवा अपमिश्रित वस्तु का उपभोग किया है तथा इस उपभोग में उसे हानि हुई है, इतना ही नहीं सरकार और संस्था भी कंप्लेंनेंट हो सकती है। धारा 2 (1) ग उपबंधित करती है कि...
पंचशील समझौता, 1954: भारत-चीन संबंधों का ऐतिहासिक दस्तावेज़
29 अप्रैल 1954 को भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ, जिसे "पंचशील समझौता" (Panchsheel Agreement) कहा जाता है। इसका आधिकारिक नाम "भारत और चीन के तिब्बत क्षेत्र के बीच व्यापार और आपसी संबंधों पर समझौता" (Agreement on Trade and Intercourse Between the Tibet Region of China and India) था।यह समझौता दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व (Peaceful Coexistence) के सिद्धांतों पर आधारित था और इसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नई दिशा के रूप में देखा गया। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical...
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता: अवसर, चुनौतियाँ और संवैधानिक दृष्टिकोण
भारत और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के बीच प्रस्तावित Free Trade Agreement (FTA - मुक्त व्यापार समझौता) इन दिनों व्यापार, राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में एक बड़ा विषय बना हुआ है। इस समझौते का उद्देश्य भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापार (Trade), निवेश (Investment), सेवाओं (Services) और बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) जैसे कई क्षेत्रों में बाधाओं को हटाकर पारस्परिक लाभ को बढ़ावा देना है।2021 से इस पर बातचीत जारी है और अब यह अंतिम दौर में पहुँच चुका है। यह समझौता...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 4, 5 और 6– इलेक्ट्रॉनिक शासन और कानूनी मान्यता
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) ने भारत में डिजिटल दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर (Electronic Signature) को कानूनी मान्यता देकर प्रशासन, व्यापार और न्यायिक कार्यप्रणाली में एक नया युग प्रारंभ किया। इस अधिनियम के अध्याय II में जहां इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की प्रमाणीकरण प्रक्रिया को समझाया गया है, वहीं अध्याय III इलेक्ट्रॉनिक शासन (Electronic Governance) के विकास की नींव रखता है। धारा 4, 5 और 6 इस बात को स्पष्ट करती हैं कि अब कागज़ी दस्तावेजों के स्थान पर...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धाराएं 468 से 471 : दंडादेश की प्रक्रिया से संबंधित सामान्य प्रावधान
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) के अध्याय XXXI के अंतर्गत दंडादेश (Sentence) के कार्यान्वयन से संबंधित सामान्य प्रावधानों को समाहित किया गया है।इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि किस प्रकार आरोपी के खिलाफ पारित किए गए दंडादेशों का क्रियान्वयन किया जाएगा, विशेषकर उस स्थिति में जब आरोपी पहले से किसी अपराध के लिए सजा भुगत रहा हो, या किसी अपराध के लिए हिरासत में रहा हो। इस लेख में हम धारा 468 से लेकर 471 तक के प्रावधानों को सरल भाषा में विस्तारपूर्वक...
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 465 से 467: दंड निष्पादन से जुड़ी सामान्य विधियाँ
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) एक विस्तृत प्रक्रिया संहिता है जो भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में कार्य करती है। इस संहिता ने भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) का स्थान लिया है और यह 1 जुलाई 2024 से प्रभाव में आ चुकी है।इसकी धारा 455 से लेकर धारा 473 तक “दंड के निष्पादन” (Execution of Sentences) से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। इस खंड के अंतर्गत विभिन्न स्थितियों में दी गई सजाओं को व्यवहार में कैसे लाया जाए,...
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 3 और 3A – इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और सिग्नेचर की प्रमाणीकरण प्रक्रिया
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) भारत में डिजिटल लेनदेन (Digital Transactions), इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (Electronic Records) और साइबर अपराधों (Cyber Crimes) को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया था।इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक संचार और लेनदेन को कानूनी मान्यता देना और डिजिटल दुनिया में भरोसेमंद ढांचा तैयार करना है। यह अधिनियम भारतीय न्यायिक सेवा परीक्षाओं और अन्य विधि परीक्षाओं में बार-बार पूछा जाता है। धारा 1: संक्षिप्त नाम, विस्तार, प्रारंभ और अनुप्रयोग (Section...
भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता 2015 : संवैधानिक प्रक्रिया, न्यायपालिका की भूमिका और मानवीय दृष्टिकोण
भूमि सीमा समझौता 2015 वह ऐतिहासिक दस्तावेज़ है जिसने भारत और बांग्लादेश (Bangladesh) के बीच 1947 के विभाजन (Partition) के बाद से चले आ रहे जटिल सीमा विवाद (Boundary Dispute) को स्थायी रूप से सुलझाया। इस समझौते (Agreement) के तहत दोनों देशों ने न केवल अपने-अपने क्षेत्र में स्थित एन्क्लेव्स (Enclaves) का आदान प्रदान (Exchange) किया, बल्कि “विरुद्ध कब्ज़ा” (Adverse Possessions) की राशि पर भी सहमति व्यक्त की।इन छोटे-छोटे भू खंडों के कारण करीब 51,549 लोग लगभग सात दशक तक बिना किसी नागरिकता...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 90 और 90-A : प्रत्येक भूमि पर भू-राजस्व या किराया देयता
राजस्थान भूमि व्यवस्था और प्रशासन की दृष्टि से भू-राजस्व अधिनियम एक अत्यंत महत्वपूर्ण कानून है। इसकी धारा 90 और 90-A भूमि के राजस्व और कृषि भूमि के गैर-कृषि उपयोग से संबंधित व्यापक प्रावधान देती हैं। इन धाराओं का उद्देश्य राज्य सरकार को भूमि से प्राप्त होने वाले राजस्व की व्यवस्था करना और कृषि भूमि का नियोजित और नियंत्रित उपयोग सुनिश्चित करना है।धारा 90 – प्रत्येक भूमि पर भू-राजस्व या किराया देयताइस धारा के अंतर्गत स्पष्ट किया गया है कि राजस्थान राज्य में स्थित प्रत्येक भूमि, चाहे उसका उपयोग...
क्या राष्ट्रपति के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को बदला जा सकता है? अनुच्छेद 143 और सलाहकार क्षेत्राधिकार की व्याख्या
संविधान का अनुच्छेद 143(1) तब चर्चा में आया जब भारत के राष्ट्रपति ने विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति की शक्तियों से संबंधित 14 प्रश्नों को सुप्रीम कोर्ट को संदर्भित करने के लिए इस प्रावधान को लागू करने का एक असाधारण कदम उठाया।चूंकि संदर्भ के तहत मुद्दों को तमिलनाडु राज्य बनाम तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय द्वारा सुलझाया गया था, जो केंद्र सरकार को पसंद नहीं आया, इसलिए राष्ट्रपति के संदर्भ ने कुछ लोगों को चौंका दिया है और एक राजनीतिक विवाद भी...
Know The Law | गैंगस्टर एक्ट लागू करने और गैंग चार्ट तैयार करने पर यूपी सरकार के दिशा-निर्देश
कुछ महीने पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 (Uttar Pradesh Gangsters and Anti-Social Activities (Prevention) Act) के प्रावधानों को लागू करने और उसके तहत गैंग चार्ट तैयार करने के संबंध में कुछ मापदंड/दिशानिर्देश निर्धारित किए थे।यह घटनाक्रम गोरख नाथ मिश्रा नामक व्यक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के बाद हुआ, जिस पर एक्ट की धारा 3(1) के तहत मामला दर्ज किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि मिश्रा के मामले की नए जारी किए...
Consumer Protection Act का संशोधित रूप
वर्ष 1986 में बनाया गया एक्ट समय के साथ पुराना हो चला था और बदलते समय के कारण उसमें जटिलता भी आयी थी इसलिए नया एक्ट बनाया जाना बेहद ज़रूरी था। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक विधेयक, अर्थात् उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2018, तारीख 5 जनवरी, 2018 को लोक सभा में पुरःस्थापित किया गया और उस सदन द्वारा 20 दिसम्बर, 2018 से पारित किया गया। विधेयक के राज्य सभा में विचार के लिए लंबित रहते हुए, 16वीं लोक सभा का विघटन हो गया और विधेयक व्यपगत हो गया। अतः, वर्तमान विधेयक, अर्थात् उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019...



















