अभियुक्त से पूछताछ और रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 316

Himanshu Mishra

23 Dec 2024 8:25 PM IST

  • अभियुक्त से पूछताछ और रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 316

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 316 अभियुक्त से पूछताछ (Examination of Accused) के दौरान रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है। यह धारा न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है।

    इस लेख में, हम धारा 316 को सरल हिंदी में समझाएंगे और इससे जुड़ी धारा 310, 311, और 314 का भी उल्लेख करेंगे, ताकि संपूर्ण प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझा जा सके।

    अभियुक्त की पूछताछ की रिकॉर्डिंग: धारा 316 का प्रावधान

    न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट की भूमिका (Role of Judge or Magistrate)

    धारा 316 के अनुसार, जब किसी अभियुक्त से पूछताछ होती है, तो उससे किए गए सभी प्रश्न (Questions) और उनके द्वारा दिए गए सभी उत्तर (Answers) को पूरी तरह रिकॉर्ड किया जाना चाहिए।

    • यह रिकॉर्डिंग स्वयं न्यायाधीश (Judge) या मजिस्ट्रेट (Magistrate) द्वारा की जाती है।

    • यदि शारीरिक या अन्य कारणों से न्यायाधीश स्वयं रिकॉर्डिंग नहीं कर सकते, तो उनके निर्देशन (Supervision) में अदालत के एक अधिकारी (Court Officer) द्वारा यह कार्य किया जाता है।

    उदाहरण (Illustration):

    अगर किसी मामले की सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट शारीरिक असमर्थता के कारण लिखने में सक्षम नहीं हैं, तो उनके निर्देश पर एक अदालत अधिकारी पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड करेगा।

    भाषा का महत्व (Language of Recording)

    • अभियुक्त से पूछताछ की प्रक्रिया उसी भाषा में रिकॉर्ड की जानी चाहिए, जिसमें पूछताछ हो रही है।

    • यदि यह संभव न हो, तो इसे अदालत की भाषा (Language of the Court) में रिकॉर्ड किया जा सकता है।

    उदाहरण:

    अगर अदालत की भाषा हिंदी है, लेकिन अभियुक्त से पूछताछ अंग्रेजी में की जा रही है, तो इसे अंग्रेजी में रिकॉर्ड किया जाएगा।

    रिकॉर्ड की पुष्टि और अभियुक्त की भूमिका (Verification by Accused)

    रिकॉर्डिंग पूरी होने के बाद:

    1. इसे अभियुक्त को दिखाया या पढ़ाया जाएगा।

    2. यदि अभियुक्त रिकॉर्ड की गई भाषा (Language of Record) को नहीं समझता, तो इसे उसकी समझ में आने वाली भाषा में अनुवाद (Translate) किया जाएगा।

    3. अभियुक्त को यह अधिकार है कि वह किसी भी त्रुटि (Error) को ठीक करने, स्पष्टीकरण (Clarification) देने, या अपने उत्तरों में कुछ जोड़ने की मांग कर सके।

    उदाहरण:

    यदि रिकॉर्डिंग हिंदी में की गई है, लेकिन अभियुक्त केवल तमिल समझता है, तो रिकॉर्ड का तमिल में अनुवाद किया जाएगा। अभियुक्त तब किसी गलती की ओर ध्यान दिला सकता है।

    अंतिम हस्ताक्षर (Final Signatures)

    1. रिकॉर्डिंग को सत्यापित (Verify) करने के बाद अभियुक्त और न्यायाधीश दोनों इसे हस्ताक्षरित (Signed) करेंगे।

    2. न्यायाधीश एक प्रमाण पत्र (Certificate) जारी करेंगे, जिसमें यह पुष्टि होगी कि रिकॉर्डिंग उनके सामने और उनकी देखरेख में हुई।

    इलेक्ट्रॉनिक संवाद के लिए विशेष प्रावधान (Electronic Communication)

    अगर अभियुक्त हिरासत (Custody) में है और इलेक्ट्रॉनिक संवाद (Electronic Communication) के माध्यम से पूछताछ की जाती है, तो हस्ताक्षर (Signatures) 72 घंटे के भीतर लिए जाने चाहिए।

    उदाहरण:

    अगर किसी अभियुक्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ में शामिल किया जाता है, तो रिकॉर्डिंग को ईमेल या फिजिकल तरीके से हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा।

    सारांश सुनवाई में छूट (Exclusion in Summary Trials)

    धारा 316 का प्रावधान सारांश सुनवाई (Summary Trials) पर लागू नहीं होता। सारांश सुनवाई तेज प्रक्रिया (Expedited Process) के लिए होती है, जहां औपचारिकताओं को कम किया जाता है।

    पिछली धाराओं से संबंध (Connection with Previous Sections)

    धारा 310: वॉरंट मामलों में साक्ष्य (Evidence in Warrant Cases)

    यह धारा साक्ष्य रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया को स्पष्ट करती है। यह प्रक्रिया की सटीकता सुनिश्चित करने पर जोर देती है, जो धारा 316 में अभियुक्त से पूछताछ के दौरान भी महत्वपूर्ण है।

    धारा 314: साक्ष्य का अनुवाद (Interpretation of Evidence)

    यह सुनिश्चित करती है कि अभियुक्त को उस भाषा में साक्ष्य प्रस्तुत किया जाए, जिसे वह समझ सके। यह प्रावधान धारा 316 में अभियुक्त की पूछताछ के रिकॉर्ड के अनुवाद में भी लागू होता है।

    धारा 315: गवाह के व्यवहार पर टिप्पणी (Remarks on Witness Behavior)

    यह न्यायाधीश को गवाह के व्यवहार पर टिप्पणी करने की अनुमति देती है। इसी तरह, धारा 316 में न्यायाधीश अभियुक्त के उत्तरों की सटीकता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभाते हैं।

    व्यावहारिक चुनौतियां और समाधान (Practical Challenges and Solutions)

    भाषाई बाधाएं (Language Barriers)

    भारत में भाषाओं की विविधता के कारण अनुवाद और व्याख्या में कठिनाई हो सकती है।

    समाधान:

    • अदालतें प्रशिक्षित अनुवादकों (Certified Translators) की सूची तैयार करें।

    इलेक्ट्रॉनिक संवाद में देरी (Delays in Electronic Communication)

    72 घंटे के भीतर हस्ताक्षर लेना दूरस्थ क्षेत्रों (Remote Areas) में मुश्किल हो सकता है।

    समाधान:

    • डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signatures) की व्यवस्था लागू की जा सकती है।

    धारा 316 भारतीय न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता (Transparency) और सटीकता (Accuracy) सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह अभियुक्त को अपनी बात रखने और रिकॉर्ड की गई जानकारी की जांच करने का अवसर देता है।

    जब इसे संबंधित धाराओं—जैसे धारा 310, 311, और 314—के साथ पढ़ा जाता है, तो यह स्पष्ट होता है कि यह प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता (Fairness) और जवाबदेही (Accountability) को मजबूत करता है।

    यह सुनिश्चित करता है कि न्यायिक प्रक्रिया में प्रत्येक व्यक्ति का विश्वास और अधिकार संरक्षित रहे।

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