क्या RERA Act, 2016 उन प्रोजेक्ट्स पर भी लागू होता है जो अधिनियम के लागू होने के समय चल रहे थे?
Himanshu Mishra
25 Dec 2024 6:41 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने Newtech Promoters and Developers Pvt. Ltd. बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2021) के मामले में यह स्पष्ट किया कि Real Estate (Regulation and Development) Act, 2016 (RERA) उन प्रोजेक्ट्स पर भी लागू होता है जो अधिनियम के लागू होने के समय चल रहे थे।
इस ऐतिहासिक फैसले ने RERA की व्यापकता और उसके प्रभाव को लेकर डेवलपर्स और होमबायर्स (Homebuyers) के अधिकारों पर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।
RERA का उद्देश्य और दायरा (Scope and Objective of RERA)
RERA को रियल एस्टेट सेक्टर को नियमित (Regulate) करने के लिए बनाया गया था ताकि पारदर्शिता (Transparency), जवाबदेही (Accountability), और उपभोक्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसका उद्देश्य धोखाधड़ी, देरी, और पेशेवर मानकों की कमी को दूर करना है।
RERA के तहत Section 3 यह अनिवार्य करता है कि जिन प्रोजेक्ट्स को पूरा होने का प्रमाणपत्र (Completion Certificate) नहीं मिला है, उन्हें अधिनियम लागू होने के तीन महीने के भीतर पंजीकरण (Registration) कराना होगा।
RERA का Retroactive लागू होना (Retroactive Application of RERA)
अदालत ने माना कि RERA के प्रावधान (Provisions) Retroactive हैं, यानी यह उन प्रोजेक्ट्स पर भी लागू होता है जो अधिनियम लागू होने से पहले शुरू हुए थे लेकिन अधूरे थे।
अदालत ने यह भी कहा कि RERA का यह लागू होना संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(g) का उल्लंघन नहीं करता। यह अधिनियम होमबायर्स के हितों की रक्षा करता है और डेवलपर्स पर उचित दायित्व (Obligations) सुनिश्चित करता है।
Retrospective और Retroactive का अंतर (Distinction Between Retrospective and Retroactive)
अदालत ने Retrospective और Retroactive कानूनों के बीच अंतर स्पष्ट किया। Retrospective कानून पिछली घटनाओं (Past Transactions) को प्रभावित करते हैं, जबकि Retroactive कानून वर्तमान में लागू होते हैं लेकिन पहले से मौजूद स्थितियों (Pre-existing Conditions) पर आधारित होते हैं।
RERA, अदालत के अनुसार, Retroactive है क्योंकि यह चल रहे प्रोजेक्ट्स को नियंत्रित करता है लेकिन पूरे हो चुके प्रोजेक्ट्स के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता।
मुख्य प्रावधान और अदालत द्वारा सुलझाए गए मुद्दे (Key Provisions and Issues Addressed)
• पंजीकरण की अनिवार्यता (Mandatory Registration)
Section 3 के अनुसार, सभी चल रहे प्रोजेक्ट्स का रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (Real Estate Regulatory Authority) में पंजीकरण कराना आवश्यक है। यह पंजीकरण सुनिश्चित करता है कि RERA के तहत समय पर प्रोजेक्ट पूरा हो और स्वीकृत योजनाओं (Sanctioned Plans) का पालन हो।
• मुआवजा और धनवापसी (Compensation and Refunds)
Sections 12, 14, 18 और 19 के तहत, होमबायर्स देरी के लिए ब्याज, मुआवजा, या धनवापसी की मांग कर सकते हैं। ये प्रावधान डेवलपर्स को उनके अनुबंध (Agreement) या समय सीमा (Timeline) का पालन करने के लिए बाध्य करते हैं।
• अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction of Authorities)
अदालत ने स्पष्ट किया कि Section 71 के तहत रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी और निर्णय अधिकारी (Adjudicating Officer) के अधिकार क्षेत्र (Jurisdiction) अलग-अलग हैं। अथॉरिटी धनवापसी और मुआवजे से जुड़े मामलों को सुन सकती है, जिससे शिकायत निवारण प्रक्रिया (Grievance Redressal Mechanism) सुगम होती है।
उद्धृत महत्वपूर्ण निर्णय (Precedents Referenced)
इस फैसले में निम्नलिखित प्रमुख मामलों का हवाला दिया गया:
1. State of Bombay बनाम Vishnu Ramchandra
इस मामले में अदालत ने कहा कि Retroactive कानून संवैधानिक मानकों को पूरा करने पर वैध (Valid) होते हैं और बड़े जनहित (Public Interest) में लागू किए जा सकते हैं।
2. Jay Mahakali Rolling Mills बनाम Union of India
अदालत ने Retrospective और Retroactive कानूनों का अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि Retroactive कानून पहले से मौजूद स्थितियों को नियंत्रित करते हैं।
3. Vineeta Sharma बनाम Rakesh Sharma
इस मामले में अदालत ने कहा कि Retroactive कानून भविष्य में लागू होते हैं लेकिन पूर्व घटनाओं (Antecedent Events) पर आधारित होते हैं।
हितधारकों के बीच संतुलन (Balancing Interests of Stakeholders)
अदालत ने कहा कि RERA होमबायर्स और डेवलपर्स के हितों के बीच संतुलन बनाता है। यह डेवलपर्स को प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने और होमबायर्स को उनके अधिकारों के संरक्षण (Protection) की गारंटी देता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय रियल एस्टेट सेक्टर पर RERA के परिवर्तनकारी प्रभाव (Transformative Impact) को रेखांकित करता है। इसका Retroactive लागू होना सुनिश्चित करता है कि चल रहे प्रोजेक्ट्स नियामक मानकों (Regulatory Standards) का पालन करें और होमबायर्स के निवेश की सुरक्षा हो।
यह निर्णय पारदर्शिता, जवाबदेही, और बड़े जनहित की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और भारतीय रियल एस्टेट कानून में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।