Constitution में म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की ड्यूटी और पावर
Shadab Salim
23 Dec 2024 8:16 PM IST
आर्टिकल 243(व) कहता है कि इस कांस्टीट्यूशन के उपबंधों के अधीन रहते हुए किसी राज्य का विधान मंडल विधि बनाकर नगर पालिकाओं को ऐसी शक्तियों और अधिकार प्रदान कर सकता है जो वह उन्हें स्वयं शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक समझे और ऐसी विधि में नगरपालिका तो ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जैसा उसमें निर्दिष्ट किया जाए कुछ विषयों पर उपबंधों किया जा सकता है। जैसे-
आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना और ऐसे कार्यों को करना और ऐसी स्कीमों को क्रियान्वित करना जो उन्हें सौंपी जाए जिनके अंतर्गत वह स्कीमें भी शामिल हैं जो बारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध विषय के संबंध में है-
ऐसी विधि द्वारा समितियों को ऐसी शक्तियों पर अधिकार दिए जा सकते हैं जो उनके प्रदत उत्तरदायित्व को कार्यान्वित करने के लिए योग्य बनाने के लिए आवश्यक समझे जिसके अंतर्गत बारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध बातें भी है। कांस्टीट्यूशन की 12वीं अनुसूची में निम्नलिखित 18 विषय है जिन पर नगर पालिकाओं को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई । 12वीं अनुसूची के अनुसार विषय निम्नलिखित हैं-
नगर योजना जिसके अंतर्गत शहरी योजना भी है, भूमि उपयोग का विनियमन और भवनों का निर्माण, आर्थिक और सामाजिक विकास की योजना, सड़कें और पुल, घरेलू उद्योग और वाणिज्य प्रयोजनों के लिए जल प्रदाय, लोक स्वास्थ्य स्वच्छता सफाई और कूड़ा करकट प्रबंध, अग्निशमन सेवाएं, नगरी वानिकी, पर्यावरण संरक्षण, समाज के दुर्बल वर्गों के लिए जिनके अंतर्गत विकलांग और मानसिक रूप से मंद व्यक्ति है हितों की संरक्षा, गंदी बस्ती सुधार और उन्नयन, नगरीय निर्धनता कम करना, नगरी सुख सुविधाओं जैसे पार्क उधान खेलों के मैदान की व्यवस्था, सांस्कृतिक शिक्षण और सौंदर्य पर पहलुओं की अभिवृद्धि, शव गाड़ना और कब्रिस्तान श्मशान और विद्युत शवदाहगृह, बूचड़खाना का बनाया जाना, पशु क्रूरता का निवारण करना, जन्म मरण की जिसके अंतर्गत जन्म मृत्यु का रजिस्ट्रीकरण है, लोक सुख सुविधाएं जिनके अंतर्गत पथ, प्रकाश, प्रकृतिक स्थल, बस स्टॉप जन सुविधाएं हैं। वधशाला और चर्मशोधन शालाओं का विनियमन करना।
आर्टिकल 243 के अंतर्गत ही राज्य का विधान मंडल किसी विधि द्वारा निम्नलिखित शक्तियां प्रदान कर सकता है-
ऐसी प्रक्रिया के अनुसार और इसी शर्तों और सीमाओं के अधीन रहते हुए ऐसे कर नियोजित करने के लिए प्राधिकृत कर सकता है-
ऐसे प्रयोजन के लिए ऐसी शर्त और सीमाओं के अधीन रहते हुए राज्य सरकार द्वारा उद्ग्रहीत ऐसे कर शुल्क पथकर और उसी से कोई नगरपालिका समनुदेशित कर सकता है।
नगर पालिकाओं के लिए राज्य की संचित निधि में से ऐसी सहायता अनुदानों के लिए उपबंध।
नगर पालिका द्वारा या उनकी ओर से सभी धनो के जमा करने के लिए ऐसी नीतियों का गठन तथा ऐसी नीतियों में से धन का प्रत्ययहरण करने के लिए भी उपबंध जो उस विधि में विनिर्दिष्ट की जाए।
आर्टिकल 243 यह भी कहता है कि इस भाग में किसी बात के होते हुए भी कांस्टीट्यूशन 74वां संशोधन अधिनियम 1992 के प्रारंभ से ठीक पूर्व नगर पालिकाओं से संबंधित किसी विधि का कोई उपबंध जो इस भाग के उपबंधों से असंगत तब तक सक्षम विधान मंडल द्वारा या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसे संशोधित नहीं कर दिया जाता तब तक ऐसे प्रारंभ से 1 वर्ष का अवसन नहीं हो जाता या इनमें से जो भी पर्याप्त समय बना रहेगा।
इसके प्रारंभ से ठीक पूर्व विधानसभा जो नगर पालिका है उनके कार्यकाल की समाप्ति तक उस दशा में बनी रहेंगी जब तक कि उससे पूर्व उन्हें राज्य की विधानसभा द्वारा या ऐसे राज्य की दशा में जिस में विधान परिषद है उस राज्य के विधान मंडल के प्रत्येक सदन द्वारा पारित इस आशय के संकल्प द्वारा विघटित नहीं कर दिया जाता। इस प्रकार उक्त संशोधन के लागू होने से पूर्व गठित नगर पालिका अपने कार्यकाल तक बनी रहेगी जब तक कि उन्हें विधानसभा द्वारा विधान मंडल द्वारा वितरित नहीं कर दिया जाता।
कांस्टीट्यूशन के आर्टिकल 243 के अंतर्गत किए गए सभी उपबंध एक औपचारिक और ऊपरी उपबंध हैं जिनके माध्यम से भारत की संसद में राज्यों को एक निर्देश प्रस्तुत किया है तथा एक निर्देश दिया है कि वह इन बातों को ध्यान में रखते हुए अपने राज्यों के भीतर नगरपालिका और पंचायतों से संबंधित सभी कानूनों को सहिंताबद्ध कर ले। भारत भर के सभी प्रांतों के अलग-अलग सरकारों ने अपने राज्य के भीतर पंचायतें और नगर पालिकाओं के लिए विधियों को तैयार किया है परंतु वे सभी विधान अधिनियम कांस्टीट्यूशन के आर्टिकल 243(ए से ओ तक) के अंतर्गत दिए गए निर्देशों के अनुसार बनाए गए हैं। कोई भी अधिनियम कांस्टीट्यूशन के आर्टिकल 243 के अंतर्गत दिए गए निर्देशों के विरुद्ध नहीं है।
यदि कोई विधान कांस्टीट्यूशन के आर्टिकल 243 के अंतर्गत दिए गए निर्देशों के विरुद्ध जाता है तो इस प्रकार का विधान गैर सांविधानिक घोषित कर दिया जाता है अर्थात नगर पालिका एवं पंचायती जैसी होंगी इसके संबंध में स्पष्ट उल्लेख भारत की संसद द्वारा ही दिया गया है। संसद ने एक निदेश प्रस्तुत कर दिया है इस निदेश के बाद राज्यों ने अपनी सुविधाओं के अनुसार अपने अधिनियम का निर्माण किया है। जैसे कि मध्यप्रदेश के लिए मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1992 कार्य करता है जिसके अंतर्गत नगर पालिका से संबंधित कानूनों का समावेश कर दिया गया है।