जानिए संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों के बारे में ख़ास बातें (भाग 2/2)

SPARSH UPADHYAY

7 Jan 2020 3:30 AM GMT

  • जानिए संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों के बारे में ख़ास बातें (भाग 2/2)

    जैसा कि आप जानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के 6 प्रधान अंगों को विस्तार से समझने के लिए हम 2 लेखों की एक श्रृंखला आपके सामने लेकर आये हैं। संयुक्त राष्ट्र संगठन का निर्माण करने वाले 6 प्रधान अंगों को महासभा (The General Assembly), सुरक्षा परिषद (The Security Council), न्यास परिषद (The Trusteeship Council), आर्थिक और सामाजिक परिषद (The Economic and Social Council), अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) एवं सचिवालय (The Secretariat) के नाम से जाना जाता है।

    इस श्रृंखला का पिछला लेख प्रकाशित हो चुका है, जहाँ हमने संयुक्त राष्ट्र के प्रथम 3 प्रधान अंगों के बारे में चर्चा की थी, श्रृंखला के दूसरे यानी मौजूदा लेख में हम शेष 3 प्रधान अंगों की चर्चा करेंगे। मौजूदा लेख में हम आर्थिक और सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय एवं सचिवालय के प्रमुख कार्यों को समझने का प्रयास करेंगे. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के बारे में ख़ास बातें एवं उससे जुड़े कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए आप यह लेख पढ़ सकते हैं। चलिए अब संयुक्त राष्ट्र के 3 प्रधान अंगों के बारे में जान लेते हैं:-

    आर्थिक और सामाजिक परिषद (Economic and Social Council)

    यदि आसान शब्दों में कहा जाए तो आर्थिक और सामाजिक परिषद (ECOSOC), समन्वय, नीति समीक्षा, नीतिगत वार्ता और आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर सिफारिशों को देने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय रूप से सहमत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख निकाय है। यह परिषद् आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्रों में, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली और इसकी विशेष एजेंसियों की गतिविधियों की देखरेख करने के लिए एक केंद्रीय तंत्र के रूप में कार्य करती है, इसके अलावा यह सहायक और विशेषज्ञ निकायों की देखरेख भी करती है। यह परिषद्, कई प्रकार के हितधारकों - नीति निर्धारकों, सांसदों, शिक्षाविदों, प्रमुख समूहों, फाउंडेशन, व्यवसाय क्षेत्र के प्रतिनिधियों और 3,200+ पंजीकृत गैर-सरकारी संगठनों (NGO) - को सतत विकास पर वार्तालाप करने के लिए एक उत्पादक संवाद में अपने साथ जोडती है।

    इसके अलावा, परिषद् विभिन्न प्रकार के अध्ययन करता है; महासभा के विचार हेतु, संकल्प, सिफारिशें, और सम्मेलन तैयार करने का कार्य भी परिषद् का ही है; और विभिन्न संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रमों और विशेष एजेंसियों की गतिविधियों के समन्वय का कार्य करना भी इसकी ही जिम्मेदारी है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित यह परिषद्, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई की सिफारिश करने का अधिकार रखती है; मानव अधिकारों के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देना; और स्वास्थ्य, शिक्षा और सांस्कृतिक और संबंधित क्षेत्रों पर वैश्विक सहयोग के लिए काम करना भी परिषद् के प्रमुख कार्यों में से हैं।

    मूल रूप से, इस परिषद् में 18 देशों के प्रतिनिधि शामिल थे, लेकिन वर्ष 1965 में और वर्ष 1974 में सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर में संशोधन किया गया। परिषद् के सदस्यों को महासभा द्वारा 3 वर्ष के लिए चुना जाता है। सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों में से 4-संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, सोवियत संघ (रूस) और फ्रांस - को लगातार इसके लिए चुना गया है, क्योंकि वे ECOSOC के अधिकांश बजट के लिए धन उपलब्ध कराते हैं, जो संयुक्त राष्ट्र की किसी भी सहायक संस्था को मिलने वाली सबसे बड़ी राशि है। निर्णय साधारण बहुमत के मत द्वारा लिए जाते हैं।

    ECOSOC के कार्यात्मक आयोग हैं:-

    1. सांख्यिकीय आयोग - Statistical Commission

    2. जनसंख्या और विकास पर आयोग - Commission on Population and Development

    3. सामाजिक विकास आयोग - Commission for Social Development

    4. महिलाओं की स्थिति पर आयोग - Commission on the Status of Women

    5. नारकोटिक ड्रग्स पर कमीशन - Commission on Narcotic Drugs

    6. अपराध निवारण और आपराधिक न्याय पर आयोग - Commission on Crime Prevention and Criminal Justice

    7. विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग - Commission on Science and Technology for Development

    8. वन पर संयुक्त राष्ट्र फोरम - United Nations Forum on Forests

    अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)

    अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख न्यायिक अंग है। इसकी सीट हेग/हाग (नीदरलैंड्स) में पीस पैलेस में है। यह संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक है, जो न्यूयॉर्क (संयुक्त राज्य अमेरिका) में स्थित नहीं है। अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार न्यायालय की भूमिका, राष्ट्रों द्वारा प्रस्तुत कानूनी विवादों और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा इसे निर्दिष्ट कानूनी सवालों पर सलाहकार राय देने की है।

    वर्ष 1899 में हेग/हाग में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान, अंतरराष्ट्रीय विवादों में मध्यस्थता की भूमिका निभाने हेतु एक अंतरराष्ट्रीय अदालत के निर्माण पर विचार किया गया। इस संस्था को वर्ष 1919 में लीग ऑफ नेशंस के तहत स्थायी न्यायालय (PCIJ) के रूप में स्थापित किया गया और इसने अपना वर्तमान नाम वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के साथ अपनाया।

    गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के फैसले बाध्यकारी हैं, और इसका व्यापक अधिकार क्षेत्र "उन सभी मामलों को शामिल करता है, जो पक्षों द्वारा इसे संदर्भित किये गए हैं, या वे मामले जो विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में या संधि में प्रदान किए गए हैं।" सबसे महत्वपूर्ण बात, राष्ट्र अपनी सहमती के बिना किसी मामले में पक्षकार नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे विवादों की निर्दिष्ट श्रेणियों में अदालत के अनिवार्य अधिकार क्षेत्र को स्वीकार कर सकते हैं। जैसा कि हमने जाना, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, महासभा या सुरक्षा परिषद के अनुरोध पर या महासभा द्वारा अधिकृत अन्य अंगों और विशेष एजेंसियों के अनुरोध पर सलाहकार राय दे सकता है।

    गौरतलब है कि न्यायालय के 15 न्यायाधीशों को, महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा स्वतंत्र रूप से मतदान के आधार पर नियुक्त किया जाता है। कोई भी 2 न्यायाधीश एक ही राष्ट्र के नागरिक नहीं हो सकते हैं, और ये न्यायाधीश, दुनिया की प्रमुख कानूनी प्रणालियों के क्रॉस सेक्शन का प्रतिनिधित्व करते हैं। न्यायाधीश 9-वर्ष के कार्यकाल के साथ कार्य करते हैं और उन्हें दुबारा चुना जा सकता है।

    सचिवालय (The Secretariat)

    सचिवालय में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और हजारों संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी सदस्य मौजूद होते हैं, जो महासभा और संयुक्त राष्ट्र के अन्य प्रमुख अंगों द्वारा तय संयुक्त राष्ट्र के दैनिक कार्यों को अंजाम देते हैं। संयुक्त राष्ट्र के बाकी के अंगों के लिए आवश्यक जानकारी और सुविधा सचिवालय द्वारा प्राप्त होती हैं। सचिवालय, संयुक्त राष्ट्र चार्टर में इंगित अपने कार्यों की तुलना में संयुक्त राष्ट्र के कार्य को काफी हद तक प्रभावित करता है। यह अनुवाद करने, व्याख्या करने, बड़ी संख्या में बैठकों के लिए सेवाएं प्रदान करने और अन्य प्रमुख कार्यों के अलावा, कई रिपोर्ट, अध्ययन और जांच की तैयारी के लिए जिम्मेदार UN का एक अंग है।

    चार्टर के तहत, इसके कर्मचारियों को मुख्य रूप से योग्यता के आधार पर भर्ती किया जाता है, हालांकि यदि इतिहास पर एक नजर डाली जाए तो हम यह पाएंगे कि अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के व्यक्तियों को सचिवालय में शामिल करने का एक सचेत प्रयास किया जाता रहा है। सचिवालय के कुछ सदस्य स्थायी अनुबंधों के अंतर्गत कार्य करते हैं, लेकिन अन्य कर्मचारी अपने राष्ट्र की सरकारों की ओर से अस्थायी असाइनमेंट पर काम करते हैं। दोनों ही मामलों में उन्हें संयुक्त राष्ट्र के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी होती है और उन्हें सदस्य राष्ट्रों की सरकारों से निर्देश प्राप्त करने की अनुमति नहीं है। सचिवालय के प्रभाव को इस तथ्य से आँका जा सकता है कि इसके हजारों कर्मचारी सदस्य, राष्ट्रों के राजनीतिक नियुक्तियों के बजाय, स्थायी विशेषज्ञ और अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवक के तौर पर कार्य करते हैं।

    यदि बात महासचिव (Secretary-general) के पद की हो तो जानना आवश्यक है कि इस पद को ग्रहण करने वाला व्यक्ति, संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी होता है जिसे महासभा के दो-तिहाई वोट और सुरक्षा परिषद की सिफारिश और इसके स्थायी सदस्यों की मंजूरी से 5 साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। सेक्रेटरी-जनरल आमतौर पर छोटे, तटस्थ देशों से आते हैं। संयुक्त राष्ट्र सचिवालय, न्यूयॉर्क, जिनेवा, वियना, नैरोबी (केन्या) और अन्य स्थानों में स्थित है। खराब प्रशासनिक प्रबंधन एवं तटस्थता की कमी के चलते इसकी अक्सर आलोचना की जाती है - हालांकि इसने अपने संचालन की दक्षता बढ़ाने के लिए लगातार कई प्रयास किए हैं।

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