जानिए संयुक्त राष्ट्र (UN) के बारे में खास बातें और महत्वपूर्ण सवालों के जवाब

SPARSH UPADHYAY

3 Jan 2020 5:46 AM GMT

  • जानिए संयुक्त राष्ट्र (UN) के बारे में खास बातें और महत्वपूर्ण सवालों के जवाब

    हम सभी ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के बारे में सुना है। हालाँकि इसका मुख्य कार्य क्या है इसको लेकर हम सभी की उत्सुकता बनी रहती है। यह तो हम समझते हैं कि यह संगठन वैश्विक स्तर पर सभी राष्ट्रों (हम अपनी सुविधा के लिए इन्हें 'देश' कह सकते हैं) के बीच सामान्य मूल्यों को स्थापित करता है, जिससे हर राष्ट्र एक यूनिफार्म तरीके से कुछ मूल्यों को अपना सके और इन मूल्यों का अपनाया जाना सभी राष्ट्रों के हित में होता है।

    सामान्य अर्थों में हम यह कह सकते हैं कि इसका एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि वैश्विक स्तर पर राष्ट्रों के बीच विवाद/संघर्ष जन्म न लेने पाए और यदि ऐसा कोई विवाद उत्पन्न होता भी है तो उसका निवारण एक बेहतर तरह से हो सके। यदि हम इस बात को समझ जाएँ तो संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों को समझना मुश्किल नहीं है. दरअसल, संयुक्त राष्ट्र की महत्वता एवं सभी राष्ट्रों पर इसके प्रभाव को हम अक्सर ही दरकिनार करदेते हैं, और इसीलिए आज इस लेख के माध्यम से हम सामान्य रूप से इस संगठन के विषय में जानेंगे। हम यह भी चर्चा करेंगे कि कैसे संयुक्त राष्ट्र हम सभी के जीवन को प्रभवित करता है।

    संयुक्त राष्ट्र, जैसा कि इसके नाम से प्रतीत होता है, एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसे 24 अक्टूबर, 1945 को स्थापित किया गया था। हालाँकि ब्रिटेन, चीन, सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में जून 1945 में सैन फ्रांसिस्को में आयोजित हुए एक सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन यह उस वर्ष 24 अक्टूबर को असल रूप में प्रभावी हुआ (संयुक्त राष्ट्र के निर्माण के रूप में), यह वो समय था तब वैश्विक स्तर पर चल रहा युद्ध (द्वितीय विश्व युद्ध) समाप्त हो गया था, हालाँकि अफ्रीका और एशिया का अधिकांश हिस्सा अभी भी औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा शासित किया जा रहा था।

    इसके पहले संयुक्त राष्ट्र का पूर्ववर्ती, लीग ऑफ़ नेशंस (League of Nations) कार्यशील था, जिसे वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा बनाया गया था और वर्ष 1946 में इसे भंग कर दिया गया था। न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय है, और इसके जिनेवा, वियना और नैरोबी में क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं। इसकी आधिकारिक भाषाएं अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश हैं।

    संयुक्त राष्ट्र का मुख्य कार्य/उद्देश्य क्या है?

    द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बड़े स्तर पर हुई तबाही के बाद वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र अस्तित्व में आया, इसका मुख्य मिशन अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा का माहौल स्थापित करना है। ऐसे माहौल को स्थापित करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र, वैश्विक स्तर पर राष्ट्रों के बीच एवं समग्र रूप से विश्व में चल रहे, एवं भावी विवाद/संघर्ष को रोकने के लिए काम करता है। यह संघर्षरत राष्ट्रों में एवं उनके बीच शान्ति स्थापित करने के लिए कार्य करता है; और शांति बनाए रखने और फलने-फूलने के लिए उचित परिस्थितियों का निर्माण भी करता है, जिससे भविष्य में विवाद/संघर्ष को जन्म लेने से रोका जा सके। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के एक महत्वपूर्ण अंग, सुरक्षा परिषद (Security Council) के पास अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करने की प्राथमिक जिम्मेदारी है। इसके अलावा, महासभा (General Assembly) और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, संयुक्त राष्ट्र के अन्य कार्यालयों और निकायों के साथ इस संगठन में प्रमुख, महत्वपूर्ण और पूरक भूमिका निभाते हैं।

    संयुक्त राष्ट्र चार्टर का अनुच्छेद 1, संगठन के निम्नलिखित उद्देश्यों को बताता है:

    1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा बनाये रखना, और इस उद्देश्य से निम्नलिखित कार्यों के लिए प्रभावी और सामूहिक रूप से कदम उठना, जिन बातों से शान्ति भंग होने का खतरा हो, उन्हें रोकना या दूर करना; और आक्रामक या अन्य शान्ति भंग करने वाले कार्यों या तत्वों की समाप्ति करना तथा न्याय और अन्तर्राष्ट्रीय विधि के आधार पर शान्तिपूर्ण साधनों से उन अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों/विवादों या संकटपूर्ण स्थितियों को सुलझाना या तय करना, जिनके कारण शान्ति भंग होने की आशंका हो।

    2. समान अधिकार और आत्मनिर्णय के सिद्धान्त के लिए आदर की भावना के आधार पर विभिन्न राष्ट्रों के बीच मित्रतापूर्ण भावना को बढ़ावा देना और विश्व भर में शान्ति को मजबूत करने के लिए उपयुक्त उपाय करना।

    3. आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या मानव कल्याण सम्बन्धी अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना तथा मानवाधिकारों के लिए और किसी प्रकार के जाति, लिंग भाषा या धर्म पर आधारित किसी भेदभाव के बिना सबकी मौलिक स्वतन्त्रता के लिए आदर की भावना को बढ़ावा और प्रोत्साहन देना।

    4. इन सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभिन्न राष्ट्रों द्वारा किए गए कार्यों में समन्वय स्थापित करने के लिए एक केन्द्रीय संगठन के रूप में कार्य करना।

    कौन हो सकता है संयुक्त राष्ट्र में शामिल?

    इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन में सदस्यता, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार, "उन सभी शांतिप्रिय राष्ट्रों के लिए खुली है जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित दायित्वों को स्वीकार करते हैं और संगठन के निर्णय के अनुसार, वे इन दायित्वों को पूरा करने में सक्षम हैं।" राष्ट्रों को सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर, महासभा के निर्णय द्वारा संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता दी जाती है।

    संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्यों (राष्ट्रों/देशों) को ही शामिल किया जा सकता है एवं किसी अन्य संगठन को नहीं. नए सदस्यों के संगठन में शामिल होने के संबंध में सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी का प्रावधान, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 4 में रखा गया है, इस प्रावधान का पैराग्राफ 2 यह कहता है कि संयुक्त राष्ट्र में राष्ट्रों का प्रवेश, महासभा के निर्णय के जरिये होगा, और यह निर्णय सुरक्षा परिषद की सिफारिश (कि उस राष्ट्र को संयुक्त राष्ट्र में शामिल किया जाये) के बाद लिया जायेगा। दूसरे शब्दों में, एक राष्ट्र केवल तभी संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता प्राप्त कर सकता है, यदि सुरक्षा परिषद् इस सम्बन्ध में सिफारिश करे और आमसभा में उस पर वोटिंग हो। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 5 और 6 में क्रमशः सदस्यों के अधिकारों और विशेषाधिकारों एवं उनके निलंबन का प्रावधान है।

    किन मूल्यों पर संयुक्त राष्ट्र करता है कार्य?

    इसे समझने के लिए हमे चार्टर के अनुच्छेद 2 पर गौर करना होगा. दरअसल अनुच्छेद 2 के अंतर्गत वह सिद्धांत दिए गए हैं, जिनका पालन संयुक्त राष्ट्र एवं इसके सदस्य राष्ट्रों को अनुच्छेद 1 में बताए गये प्रयोजनों को पूरा करने की दृष्टि से करना होगा। इन सिद्धांतों को हम यहाँ आसान भाषा में समझ लेते हैं:-

    1. यह संघ सभी सदस्यों की समान प्रभुसत्ता (Sovereign Equality) के सिद्धान्त पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्र का प्रारूप सभी देशों की संप्रभु समानता पर आधारित है। इसका अर्थ है कि यूएन का हर सदस्य देश, कानून के समक्ष समान अधिकार रखेगा, चाहे उसका आकार और ताकत कुछ भी हो। चार्टर में किसी भी तरह के भेदभाव का कोई आधार नहीं हो सकता है।

    2. इस चार्टर के अनुसार सदस्य देशों ने अपने ऊपर जिन दायित्वों का भार लिया है, वे उन्हें ईमानदारी के साथ निभाएंगे जिससे कि उन सभी सदस्यों को निश्चित रूप से संघ का सदस्य बनने के फलस्वरूप प्राप्त होने वाले अधिकार और लाभ प्राप्त हो सकें। यह अंतर्राष्ट्रीय कानून का एक मूल सिद्धांत है।

    3. सभी सदस्य अपने अन्तर्राष्ट्रीय विवादों/संघर्षों/झगड़ों को शान्तिपूर्ण साधनों से इस प्रकार तय करेंगे/सुलझाएंगे कि विश्व की सुरक्षा, शान्ति और न्याय को किसी प्रकार का खतरा न हो। यह प्रावधान इसलिए भी चार्टर में मौजूद है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र का अस्तित्व ही शांति और सुरक्षा का माहौल स्थापित करने के लिए है, इसलिए यह सबसे ज्यादा आवश्यक है कि भले ही देशो के बीच विवाद/संघर्ष/झगडा चल रहा हो, पर वे इनका समाधान किसी भी अनुचित प्रकार से न निकालें।

    4. सभी सदस्य अपने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में किसी सदस्य देश की क्षेत्रीय अखण्डता (Territorial Integrity), या राजनीतिक स्वाधीनता (Political Independence) के विरुद्ध न तो कोई धमकी देंगे, न ही किसी प्रकार के बल का प्रयोग करेंगे और न कोई ऐसा कार्य करेंगे जो किसी अन्य रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों के प्रतिकूल हो। सामान्य शब्दों में, कोई भी सदस्य राष्ट्र ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जिससे किसी अन्य राष्ट्र की अखंडता या स्वाधीनता को कोई नुकसान पहुंचे और ऐसा कोई कार्य करना अनुचित होगा जो यूएन चार्टर के खिलाफ जाता हो।

    5. संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा चार्टर के अनुंसार, संयुक्त राष्ट्र जो भी कार्रवाई करेगा उसमें सभी सदस्य राष्ट्र हर प्रकार की सहायता प्रदान करेंगे. इसके अलावा, ऐसे मामलों में, जहाँ किसी भी राष्ट्र के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर रहा है, वहां अन्य राष्ट्र, उस राष्ट्र की कोई भी सहायता नहीं करेंगे। गौरतलब है कि यह सिद्धांत, सदस्य राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र के वर्तमान चार्टर के अनुसार होने वाली सामान्य कार्रवाई में हर संभव सहायता देने का निर्देश देता है।

    6. संयुक्त राष्ट्र इस बात की निश्चित व्यवस्था करेगा कि जहाँ तक अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए आवश्यक हो, वे राष्ट्र जो संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं है, वे भी इन्हीं सिद्धान्तों के अनुसार कार्य करें।

    7. संयुक्त राष्ट्र का अंतिम सिद्धांत यह कहता है कि प्रस्तुत घोषणा पत्र में जो कुछ भी कहा गया है वह संयुक्त राष्ट्र को किसी भी राष्ट्र के ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं प्रदान करेगा, जो मूलतः उसके आन्तरिक अधिकार क्षेत्र में आते हों। परन्तु इसी चार्टर के सातवें अध्याय में किसी राज्य को किसी कार्य के लिए बाघ्य करने के जो उपाय बताए गए हैं, उनको लागू किए जाने पर इस सिद्धान्त का कोई असर नहीं पड़ेगा।

    संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग क्या हैं?

    इस संस्था की संरचना में आम सभा, सुरक्षा परिषद, ट्रस्टीशिप काउंसिल (यह अंग अब कार्यशील नहीं है), आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित है। संयुक्त राष्ट्र संगठन का निर्माण करने वाले छह प्रधान अंग हैं:

    महासभा/सामान्य सभा (The General Assembly) - महासभा, संयुक्त राष्ट्र का विचार-विमर्श, नीति-निर्धारण और प्रतिनिधि अंग है।

    सुरक्षा परिषद (The Security Council) - अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सुरक्षा परिषद अस्तित्व में लाया गया है। सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं, जिनमे से 5 स्थाई और 10 अस्थायी रूप से परिषद् में मौजूद रहते हैं।

    आर्थिक और सामाजिक परिषद (The Economic and Social Council) - आर्थिक और सामाजिक परिषद समन्वय, नीति समीक्षा, नीतिगत वार्ता और आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर सिफारिशों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय रूप से सहमत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिए प्रमुख निकाय है।

    न्यास परिषद (The Trusteeship Council) - 1 नवंबर 1994 को ट्रस्टीशिप काउंसिल ने अपने ऑपरेशन को स्थगित कर दिया।

    अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) - संयुक्त राष्ट्र का यह प्रमुख न्यायिक अंग है। इसकी सीट हेग (नीदरलैंड्स) में पीस पैलेस में है।

    सचिवालय (The Secretariat) - सचिवालय में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव और हजारों संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी सदस्य मौजूद होते हैं, जो महासभा और संयुक्त राष्ट्र संघ के अन्य प्रमुख अंगों द्वारा तय संयुक्त राष्ट्र के दैनिक कार्यों को अंजाम देते हैं। संयुक्त राष्ट्र के बाकी के अंगों के लिए आवश्यक जानकारी और सुविधा सचिवालय द्वारा प्राप्त होती हैं।

    क्या संयुक्त राष्ट्र का कानूनी व्यक्तित्व है?

    यह जान लेना भी हम सभी के लिए आवश्यक है कि संयुक्त राष्ट्र अपने कानूनी व्यक्तित्व (Legal Personality) के कारण किसी के खिलाफ मुकदमा करने में सक्षम है। वर्ष 1949 में, UN ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से एक सलाहकार राय मांगी थी कि एक स्वतंत्र राष्ट्र से संबंधित कर्तव्यों का पालन करते समय UN का एक यदि एजेंट घायल हो जाता है, तो क्या संयुक्त राष्ट्र, उस राष्ट्र की सरकार के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय दावा ला सकता है (संयुक्त राष्ट्र या पीड़ित को हुए नुकसान के लिए). इसपर आईसीजे ने Reparation for injuries suffered in the service of the Nations, Advisory Opinion, [1949] ICJ Rep 174, ICGJ 232 (ICJ 1949) के मामले में अपनी राय देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र का अपना एक कानूनी व्यक्तित्व है और इसलिए संयुक्त राष्ट्र, किसी अन्य राष्ट्र के खिलाफ मुकदमा/दावा लाने का हकदार था।

    अपने चार्टर और अपने अद्वितीय अंतरराष्ट्रीय चरित्र में निहित शक्तियों के कारण, संयुक्त राष्ट्र 21वीं सदी में मानवता के सामने मौजूद चुनौतीपूर्ण मुद्दों को लेकर उचित कार्रवाई कर सकता है, जैसे शांति और सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, मानव अधिकार, निरस्त्रीकरण, आतंकवाद, मानवतावादी और स्वास्थ्य सम्बन्धी आपात की स्थिति, लिंग समानता, शासन, खाद्य उत्पादन, और भी बहुत कुछ। संयुक्त राष्ट्र, अपने सदस्यों को महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, और अन्य निकायों और समितियों में अपने विचार व्यक्त करने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है। अपने सदस्यों के बीच संवाद को सक्षम करके, और बातचीत की मेजबानी करके, यह संगठन सरकारों के लिए एक समझौते का क्षेत्र खोजने और समस्याओं को हल करने के लिए एक तंत्र बन गया है।

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