जानिए संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों के बारे में ख़ास बातें (भाग 1)
SPARSH UPADHYAY
6 Jan 2020 9:15 AM IST
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए विनाश का सामना फिर से दुनिया को कभी न करना पड़े इसके लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) को अस्तित्व में लाया गया था। हम यह भी जानते हैं कि किसी भी अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र जितनी मान्यता एवं सम्मान प्राप्त नहीं किया है।
संयुक्त राष्ट्र के विषय में जितना साहित्य मौजूद है, उतना किसी अन्य संगठन को लेकर मौजूद नहीं है। यह संगठन, अपने अस्तित्व में आने के बाद से, पिछले 70 वर्षों की अधिकांश वैश्विक चुनौतियों और संकटों को सुलझाने में केन्द्रीय भूमिका निभाता रहा है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना एक सामूहिक सुरक्षा संगठन के रूप में की गई थी, जिसका प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा को बनाये रखना था। इसके अलावा इसका उद्देश्य मानवाधिकार सहयोग बढ़ाते हुए आर्थिक और सामाजिक प्रगति के क्षेत्र में जिम्मेदारियों को निभाना भी है।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा एवं शांति बनाये रखने की प्राथमिक जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद (Security Council) की है। इसके अंतर्गत, विश्व के प्रमुख, युद्ध में शामिल रही शक्तियों (राष्ट्रों) - चीन, फ़्रांस, रूस, ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने खुद को एक विशेष दर्जा/विशेषाधिकार दिया है, और यह विशेषाधिकार वह शक्तियां हैं जो संयुक्त राष्ट्र के अन्य सदस्य राष्ट्रों को उपलब्ध नहीं है। हालांकि, समय के साथ, संयुक्त राष्ट्र ने अपनी विशिष्ट एजेंसियों और कार्यक्रमों के काम के माध्यम से अन्य क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को विकसित किया है, उदाहरण के लिए, शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त, यूनिसेफ और यूनेस्को की स्थापना एवं इनकी सक्रियता। इसी के साथ, संयुक्त राष्ट्र की गतिविधियों का दायरा भी समय के साथ व्यापक हुआ है।
हम संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख 6 अंगों को, 2 लेखों की एक श्रृंखला के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे और यह भी समझेंगे कि उन अंगों की क्या विशेषताएँ हैं और वे कैसे कार्य करते हैं। श्रृंखला के प्रथम भाग, यानी मौजूदा लेख में हम संयुक्त राष्ट्र के प्रथम 3 अंगों महासभा (The General Assembly), सुरक्षा परिषद (The Security Council) एवं न्यास परिषद (The Trusteeship Council) के बारे में जानेंगे। इसी श्रृंखला के अगले एवं द्वितीय लेख में हम संयुक्त राष्ट्र के अन्य 3 अंगों के बारे में बात करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र के 3 प्रमुख अंग
महासभा (The General Assembly)
महासभा/सामान्य सभा (General Assembly), संयुक्त राष्ट्र का विचार-विमर्श, नीति-निर्धारण और प्रतिनिधि अंग है। संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व इस महासभा में किया जाता है, इसी के चलते इसे वैश्विक स्तर पर सार्वभौमिक प्रतिनिधित्व वाला एकमात्र, संयुक्त राष्ट्र निकाय कहा जाता है और इसी वजह से इसे लघु संसद की संज्ञा भी दी गयी है। महासभा, संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अंतर्गत आने वाले समस्त विषयों पर तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों की कार्यपरिधि में आने वाले प्रश्नों पर विचार करती है और सदस्य राष्ट्रों एवं सुरक्षा परिषद् के बीच समय-समय पर समन्वय बनाने का कार्य करती है। महत्वपूर्ण सवालों पर निर्णय, जैसे कि शांति और सुरक्षा, नए सदस्यों के प्रवेश और बजटीय मामलों के लिए, महासभा के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है। अन्य प्रश्नों पर निर्णय, साधारण बहुमत से लिया जाता है।
हालांकि, इसकी प्राथमिक भूमिका मुद्दों पर चर्चा करना और सिफारिशें करना है, परन्तु महासभा के पास अपने प्रस्तावों को लागू करने या सदस्य राष्ट्र को कार्रवाई के लिए मजबूर करने की कोई शक्ति नहीं है। इसके अन्य कार्यों में, आर्थिक और सामाजिक परिषद के सदस्यों का चयन करना, सुरक्षा परिषद और ट्रस्टीशिप परिषद के अस्थायी सदस्यों का चयन करना; संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंगों की गतिविधियों की निगरानी करना (जिनसे महासभा रिपोर्ट प्राप्त करती है), और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों के चुनाव में भाग लेना और महासचिव का चयन करना, शामिल है।
महासभा की अन्य मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:-
* संयुक्त राष्ट्र महासभा UNGA को विश्व की संसद कहा जाता है।
* महासभा की बैठक साल में कम से कम एक बार होती है और सत्र सितंबर के तीसरे मंगलवार को शुरू होता है।
* महासभा विशेष आपातकालीन सत्रों के लिए भी बैठक कर सकती है।
* महासभा, सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के महासचिव नियुक्त करती है, यह नए सदस्यों को स्वीकार करने का भी अधिकार रखती है।
* प्रत्येक नियमित सत्र की शुरुआत में, महासभा में एक सामान्य बहस भी होती है, जिसमें सभी सदस्य भाग ले सकते हैं और अंतर्राष्ट्रीय चिंता का कोई भी मुद्दा उठा सकते हैं। हालांकि, अधिकांश काम 6 मुख्य समितियों को सौंपे जाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की मुख्य समितियाँ निम्नलिखित हैं:-
1. पहली समिति (निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा - Disarmament & International Security)
2. दूसरी समिति (आर्थिक और वित्तीय - Economic & Financial)
3. तीसरी समिति (सामाजिक, मानवीय और सांस्कृतिक - Social, Humanitarian & Cultural)
4. चौथी समिति (विशेष राजनीतिक और घोषणा-पत्र - Special Political & Decolonization)
5. पांचवीं समिति (प्रशासनिक और बजटीय - Administrative & Budgetary)
6. छठी समिति (कानूनी - Legal)
सुरक्षा परिषद (The Security Council)
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा स्थापित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत सुरक्षा परिषद अस्तित्व में लायी गयी है, जिसकी यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि शांति और सुरक्षा का माहौल वैश्विक स्तर पर कायम हो। सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं, जिनमे से 5 स्थाई और 10 अस्थायी रूप से परिषद् में मौजूद रहते हैं और प्रत्येक अस्थायी सदस्य, सामान्य सभा द्वारा 2 वर्ष के लिए चुना जाता है और प्रत्येक वर्ष 5 अस्थायी सदस्य इस परिषद् से हट जाते हैं। 5 स्थाई सदस्य, चीन, फ़्रांस, रूस, ग्रेट ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
इन 5 स्थायी देशो को कार्यविधि मामलों में तो नहीं पर विधिवत मामलों में वीटो की शक्ति, चार्टर के अंतर्गत प्रदान की गयी है। वर्ष 1965 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के एक संशोधन ने परिषद की सदस्यता को बढ़ाकर 15 कर दिया (जो संख्या पूर्व में 11 हुआ करती थी)। अस्थायी सदस्यों को समान क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के लिए चुना जाता है, अफ्रीका या एशिया से आने वाले 5 सदस्य, पूर्वी यूरोप से 1, लैटिन अमेरिका से 2 और पश्चिमी यूरोप या अन्य क्षेत्रों से 2 सदस्य होते हैं।
कोई भी देश-भले ही वह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य नहीं है
एक विवाद, जिसमें उसका पक्ष निहित है, सुरक्षा परिषद के सामने ला सकता है। जहाँ ऐसा कोई विवाद या शिकायत होती है, वहां परिषद पहले एक शांतिपूर्ण समाधान की संभावना की पड़ताल करती है। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय शांति सेना को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है कि वो संघर्षरत पक्षों के बीच आगे की बातचीत के दौरान, दोनों पक्षों को एक दूसरे से होने वाले खतरे से बचाए।
यदि परिषद को यह पता चलता है कि शांति के लिए एक वास्तविक खतरा मौजूद है, शांति भंग हुई है या आक्रामकता का कार्य (जैसा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 39 द्वारा परिभाषित किया गया है) किया गया है, तो यह संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से दोषी राष्ट्र के ऊपर राजनयिक या आर्थिक प्रतिबंध लगाने को लेकर विचार करने को कह सकती है। अगर ये तरीके अपर्याप्त साबित होते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र चार्टर, सुरक्षा परिषद को ऐसे राष्ट्र के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने की अनुमति देता है।
सर्वसम्मति प्राप्त करने के लिए, परिषद के स्थायी सदस्यों के बीच तुलनात्मक रूप से अनौपचारिक बैठकें आयोजित की जाती हैं, हालाँकि यह एक ऐसी प्रथा है जिसकी सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों द्वारा कई बार आलोचना की गई है। कई स्थायी और तदर्थ समितियों के अलावा, परिषद के काम को सैन्य स्टाफ समिति, सैंक्शन के अंतर्गत आने वाले देशों के लिए सैंक्शन समिति, शांति सेना समितियों और एक अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण समिति द्वारा सुविधा प्रदान की जाती है।
न्यास परिषद (The Trusteeship Council)
ट्रस्टीशिप काउंसिल को ट्रस्ट क्षेत्रों की सरकार की निगरानी करने और परिषद् को ऐसे क्षेत्रों को स्वराज्य प्राप्त कराने या स्वतंत्रता के लिए उनका नेतृत्व करने के लिए अस्तित्व में लाया गया था। अंतिम ट्रस्ट क्षेत्र पलाऊ की स्वतंत्रता के साथ, वर्ष 1994 में, परिषद ने अपने कार्यों को समाप्त कर दिया। अब परिषद् को सालाना मिलने की आवश्यकता नहीं है, परिषद अपने अध्यक्ष के निर्णय पर या अपने सदस्यों के बहुमत से, महासभा या सुरक्षा परिषद द्वारा अनुरोध पर मिल सकती है। वर्ष 1994 के बाद से परिषद के लिए नई भूमिकाओं का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें वैश्विक कॉमन्स मुद्दे (जैसे, सीबेड) को प्रशासित करना और अल्पसंख्यक और स्वदेशी लोगों के लिए एक मंच के रूप में सेवा करना शामिल है।
इस लेख में हमने संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख 3 अंगों के बारे में विस्तार से जाना और समझा। हम इसी श्रृंखला के अगले एवं द्वितीय लेख में संयुक्त राष्ट्र के अन्य 3 एवं महत्वपूर्ण अंगों, आर्थिक और सामाजिक परिषद (The Economic and Social Council), अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) एवं सचिवालय (The Secretariat) के बारे में बात करेंगे।