संपादकीय

लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के संचालन खर्च में बचत हुई; सुविधाओं का उपयोग नहीं करने पर छात्रों से उसकी फीस नहीं ले सकते: सुप्रीम कोर्ट
'लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के संचालन खर्च में बचत हुई; सुविधाओं का उपयोग नहीं करने पर छात्रों से उसकी फीस नहीं ले सकते': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजी स्कूलों द्वारा लॉकडाउन के दौरान छात्रों द्वारा स्कूल गतिविधियों और सुविधाओं का उपयोग नहीं करने पर भी फीस की मांग करना 'मुनाफाखोरी' और 'व्यावसायीकरण' है।कोर्ट ने इस तथ्य ध्यान दिया कि पिछले शैक्षणिक वर्ष के दौरान कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की गई हैं। इससे देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कोर्ट ने आगे कहा कि, "हम यह मानते हैं कि स्कूल प्रबंधन की स्कूल द्वारा निर्धारित वार्षिक स्कूल फीस का लगभग 15 प्रतिशत बचत हुई होगी। इसलिए गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के फीस...

आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत वैधानिक प्राधिकरणों के पास निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस संरचना में छेड़छाड़ की शक्ति नहीं : सुप्रीम कोर्ट
आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत वैधानिक प्राधिकरणों के पास निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस संरचना में छेड़छाड़ की शक्ति नहीं : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत वैधानिक प्राधिकरणों के पास निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस संरचना के विषय से निपटने की कोई शक्ति नहीं है।न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा,यह अधिनियम सभी कठिनाइयों के लिए एक रामबाण नहीं है, जो आपदा प्रबंधन से संबंधित नहीं है।न्यायालय ने निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा दायर अपील की अनुमति देते हुए ये कहा, जिन्होंने जिसमें राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के साथ, मार्च 2020 से महामारी (लॉकडाउन) के...

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के निजी स्कूलों को वार्षिक स्कूल फीस में 15% कटौती का निर्देश दिया, फीस न चुकाने पर किसी भी छात्र को परीक्षा में बैठने से न रोका जाए
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के निजी स्कूलों को वार्षिक स्कूल फीस में 15% कटौती का निर्देश दिया, फीस न चुकाने पर किसी भी छात्र को परीक्षा में बैठने से न रोका जाए

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान में गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को शैक्षणिक वर्ष 2019-20 के लिए राजस्थान स्कूल (फीस का विनियमन) अधिनियम 2016 के तहत निर्धारित छात्रों से वार्षिक स्कूल फीस लेने की अनुमति दी।जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने स्कूलों को निर्देश दिया कि शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के दौरान छात्रों द्वारा सुविधाओं का उपयोग नहीं किए जाने के एवज में फीस में 15 प्रतिशत की कटौती करें।कोर्ट ने इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान राज्य और इससे जुड़े मामले निर्देश दिया...

दिल्ली के ऑक्सीजन की कमी को पूरी की जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने आपूर्ति में कमी को सुधारने के लिए केंद्र को निर्देश दिया
'दिल्ली के ऑक्सीजन की कमी को पूरी की जानी चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने आपूर्ति में कमी को सुधारने के लिए केंद्र को निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दिल्ली में प्रति दिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की कमी को 3 मई की आधी रात तक या उससे पहले पूरी की जाए।यह आदेश 30 अप्रैल को सुरक्षित रखा गया था और इस आदेश को 2 मई को पारित की गया। आदेश में कहा गया कि जीएनसीटीडी के लिए ऑक्सीजन का मौजूदा आवंटन प्रतिदिन 490 मीट्रिक टन है जबकि अनुमानित मांग 133% बढ़कर 700 मीट्रिक टन / दिन हो गई है और इसलिए इसके लिए उपाय की आवश्यकता है।आदेश में उल्लेख किया गया है कि केंद्र ने स्वयं सर्वोच्च न्यायालय...

इसे एक कड़वी दवाई के रूप में लें, सही भावना में  : सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की  हत्या  की टिप्पणी पर चुनाव आयोग से कहा
'इसे एक कड़वी दवाई के रूप में लें, सही भावना में ' : सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की " हत्या " की टिप्पणी पर चुनाव आयोग से कहा

"इसे एक कड़वी दवाई के रूप में लें, सही भावना में," सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय की मौखिक टिप्पणियों के खिलाफ ईसीआई द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को कहा। हाईकोर्ट ने कहा था कि ईसीआई अकेले COVID दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार है "और उसके अधिकारियों को" शायद हत्या के लिए" बुक किया जाना चाहिए।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने ईसीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी को बताया कि कभी-कभी न्यायाधीश बड़े...

केंद्र और राज्य सरकार लोक कल्याण हित में COVID-19 वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन पर विचार कर सकती हैं: सुप्रीम कोर्ट
केंद्र और राज्य सरकार लोक कल्याण हित में COVID-19 वायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन पर विचार कर सकती हैं: सुप्रीम कोर्ट

महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं के वितरण के संबंध में लिए गए स्वत: संज्ञान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि, "केंद्र और राज्य लोक कल्याण के हित में COVID-19 की दूसरी लहर पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन लगाने पर विचार कर सकती हैं।"जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रवींद्र भट की एक खंडपीठ ने महामारी की दूसरी लहर में पॉजीटिव मामलों की निरंतर वृद्धि को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए उन उपायों को, जो वे...

मीडिया को जजों की मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से रोका नहीं जा सकता, अदालत में चर्चा भी सार्वजनिक हित की : सुप्रीम कोर्ट
"मीडिया को जजों की मौखिक टिप्पणियों की रिपोर्टिंग से रोका नहीं जा सकता, अदालत में चर्चा भी सार्वजनिक हित की" : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मीडिया को किसी मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों को रिपोर्ट करने से नहीं रोका जा सकता है।न्यायालय ने माना कि न्यायालय में चर्चा जनता के हित की है, और लोग यह जानने के हकदार हैं कि बेंच और बार के बीच संवाद के माध्यम से कैसे न्यायिक प्रक्रिया सामने आ रही है।न्यायालय ने यह भी कहा कि अदालती चर्चाओं की रिपोर्टिंग न्यायाधीशों के लिए अधिक जवाबदेही लाएगी और न्यायिक प्रक्रिया में नागरिकों के विश्वास को बढ़ाएगी।जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और...

किसी भी मरीज को पहचान प्रमाण के अभाव में अस्पताल में भर्ती करने से वंचित नहीं किया जाएगा  : सुप्रीम कोर्ट
"किसी भी मरीज को पहचान प्रमाण के अभाव में अस्पताल में भर्ती करने से वंचित नहीं किया जाएगा " : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि किसी भी राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के स्थानीय आवासीय प्रमाण की कमी या यहां तक ​​कि पहचान प्रमाण के अभाव में किसी भी मरीज को अस्पताल में भर्ती या आवश्यक दवाओं से वंचित नहीं किया जाएगा।न्यायालय ने केंद्र सरकार को 2 सप्ताह के भीतर अस्पताल में दाखिले पर एक समान राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया है, जिसका सभी अस्पतालों को पालन करना चाहिए।कोर्ट ने आदेश दिया,"केंद्र सरकार, दो सप्ताह के भीतर, अस्पतालों में दाखिले पर एक राष्ट्रीय नीति बनाएगी, जिसका सभी राज्य सरकारों...

COVID- अफसोस है कि लोग ऑक्सीजन की कमी के कारण मर रहे हैं, कोई कारण नहीं है कि सरकार, सभी जिलों में ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित नहीं कर सकती, मध्य प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट की फटकार
COVID- अफसोस है कि लोग ऑक्सीजन की कमी के कारण मर रहे हैं, कोई कारण नहीं है कि सरकार, सभी जिलों में ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित नहीं कर सकती, मध्य प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट की फटकार

सभी को ऑक्सीजन की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार को दिए पूर्व निर्देशों को दोहराते हुए, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश सरकार को सभी हितधारकों के साथ रेमडेसिवीर इंजेक्शन की "वितरण नीति को फिर से देखने" के लिए कहा, ताकि यह आम आदमी को भी उचित मूल्य पर उपलब्ध हो सके।चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने कहा, "COVID 19 रोगी को दवा के रूप में रेमडेसिवीरका सेवन करने की आवश्यकता है या नहीं, यह इलाज करने वाले डॉक्टरों के विवेक...

जीवन का अधिकार सभी अधिकारों की जननी है : मलावी सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड को असंवैधानिक करार दिया
जीवन का अधिकार सभी अधिकारों की जननी है : मलावी सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड को असंवैधानिक करार दिया

मलावी के 'सुप्रीम कोर्ट ऑफ अपील' ने मृत्युदंड को असंवैधानिक घोषित किया है।कोर्ट ने 8:1 के बहुमत के फैसले में कहा, "जीवन के अधिकार का सार स्वयं जीवन ही है - जीवन की शुचिता। जीवन का अधिकार सभी अधिकारों की जननी है। जीवन के अधिकार के बिना अन्य अधिकारों का कोई अस्तित्व नहीं है। मृत्युदंड न केवल (जीवन के) इस अधिकार को बेअसर करता है, बल्कि समाप्त भी कर देता है।"कोर्ट ने यह टिप्पणी चार्ल्स खोविवा नामक एक अपीलकर्ता की अपील मंजूर करते हुए की, जिसे मौत की सजा सुनाई गयी थी। न्यायमूर्ति डी एफ मौंगुलु द्वारा...

क्रिमिनल अपील पर निर्णय करते वक्त हाईकोर्ट को मामले की सम्पूर्णता पर विचार करना होगा : सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया
क्रिमिनल अपील पर निर्णय करते वक्त हाईकोर्ट को मामले की सम्पूर्णता पर विचार करना होगा : सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि गुण - दोषों (मेरिट) के आधार पर क्रिमिनल अपील का निर्धारण करते हुए हाईकोर्ट द्वारा कोई भी फैसला सुनाने से पहले रिकॉर्ड में मौजूद साक्ष्यों सहित मामले की सम्पूर्णता पर विचार किया जाना जरूरी है।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड् और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील मंजूर करते हुए की, जिसमें हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा अभियुक्त की दोषसिद्धि के निर्णय को पलट दिया था। इस मामले में अभियुक्त को भारतीय दंड संहिता...

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों की मतगणना COVID-19 सुरक्षा उपायों के साथ करने की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों की मतगणना COVID-19 सुरक्षा उपायों के साथ करने की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने (शनिवार) उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों की मतगणना को टालने से इनकार कर दिया जो कल (रविवार) COVID-19 महामारी के बीच होने वाली है।जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए आश्वासनों के आधार पर मतगणना को कल होने की अनुमति दी है। राज्य निर्वाचन आयोग ने आश्वास दिया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए गए हैं कि मतगणना केंद्रों पर COVID प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।पीठ ने आदेश में कहा कि,"हम एसईसी के सबमिशन...

बिना सोचे समझे मौखिक टिप्पणी करने से बचें जो व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकती है: सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को सलाह दी
'बिना सोचे समझे मौखिक टिप्पणी करने से बचें जो व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकती है': सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को सलाह दी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उच्च न्यायालयों को सुनवाई के दौरान बिना सोचे समझे टिप्पणी करने से बचना चाहिए और साथ संयम बरतना चाहिए क्योंकि यह व्यक्तियों के लिए हानिकारक हो सकती है और उनके बारे में गलतफहमी पैदा कर सकती है।न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह अवलोकन किया जो COVID-19 से संबंधित मुद्दों पर स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।जब लगभग चार घंटे की सुनवाई खत्म होने की कगार पर थी, तब भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने COVID से संबंधित मामलों की सुनवाई...

आप कोई डॉक्टर, मेडिकल स्टूडेंट या फिर वैज्ञानिक नहीं हैं: सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के इलाज और टेस्ट के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग वाली याचिका जुर्माना के साथ खारिज की
'आप कोई डॉक्टर, मेडिकल स्टूडेंट या फिर वैज्ञानिक नहीं हैं': सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के इलाज और टेस्ट के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग वाली याचिका जुर्माना के साथ खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 इलाज और टेस्ट के लिए दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी ज्ञान के याचिका दायर करने पर वाणिज्य स्नातक याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया।सीजेआई रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने याचिका को 'तुच्छ' कहा और याचिकाकर्ता पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायालय ने उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट के कानूनी सेवा प्राधिकरण को जुर्माना का भुगतान करने और सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया...

वैक्सीन की कीमत और वितरण का काम निर्माताओं पर न छोड़ें : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीन नीति पर सवाल उठाया
"वैक्सीन की कीमत और वितरण का काम निर्माताओं पर न छोड़ें" : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीन नीति पर सवाल उठाया

सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र से आग्रह किया कि वह टीकाकरण के संबंध में अलग कीमत निर्धारण और अनिवार्य लाइसेंसिंग के मुद्दों पर अपनी शक्तियों का उपयोग करे।कोर्ट ने कहा,"वैक्सीन कीमत निर्धारण और वितरण को निर्माताओं पर न छोड़ें, यह सार्वजनिक वस्तुओं के समान है। आपको इसके लिए जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है।""क्या खरीद केंद्र सरकार या राज्यों के लिए है, यह अंततः नागरिकों के लिए है। हमें राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के मॉडल को क्यों नहीं अपनाना चाहिए? केंद्र सौ प्रतिशत का अधिग्रहण क्यों नहीं कर सकता,...

आपराधिक ट्रायल में मामूली विरोधाभास गवाहों की गवाही पर अविश्वास जताने का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया
आपराधिक ट्रायल में मामूली विरोधाभास गवाहों की गवाही पर अविश्वास जताने का आधार नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि आपराधिक ट्रायल में मामूली विरोधाभास गवाहों की गवाही पर अविश्वास जताने का आधार नहीं हो सकता।अदालत अभियुक्तों द्वारा दायर की गई एक अपील पर विचार कर रही थी, जो आईपीसी की धारा 302, धारा 34 के साथ पढ़ते हुए बॉम्बे पुलिस अधिनियम की धारा 135 (1) के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराए गए थे। अपील में, अभियुक्तों द्वारा उठाई गई दलीलों में से एक यह थी कि अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के बयान में बड़ा विरोधाभास हैं।"जिन विरोधाभासों का अनुमान लगाने की मांग की गई है, वे मामूली विरोधाभास...

सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून को नहीं माना जाता है, तो यह गंभीर मामला है : केरल हाईकोर्ट जज ने शादी के कारण बलात्कार के आरोप रद्द करने के फैसलों को वापस लिया
"सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून को नहीं माना जाता है, तो यह गंभीर मामला है" : केरल हाईकोर्ट जज ने शादी के कारण बलात्कार के आरोप रद्द करने के फैसलों को वापस लिया

विभिन्न आरोपियों के खिलाफ बलात्कार और बाल यौन उत्पीड़न के आरोपों को रद्द करने के आदेशों के बाद, बुधवार को एक विशेष सुनवाई में केरल उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इनमें से तीन आदेशों को वापस ले लिया।न्यायमूर्ति के हरिपाल की पीठ ने उनके तीन आदेशों को निरस्त कर दिया, जहां पीड़ितों के अभियुक्तों से विवाह के आधार पर मामलों को रद्द कर दिया गया था।कोर्ट ने फैसला सुनाया,"जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून को नहीं माना जाता है, तो यह एक गंभीर मामला है और इसलिए, उपरोक्त आपराधिक...

मेरे विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा : मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने समलैंगिक संबंधों को बेहतर तरीके से समझने के लिए मनोवैज्ञानिक शिक्षा लेने का निर्णय किया
'मेरे विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा' : मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने समलैंगिक संबंधों को बेहतर तरीके से समझने के लिए मनोवैज्ञानिक शिक्षा लेने का निर्णय किया

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश एन. आनंद वेंकटेश ने बुधवार को टिप्पणी की कि वह समलैंगिक संबंधों की अवधारणा के बारे में पूरी तरह से 'जागृत' नहीं हैं और इस संबंध को समझने के लिए वह मनोवैज्ञानिक शिक्षा सत्र में हिस्सा लेंगे।न्यायाधीश ने कहा, "मनोविज्ञानी शिक्षा सत्र मुझे समलैंगिक संबंधों को समझने में मदद करेगा और मेरे विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।"यह वाकया समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर एक संरक्षण याचिका की सुनवाई के दौरान हुआ।महत्वपूर्ण रूप से न्यायाधीश ने पहले इस समलैंगिक जोड़े और इनके माता-पिता को एक...