'आप कोई डॉक्टर, मेडिकल स्टूडेंट या फिर वैज्ञानिक नहीं हैं': सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के इलाज और टेस्ट के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग वाली याचिका जुर्माना के साथ खारिज की
LiveLaw News Network
30 April 2021 3:48 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 इलाज और टेस्ट के लिए दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिना किसी ज्ञान के याचिका दायर करने पर वाणिज्य स्नातक याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया।
सीजेआई रमना की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने याचिका को 'तुच्छ' कहा और याचिकाकर्ता पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायालय ने उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट के कानूनी सेवा प्राधिकरण को जुर्माना का भुगतान करने और सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
बेंच ने अवलोकन किया,
"यह याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई एक तुच्छ याचिका है, जिसे विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उसने खुद स्वीकार किया है कि वह एक वाणिज्य स्नातक है। याचिकाकर्ता हमें यह बताना चाहता है कि COVID-19 के उपचार के लिए किस प्रकार के टेस्ट और उपचार किए जाने चाहिए। हम जुर्माना लगाएंगे।"
खंडपीठ ने शुरुआत में कहा कि वह इस तरह की 'तुच्छ रिट याचिका' के लिए 1 लाख का जुर्माना लगाएंगे, लेकिन याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत किए जाने के बाद कि उसके पास केवल 1000 की राशि है, तो अदालत ने जुर्माना के रूप में 1000 रुपये लगाने का फैसला किया।
सुनवाई के दौरान, व्यक्तिगत रूप से उपस्थित याचिकाकर्ता सुरेश शॉ से अदालत ने पूछा कि क्या वह एक डॉक्टर हैं और उन्हें इस मामले का क्या ज्ञान है।
याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया कि वह एक डॉक्टर नहीं है और उसकी जानकारी के आधार पर वैज्ञानिक कागजात पर उसने यह याचिका दायर की है।
सीजेआई ने टिप्पणी की,
"आप एक डॉक्टर, मेडिकल छात्र या वैज्ञानिक नहीं हैं। आपकी COVID-19 का ज्ञान क्या है!"
शैक्षिक योग्यता के संबंध में न्यायालय के प्रश्न के जवाब में याचिकाकर्ता ने अदालत में सूचित किया कि उसने वाणिज्य में स्नातकोत्तर किया है।
इस पर सीजेआई ने कहा,
"आप पूरी दुनिया को COVID-19 दवाओं को निर्धारित करना चाहते हैं? एक वाणिज्य स्नातक पूरी दुनिया में डॉक्टरों को चिकित्सा पेशेवरों को सिखाएगा कि COVID-19 का इलाज कैसे करें? हम फालतू याचिका दायर करने और समय बर्बाद करने के लिए कितना खर्च कर सकते हैं। हम इसके लिए 1 लाख रूपये का जुर्माना लगाएंगे।"
इस मौके पर याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वह बेरोजगार है।
बेंच ने कहा,
"तो यह आपके लिए एक व्यवसाय है? ऐसी तुच्छ रिट याचिका दायर करना।"
बेंच ने आगे कहा,
"विज्ञान में आपका ज्ञान क्या है? और आप व्याख्यान देना चाहते हैं और COVID-19 का उपचार लोगों को देना चाहते हैं। कलकत्ता हाईकोर्ट की टिप्पणियों से संतुष्ट नहीं होने के कारण आप यहाँ आए? क्योंकि इसके ऑनलाइन होने का कोई खर्च नहीं है और आप कुछ भी बात कर सकते हैं?"