'दिल्ली के ऑक्सीजन की कमी को पूरी की जानी चाहिए': सुप्रीम कोर्ट ने आपूर्ति में कमी को सुधारने के लिए केंद्र को निर्देश दिया

LiveLaw News Network

3 May 2021 12:01 PM GMT

  • दिल्ली के ऑक्सीजन की कमी को पूरी की जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने आपूर्ति में कमी को सुधारने के लिए केंद्र को निर्देश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दिल्ली में प्रति दिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की कमी को 3 मई की आधी रात तक या उससे पहले पूरी की जाए।

    यह आदेश 30 अप्रैल को सुरक्षित रखा गया था और इस आदेश को 2 मई को पारित की गया। आदेश में कहा गया कि जीएनसीटीडी के लिए ऑक्सीजन का मौजूदा आवंटन प्रतिदिन 490 मीट्रिक टन है जबकि अनुमानित मांग 133% बढ़कर 700 मीट्रिक टन / दिन हो गई है और इसलिए इसके लिए उपाय की आवश्यकता है।

    आदेश में उल्लेख किया गया है कि केंद्र ने स्वयं सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में स्वीकार किया है कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की अनुमानित मांग को 490 मीट्रिक टन प्रति दिन से 133% बढ़ाकर 700 मीट्रिक टन प्रतिदिन कर दिया है।

    कोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी पर कहा कि,

    "इस स्थिति को सुधारने की जरूरत है।"

    सुप्रीम कोर्ट ने COVID से संबंधित मुद्दों पर उठाए गए स्वत: संज्ञान मामले में यह आदेश पारित किया।

    कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की ज़मीनी हालात दिल दहलाने वाली है। सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली की मेडिकल ऑक्सीजन की मांग पूरी होगी और राजधानी को परेशानी नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि केंद्र और जीएनसीटीडी दोनों को एक-दूसरे का सहयोग करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थिति को हल करने के लिए सभी संभव उपाय किए जा सके।

    कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की प्रस्तुतियों को स्वीकार करते हुए सुनवाई की तारीख से 2 दिन के भीतर पूर्वोक्त दिशा-निर्देश का पालन करने का निर्देश दिया है यानी 3 मई 2021 की मध्यरात्रि को या उससे पहले।

    पीठ ने कहा कि,

    "केंद्र सरकार और जीएनसीटीडी के बीच विवाद से उन नागरिकों को नुकसान होगा, जिनका जीवन ऑक्सीजन पर निर्भर है।"

    कोर्ट ने आदेश में कहा कि,

    "केंद्र सरकार सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन के संदर्भ में सुनिश्चित करेगा कि दिल्ली में प्रति दिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की कमी को 3 मई की आधी रात तक या उससे पहले पूरी की जाए।"

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रवींद्र भट की खंडपीठ ने कहा कि ऑक्सीजन की आपूर्ति की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने की निरंतर लड़ाई में नागरिकों की जान जोखिम में नहीं डाली जा सकती है। आगे निर्देश दिया कि नागरिकों का जीवन राष्ट्रीय संकट के समय में सर्वोपरि है और यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार और जीएनसीटीडी दोनों पर है जो एक दूसरे के साथ सहयोग करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थिति को हल करने के लिए सभी संभव उपाय किए जा सके।

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने शनिवार को केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली को मेडिकल ऑक्सीजन की आवंटित मात्रा प्राप्त हो। महामारी की शुरुआत के बाद से केंद्र सरकार के सशक्त समूह द्वारा राज्यों के लिए चिकित्सा ऑक्सीजन का आवंटन तय किया जा रहा है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि ऑक्सीजन की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे है। यह महत्वपूर्ण है कि ऑक्सीजन का एक बफर आपातकालीन स्टॉक बनाया जाए ताकि किसी भी कारण से किसी भी क्षेत्र में किसी एक या अधिक अस्पतालों द्वारा इस बफर या आपातकालीन स्टॉक का उपयोग मानव जीवन को बचने के लिए किया जा सकता है।

    पीठ ने कहा कि,

    "इन आपातकालीन स्टॉक को इतना वितरित किया जाना चाहिए ताकि हर स्थानीय क्षेत्र में सही समय पर आसानी से उपलब्ध हो सके। हमने दिल्ली में पिछले 24 घंटों की स्थिति को देखा है जहां आपूर्ति में बाधा और टैंकरों के आगमन में देरी से चिकित्सा पेशेवरों सहित मरीजों की जान जा रही है।"

    केंद्र सरकार द्वारा बफर स्टॉक्स बनाने और 24/7 आधार पर वर्चुअल कंट्रोल रूम के माध्यम से राज्यों के साथ सहयोग करते हुए ऑक्सीजन कमी को तुरंत कम करने के आदेश दिए गए हैं। कोर्ट ने यह आदेश लोगों की हो रहीं मौतो को ध्यान में रखते हुए दिया गया है। जारी दिशा-निर्देश बेहद महत्वपूर्ण हैं।

    पीठ ने कहा कि,

    "इसलिए केंद्र सरकार को निर्देश देते हैं कि राज्यों के साथ मिलकर आपूर्ति के लिए ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपूर्ति लाइनें अप्रत्याशित परिस्थितियों में भी काम करती रहें। इसके अलावा आपातकालीन स्टॉक का स्थान विकेंद्रीकृत किया जाएगा ताकि किसी भी कारण से किसी भी अस्पताल में सामान्य आपूर्ति बाधित न हो और अगले चार दिनों के भीतर आपातकालीन स्टॉक तुरंत उपलब्ध हो सके।"

    पीठ ने कहा कि,

    "आपातकालीन स्टॉक की राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के साथ सक्रिय परामर्श में वर्चुअल कंट्रोल रूम के माध्यम से निगरानी की जाएगी। यह दिन-प्रतिदिन के आवंटन के अतिरिक्त है।"

    न्यायालय ने ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने और मांग-आपूर्ति प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार को सुझावों की एक सूची प्रदान की।

    कोर्ट के सुझाव इस प्रकार हैं;

    (i) हम समझते हैं कि केंद्र सरकार का केंद्रीय वर्चुअल सेंट्रल कंट्रोल रूम प्रत्येक राज्य / केंद्रशासित प्रदेश को ऑक्सीजन की आपूर्ति के आवंटन को प्रदर्शित करता है। यह ऑक्सीजन की आपूर्ति के वास्तविक समय अपडेट प्रदर्शित करने के लिए एक तंत्र है जो प्रत्येक राज्य में प्रत्येक जिले के अस्पतालों में बचे शेष ऑक्सीजन के स्टॉक को बनाए रखा जा सकता है और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नागरिकों के साथ साझा किया जा सकता है। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि नागरिक उन अस्पतालों की आसानी से पहचान कर सकते हैं जहां आसानी से चिकित्सकीय सहायता प्राप्त की जा सकती है।

    (ii) सरकार एलएमओ की मांग को कम करने के लिए ऑक्सीजन सांद्रता के उपयोग पर योजना बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों को स्पष्ट करेगी जैसे कि एलएमओ को केवल महत्वपूर्ण रोगियों के लिए उपलब्ध जरूरी है। इन ऑक्सीजन सांद्रक के उत्पादन / आयात को बढ़ाने पर एक व्यापक योजना पर विचार किया जा सकता है।

    (iii) भारत के बाहर से प्राप्त होने वाली ऑक्सीजन / कंटेनरों की अपेक्षित आपूर्ति घरेलू उपलब्धता की कमी और कमी की प्रत्याशित वृद्धि को पूरा करने के लिए उपयुक्त होना चाहिए। लंबित वैश्विक निविदा पर उपलब्धता के अंतर को पाटने के लिए आयात जारी रखने की आवश्यकता पर निर्णय लिया जा सकता है।

    (iv) ऑक्सीजन / अन्य चिकित्सकीय सहायता उपकरण (जैसे जीएसटी से संबंधित मुद्दे, दस्तावेज) ले जाने वाले ट्रकों या टैंकरों की अंतर-राज्य यात्रा पर किसी भी प्रतिबंध की समीक्षा की जाएगी जो आवागमन में बाधा उत्पन्न करती है। केंद्र सरकार आपूर्ति टैंकरों को ट्रैक करने और मैप के लिए एक प्रणाली को लागू करने पर विचार कर सकती है जिससे संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की जा सकता है और आपात स्थिति के एक राज्य से दूसरे की तक संसाधनों की आपूर्ति में मददगार साबित होगा।

    केस का शीर्षक: महामारी के दौरान आवश्यक सेवाओं और चिकित्सकीय सहाय़ता का वितरण, स्वत: संज्ञान याचिका (सिविल) संख्या 3/2021

    कोरम: जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र

    CITATION: LL 2021 SC 236

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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