दिल्ली हाइकोर्ट ने जजों के लिए आवासीय आवास की उपलब्धता में तेजी लाने की याचिका पर नोटिस जारी किया
Amir Ahmad
4 May 2024 12:50 PM IST
दिल्ली हाइकोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों के लिए सरकारी आवासीय आवास की उपलब्धता में तेजी लाने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की खंडपीठ ने विधि एवं न्याय मंत्रालय, दिल्ली सरकार और महापंजीयक के माध्यम से भारत संघ से जवाब मांगा।
इस मामले की सुनवाई 16 जुलाई को होगी।
न्यायिक सेवा संघ द्वारा दायर याचिका में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ (I) बनाम भारत संघ और अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ(II) बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के संदर्भ में दिल्ली न्यायिक सेवाओं और दिल्ली उच्च न्यायिक सेवाओं में कार्यरत अधिकारियों के लिए आवास की उपलब्धता में तेजी लाने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया कि 18 अप्रैल तक राष्ट्रीय राजधानी में न्यायिक अधिकारियों की कुल कार्यरत संख्या 823 है। हालांकि न्यायिक पूल में केवल 347 आवासीय आवास उपलब्ध हैं।
इसमें कहा गया कि दिल्ली में लगभग आधे न्यायिक अधिकारियों को कोई आधिकारिक आवासीय आवास उपलब्ध नहीं कराया गया। उक्त आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि दिल्ली में न्यायिक अधिकारियों के लिए सरकारी आवास की उपलब्धता के मामले में वर्तमान स्थिति बहुत खराब है।
याचिका में आगे कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को सभी न्यायिक अधिकारियों को आधिकारिक आवासीय आवास उपलब्ध कराने के निर्देश के बावजूद दिल्ली में बड़ी संख्या में न्यायाधीशों को कोई आवासीय आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है।
याचिका में कहा गया कि ऐसे न्यायिक अधिकारियों को केवल अपर्याप्त HRA और अन्य भत्तों की सहायता से खुद की देखभाल करने के लिए छोड़ दिया गया।
याचिका में हरियाणा सरकार के सर्कुलर का उल्लेख किया गया, जिसके तहत आवासीय उद्देश्यों के लिए निजी भवनों या घरों को वहां न्यायिक अधिकारियों को आवासीय आवास उपलब्ध कराने के लिए किराए पर लिया जा रहा है या अधिग्रहित किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया,
"यह प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता एजेंसी और दिल्ली में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों को भी इसी तरह की राहत प्रदान की जा सकती है।"
केस टाइटल: न्यायिक सेवा संघ, दिल्ली बनाम भारत संघ और अन्य