हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए हाईकोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह

LiveLaw News Network

8 Dec 2020 9:31 AM IST

  • हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए हाईकोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह

    30 नवंबर से 4 दिसम्बर तक हाईकोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने पर आवेदक के खिलाफ आरोप पत्र दायर करना प्रथम दृष्टया कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोगः इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार (02 दिसंबर) को तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने के आरोप में आवेदक-अभियुक्त (मोहम्मद साद) के खिलाफ एक मामले में आगे की आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाते हुए कहा कि धारा 307 के तहत आवेदक के खिलाफ आरोप पत्र दायर करना प्रथम दृष्टया कानून की शक्ति का दुरुपयोग है। जस्टिस अजय भनोट की खंडपीठ आवेदक-अभियुक्त की याचिका पर सुनवाई कर रही थी‌, जिसने अदालत के समक्ष दलील दी कि भले ही जांच के दौरान एकत्र साक्ष्यों और एफआईआर को जस का तस लिया जाए तो भी आवदेक के खिलाफ किसी अपराध का खुलासा नहीं किया गया है।

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    उत्तराखंड उच्च न्यायालय राज्य भर में अधिवक्ताओं के आईटी कौशल को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा

    उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के तकनीकी रूप से "वंचित और अपूर्ण " वकीलों के कौशल को बढ़ाने के लिए एक आईटी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया है । ये कार्यक्रम राज्य के सभी तेरह जिलों में आयोजित किए जाएंगे, जो 4 दिसंबर, 2020 को शाम 5 बजे से शुरू होगा। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मालीमठ ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संकल्पना ऐसे अधिवक्ताओं की सहायता करने के उद्देश्य से की है, जो हालांकि इच्छुक हैं, लेकिन अपने न्यायालय के कामकाज में सूचना प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में असमर्थ रहे हैं।

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    COVID-19 से गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीआर उधवानी का निधन

    गुजरात हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीआर उधवानी का COVID​​-19 से शनिवार सुबह निधन हो गया। न्यायमूर्ति जीआर उधवानी COVID-19 से पीड़ित थे। 59 वर्षीय जस्टिस उधवानी को 12 नवंबर, 2012 को गुजरात हाईकोर्ट में एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 10 जुलाई, 2014 को उनकी नियुक्ती स्थायी न्यायाधीश के रूप में गई थी। 25 नवंबर, 1961 को जन्मे जस्टिस उधवानी ने वर्ष 1986 में अहमदाबाद के सर ला शाह लॉ कॉलेज से लॉ की डिग्री हासिल की। ​​30 जून, 1987 को उन्होंने बार काउंसिल ऑफ गुजरात में अपना नामांकन करवाया।

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    जब न्यूनतम सजा का वर्णन न किया गया हो, तो 60 दिन के भीतर आरोपपत्र दाखिल न होने पर अभियुक्त डिफॉल्ट बेल का हकदार होता है : दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्रकार राजीव शर्मा की जमानत मंजूर दी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने चीन के खुफिया विभाग को संवेदनशील सूचना लीक करने के आरोपों के तहत गिरफ्तार किए गए पत्रकार राजीव शर्मा की जमानत मंजूर कर ली है। कोर्ट ने कहा कि यदि आरोपी के खिलाफ 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दायर नहीं किया जाता है और जिस अपराध के तहत उसे गिरफ्तार किया गया है उसकी सजा की न्यूनतम अवधि कानून में वर्णित ना हो, तो संबंधित अभियुक्त डिफॉल्ट ज़मानत का हकदार होता है। इससे पहले राजीव शर्मा ने इस आधार पर डिफॉल्ट जमानत की अर्जी दाखिल की थी कि उनकी गिरफ्तारी के 60 दिन बीत चुके हैं और अभियोजन पक्ष की ओर से अभी तक आरोप पत्र दायर नहीं किए गए हैं। मजिस्ट्रेट ने इस अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इस मामले में आरोप पत्र दायर करने की अवधि 90 दिन है। कोर्ट ने सरकार की वह दलील स्वीकार कर ली थी कि चूंकि इस मामले में न्यूनतम सजा का वर्णन नहीं किया गया है और अधिकतम सजा 10 साल से अधिक है, इसलिए आरोप पत्र गिरफ्तारी के 60 दिन बाद, लेकिन 90 दिन से पहले दायर किया जा सकता है।

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    'कुछ कंडोम विज्ञापन पोर्न फिल्मों जितने अश्‍लील हैं': मद्रास हाईकोर्ट ने टीवी चैनलों को अश्लील विज्ञापनों का प्रसारण करने से रोका

    मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने यह कहते हुए कि न्याय के हित में बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक निर्देश जारी करने की आवश्यकता है, हाल ही में टीवी चैनलों पर अश्लील और भद्दे कार्यक्रमों और विज्ञापनों के प्रसारण के खिलाफ एक अंतरिम आदेश जारी किया। जस्टिस एन किरुबाकरन और जस्टिस बी पुगलेंधी की खंडपीठ ने कहा, "यह ध्यान देना घिनौना है कि टेलीविजन में, रात लगभग 10.00 बजे, लगभग सभी टेलीविजन चैनल कुछ विज्ञापनों का प्रसारण कर रहे हैं, जो कि कंडोम की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए अश्लीलता का प्रदर्शन करते हैं, जो वास्तव में, सभी उम्र के लोग देख रहे हैं और यह सभी टेलीविजन चैनल पर मौजूद है।"

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदी उपन्यासकार अनिल मोहन के उपन्यासों से ऑडियो बुक्स बनाने पर रोक लगाई

    दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रकाशकों (कुल 5) को वादी (अनिल मोहन भारद्वाज) के उपन्यास से ऑडियोबुक्स बनाने से रोक दिया है क्योंकि वादी ने दावा किया है कि उसके पास वैध काॅपीराइट है और उनकी लिखित सहमति के बिना ही ऐसा किया जा रहा है। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को वादी (अनिल मोहन) की लिखित सहमति के बिना, उपन्यासों को प्रकाशित करने या फिर से प्रकाशित करने से भी रोक दिया है।

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    प्रभाव में आकर बेटी के धार्मिक रूपांतरण का आरोप: मद्रास उच्च न्यायालय ने एक माँ द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका को खारिज किया

    मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक मां द्वारा दायर एक हैबियस कॉर्पस याचिका खारिज कर जो उसने प्रतिवादी संख्या 4 (साहुल हमीद) के प्रभाव के तहत अपनी बेटी के धार्मिक रूपांतरण का आरोप लगाते हुए लगायी थी। न्यायमूर्ति के कल्याणसुंदरम और न्यायमूर्ति टी कृष्णवल्ली की खंडपीठ ने बंदी के इस कथन को ध्यान में रखते हुए माँ की याचिका को खारिज कर दिया कि "वह चौथे प्रतिवादी को नहीं जानती है और अब उसने

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    CLAT अक्षम परीक्षार्थियों को वंचित समूह के स्थान पर रखता है, प्रतिभाशाली उम्मीदवारों का बहिष्करण करता है : जस्टिस चंद्रचूड़

    कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट, या सीएलएटी, जो कि कानूनी पेशे में प्रवेश बिंदु है, इनके बारे में बोलते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने बताया कि कैसे परीक्षा एक वंचित समूह में रखकर अक्षम परीक्षार्थियों की अनूठी चुनौतियों का ध्यान नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि कैसे परीक्षा के लिए नेत्रहीन उम्मीदवारों को दृश्य और स्थानिक समझ के प्रश्न लेने की आवश्यकता होती है, बिना किसी उपयुक्त प्रशिक्षण या उपयुक्त विकल्प के।

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    जो लोग जल निकायों को प्रदूषित कर रहे हैं, क्यों न उनके खिलाफ गुंडा कानून लगाया जाए: मद्रास उच्च न्यायालय

    मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए मद्रास उच्च न्यायालय (मदुरै बेंच) ने बुधवार (02 दिसंबर) को अमरावती नदी के प्रदूषण के बारे में एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान लिया और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA), करूर को नदी का निरीक्षण करने और रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एन. किरुबाकरण और न्यायमूर्ति बी. पुगलेंधी की खंडपीठ ने देखा, "भारत में अधिकांश जल निकायों, जिनमें बारहमासी नदियाँ शामिल हैं, प्रदूषित हैं। जल निकायों का प्रदूषण संपूर्ण भूमि का प्रदूषण है क्योंकि यह मानव, पशु, पक्षी, पौधों को प्रभावित करता है और जिससे पर्यावरण असंतुलन होता है।"

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    जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने 26 अधिवक्ताओं पर वरिष्ठ पदनाम दिया

    जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्ण न्यायालय ने बुधवार को 26 अधिवक्ताओं को "वरिष्ठ अधिवक्ता" के रूप में नामित किया। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, नीचे उल्लेख अधिवक्ताओं को वरिष्ठ पदनाम से सम्मानित किया गया है: 1.अभिनव शर्मा 2.अनिल भान 3.अब्दुल मजीद डार 4.मल राय जद 5.चंदर मोहन कूल 6. गगन बसोत्रा 7. जावेद अहमद कावोसा 8.मिर सैयद लतीफ 9.मोहम्मद अल्ताफ 10.मोहम्मद यूसुफ भट

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    वर्दीधारी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करना महत्वपूर्ण हैः कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 41ए का दुरुपयोग करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया

    आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए का दुरुपयोग करके एक नागरिक को परेशान करने का प्रयास करने के मामले में पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को संबंधित जांच अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट एक रंजीत डे की तरफ से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर विचार कर रही थी, जिसे एक अपराध के संबंध में अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने के लिए धारा 41 ए के तहत नोटिस दिया गया था।

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    क्या नामित वरिष्ठ अधिवक्ता की अनुपलब्धता किसी मामले पर स्थगन देने का आधार है? इलाहाबाद हाईकोर्ट करेगा जांच

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को नामित (Designated) वरिष्ठ अधिवक्ता की अनुपलब्धता के कारण स्थगन की मांग करने वाले वकील के अधिकार पर संदेह जताया। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ की राय थी कि वरिष्ठ अधिवक्ता, निर्देश देने वाले वकील के कहने पर उपस्थित होते हैं, इसलिए नामित वरिष्ठ वकील के उपस्थिति न होने पर स्थगन देने का कोई आधार नहीं हो सकता । इस स्थिति की विस्तार से जांच करने के लिए कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता शशि प्रकाश सिंह की सहायता से चंद्र प्रकाश यादव को वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम के साथ एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया है । इस मुद्दे पर 15 जनवरी 2021 को विचार किया जाएगा।

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    पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल ने किसान आंदोलन का समर्थन किया, 8 दिसंबर को भारत बंद के समर्थन में काम नहीं करने की घोषणा

    पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल ने किसान संगठनों की ओर से 8 दिसंबर को बुलाए गए 'भारत बंद' को समर्थन देने की घोषणा की। रविवार को जारी प्रेस नोट में में कहा गया है कि परिषद नए कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन में किसानों के साथ खड़ी है। परिषद ने बताया है कि कि पंजाब और हरियाणा के वकील पिछले दो महीनों से जारी किसान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। किसान अधिनियमों के बारे में बार काउंसिल ने केंद्र सरकार से हाल ही में संसद द्वारा पारित तीन किसान अधिनियमों को वापस लेने का भी अनुरोध किया है।

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    पति और पत्नी ने एक साथ मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

    मद्रास हाईकोर्ट में गुरुवार को एक पति और पत्नी को न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने के एक दुर्लभ अवसर को देखा गया। न्यायमूर्ति मुरली शंकर कठपुराजू और न्यायमूर्ति थम्सीलसेवी टी. वल्लापालयम ने आठ अन्य लोगों के साथ हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। ये दोनोंं पति पत्नी हैंं। महाधिवक्ता विजय नारायण ने नव-शपथ लेने वाले न्यायाधीशों का स्वागत भाषण देते हुए कहा कि यह पहली बार है कि पति और पत्नी को एक ही दिन मद्रास हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई है।

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    "लव जिहाद" के नाम पर यूपी और उत्तराखंड में लागू "धर्म परिवर्तन कानूनों" को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

    "लव जिहाद" के नाम पर धर्म परिवर्तन पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा पारित कानूनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका दिल्ली के वकील टविशाल ठाकरे, अभय सिंह यादव और प्रणवेश ने दायर की है जिन्होंने हाल ही में घोषित उत्तर प्रदेश गैर कानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अध्यादेश 2020 और उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2018 की संवैधानिकता को चुनौती दी है।

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    एचआईवी पॉजिटिव मरीज़ को सहमति के बिना संभोग करने के कारण हत्या के प्रयास का दोषी नहीं ठहराया जा सकताः दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (26 नवंबर) को फैसला सुनाया कि एक एचआईवी पॉजिटिव मरीज, य‌दि किसी महिला के साथ सहमति के बिना संभोग करता है, तो उसे आईपीसी की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। ज‌स्टिस विभू बाखरू की खंडपीठ ने आगे कहा कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति द्वारा असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर, जब ऐसे व्यक्ति को अपनी बीमारी की प्रकृति के बारे में पता चलता है; वह आईपीसी की धारा 270 के तहत दंडित किया जा सकता है।

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    CAA के विरोध में व्हाट्सएप स्टेटस: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अभियुक्त को अपनी काउन्सलिंग हेतु सामाजिक कार्यकर्ता के समक्ष उपस्थित होने की शर्त पर जमानत दी

    मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गुरूवार (26 नवंबर) को एक याचिकाकर्ता (अनवर) को जमानत दे दी जिसके खिलाफ यह आरोप है कि उसने अपने व्हाट्सएप पर कथित रूप से एक धार्मिक सौहार्द्रता और लोक शांति को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाला स्टेटस लगाया था। न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता (अनवर) को इस शर्त पर जनमत दी की वह माह फरवरी, मार्च व् अप्रैल 2021 के प्रथम सप्ताह में अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती रश्मि पाण्डेय के समक्ष काउन्सलिंग के लिए उपस्थित रहेगा और उनके दिए निर्देशों का पालन करेगा।

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    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने डीएलएसए (DLSA) को 14 साल की बलात्कार पीड़िता को अंतरिम मुआवजा देने और समय-समय पर उसकी काउंसलिंग करने के निर्देश दिए

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार (25 नवंबर) को सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA), मेवात, नूंह और साथ ही सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, फरीदाबाद को 14 साल की पीड़िता को अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान की खंडपीठ ने नूंह में डीएलएसए, मेवात को एक महिला काउंसलर नियुक्त करने का भी निर्देश दिया, जो समय-समय पर पुनर्वास के लिए नाबालिग पीड़िता की काउंसलिंग करेगी और उसकी स्वास्थ्य स्थिति का ध्यान रखेगी क्योंकि वह बहुत(14 वर्ष की कम आयु) ही कम उम्र में माँ बन गई है।

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    एमनेस्टी इंडिया के खातों को फ्रीज करने के लिए बैंकों को निर्देश देने के ईडी के कानूनी अधिकार क्या हैं? कर्नाटक हाईकोर्ट ने पूछा

    कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को यह बताने का निर्देश दिया है कि किस अधिकार के तहत उसने बैंकों को पत्र लिखकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंडिया के कार्यालयों (मेसर्स इंडियंस फॉर एमनेस्टी इंटरनेशनल ट्रस्ट) के बैंक खातों को फ्रीज करने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति पी एस दिनेश कुमार की एकल पीठ ने ईडी के वकील से पूछा : ''कानून के किस प्रावधान का इस्तेमाल करके उसने बैंकों को पत्र लिखा है? आदेश की प्रति भी याचिकाकर्ता को नहीं दी गई। आपके पास अधिकार के कुछ स्रोत तो होने चाहिए, इस प्रश्न का विशेष उत्तर दें।''

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    सहमति से वयस्कों के बीच लिव-इन संबंध अपराध नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

    यह देखते हुए कि दो सहमति वाले वयस्कों के बीच लिव-इन संबंध कोई अपराध नहीं है, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक दंपति को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जो एक साथ रहना चाहते थे। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह कानून है कि जहां एक लड़का और लड़की अपनी स्वतंत्र इच्छा के साथ रह रहे हैं, फिर उनके माता-पिता सहित किसी को भी उनके साथ रहने में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने कहा,

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    मास्क न पहनने वाले लोगों को COVID केयर सेंटर में सामुदायिक सेवा करनी होगीः गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार (02 दिसंबर) को गुजरात सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक नीति या आदेश जारी करें, जिसमें सभी को निर्देश दिया जाए कि जो भी लोग फेस कवर/ मास्क के बिना पकड़े जाए, उनको अनिवार्य रूप से सामुदायिक सेवा के लिए COVID19 देखभाल केंद्रों में भेज दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने उपरोक्त निर्देश जारी किया है क्योंकि इस मामले में राज्य सरकार ने अदालत के समक्ष कहा था कि वह सामाजिक सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघनकर्ताओं या फेस कवर/मास्क न पहनने वालों को COVID केंद्रों में सामुदायिक सेवा देने के लिए बाध्य करने की इच्छुक नहीं है।

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने और अधीनस्थ न्यायालयोंं द्वारा पारित अंतरिम आदेशों को 5 जनवरी तक बढ़ाया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार (01 दिसंबर) को अपने द्वारा पारित और अधीनस्थ न्यायालयों / न्यायाधिकरणों द्वारा पारित अंतरिम आदेशों की कार्रवाई को मंगलवार (05 जनवरी) तक बढ़ा दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमश्री की खंडपीठ ने पारित किया है। अदालत ने कहा कि, "आज की स्थिति 20.10.2020 के समान है, जब पिछला आदेश पारित किया गया था।" इससे पहले उच्च न्यायालय ने सभी अंतरिम आदेश मंगलवार (01 दिसंबर) तक बढ़ा दिए थे। अब इस आदेश ने मंगलवार (05 जनवरी) तक अंतरिम आदेशों के संचालन को और बढ़ा दिया है।

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    पूर्व जज सीएस कर्णन को अपमानजनक वीडियो के कारण चेन्नई पुलिस ने गिरफ्तार किया

    चेन्नई पुलिस ने बुधवार को मद्रास और कलकत्ता उच्च न्यायालयों के पूर्व जज सीएस कर्णन को गिरफ्तार कर ‌लिया। चेन्नई पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा ने पूर्व जज को , एक ऑनलाइन वीडियो के कारण गिरफ्तार किया है, जिसमें उन्होंने जजों को गाली दी ‌‌थी और जजों की पत्न‌ियों को रेप की धमकियां दी थी। मद्रास उच्च न्यायालय ने कल पुलिस महानिदेशक और चेन्नई पुलिस आयुक्त को 7 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर कर्णन के खिलाफ जांच की प्रगति से पीठ को अवगत कराने का निर्देश दिया था।

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    कलकत्ता हाईकोर्ट ने राहत वितरण कार्य में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों के बीच अम्फान राहत फंड के कैग ऑडिट का आदेश दिया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार (01 दिसंबर) को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) को निर्देश दिया कि वे अम्फान साइक्लोन से संबंधित राहत वितरण कार्यों में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोपों का ऑडिट करें। मुख्य न्यायाधीश थोट्टाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिनमें पश्चिम बंगाल राज्य में अम्फान से प्रभावित होने वाले लोगों को राहत प्रदान करने के विभिन्न तरीकों के बारे में भ्रष्टाचार की शिकायतें की जा रही है।

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    सांसदों/विधायकों के खिलाफ मामलाः कर्नाटक हाईकोर्ट ने गवाह संरक्षण योजना के क्रियान्वयन का निर्देश दिया

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर एक सक्षम प्राधिकारी का गठन करने के लिए एक आदेश जारी करने का निर्देश दिया, जिसे गवाह संरक्षण योजना, 2018 में निर्धारित किया गया है और ‌सुप्रीम कोर्ट ने जिसका अनुमोदन किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 दिसंबर, 2018 को महेंद्र चावला बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में, गवाह संरक्षण योजना, 2018 को मंजूरी दी थी, जिसे भारत सरकार ने तैयार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उक्त योजना को लागू करने का निर्देश दिया था।

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    प्रेम का समर्थनः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महीने में अंतर-धार्मिक या अंतर-जातीय विवाह के 125 जोड़ों को सुरक्षा दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नवंबर महीने में अंतर-विश्वास या अंतर-जातीय विवाह के सौ से अधिक जोड़ों को राहत दी है। हाईकोर्ट के फैसलों के सर्वेक्षण से यह जानकारी सामने आई है। पिछले महीने 117 मामलों में पारित आदेशों में, हाईकोर्ट ने संबंधित जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से उन जोड़ों की शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए कहा, जो जाति / धर्म के बाहर शादी करने पर रिश्तेदारों से जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरे का सामना कर रहे थे। रिट याचिकाओं का निस्तारण एसएसपी से संपर्क करने की अनुमति देकर और एसएसपी को वयस्कता, विवाह आदि से संबंधित तथ्यों को सत्यापित करने के बाद शिकायत पर कानून के अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश देकर किया गया था।

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    तेलंगाना उच्च न्यायालय ने अंतिम बार सभी अंतरिम आदेश आगे बढ़ाए

    तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार (25 नवंबर) को इस अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के साथ-साथ जिला और अन्य अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा पारित सभी अंतरिम आदेशों पर कार्रवाई 11 दिसंबर तक आगे बढ़ा दी। मौजूदा असाधारण परिस्थितियों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए तेलंगाना उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने 25 नवंबर के उक्त आदेश जारी करते हुए 11 दिसंबर 2020 तक हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेशों को आगे बढ़ाया। इससे पहले पीठ ने अपने अंतरिम आदेशों को 30 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया था।

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    एससी/एसटी आयोग के लिए अध्यक्ष नियुक्त करने में आपको कितना समय लगेगा? कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा

    कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 2018 से खाली चल रहे कर्नाटक राज्य अनुसूची जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग में अध्यक्ष पद की नियुक्ति करने के बारे में 8 दिसंबर तक जवाब दें। मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति एस विश्वामित्र शेट्टी की खंडपीठ ने कहा: "राज्य को उक्त नियुक्ति पर अधिकतम समय सीमा के बारे में अगली तारीख पर जवाब देना चाहिए जिसके भीतर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी।

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    जाति या धर्म का ध्यान किए बिना अपनी पंसद के व्यक्ति से शादी करना,एक मौलिक अधिकार : कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने माना है कि किसी भी बालिग व्यक्ति द्वारा अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार भारत के संविधान के तहत मिला एक मौलिक अधिकार है। न्यायमूर्ति एस सुजाता और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ के समक्ष एक वजीद खान की तरफ से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर उसकी प्रेमिका राम्या को मुक्त कराने की मांग की गई थी। खंडपीठ ने इस याचिका का निपटारा करते हुए कहा किः ''यह अच्छी तरह से तय है कि किसी भी बालिग व्यक्ति का अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार भारत के संविधान के तहत मिला एक मौलिक अधिकार है और व्यक्तिगत संबंधों (धर्म या जाति का ध्यान किए बिना) से संबंधित दो व्यक्तियों को मिली इस स्वतंत्रता पर किसी के द्वारा भी अतिक्रमण नहीं की जा सकता है।''

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    पुलिस के खिलाफ खबरें प्रकाशित करने भर से पुलिस में असंतोष नहीं पैदा होगा, ना ही उन्हें सरकार के खिलाफ उकसाएगा: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने सोमवार (23 नवंबर) को फैसला सुनाया कि एक पुलिस अधिकारी पर लगा आरोप कि वह आपराधिक गतिविधियों में शामिल था और इस संबंध में समाचार रिपोर्ट प्रकाशित करवाना, सरकार के खिलाफ कार्रवाई के लिए उकसाती नहीं है। पुलिस (इन्साइटमन्ट टू ड‌िसफेक्‍शन) एक्ट, 1922 की धारा तीन के अर्थों में)। जस्टिस टीवी नलवाडे और जस्टिस श्रीकांत डी कुलकर्णी की खंडपीठ ने आवेदक की याचिका को अनुमति देते हुए उसके खिलाफ पुलिस (इन्साइटमन्ट टू ड‌िसफेक्‍शन) एक्ट, 1922 की धारा तीन के तहत दर्ज मामले को रद्द कर दिया।

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    चेक बाउंस का मामलाः विशेष आरोपों का उल्लेख किया जाए, यह आरोप पर्याप्त नहीं कि अभियुक्त कंपनी का सीईओ या निदेशक थाः दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के एक मामले में एक कंपनी की पूर्व सीईओ के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने माना कि पूर्व सीईओ के खिलाफ न तो लेनदेन के मामले में और न ही कंपनी के बिजनेस में उसकी कथित भूमिका के बारे में कोई विशेष आरोप लगाए गए है। ऐसे में उसके खिलाफ चेक बाउंस के मामले में दायर शिकायत खारिज करने योग्य है। न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की एकल पीठ ने कहा कि यह कानून है कि किसी कंपनी में एक अधिकारी का पदनाम ही केवल उस अधिकारी को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट (एनआई अधिनियम) की धारा 138 के तहत किसी मामले में उत्तरदायी बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

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    पुलिस के खिलाफ खबरें प्रकाशित करने भर से पुलिस में असंतोष नहीं पैदा होगा, ना ही उन्हें सरकार के खिलाफ उकसाएगा: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने सोमवार (23 नवंबर) को फैसला सुनाया कि एक पुलिस अधिकारी पर लगा आरोप कि वह आपराधिक गतिविधियों में शामिल था और इस संबंध में समाचार रिपोर्ट प्रकाशित करवाना, सरकार के खिलाफ कार्रवाई के लिए उकसाती नहीं है। पुलिस (इन्साइटमन्ट टू डिसफेक्‍शन) एक्ट, 1922 की धारा तीन के अर्थों में)। जस्टिस टीवी नलवाडे और जस्टिस श्रीकांत डी कुलकर्णी की खंडपीठ ने आवेदक की याचिका को अनुमति देते हुए उसके खिलाफ पुलिस (इन्साइटमन्ट टू डिसफेक्‍शन) एक्ट, 1922 की धारा तीन के तहत दर्ज मामले को रद्द कर दिया।

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