सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

13 Aug 2023 6:30 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (07 अगस्त, 2023 से 11 अगस्त, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

    आबकारी अधिनियम| अपराध की सूचना प्राप्त करने वाला या घटना का पता लगाने वाला व्यक्ति इसकी जांच कर सकता है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केरल आबकारी अधिनियम के तहत एक दोषसिद्धि को बरकरार रखा और कहा कि आधिकारिक गवाहों की गवाही को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि स्वतंत्र गवाहों की जांच नहीं की गई थी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा, "अपराध की जानकारी प्राप्त करने वाला या उसके घटित होने का पता लगाने वाला व्यक्ति उसकी जांच कर सकता है।"

    केस टाइटलः सत्यन बनाम केरल राज्य | 2023 लाइव लॉ (एससी) 627 | 2023 आईएनएससी 703

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    पश्चिम बंगाल राज्य में पंचायत चुनावों में अपने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करने की एनएचआरसी की मांग सही नहीं, यह एसईसी की एकमात्र जिम्मेदारी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसने पश्चिम बंगाल राज्य में पंचायत चुनावों के लिए एनएचआरसी के अपने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के फैसले को रद्द कर दिया था।

    कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 23 जून को एनएचआरसी के निर्देश को रद्द कर दिया था और 5 जुलाई को एक खंडपीठ ने इसकी पुष्टि की थी। आयोग ने व्यापक हिंसा पर मीडिया रिपोर्टों के आधार पर 2023 पंचायत चुनाव के दौरान "मानव अधिकारों की रक्षा के लिए" पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की मांग की थी।

    केस : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग और अन्य, एसएलपी (सी) संख्या 16053/2023

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    जब आरोपी इस आधार पर एफआईआर को रद्द करने की मांग करता है कि यह व्यक्तिगत प्रतिशोध पर आधारित है, तो सहायक परिस्थितियों को अवश्य देखा जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक आपराधिक एफआईआर को रद्द करते हुए जरूरी टिप्पणियां कीं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां एफआईआर को रद्द करने की मांग की जाती है, अनिवार्य रूप से इस आधार पर कि कार्यवाही व्यक्तिगत प्रतिशोध लेने के गुप्त उद्देश्य पर आधारित है, "ऐसी परिस्थितियों में न्यायालय का कर्तव्य है कि वह एफआईआर को सावधानी से और थोड़ा अधिक ध्यान से देखे।"

    न्यायालय ने कहा, "हम ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि एक बार जब शिकायतकर्ता व्यक्तिगत प्रतिशोध आदि के लिए किसी गुप्त उद्देश्य से आरोपी के खिलाफ आगे बढ़ने का फैसला करता है, तो वह यह सुनिश्चित करेगा कि एफआईआर/शिकायत सभी आवश्यक दलीलों के साथ बहुत अच्छी तरह से तैयार की गई है।

    केस डिटेलः सलिब @ शालू @ सलीम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य | 2023 लाइव लॉ (एससी) 618 | 2023 आईएनएससी 687

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    सत्र न्यायालय का यह कर्तव्य कि हत्या के आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले वह खुद को संतुष्ट करे कि मामला गैर इरादतन हत्या का है या नहींः सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि सत्र न्यायालय का कर्तव्य है कि वह हत्या के आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले खुद को संतुष्ट करे कि गैर इरादतन हत्या का मामला बनता है या नहीं।

    अभियोजन पक्ष का मामला यह था कि आरोपी ने दो अगस्त 2011 को लगभग 08:30 बजे अपने बेटे को जगाया और उससे सिगरेट लाइटर खरीदने को कहा, जिसके बाद वहां विवाद हुआ और आरोपी ने बेटे पर हमला कर दिया, जिससे बेटे की मौत हो गई। इस मामले में आरोपी को दोषी ठहराया गया। केरल हाईकोर्ट ने उसकी अपील भी खारिज कर दी।

    केस टाइटलः शाजी बनाम केरल राज्य | 2023 लाइव लॉ (एससी) 625 | सीआरए 2293/2023

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    मणिपुर - 'सांप्रदायिक संघर्ष में भीड़ अधीनता का मैसेज देने के लिए यौन हिंसा करती है; राज्य इसे रोकने के लिए बाध्य है': सुप्रीम कोर्ट

    शीर्ष अदालत ने मणिपुर में सांप्रदायिक संघर्ष के दौरान जिस तरह से महिलाओं को यौन हिंसा के गंभीर कृत्यों का शिकार बनाया गया है, उस पर अपनी पीड़ा व्यक्त की। न्यायालय ने कहा: "महिलाओं को यौन अपराधों और हिंसा के अधीन करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह गरिमा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता के संवैधानिक मूल्यों का गंभीर उल्लंघन है, जो सभी संविधान के भाग III के तहत मूल मौलिक अधिकारों के रूप में संरक्षित हैं। भीड़ आमतौर पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सहारा लेती है। कई कारणों से, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि यदि वे एक बड़े समूह के सदस्य हैं तो वे अपने अपराधों के लिए सज़ा से बच सकते हैं।"

    केस टाइटल: डिंगांगलुंग गंगमेई बनाम मुतुम चुरामणि मीतेई और अन्य | 2023 लाइव लॉ (एससी) 626 | 2023 आईएनएससी 698

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    स्पोर्ट्स कोटा में दाखिले के लिए 75% योग्यता शर्त 'गैर-जरूरी और भेदभावपूर्ण': सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (9 अगस्त) को कहा कि स्पोर्ट्स कोटा के माध्यम से प्रवेश के लिए पीईसी (पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज) प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा ली गई योग्यता परीक्षा में न्यूनतम 75% की आवश्यकता यानी छात्रों के प्रवेश का 2% भेदभावपूर्ण' और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ का विचार था कि स्पोर्ट्स कोटा का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों में खेल और खेल कौशल को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना है।

    केस : देव गुप्ता बनाम पीईसी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, एसएलपी (सिविल) संख्या 15774/ 2023 से उत्पन्न सिविल अपील संख्या ... 2023

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    'महिलाओं के खिलाफ चार मई से हुई हिंसा की जांच करें': सुप्रीम कोर्ट ने तीन महिला जजों की समिति के आदेश के बारे में बताया

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (10 अगस्त) देर रात मणिपुर जातीय हिंसा के संबंध में सुनाया फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सोमवार (7 अगस्त) को पीड़ितों के लिए मानवीय कार्यों की निगरानी के लिए तीन महिला जजों का पैनल गठित करने और आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी के लिए अन्य राज्यों के अधिकारियों को नियुक्त करने की अपनी योजना का संकेत दिया।

    केस टाइटल: डिंगांगलुंग गंगमेई बनाम मुतुम चुरामणि मीतेई और अन्य | लाइव लॉ (एससी) 626/2023 | आईएनएससी 698/2023

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    धारा 482 सीआरपीसी | आरोपी के आपराधिक इतिहास ही आपराधिक कार्यवाही रद्द करने से इनकार का एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करने के लिए आरोपी के आपराधिक इतिहास को ही एकमात्र आधार नहीं माना जा सकता। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, "किसी अभियुक्त को अदालत के सामने यह कहने का वैध अधिकार है कि उसका इतिहास कितना भी बुरा क्यों न हो, फिर भी यदि एफआईआर किसी अपराध के घटित होने का खुलासा करने में विफल रहती है या उसका मामला भजन लाल (सुप्रा) मामले में इस न्यायालय द्वारा निर्धारित मापदंडों में से एक के अंतर्गत आता है, तो अदालत को केवल इस आधार पर आपराधिक मामले को रद्द करने से इनकार नहीं करना चाहिए कि आरोपी एक हिस्ट्रीशीटर है।"

    मोहम्मद वाजिद बनाम उत्तर प्रदेश राज्य | 2023 लाइव लॉ (SC) 624 | 2023 INSC 683

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    जब सरकारी भूमि पर प्रतिकूल कब्जे का दावा किया जाता है, तो अदालतों को अधिक सावधानी से कार्य करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान राज्य बनाम हरफूल सिंह (2000) 5 एससीसी 652 के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा कि जब विवादित भूमि, जिस पर प्रतिकूल कब्जे का दावा किया गया है, सरकार की है तो कोर्ट की जांच की प्रकृति अधिक गंभीर एवं प्रभावी होना चाहिए।

    कोर्ट ने कहा, "जब कार्यवाही में शामिल भूमि , जिस पर प्रतिकूल कब्जे का दावा किया गया है, सरकार का है तो न्यायालय अधिक गंभीरता, प्रभावशीलता और सावधानी के साथ कार्य करने के लिए बाध्य है क्योंकि इससे अचल संपत्ति में राज्य का अधिकार/स्वामित्व नष्ट हो सकता है।"

    केस टाइटल: केरल सरकार और अन्य बनाम जोसेफ और अन्य, सिविल अपील 3142/2010

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    गुजरातः पूर्व एएसजी और सीनियर एडवोकेट आईएच सैयद के ‌ख़िलाफ़ एफआईआर रद्द; सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हलफ़नामे में शिकायतकर्ता ने माना कि आरोप ग़लत धाराणाओं पर आधारित

    सुप्रीम कोर्ट ने एक साल से अधिक चली कानूनी लड़ाई के बाद हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट में नामित सीनियर एडवोकेट और पूर्व सहायक सॉलिसिटर-जनरल इकबाल हसन अली सैयद के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी। अहमदाबाद स्थित व्यवसायी विरल शाह की शिकायत पर सैयद पर पांच अन्य लोगों के साथ, चोट पहुंचाने, आपराधिक धमकी, जबरन वसूली, गलत तरीके से कैद करने आदि के आरोप लगाए गए थे।

    जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 के तहत सैयद की ओर से एफआईआर रद्द करने के लिए दायर याचिका को ख़ारिज करने के गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय के ‌ख़िलाफ़ अपील को अनुमति दे दी।

    केस डिटेलः इकबाल हसनअली सैयद बनाम गुजरात राज्य और अन्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 9651/2023

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    बिलकिस बानो केस सुनवाई - सजा में छूट प्रशासनिक आदेश है, आपराधिक मामलों में तीसरे पक्ष की मिसाल इसमें लागू नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट

    सीनियर एडवोकेट ऋषि मल्होत्रा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जनहित याचिका में सजा में छूट के आदेशों को चुनौती देने के लिए तीसरे पक्ष को अनुमति देना 'मुकदमेबाजी का द्वार' खोलकर एक 'खतरनाक मिसाल' स्थापित करेगा। उन्होंने बिलकिस बानो के बलात्कारियों की समयपूर्व रिहाई के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के सुनवाई योग्य होने पर प्रारंभिक आपत्ति जताई।

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ गुजरात में 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान कई हत्याओं और हिंसक यौन उत्पीड़न के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों को छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। पिछले साल, स्वतंत्रता दिवस पर, राज्य सरकार द्वारा सजा माफ करने के उनके आवेदन को मंज़ूरी मिलने के बाद दोषियों को रिहा कर दिया गया था।

    केस टाइटल- बिलकिस याकूब रसूल बनाम भारत संघ एवं अन्य। | रिट याचिका (आपराधिक) नंबर 491 / 2022

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    किसी व्यक्ति को शिकायत/ एफआईआर वापस लेने या विवाद सुलझाने के लिए धमकी देने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 195ए नहीं लगेगी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति को शिकायत या एफआईआर वापस लेने या विवाद सुलझाने के लिए धमकी देने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 195ए नहीं लगेगी। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि धारा 195ए का बाद वाला हिस्सा यह स्पष्ट करता है कि झूठे साक्ष्य का मतलब अदालत के समक्ष झूठा साक्ष्य देना है।

    सलिब @ शालू @ सलीम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य | 2023 लाइव लॉ (SC) 618 | 2023 INSC 687

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    अगर अभियुक्तों को पहले ही पुलिस स्टेशन में गवाहों के दिखाया गया है तो परीक्षण पहचान परेड की पवित्रता संदिग्ध: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर किसी मामले को साबित करने के सिद्धांतों को दोहराया। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि परिस्थितयों को स्‍थापित "अवश्य होना चाहिए/होना चाहिए" न कि "शायद" स्थापित होना चाहिए।

    इन्हीं टिप्पणियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा हत्या के आरोपी 3 व्यक्तियों को दी गई दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया गया। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी।

    केस टाइटल: कमल बनाम दिल्ली राज्य (एनसीटी)।

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    बीमा कंपनियों को प्रामाणिक और उचित तरीके से व्यवहार करना चाहिए, केवल अपने फायदे की परवाह नहीं करनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बीमा कंपनी से यह उम्मीद की जाती है कि वह बीमाधारक के साथ वास्तविक और निष्पक्ष व्यवहार करेगा, न कि केवल अपने मुनाफे की परवाह करेगा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा, "बीमा कंपनी का यह कर्तव्य है कि वह अपनी जानकारी में मौजूद सभी भौतिक तथ्यों का खुलासा करे, क्योंकि सद्भावना का दायित्व दोनों पर समान रूप से लागू होता है।"

    केस टाइटलः इस्नार एक्वा फार्म्स बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड | 2023 लाइव लॉ (एससी) 615 | 2023 आईएनएससी 680

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    राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मचारी 'लोक सेवक', लेकिन सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सुरक्षा उसे उपलब्ध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीयकृत बैंक में कार्यरत व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 197 की सुरक्षा उपलब्ध नहीं है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 197 केवल उन मामलों में लागू होती है, जहां लोक सेवक ऐसा होता है, जिसे सरकार की अनुमति के बिना सेवा से हटाया नहीं जा सकता है।

    मौजूदा मामले में आरोपी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ओवरसीज बैंक, हैदराबाद में सहायक महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने अन्य सह-अभियुक्तों के साथ मिलकर मेसर्स स्वेन जेनेटेक लिमिटेड, सिकंदराबाद के पक्ष में 22.50 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट ऋण स्वीकृत करके बैंक को धोखा देने की साजिश रची।

    केस टाइटल: ए. श्रीनिवास रेड्डी बनाम राकेश शर्मा | 2023 लाइव लॉ (एससी) 614 | 2023 आईएनएससी 682

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    धारा 19 पीएमएलए का अनुपालन न करना गिरफ्तारी को निष्फल कर देगा; मजिस्ट्रेट सुनिश्चित करे कि ईडी गिरफ्तारी प्रक्रिया का पालन करे

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 19 (गिरफ्तारी की शक्ति) के आदेश का अनुपालन न करने पर गिरफ्तारी ही निष्फल हो जाएगी। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हिरासत को चुनौती देने वाली तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि: “पीएमएलए, 2002 की धारा 19 के आदेश का कोई भी गैर-अनुपालन गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के लाभ के लिए होगा। ऐसे गैर-अनुपालन के लिए, सक्षम न्यायालय के पास पीएमएलए, 2002 की धारा 62 के तहत कार्रवाई शुरू करने की शक्ति होगी।"

    केस : वी सेंथिल बालाजी बनाम राज्य, उप निदेशक और अन्य द्वारा प्रतिनिधित्व , आपराधिक अपील संख्या 2284-2285/ 2023

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    सीआरपीसी की धारा 41ए पीएमएलए के तहत की गई गिरफ्तारी पर लागू नहीं होती: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हिरासत को चुनौती देने वाली तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 41ए (पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थिति का नोटिस) धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत की गई गिरफ्तारी पर लागू नहीं होगी। कोर्ट ने कहा, "सीआरपीसी, 1973 की धारा 41ए का पीएमएलए 2002 के तहत की गई गिरफ्तारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।"

    केस : वी. सेंथिल बालाजी बनाम. उप निदेशक और अन्य द्वारा प्रतिनिधित्व राज्य, आपराधिक अपील नंबर 2284-2285/2023

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    सीआरपीसी की धारा 167 के तहत 'हिरासत' में सिर्फ पुलिस ही नहीं, बल्कि ईडी जैसी अन्य जांच एजेंसियों की हिरासत भी शामिल : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 167 के तहत 'हिरासत' में केवल पुलिस ही नहीं बल्कि प्रवर्तन निदेशालय जैसी अन्य जांच एजेंसियों की हिरासत भी शामिल है। जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हिरासत को चुनौती देने वाली तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

    केस टाइटल : वी. सेंथिल बालाजी बनाम. उप निदेशक और अन्य द्वारा प्रतिनिधित्व राज्य, आपराधिक अपील नंबर 2284-2285/2023

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    ईडी के खिलाफ अवैध गिरफ्तारी का आरोप लगाने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट सुनवाई योग्य नहीं, याचिका मजिस्ट्रेट के समक्ष उठाई जाए : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हिरासत को चुनौती देने वाली तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ईडी द्वारा अवैध गिरफ्तारी के आरोप पर बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट सुनवाई योग्य नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अवैध गिरफ्तारी के संबंध में याचिका संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष की जानी चाहिए, क्योंकि हिरासत न्यायिक हो जाती है। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की खंडपीठ ने कहा कि जब अन्य वैधानिक उपाय उपलब्ध हों तो बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट जारी नहीं होगी।

    केस टाइटल : वी. सेंथिल बालाजी बनाम. उप निदेशक और अन्य द्वारा प्रतिनिधित्व राज्य, आपराधिक अपील नंबर। 2284-2285/2023

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    वैध प्राधिकारी के समक्ष सद्भावना से की गई शिकायत में लगाए गए आरोप मानहानि का अपराध आकर्षित नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी शिकायत में मानहानिकारक आरोप लगाने के आरोपी एक व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का मामला रद्द कर दिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ आरोप की विषय-वस्तु के संबंध में उस व्यक्ति पर कानूनी अधिकार रखने वाले लोगों में से किसी के खिलाफ सद्भावना में आरोप लगाना मानहानि नहीं है।

    मामले का विवरण : किशोर बालकृष्ण नंद बनाम महाराष्ट्र राज्य | 2023 लाइव लॉ (एससी) 602 | 2023 आईएनएससी 675

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    केंद्रीय सिविल सर्विस नियम | अनुशासनात्मक कार्यवाही में सेवानिवृत्त कर्मचारी को जांच प्राधिकारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि केंद्रीय सिविल सर्विस नियमों के तहत अनुशासनात्मक प्राधिकारी को सेवानिवृत्त कर्मचारी को जांच प्राधिकारी के रूप में नियुक्त करने का अधिकार है। यह आवश्यक नहीं है कि जांच अधिकारी लोक सेवक ही हो। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ओडिशा एचसी के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रवि मलिक बनाम राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम पर भरोसा करते हुए कहा गया कि सेवानिवृत्त लोक सेवक को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

    केस टाइटल: भारत संघ बनाम जगदीश चंद्र सेठी

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    यूएपीए - 'वटाली' मिसाल लागू नहीं होगी अगर सतही स्तर पर विश्लेषण के साक्ष्य कमजोर हैं : सुप्रीम कोर्ट

    ऐसा लगता है कि भीमा कोरेगांव के आरोपियों और एक्टिविस्ट वरनन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत अदालत की जमानत देने की शक्तियों की अन्यथा अडिग व्याख्या में एक महत्वपूर्ण अपवाद बना दिया है, जो जहूर अहमद वटाली फैसले से प्रवाहित होता है

    मामले का विवरण- वरनन बनाम महाराष्ट्र राज्य | आपराधिक अपील संख्या 639/ 2023

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    एनसीटी दिल्ली में सभी बीएस VI डीजल अनुपालित वाहनों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाल के आदेश में स्पष्ट किया है कि सभी बीएस VI अनुपालन वाले डीजल वाहनों का रजिस्ट्रेशन एनसीटी दिल्ली में करने की अनुमति है, भले ही जी -20 शिखर सम्मेलन के लिए उनकी आवश्यकता कुछ भी हो।

    जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, “आदेश को पढ़ने से ऐसा प्रतीत होता है कि आदेश उपरोक्त शर्तों में पारित किया गया है, लेकिन एमिकस क्यूरी का मानना है कि पहले पारित निर्देशों के अनुसार रजिस्ट्रेशन का इससे कोई संबंध नहीं है। बीएस VI वाहन और इस प्रकार ऐसे सभी वाहन रजिस्टर्ड किए जा सकते हैं।

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