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याचिकाओं में पेज लिमिट पर सभी के लिए एक उपयुक्त निर्देश पारित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
याचिकाओं में पेज लिमिट पर 'सभी के लिए एक उपयुक्त' निर्देश पारित नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक जनहित याचिका (पीआईएल) का निपटारा कर दिया, जिसमें अदालत में दायर याचिकाओं में पेज संख्या सीमित करने की मांग की गई थी। शीर्ष न्यायालय ने हालांकि कहा कि याचिकाकर्ता की चिंता 'प्रशंसनीय' है, लेकिन न्यायालय का विचार है कि 'सभी के लिए एकउपयुक्त' निर्देश जारी करना उचित नहीं होगा।शीर्ष अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया और याचिकाकर्ता के लिए यह खुला छोड़ दिया कि वह मामलों के शीघ्र निपटान के लिए किसी भी 'ठोस' सुझाव पर सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल से संपर्क कर सकता...

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के लिए बड़ी घोषणाएं कीं,  27 नए कोर्ट रूम, वकीलों के लिए अतिरिक्त सुविधाएं
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के लिए बड़ी घोषणाएं कीं, 27 नए कोर्ट रूम, वकीलों के लिए अतिरिक्त सुविधाएं

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के विस्तार के लिए प्रमुख योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने घोषणा की कि इस परियोजना को दो चरणों में पूरा करने की परिकल्पना की गई है। योजना में 27 नए कोर्ट रूम और 4 रजिस्ट्रार कोर्ट रूम और वकीलों और वादियों के लिए अतिरिक्त सुविधाएं शामिल हैं। सीजेआई ने कहा, " हमें प्राथमिकता के आधार पर अपने बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत है ।"सीजेआई ने यह भी कहा...

स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णय उपलब्ध कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया
स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णय उपलब्ध कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में सुप्रीम कोर्ट को फैसलों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध करवाने के लिए धन्यवाद दिया। पीएम ने कहा, "मैं भारत के सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फैसले का ऑपरेटिव हिस्सा कोर्ट में आने वाले पक्षकार की भाषा में उपलब्ध कराया जाएगा। आज मातृभाषा का महत्व बढ़ रहा है।" .भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों के बीच उपस्थित थे। उन्होंने...

गवाहों के बयानों की सत्यता सीआरपीसी की धारा 482 की कार्यवाही में तय नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट
गवाहों के बयानों की सत्यता सीआरपीसी की धारा 482 की कार्यवाही में तय नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार करते समय हाईकोर्ट आरोप पत्र में अभियोजन पक्ष द्वारा रखी गई सामग्री की शुद्धता या अन्यथा पर नहीं जा सकता है। जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अदालत कार्यवाही को रद्द करने की अपनी शक्ति का प्रयोग तभी करेगी जब उसे पता चलेगा कि मामले को फेस वैल्यू पर लेने पर कोई मामला नहीं बनता है। हाईकोर्ट के...

समुद्री बीमा | यदि जहाज को अयोग्य स्थिति में समुद्र में भेजा जाता है, तो बीमाकर्ता समुद्र में अयोग्यता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं है: सुप्रीम कोर्ट
समुद्री बीमा | यदि जहाज को अयोग्य स्थिति में समुद्र में भेजा जाता है, तो बीमाकर्ता समुद्र में अयोग्यता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि समुद्री बीमा में, यदि जहाज को समुद्र में अयोग्य स्थिति में भेजा जाता है, तो बीमाकर्ता समुद्र में अयोग्यता के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिए उत्तरदायी नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वारंटी के उल्लंघन के बारे में बीमाकर्ता को केवल जानकारी होना स्वचालित रूप से छूट के बराबर नहीं है, जब तक कि स्पष्ट रूप से न कहा गया हो।न्यायालय ने माना कि किसी जहाज के लिए क्लासिफिकेशन सर्टि‌फिकेट के आधार पर बीमा कवरेज की मांग करने वाले एक बीमाकृत पक्ष को सर्टि‌फिकेट जारी...

टीवी चैनलों के खिलाफ जुर्माना मुनाफे के अनुपात में होना चाहिए, एक लाख  रुपए का जुर्माना अप्रभावी: सुप्रीम कोर्ट ने एनबीडीए से कहा
'टीवी चैनलों के खिलाफ जुर्माना मुनाफे के अनुपात में होना चाहिए, एक लाख रुपए का जुर्माना अप्रभावी': सुप्रीम कोर्ट ने एनबीडीए से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए), अर्थात् न्यूज ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) द्वारा स्थापित स्व-नियामक सिस्टम की अप्रभावीता के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने वैधानिक सिस्टम के माध्यम से समाचार चैनलों पर प्री-सेंसरशिप या पोस्ट-सेंसरशिप के खिलाफ एनबीडीए के रुख को स्वीकार करते हुए एक प्रभावी स्व-नियामक तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने विवादित समाचार...

सुप्रीम कोर्ट ने कथित नफरत भरे भाषणों के लिए अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बृंदा करात की याचिका पर सुनवाई स्थगित की
सुप्रीम कोर्ट ने कथित नफरत भरे भाषणों के लिए अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बृंदा करात की याचिका पर सुनवाई स्थगित की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेताओं बृंदा करात और केएम तिवारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें जनवरी 2020 में चुनावी रैलियों के दौरान भारतीय जनता पार्टी के नेताओं अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ कथित हेट स्पीच के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने की मांग की गई।जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ आज करात और तिवारी की उस याचिका पर सुनवाई करने वाली थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने उस ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने से...

सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई के हवाले से चल रही फर्जी खबरों के बारे में अलर्ट जारी किया, कहा कानूनी कार्रवाई की जा रही है
सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई के हवाले से चल रही फर्जी खबरों के बारे में अलर्ट जारी किया, कहा कानूनी कार्रवाई की जा रही है

सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान जारी कर जनता को उस सोशल मीडिया पोस्ट के बारे में सचेत किया है जिसे भारत के मुख्य न्यायाधीश के हवाले से गलत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है। फर्जी पोस्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की छवि का गलत उद्धरण के साथ उपयोग किया गया है, जिसमें जनता से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में आने का आग्रह किया गया। न्यायालय के जनसंपर्क कार्यालय ने अपने बयान में कहा,"यह भारत के सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया है कि एक सोशल मीडिया पोस्ट (जनता को अधिकारियों के खिलाफ विरोध करने के लिए...

सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से अदाणी-हिंडनबर्ग जांच पूरी करने के लिए 15 दिन और देने का अनुरोध किया; कहा- जांच में पर्याप्त प्रगति हुई
सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से अदाणी-हिंडनबर्ग जांच पूरी करने के लिए 15 दिन और देने का अनुरोध किया; कहा- जांच में 'पर्याप्त प्रगति' हुई

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर अदाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करने के लिए 15 दिन और मांगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा आज 14 अगस्त को खत्म हो रही है। आवेदन में सेबी ने अदालत को बताया कि "उसने काफी प्रगति की है"।सेबी ने बताया कि एक मामले में, उपलब्ध सामग्रियों के आधार पर एक अंतरिम रिपोर्ट तैयार की गई है और उसने विदेशी न्यायक्षेत्रों आदि में एजेंसियों और...

बाइक-टैक्सी: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना को अधिसूचित करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया
बाइक-टैक्सी: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 'मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना' को अधिसूचित करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दोपहिया एग्रीगेटर्स के विनियमन के लिए दिल्ली मोटर वाहन एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाता योजना, 2023 को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली सरकार को दिए गए समय को 30 सितंबर तक बढ़ाया।जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की खंडपीठ ने समय विस्तार के लिए दिल्ली सरकार द्वारा दायर आवेदन को अनुमति दे दी।'पिछली बार दिल्ली सरकार का जोरदार रुख था।'जस्टिस बोस ने दिल्ली सरकार की दलील का जिक्र करते हुए कहा कि नीति 31 जुलाई तक अधिसूचित की जाएगी।जस्टिस बोस ने दिल्ली सरकार के...

एफआईआर रद्द करना - सुप्रीम कोर्ट के नया दृष्टिकोण तैयार करने वाले ताजा फैसले
एफआईआर रद्द करना - सुप्रीम कोर्ट के नया दृष्टिकोण तैयार करने वाले ताजा फैसले

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 (अंतर्निहित शक्तियां) या भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 (असाधारण क्षेत्राधिकार) के तहत एफआईआर को रद्द करने के आसपास न्यायशास्त्र से संबंधित महत्वपूर्ण टिप्पणियां करते हुए कुछ फैसले सुनाए।ये निर्णय जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ द्वारा दिए गए। । ये फैसले जस्टिस पारदीवाला द्वारा लिखे गए थे।आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करने के लिए अभियुक्त के आपराधिक इतिहास को एकमात्र आधार नहीं माना जा...

पीसी एक्ट| विशेष अदालत आईपीसी के अपराधों के लिए आगे बढ़ सकती है, भले ही पीसी एक्ट धारा 19 के तहत अभियोजन की मंज़ूरी ना दी गई हो : सुप्रीम कोर्ट
पीसी एक्ट| विशेष अदालत आईपीसी के अपराधों के लिए आगे बढ़ सकती है, भले ही पीसी एक्ट धारा 19 के तहत अभियोजन की मंज़ूरी ना दी गई हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में माना कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (पीसी एक्ट) के तहत एक विशेष अदालत भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत अपराधों के लिए किसी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, भले ही उक्त अधिनियम की धारा 19 के तहत पीसी एक्ट अपराधों के संबंध में अभियोजन की मंज़ूरी ना दी गई हो।इस मामले में, अपीलकर्ता बैंक प्रबंधक, एक ऋण घोटाले के आरोपों के संबंध मेंआईपीसी की धारा 420, 468 और 471 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 120-बी और पीसी अधिनियम 1988 की धारा 13 (1) के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 13 (2) के...

सुप्रीम कोर्ट ने अभियोजन गवाहों की उपस्थिति के संबंध में पी एंड एच हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों को खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने अभियोजन गवाहों की उपस्थिति के संबंध में पी एंड एच हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों को खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आपराधिक मुकदमे में अभियोजन पक्ष के गवाहों को समन जारी करने के संबंध में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों को रद्द कर दिया।हाईकोर्ट ने 27 मई, 2022 को पारित अपने आदेश में रामबहोर साकेत और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2018) मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों को अपनाया था और उन दिशानिर्देशों को इस प्रकार दोहराया था।अभियुक्तों के खिलाफ आरोप तय करने के बाद चश्मदीदों या उन गवाहों को समन जारी किया जाना चाहिए जो अभियोजन पक्ष के मामले को...

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (नया सीआरपीसी विधेयक) गिरफ्तारी के पहले 15 दिनों के बाद पुलिस हिरासत की अनुमति देता है
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (नया सीआरपीसी विधेयक) गिरफ्तारी के पहले 15 दिनों के बाद पुलिस हिरासत की अनुमति देता है

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 (बीएनएसएस), जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (सीआरपीसी) को निरस्त करने और प्रतिस्थापित करने का प्रयास करता है, वह पुलिस हिरासत अवधि के संबंध में एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण देने का प्रस्ताव करता है। बीएनएसएस की धारा 187(2), जो सीआरपीसी की धारा 167(2) का दर्पण प्रावधान है, कहती है कि 15 दिन की पुलिस हिरासत की मांग शुरुआती 60 दिनों के दौरान किसी भी समय पूरी तरह से या आंशिक रूप से की जा सकती है ( यदि अपराध मृत्युदंड, आजीवन कारावास या कम से कम दस वर्ष की अवधि...

भारतीय न्याय संहिता विधेयक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कठोर पुलिस शक्तियों का उपयोग करने की अनुमति देता है: कपिल सिब्बल
भारतीय न्याय संहिता विधेयक राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कठोर पुलिस शक्तियों का उपयोग करने की अनुमति देता है: कपिल सिब्बल

केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए नए बिलों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त करते हुए सीनियर एडवोकेट और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि बिल "राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कठोर पुलिस शक्तियों का उपयोग करने की अनुमति देता है।" केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए नए बिलों में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को निरस्त करने और बदलने का प्रस्ताव है। पूर्व कानून मंत्री सिब्बल ने अपने 'एक्स' अकाउंट, जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, पर कहा कि भारतीय न्याय संहिता राजनीतिक उद्देश्यों के लिए...

सरकार को विधेयक पेश करने का निर्देश नहीं दे सकते: सुप्रीम कोर्ट ने विधि आयोग को वैधानिक निकाय बनाने और टोर्ट लॉ को संहिताबद्ध करने के हाईकोर्ट के निर्देशों को खारिज किया
'सरकार को विधेयक पेश करने का निर्देश नहीं दे सकते': सुप्रीम कोर्ट ने विधि आयोग को वैधानिक निकाय बनाने और टोर्ट लॉ को संहिताबद्ध करने के हाईकोर्ट के निर्देशों को खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दोहराया कि एक रिट कोर्ट विधायिका को किसी विशेष विषय पर कानून बनाने का आदेश नहीं दे सकती है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा कि सरकार को विधायिका में एक विशेष विधेयक पेश करने का निर्देश देना रिट अदालत की शक्ति में नहीं है और वह केवल संशोधन की सिफारिश कर सकती है या एक नये कानून लाने की लाने की आवश्यकता के बारे में बता सकती है।सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की एक अपील पर विचार कर रहा था, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को जारी किए गए कुछ...

धारा 27 साक्ष्य अधिनियम | डिस्‍क्लोज़र स्टेटमेंट दोषसिद्धि का एकमात्र आधार नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट
धारा 27 साक्ष्य अधिनियम | डिस्‍क्लोज़र स्टेटमेंट दोषसिद्धि का एकमात्र आधार नहीं हो सकता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिसक्लोज़र स्टेटमेंट किसी आपराधिक मामले में दोषसिद्धि का एकमात्र आधार नहीं हो सकता। जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा,"हालांकि डिसक्लोज़र स्टेटमेंट किसी मामले को सुलझाने में योगदान देने वाले कारक के रूप में महत्व रखता है, हमारी राय में, वे अपने आप में पर्याप्त मजबूत सबूत नहीं हैं और उचित संदेह से परे आरोपों को सामने लाने के लिए और कुछ भी नहीं है।"ट्रायल कोर्ट ने मनोज और कल्लू और तीन अन्य को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 411 के तहत दोषी ठहराया...

अदालतों में गोली बारी की घटनाएं परेशान करने वाली: सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में सुरक्षा के लिए दिशा -निर्देश दिए
'अदालतों में गोली बारी की घटनाएं परेशान करने वाली': सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में सुरक्षा के लिए दिशा -निर्देश दिए

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसर के भीतर बंदूक गोलीबारी की हालिया घटनाओं के मद्देनजर अदालत परिसर के भीतर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए, जिसमें 'अदालत की पवित्रता को बनाए रखने' की आवश्यकता पर जोर दिया गया। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि हिंसा की हालिया घटनाओं ने इसे बहुत परेशान कर दिया है। जस्टिस एस रवींद्र भट और ज‌स्टिस दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने यह कहते हुए तत्काल उपाय करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि न्यायिक प्रक्रिया में हितधारकों की सुरक्षा नॉन...