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सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर बार एसोसिएशन को किसी भी समुदाय के वकीलों को अदालतों में पेश होने से न रोकने का निर्देश दिया, अवमानना ​​कार्रवाई की चेतावनी दी
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर बार एसोसिएशन को किसी भी समुदाय के वकीलों को अदालतों में पेश होने से न रोकने का निर्देश दिया, अवमानना ​​कार्रवाई की चेतावनी दी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर में बार एसोसिएशनों को निर्देश दिया कि वे किसी भी वकील को, चाहे वे किसी भी समुदाय के हों, अदालतों में पेश होने से न रोकें। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश किसी शिकायत पर पारित नहीं किया गया है, बल्कि सभी वकीलों को यह सुनिश्चित करने के लिए सावधान करने के लिए दिया गया है कि न्याय तक पहुंच को रोका न जाए। पीठ ने आगे कहा कि निर्देश का कोई भी उल्लंघन अदालत के आदेश की अवमानना ​​​​होगा।कोर्ट ने यह...

अगर छात्र को धर्म के आधार पर दंडित किया जाता है तो यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं: मुजफ्फरनगर में छात्र को थप्पड़ मारने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस से सवाल किए
'अगर छात्र को धर्म के आधार पर दंडित किया जाता है तो यह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं': मुजफ्फरनगर में छात्र को थप्पड़ मारने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस से सवाल किए

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुजफ्फरनगर के स्कूली छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस के तरीके पर असंतोष व्यक्त किया। मामले में एक प्राथमिक विद्यालय की शिक्ष‌िका ने अन्य छात्रों को थप्पड़ मारने के लिए कहकर एक मुस्लिम लड़के को दंडित किया था। पीठ ने एफआईआर दर्ज करने में देरी और सांप्रदायिक आरोपों को छोड़े जाने पर सवाल उठाते हुए निर्देश दिया कि मामले की जांच एक वरिष्ठ आईपीएस रैंक के पुलिस अधिकारी से कराई जाए।न्यायालय ने आगे कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के आदेश का पालन करने में...

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को 2023-24 में 5 वर्षीय एलएलबी एडमिशन के लिए CLAT स्कोर का उपयोग करने की अनुमति देने वाले हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को 2023-24 में 5 वर्षीय एलएलबी एडमिशन के लिए CLAT स्कोर का उपयोग करने की अनुमति देने वाले हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (25 सितंबर) को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित उस अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली यूनिवर्सिटी को प्रवेश परीक्षा (CLAT) के आधार पर अपने 5 वर्षीय एलएलबी कोर्स में छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति दी गई थी। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने यह देखते हुए कि क्लास पहले ही शुरू हो चुकी हैं, एक छात्र द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया, जिसने मांग की थी कि एडमिशन अन्य कोर्स के लिए आयोजित होने वाले कॉमन...

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की दरमियान बधिर वकील के लिए पहली बार दुभाषिया पेश हुआ, ऐसे वकीलों की कोर्ट की कार्यवाही तक पहुंच पर बहस छिड़ी
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई की दरमियान बधिर वकील के लिए पहली बार दुभाषिया पेश हुआ, ऐसे वकीलों की कोर्ट की कार्यवाही तक पहुंच पर बहस छिड़ी

पिछले शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट की वर्चुअल कार्यवाही एक रोचक वाकये की गवाह बनी। ‌जिन्होंने कार्यवाही देखने के लिए लॉग इन किया था, उन्हें अपने सिस्टम की स्क्रीन पर एक छोटी सी विंडो दिखी, जिसमें जिसमें एक व्यक्ति सांकेतिक भाषा में अदालती कार्यवाही की व्याख्या कर रहा था।भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) दुभाषिया, सौरव रॉयचौधरी की मौजूदगी की व्यवस्था एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड संचिता ऐन ने की थी, जिनका एक मात्र ध्येय यह सुनिश्चित करना था कि उनकी बधिर जूनियर, एडवोकेट सारा सनी अदालती कार्यवाही में सक्रिय रूप से भाग...

किशोर अपराधी अक्सर ऐसे बच्चे होते हैं जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है: जस्टिस बी.वी. नागरत्ना
किशोर अपराधी अक्सर ऐसे बच्चे होते हैं जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है: जस्टिस बी.वी. नागरत्ना

सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने कानून के साथ संघर्ष में बच्चों पर राष्ट्रीय वार्षिक हितधारक परामर्श के उद्घाटन सत्र में अपना संबोधन देते हुए कहा कि यह स्वीकार करना अनिवार्य है कि कानून के साथ संघर्ष में बच्चे सिर्फ अपराधी नहीं हैं, बल्कि कई मामलों में अपराधी भी हैं। कई मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें बच्चों को देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है। किशोर अपराधी अक्सर विशेष रूप से नशीली दवाओं के व्यापार, यौन तस्करी या पारिवारिक विवादों के मामलों में स्वयं पीड़ित होते हैं।इस वर्ष के...

सुप्रीम कोर्ट ने गुटखा बेचने के आरोपी व्यक्ति को गुटखा न बेचने की शर्त पर अग्रिम जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने गुटखा बेचने के आरोपी व्यक्ति को गुटखा न बेचने की शर्त पर अग्रिम जमानत दी

सुप्रीम कोर्ट ने गुटखा बेचने के आरोपी एक शख्स को अग्रिम जमानत देते हुए शर्त लगाई कि वह गुटखा का कारोबार नहीं करेगा। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा,"यह शर्त लगाना उचित समझा जाता है - 'मैं, .... गुटखा, यानी तंबाकू के साथ पान मसाला का व्यापार नहीं करने का वचन देता हूं।' मामले में, अपीलकर्ता - अभिजीत जितेंद्र लोलागे जमानत के नियमों और शर्तों का उल्लंघन करता है , लगाए गए वचन सहित, यह अभियोजन पक्ष के लिए जमानत रद्द करने की मांग करने के लिए खुला होगा। यह स्पष्ट किया गया है कि...

कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों में सुधार किया जा सकता है, और किया जाना चाहिए: जस्टिस रवींद्र भट
'कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों में सुधार किया जा सकता है, और किया जाना चाहिए': जस्टिस रवींद्र भट

जस्टिस रवींद्र भट ने कानून के साथ संघर्ष में बच्चों पर राष्ट्रीय वार्षिक हितधारक परामर्श के उद्घाटन सत्र में अपना संबोधन देते हुए कहा कि तेजी से विकसित हो रही दुनिया में हमें व्यक्तियों, नागरिकों और कर्तव्य-वाहकों के रूप में लाभ उठाना चाहिए। बच्चों को कानून के साथ संघर्ष में आने से रोकने के हमारे संयुक्त प्रयास में कमजोरियों की पहचान करने और उन्हें कम करने के लिए ज्ञान, प्रौद्योगिकी और सामाजिक संसाधन का उपयोग करना शामिल होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि बच्चों के लिए न्याय की मूल...

सोशल मीडिया का पॉजीटिव, निगेटिव और संतुलित प्रभाव: जस्टिस जेके माहेश्वरी
सोशल मीडिया का पॉजीटिव, निगेटिव और संतुलित प्रभाव: जस्टिस जेके माहेश्वरी

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जेके माहेश्वरी ने अंतर्राष्ट्रीय वकीलों के सम्मेलन 2023 में बोलते हुए न्याय प्रणाली पर सोशल मीडिया के प्रभाव का व्यापक अवलोकन किया।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सोशल मीडिया को तीन दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है: पॉजीटिव, निगेटिव और संतुलित। प्रत्येक परिप्रेक्ष्य का लॉ कम्युनिटी और बड़े पैमाने पर समाज के लिए अपने स्वयं के निहितार्थ होते हैं।अपने संबोधन में उन्होंने सबसे पहले निम्नलिखित बातें कहीं-पॉजीटिव प्रभाव:कम्युनिटी से जुड़ना: सोशल मीडिया वकीलों और जजों को...

जस्टिस करोल ने जजों के सेलिब्रिटी होने से क्यों किया इनकार, कहा- ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पापराज़ी नहीं, जिन्हें सभी क्षणों की रिपोर्ट करने की आवश्यकता हो
जस्टिस करोल ने जजों के सेलिब्रिटी होने से क्यों किया इनकार, कहा- ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पापराज़ी नहीं, जिन्हें सभी क्षणों की रिपोर्ट करने की आवश्यकता हो

बार काउंसिल ऑफ इंडिया इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस 2023 में न्याय वितरण प्रणाली पर सोशल मीडिया के प्रभाव को संबोधित करते हुए एक तकनीकी सत्र आयोजित किया गया। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन समारोह ज्ञान साझा करने के उद्देश्य से दस तकनीकी सत्र और एक समापन सत्र शामिल है। इस सम्मेलन का विषय 'न्याय वितरण प्रणाली में उभरती चुनौतियां' हैं। सोशल मीडिया के प्रभाव से संबंधित सत्र में सत्र के सह-अध्यक्ष के रूप में जस्टिस संजय करोल ने भाषण दिया। अपने इस भाषण में जस्टिस करोल ने कहा कि न्यायाधीश...

पीसी एक्ट - एक बार जब यह साबित हो जाए कि लोक सेवक को कानूनी रूप से मिले मेहनताना से अलग कोई लाभ मिला है तो अदालत आरोपी के खिलाफ अनुमान लगा सकती है : सुप्रीम कोर्ट
पीसी एक्ट - एक बार जब यह साबित हो जाए कि लोक सेवक को कानूनी रूप से मिले मेहनताना से अलग कोई लाभ मिला है तो अदालत आरोपी के खिलाफ अनुमान लगा सकती है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक बार यह साबित हो जाए कि किसी लोक सेवक आरोपी ने निर्धारित कानूनी पारिश्रमिक ( Legal Remuneration) के अलावा कोई भी संतुष्टि (Gratification) स्वीकार की है तो अदालत भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 की धारा 20 (धारणा जहां लोक सेवक कोई अनुचित लाभ स्वीकार करता है) के तहत आरोपी के खिलाफ वैधानिक अनुमान लगा सकती है कि अधिनियम की धारा 7 के तहत उन्होंने सार्वजनिक कर्तव्य को अनुचित या बेईमानी से करने के लिए मकसद या इनाम के रूप में संतुष्टि को स्वीकार किया। हालांकि, ऐसी धारणा का खंडन...

प्रत्येक मध्यस्थ को कानूनी रूप से प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है, कुछ निर्णय समानता पर आधारित होते हैं: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ अवॉर्डों में न्यायिक हस्तक्षेप के दायरे के बारे में बताया
'प्रत्येक मध्यस्थ को कानूनी रूप से प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है, कुछ निर्णय समानता पर आधारित होते हैं': सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ अवॉर्डों में न्यायिक हस्तक्षेप के दायरे के बारे में बताया

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 28(3) का उल्लंघन करने के लिए एक मध्यस्थ अवॉर्ड को रद्द करते समय, यह माना जाना चाहिए कि मध्यस्थ को अनुबंध की शर्तों की उचित व्याख्या करने का अधिकार है। मध्यस्थ की व्याख्या अवॉर्ड को रद्द करने का आधार नहीं हो सकती, क्योंकि अनुबंध की शर्तों का निर्माण अंततः मध्यस्थ को तय करना है। धारा 28(3) के तहत, अवॉर्ड को केवल तभी रद्द किया जा सकता है यदि मध्यस्थ इसकी व्याख्या उस तरीके से करता है जैसा कोई निष्पक्ष सोच वाला उचित व्यक्ति नहीं...

सुप्रीम कोर्ट ने मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने वाले जज बनने के इच्छुक उम्मीदवारों को राहत दी कहा, मूल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य शर्त नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने वाले जज बनने के इच्छुक उम्मीदवारों को राहत दी कहा, मूल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य शर्त नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 सितंबर) को बिहार के तीन न्यायिक सेवा उम्मीदवारों को राहत दी, जिनकी उम्मीदवारी साक्षात्कार के समय मूल प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने के कारण बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने खारिज कर दी थी। न्यायालय ने यह मानते हुए कि मूल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य शर्त नहीं है, निर्देश दिया कि उक्त उम्मीदवारों को सेवा में समायोजित किया जाए। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने आरव जैन बनाम बिहार लोक सेवा आयोग 2022 लाइवलॉ (एससी) 521 में दिए गए फैसले पर...

सीआरपीसी की धारा 313| यदि कोई पूर्वाग्रह नहीं है तो अभियुक्तों पर दोषारोपण की परिस्थितियां डालने में विफलता से मुकदमा निष्प्रभावी नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट
सीआरपीसी की धारा 313| यदि कोई पूर्वाग्रह नहीं है तो अभियुक्तों पर दोषारोपण की परिस्थितियां डालने में विफलता से मुकदमा निष्प्रभावी नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर फैसला सुनाया कि अगर आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 313 (आरोपी से पूछताछ करने की शक्ति) के तहत बयान दर्ज करते समय आरोपी व्यक्तियों पर आपत्तिजनक स्थिति नहीं डाली जाती है तो भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 34 (सामान्य इरादे को आगे बढ़ाने में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) की सहायता से उनकी दोषसिद्धी निष्‍प्रभावी हो जाती है।जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने कहा,“… अन्य बातों के साथ-साथ जो कानूनी स्थिति उभर कर सामने आती है, वह...

चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश स्किल डेवेलपमेंट घोटाला मामले में एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश स्किल डेवेलपमेंट घोटाला मामले में एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने स्किल डेवेलपमेंट घोटाला मामले में अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसमें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा शुक्रवार को दिए गए फैसले को चुनौती दी।आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। याचिका खारिज होने के बाद, विजयवाड़ा की एक अदालत ने आंध्र प्रदेश अपराध जांच विभाग (सीआईडी)...

पटाखों में बेरियम नाइट्रेट को केवल इस आधार पर अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि नया फॉर्मूलेशन 30% कम प्रदूषणकारी है : सुप्रीम कोर्ट
पटाखों में बेरियम नाइट्रेट को केवल इस आधार पर अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि नया फॉर्मूलेशन 30% कम प्रदूषणकारी है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22.09.2023) को पटाखों में बेरियम नाइट्रेट की कम मात्रा शामिल करने के लिए पटाखा निर्माताओं के एक संगठन (TANFAMA) द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया । 2019 में शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि पटाखों में बेरियम साल्ट का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इस बैन को दोहराया था। TANFAMA ने सीएसआईआर-एनईईआरआई (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) द्वारा सुझाए गए और पीईएसओ (पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन) और एमओईएफ (पर्यावरण, वन और...

पुलिस के लिए जांच संहिता बनाने का समय आ गया है, ताकि दोषी तकनीकी खामियों का सहारा लेकर बाहर आज़ाद न घूम सकें : सुप्रीम कोर्ट
पुलिस के लिए जांच संहिता बनाने का समय आ गया है, ताकि दोषी तकनीकी खामियों का सहारा लेकर बाहर आज़ाद न घूम सकें : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पुलिस जांच में गंभीर खामियों के कारण हत्या और अपहरण के मामले में तीन आरोपियों को बरी करने पर नाराजगी व्यक्त की। दो आरोपियों को मौत की सज़ा सुनाई गई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया।कोर्ट ने टिप्पणी की कि "पुलिस ने जिस तरह से अपनी जांच की, उसने आरोपियों के खिलाफ आगे बढ़ने और सबूत इकट्ठा करने में आवश्यक मानदंडों के प्रति पूरी उदासीनता बरती; महत्वपूर्ण सुरागों को अनियंत्रित छोड़ दिया और अन्य सुरागों पर पर्दा डाल दिया, जो कहानी के अनुरूप नहीं थे।" कल्पना की थी; और अंततः...

कानूनी भाषा को सरल बनाया जाना चाहिए; आम आदमी को महसूस होना चाहिए कि कानून उसका अपना है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कानूनी भाषा को सरल बनाया जाना चाहिए; आम आदमी को महसूस होना चाहिए कि कानून उसका अपना है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023 के उद्घाटन पर भाषण दिया। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उद्घाटन समारोह ज्ञान साझा करने के उद्देश्य से दस तकनीकी सत्र और समापन सत्र शामिल है। सम्मेलन का विषय 'न्याय वितरण प्रणाली में उभरती चुनौतियां' हैं।अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कानूनी भाषा को सरल बनाने और आम आदमी के लिए न्याय तक पहुंच बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। कानून में भाषा और सरलता के अक्सर नजरअंदाज किए जाने वाले पहलू पर प्रकाश डालते हुए...

एनडीपीएस एक्ट | एनसीबी अधिकारियों के समक्ष स्वीकारोक्ति साक्ष्य में स्वीकार्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट
एनडीपीएस एक्ट | एनसीबी अधिकारियों के समक्ष स्वीकारोक्ति साक्ष्य में स्वीकार्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22.09.2023) को माना कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) की धारा 53 के तहत शक्तियों से संपन्न अधिकारी साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के अर्थ के तहत 'पुलिस अधिकारी' है। इस प्रकार एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत दर्ज किए गए किसी आरोपी के इकबालिया बयान को एनडीपीएस एक्ट के तहत किसी मुकदमे में इकबालिया बयान के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने यह भी कहा कि एनडीपीएस एक्ट की धारा 54 के...

सबूतों में खामियां होने पर भी ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा मृत्युदंड दिए जाने के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरान, दोषियों को बरी किया
सबूतों में खामियां होने पर भी ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा मृत्युदंड दिए जाने के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरान, दोषियों को बरी किया

सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों और अभियोजन पक्ष में कमजोरियां देखने के बाद हाल ही में किशोर की हत्या और अपहरण के मामले में तीन लोगों को बरी कर दिया। ट्रायल कोर्ट ने दो आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था। मामले में दोषी तीसरे आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।सभी आरोपियों की दोषसिद्धि और सजा को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट यह देखकर हैरान रह गया कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने आरोपियों को दोषी पाया और अभियोजन पक्ष के मामले में "असंख्य कमजोरियों और खामियां के बावजूद" उनमें से...