इलाहाबाद हाईकोट

यदि मूल वाद उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के लागू होने से पहले दायर किया गया था तो यूपी जेडए एंड एलआर एक्ट के तहत उपलब्ध उपचार उपलब्ध रहेंगे: इलाहाबाद हाईकोर्ट
यदि मूल वाद उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के लागू होने से पहले दायर किया गया था तो यूपी जेडए एंड एलआर एक्ट के तहत उपलब्ध उपचार उपलब्ध रहेंगे: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 के तहत उपचार उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के लागू होने से पहले दायर मुकदमे में डिक्री के खिलाफ पुनरीक्षण दायर करने के इच्छुक आवेदक के लिए उपलब्ध रहेंगे। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने कहा,“कोई भी निरसन कानून जो पहले के कानून को निरस्त करता है, वह किसी पक्ष को उपलब्ध उपचारों को प्रभावित नहीं करेगा जो उस पक्ष को उस तारीख को उपलब्ध थे जब मुकदमा दायर किया गया था। यह वादी के लिए...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने PCS-J परीक्षा 2022 में अनियमितताओं की जांच के लिए रिटायर्ड चीफ जस्टिस गोविंद माथुर को आयोग का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने PCS-J परीक्षा 2022 में 'अनियमितताओं' की जांच के लिए रिटायर्ड चीफ जस्टिस गोविंद माथुर को आयोग का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया

UP-PCSJ (मुख्य) 2022 परीक्षा में गंभीर अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच के लिए स्वतंत्र आयोग का नेतृत्व करने के लिए पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर को नियुक्त किया।जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस दोनादी रमेश की खंडपीठ ने आयोग से 31 मई, 2025 तक एक रिपोर्ट दाखिल करने का आग्रह किया है, साथ ही निम्नलिखित मुद्दों पर सुझाव दिए:1. UPPCS (J) परीक्षा की मूल्यांकन प्रक्रिया को चयन की जरूरतों के प्रति अधिक संवेदनशील और UPPSC सहित सभी...

मृतक जिस संस्थान में कार्यरत था, उसका प्रबंधन अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नहीं दे सकता, उसे DIOS के समक्ष रखा जाए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
मृतक जिस संस्थान में कार्यरत था, उसका प्रबंधन अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति नहीं दे सकता, उसे DIOS के समक्ष रखा जाए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुकंपा के आधार पर रोजगार के आवेदन पर उस संस्थान का प्रबंधन फैसला नहीं कर सकता जहां मृत सरकारी कर्मचारी काम करता था। यह माना गया कि इस तरह के आवेदन को निर्णय के लिए स्कूलों के जिला निरीक्षक के समक्ष रखा जाना चाहिए।जस्टिस जेजे मुनीर ने उत्तर प्रदेश हाई स्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज (शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) अधिनियम, 1971 के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि "उपरोक्त विनियमों में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए एक पूर्ण योजना की परिकल्पना की...

हत्या के प्रयास का मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बागी सपा विधायक को बरी करने के खिलाफ अपील में विभाजित फैसला सुनाया
हत्या के प्रयास का मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बागी सपा विधायक को बरी करने के खिलाफ अपील में विभाजित फैसला सुनाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 2010 के हत्या के प्रयास मामले में समाजवादी पार्टी के बागी विधायक अभय सिंह को बरी किए जाने के खिलाफ दायर अपील में विभाजित फैसला सुनाया। मामले को अब नई पीठ के नामांकन के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया गया है। जस्टिस अताउ रहमान मसूदी ने 2010 के मामले में अभय सिंह समेत पांच आरोपियों को तीन साल कैद की सजा सुनाई, वहीं दूसरी ओर जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव-I ने अपील खारिज कर दी और सभी आरोपियों को बरी करने वाले सत्र न्यायालय के 2023 के फैसले को बरकरार रखा।जस्टिस...

उत्तर प्रदेश चकबंदी अधिनियम में संशोधन के तहत 01.01.1977 से पहले निष्पादित दत्तक डीड के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट
उत्तर प्रदेश चकबंदी अधिनियम में संशोधन के तहत 01.01.1977 से पहले निष्पादित दत्तक डीड के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं : इलाहाबाद हाईकोर्ट

40 वर्ष पुरानी रिट याचिका को स्वीकार करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि उत्तर प्रदेश राज्य में चकबंदी कार्यवाही को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि दत्तक डीड का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ, जबकि ऐसा डीड 01.01.1977 से पहले निष्पादित किया गया।जस्टिस चंद्र कुमार राय ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता खासकर तब जब दत्तक ग्रहण के कागजात पहले ही चकबंदी अधिकारी द्वारा सत्यापित किए जा चुके हों।पूरा मामलापिता की मृत्यु के पश्चात याचिकाकर्ता और उसकी मौसियों ने उत्तर प्रदेश चकबंदी अधिनियम, 1953 की...

मेडिकल बोर्ड द्वारा भर्ती प्रक्रिया में मेडिकल जांच में सामान्य रूप से हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
मेडिकल बोर्ड द्वारा भर्ती प्रक्रिया में मेडिकल जांच में सामान्य रूप से हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने पहले के निर्णयों पर भरोसा करते हुए माना कि विशेषज्ञों द्वारा किए गए मेडिकल मूल्यांकन में केवल पक्षों द्वारा लाई गई बाद की रिपोर्टों के आधार पर रिट क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला और डॉ जस्टिस योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने माना,“जहां भर्ती प्रक्रिया निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की गई, जिसके तहत उम्मीदवारों की मेडिकल फिटनेस का परीक्षण विधिवत गठित मेडिकल बोर्ड द्वारा किया गया। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में सामान्य रूप से...

महाकुंभ मेले में किसी विशेष भूमि के आवंटन पर कोई संगठन निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
महाकुंभ मेले में किसी विशेष भूमि के आवंटन पर कोई संगठन निहित अधिकार का दावा नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

कुंभ मेले के बढ़ते चलन को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि महाकुंभ मेला क्षेत्र में किसी विशेष भूमि के आवंटन का कोई निहित अधिकार नहीं है, क्योंकि उन्हें पिछले वर्षों में भी यह भूमि आवंटित की गई हो सकती है।याचिकाकर्ता ने महाकुंभ मेले के दौरान त्रिवेणी मार्ग और मुक्ति मार्ग के जंक्शन पर भूमि के आवंटन को निहित अधिकार के रूप में मांगते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता का दावा है कि उसे वर्ष 2001, 2007 और 2013 में आयोजित कुंभ मेले के दौरान भी यही भूमि आवंटित की गई।प्रतिवादी...

अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन यदि 5 वर्ष बाद किया जाता है तो उस पर निर्णय राज्य करेगा, नियुक्ति प्राधिकारी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन यदि 5 वर्ष बाद किया जाता है तो उस पर निर्णय राज्य करेगा, नियुक्ति प्राधिकारी नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि यदि अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन 5 वर्ष की अनुमेय सीमा से परे किया जाता है, तो मामले पर विचार करना नियुक्ति प्राधिकारी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।जस्टिस जे.जे. मुनीर ने माना कि उत्तर प्रदेश सेवा में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियम, 1974 के अनुसार आवेदन राज्य के समक्ष रखा जाना चाहिए, जो उस पर निर्णय लेगा।न्यायालय ने कहा,“नियम 1974 के नियम 5 के प्रावधान को पढ़ने से प्रासंगिक और भौतिक तथ्यों के बारे में कानून के अलावा, जिसके आधार पर पांच वर्ष से अधिक...

समाधान से पहले लंबित मूल्यांकन को समाधान योजना की स्वीकृति के बाद परिमाणित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
समाधान से पहले लंबित मूल्यांकन को समाधान योजना की स्वीकृति के बाद परिमाणित नहीं किया जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि समाधान योजना की स्वीकृति के बाद समाधान आवेदक पर नए दावों का बोझ नहीं डाला जा सकता।जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की पीठ ने माना कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता 2016 का मूल सिद्धांत सफल समाधान आवेदक को एक नई शुरुआत देना है।उन्होंने माना कि उपर्युक्त सिद्धांत को बाधित करने वाली कोई भी कार्रवाई अवैध है और संहिता की लक्ष्मण रेखा से परे है। यह तर्क कि किसी मूल्यांकन को पहले की अवधि के लिए लंबित रखा गया। समाधान योजना की स्वीकृति के बाद परिमाणित किया...

मोहम्मद जुबैर के X पोस्ट के साथ आधी-अधूरी जानकारी भारत की संप्रभुता को खतरा, अलगाववादी गतिविधि की भावना को बढ़ावा देती है: यूपी सरकार
मोहम्मद जुबैर के 'X' पोस्ट के साथ आधी-अधूरी जानकारी भारत की संप्रभुता को खतरा, 'अलगाववादी गतिविधि की भावना' को बढ़ावा देती है: यूपी सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार ने आज इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि यति नरसिंहानंद के कथित भाषण पर ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा की गई एक्स पोस्ट की एक श्रृंखला में आधी-अधूरी जानकारी थी और उन्होंने भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाया और धमकी दी।एडिसनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि जुबैर की एक्स पोस्ट, जिसका उद्देश्य यति नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा भड़काना था, एक 'अलगाववादी...

BREAKING | यति नरसिंहानंद X पोस्ट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक लगाई
BREAKING | यति नरसिंहानंद X पोस्ट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर 6 जनवरी तक रोक लगाई। यह गिरफ्तारी यति नरसिंहानंद के कथित भड़काऊ भाषण के संबंध में X (पूर्व में ट्विटर) पर उनके पोस्ट को लेकर दर्ज FIR के संबंध में की गई थी।जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि जुबैर कोई खूंखार अपराधी नहीं है। साथ ही अगली सुनवाई (6 जनवरी) तक देश छोड़ने पर रोक लगाते हुए पुलिस के साथ जांच में सहयोग करने की शर्त पर उसे राहत प्रदान की।खंडपीठ ने...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने IIT कानपुर की स्टूडेंट से शादी का झूठा वादा करके यौन शोषण करने के आरोपी डिप्टी एसपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने IIT कानपुर की स्टूडेंट से शादी का झूठा वादा करके यौन शोषण करने के आरोपी डिप्टी एसपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने DSP रैंक के यूपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाई। उक्त अधिकारी पर IIT कानपुर की स्टूडेंट से शादी का झूठा वादा करके यौन संबंध बनाने का आरोप है।जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान और जस्टिस मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की पीठ ने मामले के सिलसिले में उनकी गिरफ्तारी पर भी रोक लगाई।धारा 69 BNS के तहत आरोपी खान ने इस साल की शुरुआत में PHD स्कॉलर के तौर पर संस्थान में एडमिशन पाने के बाद कथित तौर पर पीड़िता का शोषण किया।पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई पुलिस शिकायत के अनुसार खान ने...

जस्टिस एसके यादव के बयानों का समर्थन करने के लिए सीएम योगी को बर्खास्त करने की मांग
जस्टिस एसके यादव के बयानों का समर्थन करने के लिए सीएम योगी को बर्खास्त करने की मांग

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई, जिसमें विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव के हालिया विवादास्पद बयानों का सार्वजनिक रूप से समर्थन करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बर्खास्त करने की मांग की गई।पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया कि सीएम के बयान भारत के धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के लिए अपमानजनक हैं।इसमें तर्क दिया गया कि जस्टिस यादव को सीएम आदित्यनाथ द्वारा दिया गया समर्थन पद की शपथ का घोर...

संभल हिंसा | पीड़ित व्यक्ति जांच आयोग से संपर्क कर सकता है: पुलिस अत्याचार के खिलाफ जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट
संभल हिंसा | पीड़ित व्यक्ति जांच आयोग से संपर्क कर सकता है: 'पुलिस अत्याचार' के खिलाफ जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगवार को संभल हिंसा के दौरान कथित पुलिस अत्याचारों की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को दर्ज करने का आदेश दिया, जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए पहले ही न्यायिक जांच आयोग का गठन कर दिया है, जो वर्तमान में मामले को देख रहा है। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने कहा कि प्रासंगिक तथ्यों से परिचित कोई भी व्यक्ति जांच आयोग के समक्ष अपना साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है। एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स...

मुस्लिम कानून | अदालत का यह दायित्व कि आपसी सहमति और समझौते की स्वैच्छिकता का पता लगाने के बाद मुबारत द्वारा तलाक का समर्थन करे: इलाहाबाद हाईकोर्ट
मुस्लिम कानून | अदालत का यह दायित्व कि आपसी सहमति और समझौते की स्वैच्छिकता का पता लगाने के बाद मुबारत द्वारा तलाक का समर्थन करे: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक मुस्लिम जोड़े को तलाक का आदेश दिया, जिन्होंने मुबारत के माध्यम से आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन किया था। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने केरल हाईकोर्ट के असबी के.एन. बनाम हाशिम एम.यू. के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि जहां मुबारत की पारस्परिक प्रकृति की प्रामाणिकता सत्यापित हो गई है, वहां न्यायालयों को आगे जांच नहीं करनी चाहिए और केवल तलाक को मंजूरी देनी चाहिए।कोर्ट ने कहा, “जब पक्षकार मुबारत के माध्यम से अपने तलाक की औपचारिक...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिफिन बॉक्स में मांसाहारी भोजन लाने के आरोप में प्राइवेट स्कूल से निकाले गए 7 वर्षीय लड़के की मदद की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिफिन बॉक्स में मांसाहारी भोजन लाने के आरोप में प्राइवेट स्कूल से निकाले गए 7 वर्षीय लड़के की मदद की

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में प्राइवेट स्कूल से निकाले गए 7 वर्षीय मुस्लिम लड़के की मदद की क्योंकि उसने कथित तौर पर अपने टिफिन बॉक्स में मांसाहारी भोजन लाया था।जस्टिस सिद्धार्थ और जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने अमरोहा के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया कि वह सुनिश्चित करें कि तीनों बच्चों (लड़के और उसके भाई-बहन) को 2 सप्ताह के भीतर किसी अन्य CBSE -संबद्ध स्कूल में दाखिला दिलाया जाए और हलफनामा दाखिल किया जाए। ऐसा न करने पर DM को अगली सुनवाई (6 जनवरी) को उपस्थित...

कमलेश तिवारी हत्याकांड |  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2019 से जेल में बंद कथित साजिशकर्ता को जमानत दी
कमलेश तिवारी हत्याकांड | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2019 से जेल में बंद कथित साजिशकर्ता को जमानत दी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अक्टूबर 2019 से जेल में बंद व्यक्ति को जमानत दी, जिसने कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर 2019 में हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या की साजिश रची थी।आरोपी पठान राशिद अहमद को जमानत देते हुए जस्टिस अजय भनोट की पीठ ने कहा कि उसका इस मामले के अलावा कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। उसने हमेशा जांच में सहयोग किया और मुकदमे की कार्यवाही में शामिल होने का वचन दिया। अदालत ने यह भी कहा कि उसके गवाहों को प्रभावित करने सबूतों से छेड़छाड़ करने...

PMLA Case| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएम मोदी के करीबी व्यक्ति के नाम पर लोगों को ठगने के आरोपी को जमानत देने से किया इनकार
PMLA Case| इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएम मोदी के करीबी व्यक्ति के नाम पर लोगों को ठगने के आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित मंत्रियों के साथ छेड़छाड़ की गई तस्वीरों को सोशल मीडिया पर दिखाकर लोगों को ठगने के आरोप में धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपी मोहम्मद काशिफ को जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया।जस्टिस समित गोपाल की पीठ ने उन्हें राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि भारी मात्रा में धन और अन्य संबंधित दस्तावेज और लेख कथित रूप से बरामद होने से उनके कारनामों की पुष्टि होती है और पीएमएलए, 2002 की धारा 45 की दोहरी शर्तों को दूर करने के लिए कुछ...

Senior Citizens Act के तहत बेदखली लंबित मुकदमे के परिणाम के अधीन, लेकिन बुजुर्गों को दी जाने वाली सुरक्षा को हराया नहीं जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Senior Citizens Act के तहत बेदखली लंबित मुकदमे के परिणाम के अधीन, लेकिन बुजुर्गों को दी जाने वाली सुरक्षा को हराया नहीं जाना चाहिए: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत मांगी गई बेदखली का आदेश परिवार के सदस्यों के बीच बड़े मुद्दों से संबंधित एक मुकदमे के परिणाम के अधीन होगा, यदि ऐसा मुकदमा 2007 के अधिनियम के तहत बेदखली के लिए किए गए आवेदन से पहले दायर किया गया है।जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि बेदखली का आदेश पिछले मुकदमे के परिणाम के अधीन था, लेकिन इसके तहत दी गई सुरक्षा को पराजित नहीं किया जाना चाहिए। खंडपीठ ने कहा...

सामाजिक वैमनस्य क्यों पैदा करें? : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद जुबैर से FIR दर्ज करने के बजाय X पर यति नरसिंहानंद के भाषण के बारे में पोस्ट करने के लिए सवाल किया
सामाजिक वैमनस्य क्यों पैदा करें? : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद जुबैर से FIR दर्ज करने के बजाय 'X' पर यति नरसिंहानंद के भाषण के बारे में पोस्ट करने के लिए सवाल किया

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर यति नरसिंहानंद के कथित भाषण के बारे में उनके पोस्ट पर उनके खिलाफ दर्ज FIR के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जुबैर से मौखिक रूप से सवाल किया कि उनके खिलाफ FIR दर्ज करने या उचित उपाय की मांग करने के बजाय मामले को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना क्यों बेहतर समझा।जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि उनके (जुबैर के) ट्वीट को देखने से पता चलता है कि...