जानिए हमारा कानून
NI Act में चेक का क्रॉस कैंसिलेशन
क्रॉस के क्रॉस को क्रॉस खोलना भी कहा जाता है। क्रॉस के खोलने या इसे रद्द करने के सम्बन्ध में कोई विशिष्ट उपबन्ध अधिनियम में नहीं है, परन्तु प्रथाओं से उत्पन्न और स्थापित हुआ है और अब यह बैंकिंग का स्थापित नियम बन गया है। रेखांकित चेकों का संदाय बैंक की खिड़की पर नकद नहीं किया जा सकता है एवं कभी-कभी रेखांकित चेक धारक को कठिनाई में डाल सकता है जहाँ उसका कोई बैंक खाता न हो अथवा तत्काल धन की आवश्यकता में हो, तब धारक क्रॉस को रद्द करने के लिए लेखीवाल के पास जा सकता है।जब लेखीवाल क्रॉस को रद्द करता है...
साझा संपत्ति के बंटवारे के मुकदमों में Court Fee कैसे लगेगी – Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961 की धारा 35
भारत जैसे देश में जहाँ संयुक्त परिवार प्रणाली (Joint Family System) एक आम परंपरा है, वहाँ पारिवारिक संपत्तियों का विवाद और बंटवारे के मुकदमे काफी सामान्य हैं। ऐसे मामलों में जब एक या अधिक व्यक्ति संयुक्त संपत्ति (Joint Family Property) में अपना हिस्सा प्राप्त करना चाहते हैं, तब वे अदालत में Partition Suit दायर करते हैं। Partition Suit का उद्देश्य यह होता है कि संपत्ति का न्यायोचित बंटवारा हो और संबंधित पक्षों को उनका वैधानिक (Legal) हिस्सा मिले।ऐसे मुकदमों में Court Fee एक महत्वपूर्ण विषय होता...
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 की धारा 7 और 8 के अंतर्गत राजस्व बोर्ड के मंत्रीगणीय अधिकारी और उसकी शक्तियां
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 राज्य की राजस्व व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने हेतु बनाया गया एक प्रमुख अधिनियम है। इस अधिनियम के प्रारंभिक प्रावधानों में, विशेष रूप से धारा 4, 5 और 6 में राजस्व बोर्ड की स्थापना, संरचना और उसके मुख्यालय से संबंधित नियम निर्धारित किए गए हैं।धारा 4 में बताया गया कि यह बोर्ड एक अध्यक्ष और कम से कम तीन तथा अधिकतम पंद्रह सदस्यों से मिलकर बनेगा। धारा 5 में सदस्यों के कार्यकाल की चर्चा की गई और धारा 6 में बोर्ड का मुख्यालय अजमेर घोषित किया गया। अब हम इस लेख में धारा 7...
धारा 428 और 429, BNSS : अपील में न्यायिक आदेशों की प्रक्रिया और हाईकोर्ट के निर्णयों का क्रियान्वयन
धारा 428: अधीनस्थ अपीलीय न्यायालयों के निर्णय (Judgments of Subordinate Appellate Courts)धारा 428 यह बताती है कि जब कोई अपील अधीनस्थ अपीलीय न्यायालय, जैसे सेशन कोर्ट (Court of Session) या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate) द्वारा सुनी जाती है, तो उस अपील में दिया गया निर्णय किस प्रकार लिखा जाएगा और किन नियमों के अधीन होगा। इसमें कहा गया है कि जैसे एक फौजदारी मामले में मूल अदालत (Original Criminal Court) अपना निर्णय (Judgment) देती है, वैसे ही नियम अपीलीय न्यायालयों (Appellate...
क्या Refund के लिए दिया गया Pay Order स्वीकार न करने पर Developer Interest देने के लिए ज़िम्मेदार होता है?
K.L. Suneja v. Dr. (Mrs.) Manjeet Kaur Monga के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम कानूनी प्रश्न पर विचार किया – क्या जब Developer किसी राशि की वापसी (Refund) के लिए Pay Order देता है, और प्राप्तकर्ता उसे स्वीकार या भुनाता (Encash) नहीं है, तो क्या Developer फिर भी उस राशि पर Interest (ब्याज) देने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है? कोर्ट ने इस प्रश्न का उत्तर नकारात्मक दिया और यह स्पष्ट किया कि यदि Developer ने कानून के अनुसार भुगतान की प्रक्रिया पूरी कर दी है, तो आगे की देरी के लिए उसे दोषी...
NI Act में चेक का विशेष रूप से क्रॉस
इस एक्ट की धारा 124 चेक के विशेष क्रॉस से संबंधित है। एक चेक विशेषत: रेखांकित कहा जाएगा जब दो समानान्तर रेखाओं के बीच किसी बैंक का नाम कुछ संक्षेपाक्षर शब्दों के साथ या बिना इसके बढ़ा दिया गया है अर्थात् जहाँ चेक का क्रॉस किसी बैंक के नाम से किया गया है। इस बैंक का नाम ऊपरवाल (बैंक) से भिन्न होगा।विशेष क्रॉस में यह चीज़ें होती हैंदो आड़ी समानान्तर रेखाओं को खींचना। हालांकि केवल बैंक का नाम एवं "एकाउन्ट पेयी" बिना इन रेखाओं के लिखना, विशेष क्रॉस होगा।किसी विशेष बैंक का नाम लिखना आवश्यक है। बिना इन...
NI Act की धारा 123 के प्रावधान
इस एक्ट की धारा 123 चेक के क्रॉस से संबंधित है। इस धारा में चेक जहाँ चेक के मुख भाग के बाय तरफ ऊपर केवल दो आड़ी समानान्तर रेखाएं कुछ संक्षेपाक्षर शब्दों के साथ या बिना उसके हो, तो उसे साधारण या सामान्य क्रॉस कहते हैं।दो आड़ी समानान्तर रेखाओं को खींचना आवश्यक केवल दो समानान्तर रेखाएं हो अपने आप में क्रॉस हैं।यह सामान्तया चेक के मुख भाग पर सबसे ऊपर बायीं तरफ होनी चाहिए।कुछ संक्षेपाक्षण शब्द जैसे "एण्ड कं० " इत्यादि दोनों रेखाओं के बीच लिखा जा सकता है।"परक्राम्य नहीं है" या " अपरक्रामणीय" शब्दों को...
क्या हर शादी के वादे से मुकरना Section 376 IPC के तहत Rape माना जा सकता है?
Naïm Ahamed v. State (NCT of Delhi) नामक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद अहम कानूनी सवाल का समाधान किया कि क्या शादी का वादा निभाने में असफल होना Rape (बलात्कार) के अपराध की श्रेणी में आता है। इस फैसले में Court ने स्पष्ट किया कि हर ऐसा मामला जिसमें शादी का वादा पूरा नहीं हुआ, उसे Rape नहीं माना जा सकता जब तक यह सिद्ध न हो जाए कि शुरू से ही आरोपी की मंशा (Intention) धोखा देने की थी।Court ने यह भी कहा कि Consent (सहमति) का विश्लेषण करते समय व्यक्ति की समझदारी, परिस्थिति, और सबूतों (Evidence)...
अपीलीय न्यायालय की शक्तियां : धारा 427 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
भारतीय न्याय व्यवस्था में "अपील" (Appeal) एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से किसी आरोपी (Accused) या अभियोजन पक्ष (Prosecution) को निचली अदालत द्वारा दिए गए निर्णय को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का अधिकार प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति किसी आदेश या सजा (Sentence) से संतुष्ट नहीं है, तो वह अपीलीय न्यायालय (Appellate Court) में जाकर न्याय मांग सकता है।धारा 427 बी.एन.एस.एस., 2023 का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो यह निर्धारित करता है कि एक अपीलीय न्यायालय को क्या-क्या अधिकार...
Partnership को समाप्त करने के मुकदमों में Court Fee कैसे लगेगी – Rajasthan Court Fees Act, 1961 की धारा 34
भागीदारी (Partnership) एक ऐसा कानूनी संबंध है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी व्यवसाय को मिलकर चलाते हैं और उससे होने वाले लाभ और हानि को आपस में बाँटते हैं। लेकिन समय के साथ, कभी-कभी ऐसी स्थितियाँ पैदा हो जाती हैं जब भागीदारों के बीच मतभेद हो जाते हैं और वे अपनी भागीदारी समाप्त करना चाहते हैं। ऐसे मामलों में अक्सर Suit for Dissolution of Partnership यानी भागीदारी समाप्त करने का मुकदमा दायर किया जाता है।Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961 की धारा 34 ऐसे मामलों में लागू होती...
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 4, 5 और 6 के अंतर्गत राजस्व बोर्ड की स्थापना, सदस्यता और कार्यस्थल
राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 (Rajasthan Land Revenue Act, 1956) राज्य में भूमि से संबंधित प्रशासन को संचालित करने वाला एक प्रमुख कानून है। इस अधिनियम के अंतर्गत जो सबसे महत्वपूर्ण संस्था बनाई गई है, वह है राजस्व बोर्ड (Board of Revenue)। यह बोर्ड भूमि से जुड़े मामलों में सर्वोच्च स्तर की संस्था मानी जाती है।इस लेख में हम इस अधिनियम की धारा 4 (Section 4), धारा 5 (Section 5) और धारा 6 (Section 6) को विस्तार से सरल हिंदी में समझेंगे। साथ ही उदाहरण (Illustration) के ज़रिए इन प्रावधानों को और...
NI Act में चेक पर खींची जाने वाली लाइन्स का मतलब
चेक पर जो लाइन खींची जाती है उसे क्रॉस कहा जाता है। उसके अलग अलग मतलब होते हैं। चेकों के क्रॉस सम्बन्धी प्रावधान परक्राम्य लिखत अधिनियम की धाराएं 123 से 131 तक उपबन्धित हैं। 1974 में अधिनियम 33 की धारा 2 से इन उपबन्धों को ड्राफ्ट पर भी प्रयोज्य किया गया।चेकों को क्रॉस की प्रथा बहुत अद्यतन प्रारम्भ की है। मि० इरविन एक बैंक कर्मचारी जिन्होंने समाशोधन गृह के विचार को प्रस्तुत किया था, क्रॉस को भी प्रारम्भ किया था, इसलिए उन्हें क्रॉस के पिता के रूप में कहा जा सकता है। प्रारम्भ में चेकों पर बैंकर्स...
NI Act में इंस्ट्रूमेंट से रिलेटेड एविडेन्स
इस एक्ट की धारा 118 में इंस्ट्रूमेंट से रिलेटेड कुछ सबूतों के संबंध में उपधारणा की गयी है। जैसे-डेट के सम्बन्ध में उपधारणालिखतों में यह उपधारणा होती है कि प्रत्येक परक्राम्य लिखत पर जो तिथि होती है वह उस तिथि पर लिखत रचा या लिखा गया होगा, जब तक कि इसके प्रतिकूल साबित न किया जाए।प्रतिग्रहण के समय की उपधारणायह कि प्रत्येक विनिमय पत्र इसके लिखे जाने के युक्तियुक्त समय के युक्तियुक्त समय के पश्चात् एवं परिपक्वता के पूर्व प्रतिग्रहीत किया गया होगा। हालांकि यह उपधारणा नहीं होती है कि प्रतिग्रहण का...
अपील की सुनवाई की प्रक्रिया जब उसे तुरंत खारिज नहीं किया गया हो – धारा 426 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
आपराधिक न्याय व्यवस्था (Criminal Justice System) में अपील (Appeal) की प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब किसी व्यक्ति को निचली अदालत (Lower Court) द्वारा दोषी (Convicted) ठहराया जाता है, तो उसे यह अधिकार (Right) होता है कि वह उस निर्णय (Decision) को ऊपरी अदालत (Appellate Court) में चुनौती दे सके।लेकिन जरूरी नहीं कि हर अपील पर तुरंत सुनवाई हो। कभी-कभी अगर अपीलीय अदालत को लगता है कि अपील में कोई मजबूत आधार (Strong Ground) नहीं है, तो वह उसे बिना किसी लंबी प्रक्रिया के तुरंत खारिज...
खाते के मामलों में Court Fee कैसे लगेगी – राजस्थान न्यायालय शुल्क अधिनियम, 1961 की धारा 33
जब कोई व्यक्ति Court में मुकदमा करता है, तो उसे Court Fee (अदालत शुल्क) देना होता है। यह शुल्क इस आधार पर तय होता है कि वह किस प्रकार का मुकदमा है और उसमें कितनी राशि का दावा किया गया है। Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act, 1961 में अलग-अलग प्रकार के मामलों में Court Fee कैसे लगेगी, यह साफ-साफ बताया गया है।ऐसे कई मुकदमे होते हैं जिनमें यह साफ नहीं होता कि वास्तव में कितनी राशि किसी पक्ष को मिलनी चाहिए। खासकर ऐसे मामलों में जहाँ Accounts (लेखा-जोखा) बनाना या जाँच करना जरूरी हो, वहाँ...
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की कठिनाइयों को दूर करने और नियम बनाने की राज्य सरकार की शक्तियाँ – धारा 30 और 31
धारा 30 – कठिनाइयाँ दूर करने की शक्तिकभी-कभी ऐसा होता है कि किसी कानून को लागू करने में व्यवहारिक समस्याएँ (Practical Difficulties) आ जाती हैं। ऐसा ही कुछ अगर राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) के साथ हो, तो इस कानून की धारा 30 राज्य सरकार को यह अधिकार (Power) देती है कि वह ऐसी किसी भी कठिनाई (Difficulty) को दूर करने के लिए एक आदेश (Order) जारी कर सकती है। यह आदेश तभी जारी हो सकता है जब वह कानून के अन्य प्रावधानों (Provisions) के विपरीत न हो और उस समस्या...
क्या Chargesheet को सरकारी Websites पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जा सकता है?
20 जनवरी 2023 को दिए गए एक अहम फैसले Saurav Das v. Union of India & Others में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय दिया। याचिकाकर्ता ने संविधान के Article 32 के तहत एक याचिका दायर की थी, जिसमें मांग की गई थी कि Cr.P.C. (Code of Criminal Procedure) की धारा 173 के तहत दायर की गई सभी Chargesheet और Final Reports को सरकारी Websites पर जनता के लिए उपलब्ध कराया जाए।सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि Chargesheet और उससे जुड़ी दस्तावेज Indian Evidence Act, 1872...
NI Act में इंस्ट्रूमेंट के Consideration से रिलेटेड एविडेन्स
अधिनियम की धारा 118 के अंतर्गत सभी लिखत अर्थात् वचन पत्र, विनिमय पत्र या चेक एक निश्चित धनराशि के संदाय करने का संविदा होते हैं। एक सामान्य संविदा में प्रतिफल सिने क्वानान (आवश्यक) होता है एवं बिना प्रतिफल के एक करार न्यूडम पैक्टम होता है, एवं अप्रवर्तनीय होता है। परन्तु परक्राम्य लिखत में जब तक प्रतिकूल साबित नहीं कर दिया जाता है, प्रतिफल उपधारित की जाती है।धारा 118 की उपधारा (क) कहती है : "यह कि हर एक परक्राम्य लिखत प्रतिफलार्थ रचित या लिखी गयी थी और यह कि हर ऐसी लिखत जब प्रतिग्रहीत...
NI Act में किसी भी इंस्ट्रूमेंट के बाउंस हो जाने पर सूचना दिए जाने का Reasonable टाइम
युक्तियुक्त समय- प्रतिग्रहण या संदाय के उपस्थापन के लिए अनादर की सूचना देने की गणना करने में लोक अवकाश दिनों को अपवर्जित किया जाएगा।टिप्पण के लिए युक्तियुक्त समय कौन-सा है, यह अवधारण करने में लिखत की प्रकृति और वैसी ही लिखतों के बारे में व्यवहार की प्रायिक चर्या को ध्यान में रखा जाएगा, और ऐसे समय।""युक्तियुक्त समय" शब्दों का प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए चेक का जारी किए जाने कि तिथि से युक्तियुक्त समय के अन्दर संदाय के लिए प्रस्थापित किया जाना, लिखतों के अनादर के तथ्य का टिप्पण सभी यहाँ पर...
राजस्थान कोर्ट फीस और वाद मूल्य निर्धारण अधिनियम की धारा 32 की उपधाराएं (4) से (9) भाग 2
पिछले लेख (भाग 1) में हमने राजस्थान कोर्ट फीस और वाद मूल्य निर्धारण अधिनियम (Rajasthan Court Fees and Suits Valuation Act) की धारा 31 और धारा 32 की उपधाराएं (1) से (3) को सरल हिन्दी में समझा। अब इस लेख (भाग 2) में हम धारा 32 की शेष उपधाराओं (4) से (9) तक की व्याख्या करेंगे।इन प्रावधानों में मुख्य रूप से Co-Mortgagee, Sub-Mortgagee, Redemption और Foreclosure से जुड़े मामलों में Court Fee किस प्रकार से निर्धारित की जाएगी, यह स्पष्ट किया गया है। धारा 32(4): सह-बंधकधारक द्वारा वाद (Section 32(4):...




















