जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
NDPS Act | जब्त किए गए सैंपल सुरक्षित कस्टडी में नहीं थे, यह साबित करना अभियुक्तों के लिए संभव नहीं, सुरक्षित हैंडलिंग स्थापित करने का दायित्व अभियोजन पक्ष पर: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में मादक पदार्थों के मामलों में प्रक्रियागत अनुपालन के महत्व को रेखांकित किया। कोर्ट ने माना कि यह साबित करना अभियुक्त का काम नहीं है कि जब्त किए गए नमूने सुरक्षित कस्टडी में नहीं थे, बल्कि अभियोजन पक्ष पर यह दायित्व है कि वह उनके सुरक्षित संचालन को स्थापित करे और यह सुनिश्चित करे कि छेड़छाड़ असंभव थी। नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के तहत अपराधों के लिए दोषी की ओर से आपराधिक दोषसिद्धि अपील की अनुमति देते हुए जस्टिस...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 28 सप्ताह की गर्भवती बलात्कार पीड़िता के गर्भपात की मंजूरी दी
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने एक यौन उत्पीड़न पीड़िता के 28-29 सप्ताह के भ्रूण को मेहनत हस्तक्षेप के माध्यम से समाप्त करने की अनुमति दी। न्यायालय ने पीड़िता द्वारा झेले गए गंभीर मानसिक आघात और प्रसव को समझने या उससे निपटने में उसकी असमर्थता को स्वीकार किया। न्यायालय ने यह टिप्पणी की कि जीवन का अधिकार एक ऐसे जीवन की गारंटी देता है जो मानसिक आघात से मुक्त हो।न्यायालय ने कहा कि यह राज्य का दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए कि नागरिक अपनी जीवनशैली के अनुसार चिंताओं से...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कमजोर गवाहों की सुरक्षा के लिए नए नियम जारी किए, उम्र के अनुसार पूछताछ और वीडियो गवाही पर जोर दिया
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने अदालत में संरक्षित गवाहों की गवाही कैसे दर्ज की जानी चाहिए, इस पर अपडेट दिशा-निर्देशों को मंजूरी दी। नए नियमों का उद्देश्य उन गवाहों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाना है जो अदालत में गवाही देते समय भयभीत महसूस कर सकते हैं।रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार ये अपडेट दिशा-निर्देश बच्चों, दिव्यांग लोगों, यौन हिंसा के पीड़ितों और धमकियों का सामना करने वाले गवाहों पर लागू होते हैं। इस कदम से न्याय प्रणाली को उन लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाने की उम्मीद है,...
कानून में वकील का कर्तव्य है कि वह चल रहे मुकदमे के दौरान वादी की मृत्यु की सूचना दे: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि वह मुकदमे के उपशमन को रद्द करने के लिए सीमा अवधि की गणना करने के उद्देश्य से उस तारीख को ध्यान में रखेगा जिस दिन वादी की मृत्यु को अदालत के रिकॉर्ड में लाया गया था। अदालत ने कहा कि पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील का यह कर्तव्य है कि वह मुकदमे के लंबित रहने के दौरान वादी की मृत्यु के बारे में अदालत को सूचित करे।अदालत ने कहा कि छह महीने की अवधि उस दिन से शुरू होगी जिस दिन मृतक पक्ष की मृत्यु का तथ्य अदालत के रिकॉर्ड में लाया गया था। अदालत ने माना कि मुकदमे...
'शमिलात-ए-देह' के रूप में वर्गीकृत भूमि स्वामित्व वाली भूमि के समान ही अच्छी: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने अधिग्रहण के लिए मुआवज़ा देने का निर्देश दिया
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि शमीलात-ए-देह के रूप में वर्गीकृत भूमि, जिसे एक बार किसी व्यक्ति के नाम पर निहित दिखाया गया है, स्वामित्व वाली भूमि के समान ही है, और सरकार द्वारा इसके अधिग्रहण पर मालिक को मुआवज़ा पाने का अधिकार है। अदालत ने कहा कि राजस्व रिकॉर्ड के मद्देनजर, प्रतिवादी राशन डिपो/गोदाम के निर्माण के लिए इसे अधिग्रहित करने के बाद मुआवज़ा प्रदान करने के उद्देश्य से संबंधित भूमि पर याचिकाकर्ता के स्वामित्व पर विवाद या इनकार नहीं कर सकते।जस्टिस जावेद इकबाल वानी की पीठ ने कहा कि...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों द्वारा निजी उपयोग के लिए अस्पताल की एम्बुलेंस के दुरुपयोग को उजागर करने वाले रिपोर्टर के खिलाफ मानहानि का मामला खारिज किया
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सरकारी अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक अस्पताल की एम्बुलेंस के दुरुपयोग से संबंधित एक कहानी को कवर करने वाले एक रिपोर्टर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला खारिज किया।अदालत ने माना कि समाचार रिपोर्ट में प्रतिवादी का नाम नहीं था न ही उसे स्पष्ट रूप से उक्त दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।अदालत ने कहा कि यह अस्पताल की कुव्यवस्था से संबंधित सामान्य रिपोर्ट थी। इसने आगे कहा कि प्रतिवादी, जो एम्बुलेंस में से एक का चालक था, ने मान लिया कि कथित दुरुपयोग का श्रेय उसे दिया...
टोल प्लाजा को केवल जनता से पैसा कमाने के उद्देश्य से राजस्व सृजन तंत्र के रूप में काम नहीं करना चाहिए: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट की एक पीठ,जिसमें चीफ जस्टिस ताशी राबस्तान और जस्टिस एमए चौधरी शामिल थे, उन्होंने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि टोल प्लाजा को केवल जनता से पैसे कमाने के लिए राजस्व-उत्पादक तंत्र के रूप में काम नहीं करना चाहिए और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय राजमार्ग-44 के 60 किलोमीटर के भीतर कोई भी टोल स्थापित न करें। कोर्ट ने कहा, “प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे राष्ट्रीय राजमार्ग-44 के 60 किलोमीटर के भीतर कोई भी टोल स्थापित न करें। इसके अलावा,...
Sec.219 CrPC: समेकित डिमांड नोटिस देने पर अनादरित चेक मामलों में शुल्क लागू नहीं – जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि यदि समेकित लीगल नोटिस जारी किया गया हो और कार्रवाई का कारण एक ही लेनदेन से उत्पन्न होता है तो कई अनादरित चेकों के लिए एक ही शिकायत सुनवाई योग्य है।अदालत ने माना कि मांग की सूचना की सेवा की तारीख से पंद्रह दिनों की समाप्ति पर याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए प्रतिवादी के पक्ष में सभी चार चेकों के लिए कार्रवाई का एक ही कारण उत्पन्न हुआ। अदालत ने कहा कि चेक जारी करने के समय या उसके अनादर पर कार्रवाई का कारण उत्पन्न नहीं होता है। अदालत ने कहा कि कार्रवाई...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को गुमराह करने के लिए तथ्यों को छिपाने के लिए अनिवार्य रूप से रिटायर SBI कर्मचारी पर 25 हजार का जुर्माना लगाया
अनिवार्य रूप से रिटायर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के कर्मचारी द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने न्यायालय को उसके क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के बारे में धोखा देने के इरादे से महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाने के लिए 25,000 का जुर्माना लगाया।उनकी याचिका खारिज करते हुए जस्टिस वसीम सादिक नरगल ने न केवल याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार किया, बल्कि कानूनी कार्यवाही में पारदर्शिता और ईमानदारी के सिद्धांतों को मजबूत करते हुए साफ-सुथरे हाथों से न्यायालय का दरवाजा खटखटाने...
Summary Trial | गैर-अभियोजन के लिए मुकदमे में बचाव के लिए अनुमति के लिए आवेदन खारिज करना कानून में अस्थिर: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि यदि कोई ट्रायल कोर्ट प्रतिवादी द्वारा दायर मुकदमे में बचाव के लिए अनुमति के लिए आवेदन पर गुण-दोष के आधार पर विचार नहीं करता है, तो आरोपित निर्णय और डिक्री कानून में टिकने योग्य नहीं रह जाती है। अदालत ने माना कि ट्रायल कोर्ट प्रतिवादी द्वारा आवेदन में प्रस्तुत बचाव पर उसके गुण-दोष के आधार पर विचार करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है, भले ही उक्त आवेदन पर विचार किए जाने की तिथि पर प्रतिवादी अनुपस्थित हो।जस्टिस संजय धर की पीठ ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित डिक्री...
आरोपी मजिस्ट्रेट के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर रहता हो तो प्रक्रिया जारी करने से पहले प्रारंभिक जांच अनिवार्य: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में प्रक्रिया जारी करने से पहले जांच करना अनिवार्य है, जहां आरोपी मजिस्ट्रेट अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहता है। अदालत ने माना कि वर्तमान मामले में मजिस्ट्रेट ने कोई प्रारंभिक जांच नहीं की है और न ही कोई जांच का निर्देश दिया है। अदालत ने विवादित आदेश को कानून में टिकने लायक नहीं माना।मजिस्ट्रेट ने ड्रग कंट्रोल इंस्पेक्टर द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ घटिया दवा के निर्माण और विपणन के लिए दायर की गई शिकायत के आधार पर प्रक्रिया जारी की थी।अदालत ने यह...
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने गंदेरबल के डिप्टी कमिश्नर के खिलाफ न्यायालय के समक्ष झूठी याचिका दायर करने के लिए आपराधिक कार्यवाही का निर्देश दिया
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि गंदेरबल के पूर्व डिप्टी कमिश्नर के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट जज के समक्ष झूठी याचिका दायर करने के लिए उचित आपराधिक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।न्यायालय ने कहा कि सरकार के एक जिम्मेदार अधिकारी का यह आचरण निंदनीय है। यह दर्शाता है कि उक्त अधिकारी को कानून के शासन का कोई सम्मान नहीं है। न्यायालय ने यह भी कहा कि संबंधित अधिकारी ने याचिकाकर्ता के दावे को विफल करने के उद्देश्य से विद्वान निचली अदालत के समक्ष झूठा लिखित बयान दाखिल करने से पहले दो बार भी नहीं...
[Muslim Law] बेटी को बिना वैध कारण राजस्व दस्तावेजों से बाहर नहीं रखा जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने माना है कि जहां बहिष्करण के कारणों को दर्ज किए बिना एक कानूनी उत्तराधिकारी को छोड़कर एक म्यूटेशन को सत्यापित किया जाता है, तो इस तरह के म्यूटेशन को अलग रखा जा सकता है। यह भी कहा गया है कि रिकॉर्ड के एक अमान्य उत्परिवर्तन को सीमा अवधि के संबंध में किसी भी रोक के बिना चुनौती दी जा सकती है।अदालत ने फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता द्वारा अपनी बहन को बाहर करते हुए बनाए गए रिकॉर्ड का म्यूटेशन अमान्य था क्योंकि किसी भी रिकॉर्ड की अनुपस्थिति में यह सुझाव दिया गया था कि उसने अपना...
भर्ती शुरू होने के बाद पदों को वापस लेकर सरकारी विभाग ने अवैधानिकता की, जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने स्लॉट बहाल करने का निर्देश दिया
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि सरकारी विभाग पदोन्नति के माध्यम से योग्यता के आधार पर सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने वाले कोटे को हड़प कर अवैधानिक कार्य कर रहा है। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि इस मामले में सरकारी अधिकारियों ने 42 संदर्भित पदों में से 29 को वापस लेकर और सीधी भर्ती के लिए परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित किए जाने के बाद पदोन्नति के माध्यम से भरकर अवैधानिक कार्य किया है। न्यायालय ने पाया कि जब याचिकाकर्ताओं को जूनियर सहायकों के रूप में पदोन्नत किया गया था, तो पदोन्नति कोटे में कोई पद...
"गिरफ़्तारी के आधार की जानकारी दी गई": जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में गिरफ़्तारी के खिलाफ पूर्व बार अध्यक्ष मियां कयूम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज की
जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने बुधवार को पूर्व बार अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अधिवक्ता सैयद बाबर कादरी की हत्या के चर्चित मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि याचिकाकर्ता को उनकी गिरफ्तारी के आधारों के बारे में सूचित किया गया था, तथा अधिकारियों द्वारा प्रक्रियात्मक अनुपालन की पुष्टि की। जस्टिस विनोद चटर्जी कौल ने याचिका को खारिज करते हुए कहा,“.. इस तथ्य से कोई इनकार नहीं है कि...
यदि शांतिप्रिय नागरिकों के साथ निवारक निरोध कानून के तहत कठोर व्यवहार किया गया तो कोई 'शांति' नहीं बचेगी: जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने पत्रकार की हिरासत के आदेश को रद्द किया
जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि हिरासत में रखने की अनिवार्य आवश्यकता के साथ कारणात्मक संबंध न रखने वाले कृत्यों को रद्द किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों में पुराने सोशल मीडिया पोस्ट और समाचार लेखों का हवाला दिया गया है, लेकिन कोई मौजूदा या आसन्न खतरा साबित नहीं किया गया है, जिससे निवारक हिरासत को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। न्यायालय ने हिरासत में लिए गए व्यक्ति द्वारा की गई अन्य रिपोर्टिंग पर भी ध्यान दिया, जिसमें उसकी रिपोर्टिंग में...
कमर्शियल लेन-देन के दौरान अपराध होना ही मुकदमे से बचने के लिए पर्याप्त नहीं: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
एक FIR और आरोपपत्र रद्द करने की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि अपराध कमर्शियल लेन-देन के दौरान किया गया, यह निष्कर्ष निकालना पर्याप्त नहीं होगा कि शिकायत पर मुकदमा चलाने की आवश्यकता नहीं है। शिकायत में आरोपों की सत्यता का निर्धारण शिकायत मामले में मुकदमे के दौरान प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर किया जाना है।याचिका खारिज करते हुए जस्टिस विनोद चटर्जी कौल ने कहा,“यह नहीं कहा जा सकता है कि शिकायत में अपराध किए जाने का खुलासा नहीं किया गया।...
आपराधिक मामलों में चार्जशीट पेश करने के बाद ही पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण पर रोक लगाई जा सकती है: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल प्राथमिकी दर्ज करने या जांच लंबित होने से प्राधिकरण को आवेदक का पासपोर्ट जारी करने या उसका नवीनीकरण करने से नहीं रोका जा सकता। अदालत ने फैसला सुनाया कि अधिकारी पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकृत करने से इनकार नहीं कर सकते हैं जब तक कि उक्त मामले की प्राथमिकी में आरोप पत्र पेश नहीं किया जाता है।अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में जांच अभी पूरी नहीं हुई है और अदालत के समक्ष आरोप पत्र पेश नहीं किया गया है। जस्टिस जावेद इकबाल वानी की पीठ ने...
जांच के बिना नियुक्ति वापस लेना प्रोबेशनरी पीरियड के दौरान भी गैरकानूनी: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने माना है कि जांच किए बिना किसी कर्मचारी के नियुक्ति आदेश को वापस लेना अवैध है, भले ही उक्त कर्मचारी परिवीक्षाधीन अवधि में हो। अदालत ने फैसला सुनाया कि केवल एक आपराधिक मामले के लंबित रहने से जांच किए बिना नियुक्ति वापस लेने का औचित्य नहीं होगा।जस्टिस एमए चौधरी की पीठ ने उपयुक्तता का आकलन करने के नियोक्ता के अधिकार को स्वीकार करते हुए कहा कि आपराधिक कार्यवाही का केवल लंबित होना किसी व्यक्ति के चरित्र और पृष्ठभूमि का प्रतिबिंब नहीं है और किसी व्यक्ति को नियुक्ति के लिए...
सरकारी कर्मचारी प्रमाण-पत्र जमा करने के 5 साल बाद सेवा रिकॉर्ड में जन्मतिथि नहीं बदल सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने माना कि सरकारी कर्मचारी द्वारा घोषित जन्मतिथि और उसके बाद उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा सेवा पुस्तिका या किसी अन्य रिकॉर्ड में दर्ज की गई जन्मतिथि में सरकार के आदेश के बिना किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकता सिवाय लिपिकीय त्रुटि के।अदालत ने यह भी माना कि प्रशासनिक विभाग द्वारा कर्मचारी की जन्मतिथि में तब तक कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता, जब तक कि कर्मचारी ने पांच साल की अवधि के भीतर सरकार से संपर्क न किया हो और यह साबित न कर दिया हो कि ऐसी गलती वास्तविक और नेकनीयत...











![[Muslim Law] बेटी को बिना वैध कारण राजस्व दस्तावेजों से बाहर नहीं रखा जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट [Muslim Law] बेटी को बिना वैध कारण राजस्व दस्तावेजों से बाहर नहीं रखा जा सकता: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2025/02/21/500x300_587964-750x450500784-466227-justice-javed-iqbal-wani7.jpg)





