हाईकोर्ट

अधिकार क्षेत्र न रखने वाली अदालतों को भेजे गए मामले प्रिंसिपल जिला जज को वापस किए जाएंगे: दिल्ली हाईकोर्ट
अधिकार क्षेत्र न रखने वाली अदालतों को भेजे गए मामले प्रिंसिपल जिला जज को वापस किए जाएंगे: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण प्रशासनिक आदेश जारी किया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई भी मामला गलती से ऐसी अदालत को आवंटित हो जाता है, जिसके पास उसे सुनने का अधिकार क्षेत्र नहीं है तो फाइल को तत्काल संबंधित प्रिंसिपल जिला एंड सेशन जज को वापस करना होगा ताकि उसे सही अधिकार क्षेत्र वाली सक्षम अदालत को नए सिरे से आवंटित किया जा सके।जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने राष्ट्रीय राजधानी के सभी जिलों के प्रिंसिपल जिला एंड सेशन जजों को इस संबंध में प्रशासनिक परिपत्र (Administrative...

केरल में गुम हुआ कुवैती व्यक्ति, हाईकोर्ट ने कहा- हर जीवन अमूल्य; SIT को दिया खोजने का निर्देश
केरल में गुम हुआ कुवैती व्यक्ति, हाईकोर्ट ने कहा- 'हर जीवन अमूल्य'; SIT को दिया खोजने का निर्देश

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार (5 नवंबर) को सूरज लामा के मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) से कहा कि वह उनके बेटे संतन लामा द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करे। सूरज लामा कुवैत से कोच्चि पहुंचने के बाद 5 अक्टूबर से लापता बताए जा रहे हैं।जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने संतन लामा द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में अपने पिता की तस्वीर को अतिरिक्त दस्तावेज़ के रूप में स्वीकार करने के लिए एक अंतरिम आवेदन स्वीकार कर लिया।आवेदन के साथ दायर हलफनामे में उनके लापता पिता...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा – नियुक्ति के समय उम्र कम थी, पर धोखाधड़ी नहीं हुई; फॉरेस्टर की नौकरी बहाल
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा – नियुक्ति के समय उम्र कम थी, पर धोखाधड़ी नहीं हुई; फॉरेस्टर की नौकरी बहाल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी वन मंडल के वन संरक्षक का 2003 का आदेश रद्द कर दिया, जिसके तहत 1991 में नियुक्त एक फॉरेस्टर का नियमितीकरण यह कहते हुए रद्द कर दिया गया था कि नियुक्ति के समय वह नाबालिग था।जस्टिस विकास बुधवार की पीठ ने कहा कि यह मामला धोखाधड़ी या गलत जानकारी का नहीं है और याचिकाकर्ता 1991 से सेवा में कार्यरत है। अदालत ने कहा कि उसकी नियुक्ति में यदि कोई गलती हुई भी, तो वह “अनियमितता” थी, “अवैधता” नहीं। मामले में याचिकाकर्ता को 1991 में वन दरोगा के रूप में नियुक्त किया गया था। 26 मार्च...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने POSH मामले में सुनवाई से इनकार करने पर ICC रिपोर्ट को चुनौती देने वाली अकासा एयर के पायलट की रिट याचिका खारिज की
बॉम्बे हाईकोर्ट ने POSH मामले में सुनवाई से इनकार करने पर ICC रिपोर्ट को चुनौती देने वाली अकासा एयर के पायलट की रिट याचिका खारिज की

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि POSH Act के तहत कार्यवाही में गवाहों से क्रॉस एक्जामिनेशन करने का अवसर न मिलने मात्र से जांच स्वतः ही दोषपूर्ण नहीं हो जाती, खासकर जहां मूल तथ्य स्वीकार कर लिए गए हों और कोई पूर्वाग्रह प्रदर्शित न हुआ हो। कोर्ट ने कहा कि आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के समक्ष कार्यवाही तथ्यान्वेषण प्रकृति की होती है। साक्ष्य संबंधी सख्त नियमों से बंधी नहीं होती।जस्टिस एन.जे. जमादार अकासा एयर में कैप्टन के रूप में कार्यरत पायलट द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें ICC की अंतिम...

ज़मानत आदेशों का होगा सीधा प्रसारण, कैदियों की तत्काल रिहाई: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत के बाद समय पर रिहाई के निर्देश जारी किए
ज़मानत आदेशों का होगा सीधा प्रसारण, कैदियों की तत्काल रिहाई: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत के बाद समय पर रिहाई के निर्देश जारी किए

ज़मानत मिलने के बाद भी किसी व्यक्ति को जेल में न रहना सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को ज़मानत आदेशों के सीधे इलेक्ट्रॉनिक प्रसारण और ज़मानत आदेश प्रबंधन प्रणाली (BOMS) के माध्यम से कैदियों की तत्काल रिहाई के लिए व्यापक निर्देश जारी किए, जो सुप्रीम कोर्ट के 2023 के ज़मानत अनुदान नीति रणनीति संबंधी फैसले के अनुरूप है।जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने अपहरण के आरोपी को ज़मानत देते हुए ज़मानत आदेशों के क्रियान्वयन में लगातार हो रही देरी पर...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना मुद्दे तय किए और साक्ष्य दर्ज किए मुस्लिम दंपत्ति के बीच तलाक की घोषणा करने पर फैमिली कोर्ट की आलोचना की
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिना मुद्दे तय किए और साक्ष्य दर्ज किए मुस्लिम दंपत्ति के बीच तलाक की घोषणा करने पर फैमिली कोर्ट की आलोचना की

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश पर आश्चर्य और हैरानी व्यक्त की, जिसमें बिना मुद्दे तय किए और साक्ष्य दर्ज किए मुस्लिम महिला को उसके पति से तलाक की घोषणा कर दी गई।जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने कहा;"हम इस बात से आश्चर्यचकित और स्तब्ध हैं कि फैमिली कोर्ट ने सीपीसी के आदेश VII नियम 11 के तहत मामले को कैसे लिया। प्रतिवादी/वादी (पति) को राहत दी, जो मुद्दे तय करने और साक्ष्य दर्ज करने के बाद ही दी जानी चाहिए थी। तलाक की घोषणा प्राप्त करके मुकदमा दायर...

मुस्लिम पुरुष की दूसरी शादी के रजिस्ट्रेशन से पहले पहली पत्नी की बात ज़रूर सुनी जाए, अगर वह आपत्ति करे तो पक्षकारों को अदालत भेजा जाए: केरल हाईकोर्ट
मुस्लिम पुरुष की दूसरी शादी के रजिस्ट्रेशन से पहले पहली पत्नी की बात ज़रूर सुनी जाए, अगर वह आपत्ति करे तो पक्षकारों को अदालत भेजा जाए: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में व्यवस्था दी कि केरल विवाह पंजीकरण (सामान्य) नियम 2008 के अनुसार, मुस्लिम पुरुष की दूसरी शादी का रजिस्ट्रेशन करते समय वैधानिक प्राधिकारियों द्वारा पहली पत्नी को सुनवाई का अवसर दिया जाना चाहिए।जस्टिस पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने कहा कि यद्यपि मुस्लिम व्यक्ति कुछ परिस्थितियों में किसी पुरुष को दूसरी शादी की अनुमति देता है। फिर भी यदि विवाह का पंजीकरण किया जाता है तो देश का कानून लागू होगा। तब धर्म संवैधानिक अधिकारों के आगे गौण हो जाता है।यह टिप्पणी एक मुस्लिम पुरुष और उसकी...

आर्थिक अक्षमता का बहाना नहीं चलेगा: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी रोकने को अनुच्छेद 21 का उल्लंघन बताया
आर्थिक अक्षमता का बहाना नहीं चलेगा: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी रोकने को अनुच्छेद 21 का उल्लंघन बताया

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट फैसला सुनाया कि राज्य संस्थाएं अपने कर्मचारियों को सेवांत लाभ (Terminal Benefits) प्रदान करने की वैधानिक बाध्यता को पूरा करने के लिए आर्थिक अक्षमता को बहाना नहीं बना सकती हैं। कोर्ट ने कहा कि इन लाभों को जारी करने की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन है।जस्टिस महेश्वर राव कुंचेम ऐसे मामले की सुनवाई कर रहे थे जहां कृष्ण जिला सहकारी केंद्रीय बैंक (DCCB) जो कि अनुच्छेद 12 के तहत 'राज्य' के दायरे में आता है, उनके रिटायर...

सामान्य वैवाहिक जीवन में महज ताने दिए जाना और पारिवारिक कलह क्रूरता नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
सामान्य वैवाहिक जीवन में महज ताने दिए जाना और पारिवारिक कलह क्रूरता नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वैवाहिक जीवन में सामान्य उतार-चढ़ाव के दौरान केवल ताने आकस्मिक संदर्भ और सामान्य पारिवारिक कलह क्रूरता का अपराध नहीं माना जा सकता।जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि सबूतों के अभाव में भी पति के दूर के रिश्तेदारों को भी जो वैवाहिक घर में रहते भी नहीं हैं, घसीटने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।कोर्ट ने तर्क दिया कि ऐसा केवल क्रूरता के कथित कृत्यों में उनकी सक्रिय भागीदारी को उजागर करने के लिए किया जाता है, क्योंकि ऐसे रिश्तेदार पक्षकारों के वैवाहिक कटुता से अवगत हो सकते हैं।जज ने...

सार्वजनिक विश्वास से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में समझौता आपराधिक दायित्व को समाप्त नहीं कर सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
सार्वजनिक विश्वास से जुड़े धोखाधड़ी के मामले में समझौता आपराधिक दायित्व को समाप्त नहीं कर सकता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक विश्वास से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में पक्षों के बीच समझौता आपराधिक दायित्व को समाप्त नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराध निजी विवादों के दायरे से परे होते हैं और सार्वजनिक संस्थाओं की अखंडता पर आघात करते हैं।याचिकाकर्ता पर सरकारी नौकरी का वादा करके शिकायतकर्ता से 4.5 लाख की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया।जस्टिस सुमीत गोयल ने अग्रिम ज़मानत खारिज करते हुए कहा,"याचिकाकर्ता ने सोची-समझी और कपटपूर्ण तरीके से शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों...

बिहार विधानसभा चुनाव | हाईकोर्ट ने नामांकन रद्द होने को चुनौती देने वाली उम्मीदवारों की रिट याचिकाएं खारिज कीं
बिहार विधानसभा चुनाव | हाईकोर्ट ने नामांकन रद्द होने को चुनौती देने वाली उम्मीदवारों की रिट याचिकाएं खारिज कीं

पटना हाईकोर्ट ने आगामी 6 और 11 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में क्रमशः राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJSP) के दो उम्मीदवारों के नामांकन रद्द होने को चुनौती देने वाली दो रिट याचिकाओं पर विचार करने से इनकार किया।जस्टिस ए अभिषेक रेड्डी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 329(बी) के तहत विशिष्ट प्रतिबंध और उम्मीदवारों के लिए वैकल्पिक उपायों की उपलब्धता का हवाला दिया।याचिकाकर्ताओं में से एक राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मोहनिया विधानसभा क्षेत्र...

आपसी विश्वास सुनहरा धागा: एमपी हाईकोर्ट ने झूठे आरोपों को क्रूरता मानते हुए पति को दी तलाक की अनुमति
आपसी विश्वास सुनहरा धागा: एमपी हाईकोर्ट ने झूठे आरोपों को क्रूरता मानते हुए पति को दी तलाक की अनुमति

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने वैवाहिक संबंध में आपसी विश्वास (Mutual Trust) को सुनहरा धागा (Golden Thread) बताते हुए टिप्पणी की कि जब एक जीवनसाथी दूसरे पर बेबुनियाद और मानहानिकारक आरोप लगाता है तो यह विश्वास टूट जाता है। कोर्ट ने पत्नी द्वारा लगाए गए झूठे आरोपों को क्रूरता मानते हुए और लंबे समय तक परित्याग (Desertion) के आधार पर पति को तलाक की मंजूरी दी।कोर्ट ने कहा,"वैवाहिक संबंध में आपसी विश्वास वह सुनहरा धागा है, जो विवाहित जोड़ों के जीवन में स्नेह और प्रशंसा बुनता है। जब एक पक्ष दूसरे पर बेबुनियाद...

मजिस्ट्रेट सुरक्षित संपत्ति पर कब्ज़ा करते समय पुलिस खर्च वहन करने का निर्देश सुरक्षित ऋणदाता को नहीं दे सकते: राजस्थान हाईकोर्ट
मजिस्ट्रेट सुरक्षित संपत्ति पर कब्ज़ा करते समय पुलिस खर्च वहन करने का निर्देश सुरक्षित ऋणदाता को नहीं दे सकते: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि कोई मजिस्ट्रेट वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (SARFAESI Act) की धारा 14 के तहत सुरक्षित संपत्ति पर कब्ज़ा करते समय किसी सुरक्षित ऋणदाता को पुलिस सहायता के लिए खर्च जमा करने का निर्देश नहीं दे सकता।जस्टिस आशुतोष कुमार की पीठ ने यह फैसला अलवर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) द्वारा एक वित्तीय कंपनी और उसके ऋणदाताओं के बीच विवाद में लगाई गई शर्त को खारिज करते हुए सुनाया।न्यायालय ने...

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम के तहत PMLA के आरोपियों को ED जांच में प्रत्यक्ष उपस्थिति से बचने का कोई विकल्प नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम के तहत PMLA के आरोपियों को ED जांच में प्रत्यक्ष उपस्थिति से बचने का कोई विकल्प नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियम, प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में प्रत्यक्ष और अनिवार्य उपस्थिति से बचने के लिए धन शोधन के आरोपियों के लिए एक आश्रय के रूप में काम नहीं करते हैं।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा साक्ष्य रिकॉर्डिंग की सुविधा के लिए है, न कि किसी फरार आरोपी को अनिवार्य जांच का सामना करने से बचाने के लिए।यह देखते हुए कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की शुरुआत मुकदमे की प्रगति को सुगम बनाने और उन गवाहों को कम से कम असुविधा...

बैंकों को पहले ही वसूल की जा चुकी राशि पर ब्याज लेना बंद करना चाहिए: किंगफिशर के बकाया कर्ज पर विजय माल्या ने कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा
'बैंकों को पहले ही वसूल की जा चुकी राशि पर ब्याज लेना बंद करना चाहिए': किंगफिशर के बकाया कर्ज पर विजय माल्या ने कर्नाटक हाईकोर्ट में कहा

भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या कर्नाटक हाईकोर्ट में दलील दी है कि बैंकों को पहले ही वसूल की जा चुकी राशि पर ब्याज लेना बंद करना चाहिए। माल्या ने अपने और अपनी पूर्ववर्ती एयरलाइन किंगफिशर (यूनाइटेड ब्रुअरीज होल्डिंग्स लिमिटेड) पर बकाया कर्ज की जानकारी मांगने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।जस्टिस ललिता कन्नेगंती के समक्ष माल्या की ओर से सीनियर वकील साजन पोवैया ने दलील दी कि बैंकों को बकाया राशि पहले ही मिल चुकी है और वे यह रुख नहीं अपना सकते कि कार्यवाही लंबित रहने के कारण की गई वसूली को...

नियोक्ता वर्षों तक अभ्यावेदन का जवाब न देने पर कर्मचारी के दावे को अस्वीकार करने में देरी का हवाला नहीं दे सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
नियोक्ता वर्षों तक अभ्यावेदन का जवाब न देने पर कर्मचारी के दावे को अस्वीकार करने में देरी का हवाला नहीं दे सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली द्वारा दायर अपील खारिज की, जिसमें सिंगल जज के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें रिटायर कर्मचारी के उच्च ग्रेड वेतन को वापस लेने को रद्द कर दिया गया था और संस्थान को वित्तीय उन्नयन के उसके दावे पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया गया था। कोर्ट ने माना कि देरी NIT द्वारा कर्मचारी के अभ्यावेदन का जवाब न देने के कारण हुई थी।चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने टिप्पणी की:"इसमें कोई विवाद नहीं है कि वर्ष...

सुनवाई के दौरान निष्पक्ष टिप्पणियों पर मीडिया की सनसनी फैलाने वाली रिपोर्टिंग चिंताजनक: दिल्ली हाईकोर्ट
सुनवाई के दौरान 'निष्पक्ष टिप्पणियों' पर मीडिया की सनसनी फैलाने वाली रिपोर्टिंग चिंताजनक: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान की गई 'केवल सनसनी फैलाने' के लिए की गई 'निष्पक्ष टिप्पणियों' की मीडिया रिपोर्टिंग के 'चिंताजनक चलन' की ओर इशारा किया।जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा,"हाल के दिनों में यह एक चिंताजनक चलन बन गया है कि किसी मामले की सुनवाई के दौरान अदालत द्वारा की गई कुछ सबसे निष्पक्ष टिप्पणियों, जो कार्यवाही से जुड़ी भी हो सकती हैं या नहीं भी, की रिपोर्टिंग केवल सनसनी फैलाने के लिए की जाती है।"जज ने आगे कहा,"अदालती कार्यवाही की ऐसी रिपोर्टिंग, जो जनता में अधिक रुचि के...