संपादकीय

वरिष्ठ नागरिकों को सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में भी वरिष्ठता मिले : सुप्रीम कोर्ट
वरिष्ठ नागरिकों को सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में भी वरिष्ठता मिले : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ अश्विनी कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वरिष्ठ नागरिकों को अस्पतालों में प्राथमिकता दी जाए। याचिका में बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए मांग की गई है।न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी की पीठ ने निर्देश दिया है कि COVID-19 महामारी के बीच सरकारी चिकित्सा संस्थानों के अलावा निजी चिकित्सा संस्थानों में भी दाखिले में बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अदालत ने...

National Uniform Public Holiday Policy
डाइंग डिक्लेयरेशन की अनदेखी महज इसलिए नहीं की जा सकती क्योंकि अस्पताल में इसे दर्ज करते वक्त मृतका के सगे-संबंधी मौजूद थे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डाइंग डिक्लयेरशन (मरते वक्त दिया गया बयान) पर महज इसलिए अविश्वास नहीं किया जा सकता, क्योंकि अस्पताल में इसे रिकॉर्ड में लाते वक्त मृतका के माता पिता और सगे संबंधी मौजूद थे।न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की खंडपीठ ने हत्या के एक अभियुक्त की अपील खारिज करते हुए कहा, "यह स्वाभाविक है कि जब इस तरह की घटना घटती है, माता पिता और सगे संबंधी, रिश्तेतार नातेदार तुरंत अस्पताल पहुंचने का प्रयास करते हैं। महज इसलिए कि वे (माता पिता एवं सगे संबंधी) अस्पताल में...

हितबद्ध (इंट्रेस्टेड) व्यक्ति के साक्ष्य पर भी विचार किया जा सकता है बशर्ते इसकी पुष्टि हो : सुप्रीम कोर्ट
हितबद्ध (इंट्रेस्टेड) व्यक्ति के साक्ष्य पर भी विचार किया जा सकता है बशर्ते इसकी पुष्टि हो : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हितबद्ध व्यक्ति के साक्ष्य पर विचार किया जा सकता है, बशर्ते ऐसे साक्ष्य रिकॉर्ड पर लाये गये अन्य साक्ष्यों के आधार पर पुष्ट हों।न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने कहा कि निकट संबंधी, जो स्वाभाविक गवाह होते हैं, को हितबद्ध गवाह नहीं माना जा सकता।इस मामले में, अभियुक्त को हत्या के प्रकरण में समान रूप से दोषी ठहराया गया था। अभियोजन पक्ष का आरोप था कि अभियुक्त ने अपनी पत्नी और मृतक के बीच कथित संबंधों के कारण मृतक की हत्या कर दी थी। शीर्ष अदालत...

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल से गाजीपुर जेल में ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार द्वारा बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी को रोपड़ जेल से गाजीपुर जेल में ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

"अनुच्छेद 32 हमारे संविधान का हृदय और आत्मा है।"सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह बात पंजाब राज्य और जेल अधीक्षक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर याचिका एक याचिका की सुनवाई में कहा। याचिका में पंजाब के रोपड़ जेल से बसपा विधायक मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश की गाजीपुर जेल में स्थानांतरित करने की मांग की गई है।न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष एडवोकेट दवे ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर यूपी सरकार की याचिका के सुनवाई योग्य...

ओटीटी कंटेंट की स्क्रीनिंग होनी चाहिए, कुछ तो अश्लीलता भी दिखाते हैं  : सुप्रीम कोर्ट ने  तांडव मामले में टिप्पणी की
"ओटीटी कंटेंट की स्क्रीनिंग होनी चाहिए, कुछ तो अश्लीलता भी दिखाते हैं " : सुप्रीम कोर्ट ने ' तांडव' मामले में टिप्पणी की

"हमारा विचार है कि ओटीटी कंटेंट की कुछ स्क्रीनिंग होनी चाहिए," सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वेब श्रृंखला "तांडव" के संबंध में दर्ज आपराधिक मामलों अग्रिम जमानत से इनकार करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अमेज़न प्राइम की कमर्शियल हेड अपर्णा पुरोहित की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा।"वास्तव में, कुछ मंच अश्लीलता भी दिखाते हैं, " पीठ ने टिप्पणी की।न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ इस मामले की अध्यक्षता कर रही है और पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को नए सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021...

सीबीआई में अंतरिम निदेशक के खिलाफ कॉमन कॉज की याचिका, सुप्रीम कोर्ट से नियमित निदेशक की नियुक्ति की मांग
सीबीआई में अंतरिम निदेशक के खिलाफ कॉमन कॉज की याचिका, सुप्रीम कोर्ट से नियमित निदेशक की नियुक्ति की मांग

कॉमन कॉज़ सोसाइटी ने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 4 ए के अनुसार, सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) के एक नियमित निदेशक की नियुक्ति की मांग की है।जनहित याचिका में इसी साल दो फरवरी को ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, अंतरिम / कार्यवाहक सीबीआई निदेशक के रूप में प्रवीण सिन्हा की नियुक्ति का विरोध भी किया गया है।याचिका में कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत कानून के शासन को बनाए रखने और नागरिकों के अधिकारों को लागू करने के...

मुझे यौर लॉर्डशिप या माई लॉर्ड के रूप में संबोधित करने से बचें: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण कुमार त्यागी ने बार सदस्यों से अनुरोध किया
मुझे 'यौर लॉर्डशिप' या 'माई लॉर्ड' के रूप में संबोधित करने से बचें: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण कुमार त्यागी ने बार सदस्यों से अनुरोध किया

एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक नोटिस जारी कर बार के सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी को 'यौर लॉर्डशिप' या 'माय लॉर्ड' के रूप में संबोधित करने से बचें ।यह नोट न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी के अनुरोध के अनुसार जारी किया गया है, जिन्होंने बार सदस्यों से आग्रह किया है कि वे उन्हेंं ' ओब्लाइज़्ड और ग्रेटफुल ' कहने से बचें ।नोटिस में है-"यह बार के सम्मानित सदस्यों की जानकारी के लिए है कि माननीय श्री अरूण कुमार त्यागी ने अनुरोध किया है कि...

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अंतरिम जमानत पर छूटे 2674 कैदियों को COVID-19 की बेहतर स्थिति को देखते हुए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अंतरिम जमानत पर छूटे 2674 कैदियों को COVID-19 की बेहतर स्थिति को देखते हुए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को COVID-19 की बेहतर स्थिति को देखते हुए दिल्ली के ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत पर रिहा किए गए 2674 कैदियों को 1 मार्च से 15 मार्च तक दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। आदेश में कहा गया है,"COVID-19 महामारी में सुधार की स्थिति के मद्देनजर हम ट्रायल कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत पाए 2318 कैदियों और हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत पाए 356 कैदियों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देते हैं।"न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली...

हमें बार को यह संदेश देना चाहिए कि अकारण मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट
हमें बार को यह संदेश देना चाहिए कि अकारण मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं होगी : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा, "हमें बार को यह संदेश देना चाहिए कि हम बगैर किसी कारण मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं करेंगे।"न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने बेंच में शामिल न्यायमूर्ति एम आर शाह की मौजूदगी में यह टिप्पणी उस वक्त की जब सिविल मामले की एक 'आफ्टर नोटिस' विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) सुनवाई के लिए खंडपीठ के पास आयी और याचिकाकर्ता कंपनी के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) ने सुनवाई स्थगित करने का उनसे अनुरोध किया। इस मामले में 2017 में ही नोटिस जारी किया जा चुका...

यह टिप्पणी चीजों को पितृसत्तात्मक तरीके से देखने का नज़रिया है: जस्टिस दीपक गुप्ता ने सीजेआई के बलात्कार के आरोपी से पीड़िता से शादी करने के बारे में पूछने पर कहा
"यह टिप्पणी चीजों को पितृसत्तात्मक तरीके से देखने का नज़रिया है": जस्टिस दीपक गुप्ता ने सीजेआई के बलात्कार के आरोपी से पीड़िता से शादी करने के बारे में पूछने पर कहा

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे द्वारा बलात्कार के एक आरोपी से यह पूछने पर कि क्या वह पीड़िता से शादी करेगा, जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा। जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा,"दुर्भाग्य से जिस तरह से चीजों को देखा गया, उस हिसाब से यह एक बहुत पितृसत्तात्मक तरीके की गई टिप्पणी है। इतना ही नहीं, यह लैंगिग असंवेदनशीलता भी है।"जस्टिस दीपक गुप्ता ने यह बात सीजेआई एसए बोबडे की उस टिप्पणी के संदर्भ में कही है, जिसमें सीजेआई ने एक मामले की सुनवाई के दौरान एक नाबालिग लड़की के बलात्कार के आरोपी 23 वर्षीय व्यक्ति से...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
"क्या केरल सरकार यूपी से सिद्दीकी कप्पन के स्‍थानांतरण की मांग कर सकती है, एक राज्य दूसरे राज्य के खिलाफ अनुच्छेद 32 का आह्वान नहीं कर सकता हैः मुख्तार अंसारी मामले में दुष्यंत दवे ने कहा

"एक राज्य दूसरे राज्य के खिलाफ अनुच्छेद 32 का आह्वान नहीं कर सकता है।"पंजाब राज्य और जेल अधीक्षक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर याचिका एक याचिका की सुनवाई में यह दलील दी है। याचिका में पंजाब के रोपड़ जेल से बसपा विधायक मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश की गाजीपुर जेल में स्थानांतरित करने की मांग की गई है।मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने भी दलीलें पेश कीं, जो...

आगे की जांच के लिए कोर्ट की अनुमति अनिवार्य नहीं, लेकिन अनुमित लेना एक बेहतर लॉ  प्रैक्टिस के रूप में मान्य: केरल हाईकोर्ट
'आगे की जांच के लिए कोर्ट की अनुमति अनिवार्य नहीं, लेकिन अनुमित लेना एक बेहतर लॉ प्रैक्टिस के रूप में मान्य': केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने (मंगलवार) एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका (Criminal revision Petition) पर फैसला सुनाते हुए देखा कि क्या आगे की जांच के लिए अदालत की अनुमति अनिवार्य है या क्या इस तरह की जांच शुरू करने से पहले जरूरी सबूत इकट्ठे किए जाने चाहिए।न्यायमूर्ति आर नारायण पिशराडी की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आगे की जांच की अनुमति अनिवार्य नहीं है, यह शिष्टाचार और स्वामित्व के सिद्धांतों पर आधारित एक अच्छी तरह से स्वीकृत कानूनी नियम है।तथ्यविजिलेंस एंड एंटी करप्शन...

सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के वेतन के अनुपात में पेंशन लागू करने को लेकर ईपीएफओ के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के वेतन के अनुपात में पेंशन लागू करने को लेकर ईपीएफओ के खिलाफ अवमानना कार्यवाही पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( ईपीएफओ) और केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना ​​याचिकाओं पर सुनवाईसे रोक दिया है, जिसमें उस फैसले को लागू करने की मांग की गई है कि कर्मचारियों की पेंशन अधिकतम 15,000 रुपये तक ही तय नहीं की जा सकती है और यह अंतिम वेतन समानुपातिक होना चाहिए।जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की एक पीठ ने 23 मार्च से पेंशन मामले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर रोजाना सुनवाई करने का फैसला करते हुए यह आदेश दिया।पीठ ने यह भी स्पष्ट कहा कि कोई स्थगन नहीं दिया...

सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के चलते दिए गए स्वत: संज्ञान सीमा अवधि विस्तार को वापस लेने का प्रस्ताव दिया, 90 दिन की अनुग्रह अवधि देने का संकेत
सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के चलते दिए गए स्वत: संज्ञान सीमा अवधि विस्तार को वापस लेने का प्रस्ताव दिया, 90 दिन की अनुग्रह अवधि देने का संकेत

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संकेत दिया कि वह COVID-19 महामारी और राष्ट्रीय लॉकडाउन के कारण पिछले साल मामलों को दायर करने के लिए दिए गए स्वत : संज्ञान सीमा अवधि विस्तार को बढ़ाने के आदेश को हटाने का प्रस्ताव दे रहा है।भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने आज भारत के लिए अटॉर्नी जनरल से कहा कि वह सीमा अवधि पर चल रहे प्रतिबंध को हटाने का प्रस्ताव दे रही है। पीठ ने कहा कि यह सीमा के विस्तार के हटाने के प्रभावी होने के साथ 90 दिनों की एक अनुग्रह अवधि दे सकती है।पीठ ने यह भी कहा कि वह देश...

सरकार से अलग विचार रखना देशद्रोह नहीं है: सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 पर टिप्पणी के लिए जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला पर कार्यवाही की याचिका 50 हजार जुर्माने के साथ खारिज की
"सरकार से अलग विचार रखना देशद्रोह नहीं है": सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 पर टिप्पणी के लिए जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला पर कार्यवाही की याचिका 50 हजार जुर्माने के साथ खारिज की

"सरकार से अलग विचार रखना देशद्रोह नहीं है" सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने पर टिप्पणी के लिए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा।रजत शर्मा और डॉ नेह श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि अब्दुल्ला ने लाइव बयान दिया कि अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए वह चीन से मदद लेंगे। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पूर्व सीएम कश्मीर को चीन को "सौंपने" की कोशिश कर रहे हैं और इस तरह, उनके...

हम उचित निर्देश देंगे : सीजेआई ने वीसी लिंक मिलने में कठिनाई का उल्लेख करने वाले वकील को आश्वासन दिया
"हम उचित निर्देश देंगे" : सीजेआई ने वीसी लिंक मिलने में कठिनाई का उल्लेख करने वाले वकील को आश्वासन दिया

भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने बुधवार को आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध मामलों की वर्चुअल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध मामलों का लिंक उसी दिन अधिवक्ताओं / पार्टी-इन-पर्सन को भेजे जाने का उपाय किया जाएगा।"हम उचित निर्देश देंगे। हर किसी को एक लिंक मिलेगा," सीजेआई एसए बोबडे ने सुप्रीम कोर्ट के व्हाट्सएप के माध्यम से वीसी लिंक साझा नहीं करने के फैसले के बाद एक वकील द्वारा व्यक्त की गई कठिनाई के मद्देनज़र कहा।अधिवक्ता केके मणि ने सीजेआई के समक्ष उल्लेख करते हुए कहा कि वकीलों के लिए...

सीआरपीसी 313 के तहत आरोपियों द्वारा सवालों के झूठे स्पष्टीकरण का चेन को पूरा करने के लिए कड़ी के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट
सीआरपीसी 313 के तहत आरोपियों द्वारा सवालों के झूठे स्पष्टीकरण का चेन को पूरा करने के लिए कड़ी के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत अदालत द्वारा पूछे गए सवालों पर अभियुक्तों के झूठे स्पष्टीकरण या गैर-स्पष्टीकरण का चेन को पूरा करने के लिए कड़ी के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है।इसका उपयोग एक केवल तब एक अतिरिक्त परिस्थिति के रूप में किया जा सकता है, जब अभियोजन पक्ष परिस्थितियों की चेन को किसी अन्य निष्कर्ष पर नहीं बल्कि आरोपियों के अपराध को साबित करे, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई शामिल पीठ ने कहा।इस मामले में, अभियुक्त को अपनी पत्नी की हत्या के...

धारा 34 याचिका के लिए सीमा अवधि उस तारीख से शुरू होगी, जिस दिन अवार्ड की हस्ताक्षरित प्रति पक्षकारों को उपलब्ध कराई गई थी : सुप्रीम कोर्ट
'धारा 34' याचिका के लिए सीमा अवधि उस तारीख से शुरू होगी, जिस दिन अवार्ड की हस्ताक्षरित प्रति पक्षकारों को उपलब्ध कराई गई थी : सुप्रीम कोर्ट

मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 34 के तहत याचिका दायर करने के लिए सीमा अवधि उस तारीख से शुरू होगी, जिस दिन अवार्ड की हस्ताक्षरित प्रति पक्षकारों को उपलब्ध कराई गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है।जस्टिस इंदु मल्होत्रा ​​और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि इस पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद अवार्ड की कोई अंतिम स्थिति नहीं हो सकती है।इस मामले में, नवगेंट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण (2: 1) द्वारा पारित 27.04.2018 को मध्यस्थता अवार्ड को चुनौती देने के लिए बिजली...

मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत आवेदन को आईबीसी 14 के तहत मोहलत द्वारा कवर किया गया है : सुप्रीम कोर्ट
मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत आवेदन को आईबीसी 14 के तहत मोहलत द्वारा कवर किया गया है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक अवार्ड को रद्द करने के लिए मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 34 के तहत एक आवेदन इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड की धारा 14 के तहत मोहलत द्वारा कवर किया गया है।धारा 34 की कार्यवाही कॉरपोरेट देनदार के खिलाफ अदालत में एक मध्यस्थ अवार्ड के लिए चुनौती से संबंधित कार्यवाही है और इसे उसी तरह से कवर किया जाएगा जिस तरह एक सूट से निकली डिक्री में अपीलीय कार्यवाही को कवर किया जाएगा, न्यायमूर्ति नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने पी मोहनराज और अन्य बनाम एम / एस शाह ब्रदर्स इस्पात...

सुप्रीम कोर्ट ने यतिन ओझा के आचरण की निगरानी के लिए अंतरिम उपाय के रूप में उनकी सीनियर गाउन  बहाल करने की संभावना पर विचार करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने यतिन ओझा के आचरण की निगरानी के लिए अंतरिम उपाय के रूप में उनकी सीनियर गाउन बहाल करने की संभावना पर विचार करने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट से आग्रह किया कि उच्च न्यायालय के खुलने के बाद अधिवक्ता यतिन ओझा के सीनियर गाउन को बहाल करने की पर विचार किया जाए, ताकि इस व्यवस्था को स्थायी बनाने पर फैसला किया जा सके।गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता सी. ए. सुंदरम ने कहा कि"क्या उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री के खिलाफ एक बयान को अवमानना माना जा सकता है? आलोचना की सीमा क्या हो सकती है? बेशक असंयमी भाषा के लिए कोई बहाना नहीं है और मैं मानता हूं कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए।...