सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अंतरिम जमानत पर छूटे 2674 कैदियों को COVID-19 की बेहतर स्थिति को देखते हुए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

4 March 2021 6:43 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अंतरिम जमानत पर छूटे 2674 कैदियों को COVID-19 की बेहतर स्थिति को देखते हुए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को COVID-19 की बेहतर स्थिति को देखते हुए दिल्ली के ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत पर रिहा किए गए 2674 कैदियों को 1 मार्च से 15 मार्च तक दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।

    आदेश में कहा गया है,

    "COVID-19 महामारी में सुधार की स्थिति के मद्देनजर हम ट्रायल कोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत पाए 2318 कैदियों और हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम जमानत पाए 356 कैदियों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देते हैं।"

    न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पिछले साल अक्टूबर में अंतरिम-जमानत या पैरोल देने से इनकार करने के खिलाफ "नेशनल फोरम फॉर जेल रिफॉर्म्स" नामक एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कैदियों की अंतरिम जमानत के लिए यह आदेश पारित किया था।

    सुनवाई के दौरान, पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि कैदी जमानत के लिए आवेदन दाखिल करना शुरू कर सकते हैं, क्योंकि कोर्ट ने फिजिकल रूप से काम करना शुरू कर दिया है। पीठ ने यह भी कहा कि तत्काल एसएलपी को लंबित रखा जाएगा और जमानत के आवेदनों में कोर्ट को आदेशों से अवगत कराया जाना चाहिए।

    अधिवक्ता अजय वर्मा ने सुझाव दिया कि कैदियों का आत्मसमर्पण जिलेवार तरीके से किया जा सकता है, हालांकि, इसे अदालत ने खारिज कर दिया। अधिवक्ता कन्हैया सिंघल ने अदालत को बताया कि सोशल डिस्टेंसिंग के उद्देश्यों के लिए अस्थायी जेल बनाई गई है।

    सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी गौरव अग्रवाल को जेलों के भीड़-भाड़ पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।

    अग्रवाल को जेलों में भीड़भाड़ के मुद्दे पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया है और वर्मा को मामले में अतिरिक्त सामग्री प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है।

    मार्च 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने स्वयं के प्रस्ताव पर निर्देश दिया था कि अगले आदेशों 15 मई, 2020 तक COVID1-9 महामारी के मद्देनजर अंतरिम जमानत दी जाएगी। हालांकि 25 मार्च के इस आदेश को आगे समय-समय पर अक्टूबर 2020 तक के लिए बढ़ाया गया था।

    बाद में दिल्ली सरकार द्वारा एक स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि 2318 कैदियों को न्यायालयों द्वारा अंतरिम जमानत दी गई थी और 2907 कैदियों को हाई-पावर्ड कमेटी की सिफारिश पर अंतरिम जमानत दी गई थी। वहीं 356 को हाईकोर्ट ने जमानत दी थी।

    वहीं 25 मार्च के आदेश को अक्टूबर 2020 में हाईकोर्ट द्वारा संशोधित किया गया था, जिसमें यह सूचित किया गया था कि जघन्य अपराधों में शामिल अपराधियों को दी गई अंतरिम जमानत का अब और विस्तार नहीं होगा।

    उपर्युक्त आदेश से दुखी होकर, नेशनल फोरम ऑन जेल रिफॉर्म्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और COVID-19 महामारी से संबंधित स्थिति को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने 29 अक्टूबर, 2020 को नोटिस जारी किया और हाईकोर्ट द्वारा दिए गए कुछ निर्देशों पर रोक लगा दी। यह रोक समय-समय पर विस्तारित होती गई, जिसमें अंतिम विस्तार 21 जनवरी, 2020 को 25 फरवरी तक किया गया था।

    इस बीच, हाईकोर्ट को 17 फरवरी, 2021 को हाई-पावर्ड कमेटी द्वारा किए गए एक फैसले की जानकारी दी गई, जिसमें अंतरिम जमानत पर रिहा किए गए कैदियों के आत्मसमर्पण की सिफारिश की गई थी। हाईकोर्ट ने तदनुसार, 3499 अंडरट्रायल कैदियों की अंतरिम जमानत का विस्तार और 15 दिनों की अवधि के लिए कर दिया था। यह विस्तार उस वक्त किया गया था, जब कैदियों की अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने वाली थी।

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