संपादकीय

केवल असुविधा  किसी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं है : सुप्रीम कोर्ट
केवल 'असुविधा ' किसी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं है : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2010 में किए गए 2020 के संशोधनों को बरकरार रखते हुए कहा कि केवल असुविधा की दलील किसी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए पर्याप्त नहीं है।अदालत ने कहा कि ऐसी धारणा है कि संसद कानून के कार्यान्वयन में प्राप्त अनिवार्यता और अनुभव के अनुसार अपने लोगों की जरूरतों को समझती है और उन पर प्रतिक्रिया करती है।जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने रिट याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई दलीलों पर विचार करते हुए कहा...

यह एक नया चलन है, सरकार जजों को बदनाम कर रही है, सीजेआई एनवी रमाना ने कहा
"यह एक नया चलन है, सरकार जजों को बदनाम कर रही है', सीजेआई एनवी रमाना ने कहा

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना ने शुक्रवार को कहा, "यह एक नया ट्रेंड शुरू हो गया, सरकार ने जजों को बदनाम करना शुरू कर दिया है! यह दुर्भाग्यपूर्ण है।"यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से दायर दो विशेष अनुमति याचिकाओं पर विचार करते हुए की गई थी, जिसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत पूर्व आईआरएस अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव अमन कुमार सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी।एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि...

अंतरिम आदेशों के अनुसार किया गया एड- हॉक भुगतान वेतन के भुगतान अधिनियम के तहत  वेतन का हिस्सा नहीं बनाता : सुप्रीम कोर्ट
अंतरिम आदेशों के अनुसार किया गया एड- हॉक भुगतान वेतन के भुगतान अधिनियम के तहत " वेतन" का हिस्सा नहीं बनाता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के अनुसार किया गया एड- हॉक यानी तदर्थ भुगतान ग्रेच्युटी गणना के उद्देश्य के लिए ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 2 (एस) के तहत अभिव्यक्ति के अर्थ के भीतर " वेतन" का हिस्सा नहीं है।जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि एक पक्ष जो एक अंतरिम आदेश का आनंद ले रहा है, ऐसे अंतरिम आदेश का लाभ खोने के लिए बाध्य होगा, अगर मामले का अंतिम परिणाम उसके खिलाफ जाता है।इस मामले में उठाया गया मुद्दा यह था कि क्या पिछले...

क्या हज और उमराह सेवाओं के लिए जीएसटी से छूट दी जा सकती है ? सुप्रीम कोर्ट ने निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की
क्या हज और उमराह सेवाओं के लिए जीएसटी से छूट दी जा सकती है ? सुप्रीम कोर्ट ने निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विभिन्न निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की, जिसमें सऊदी अरब की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को उनके द्वारा दी जाने वाली हज और उमराह सेवाओं के लिए माल और सेवा कर से छूट की मांग की गई है।टूर ऑपरेटर हाजियों पर जीएसटी लगाने को चुनौती दे रहे हैं, जो पंजीकृत निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का इस आधार पर लाभ उठाते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार अतिरिक्त क्षेत्रीय गतिविधियों पर कोई कर कानून लागू नहीं हो सकता है। उनका तर्क है कि...

सिर्फ मांगने पर ही किराएदार को दिल्ली किराया नियंत्रण कानून की धारा 25बी के तहत बचाव की अनुमति नहीं दी जा सकती : सुप्रीम कोर्ट
सिर्फ मांगने पर ही किराएदार को दिल्ली किराया नियंत्रण कानून की धारा 25बी के तहत बचाव की अनुमति नहीं दी जा सकती : सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958 की धारा 25बी के तहत बचाव की अनुमति केवल मांगने पर नहीं दी जा सकती है और एक किरायेदार को किसी ट्रायल योग्य मुद्दे को उठाने की सीमा तक तथ्यों की कुछ सामग्री रखनी होगी।जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि धारा 25 बी के पीछे का उद्देश्य न केवल मकान मालिकों के एक वर्ग के लिए सामान्य प्रक्रियात्मक मार्ग के बिना शीघ्र लेकिन प्रभावी उपाय की सुविधा देना है।इस मामले में मकान मालिक ने दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 25बी के साथ पठित...

[बीरभूम नरसंहार] कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, टीएमसी नेता भादु शेख की हत्या में सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका में आदेश सुरक्षित रखा
[बीरभूम नरसंहार] कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, टीएमसी नेता भादु शेख की हत्या में सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका में आदेश सुरक्षित रखा

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा (Birbhum Massacre) की जांच में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा प्रस्तुत प्रारंभिक रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लिया, जिसमें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय नेता भादु शेख की हत्या के प्रतिशोध में कथित तौर पर 8 लोग मारे गए थे।अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया कि क्या सीबीआई को टीएमसी नेता भादु शेख की हत्या की भी जांच करनी चाहिए।कोर्ट ने 25 मार्च के आदेश में यह कहते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया था कि...

सिर्फ कानून के गलत तरीके से लागू होने या सबूतों के गलत मूल्यांकन के आधार पर मध्यस्थ अवार्ड केवल रद्द नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सिर्फ कानून के गलत तरीके से लागू होने या सबूतों के गलत मूल्यांकन के आधार पर मध्यस्थ अवार्ड केवल रद्द नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (30 मार्च) को माना कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 2013 की धारा 34 (2) (बी) में उल्लिखित आधारों के अलावा, एक मध्यस्थ अवार्ड केवल तभी रद्द किया जा सकता है जब यह पेटेंट अवैधता द्वारा दूषित हो, ना कि कानून के गलत तरीके से लागू होने या सबूतों के गलत मूल्यांकन के आधार पर।जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक अपील की अनुमति दी, जिसने जिला न्यायाधीश के आदेश की पुष्टि की थी कि मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी की निजी संपत्ति पर जबरन कब्जा करना मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकार दोनों का उल्लंघन : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति पर जबरन कब्जा करना उसके मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकार दोनों का उल्लंघन है।सुख दत्त रात्रा और भगत राम ने उस जमीन के मालिक होने का दावा किया जिसका इस्तेमाल 1972-73 में 'नारग फगला रोड' के निर्माण के लिए किया गया था। उन्होंने 2011 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष एक रिट याचिका दायर की, जिसमें विषय भूमि के मुआवजे या अधिनियम के तहत अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
"वकीलों की चतुराई को चिन्हित करना होगा, एक पति और पत्नी के बीच 60 मामले!": सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद मामले में कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को वैवाहिक विवाद (Matrimonial Dispute) के एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, "वकीलों की चतुराई को चिन्हित करना होगा, एक पति और पत्नी के बीच 60 मामले!"यह टिप्पणी न्यायमूर्ति हिमा कोहली की ओर से आई, जब याचिकाकर्ता के वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना की अध्यक्षता वाली पीठ को सूचित किया कि पति और पत्नी द्वारा शादी के 30 साल और अलग होने के 11 साल में 60 मामले दर्ज किए गए हैं।याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने अदालत से मामले को शांत करने और इसे...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने मां का समर्थन नहीं मिलने के कारण विवाहित बेटी के अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज किया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को एक विवाहित बेटी के सरकारी सेवा में अपने पिता की मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज किया क्योंकि विधवा मां ने उसका नाम प्रायोजित नहीं किया।जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति योजना के नियम 2.2 के अनुसार जीवित पति या पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए बच्चे को प्रायोजित करना होता है।याचिकाकर्ता ने अप्रैल 2021 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
'गंभीर आरोप': सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपये के घोटाले में आईपीएस अधिकारी के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका में नोटिस जारी किया, याचिकाकर्ता के मामले को वापस लेने के अनुरोध को अस्वीकार किया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को याचिकाकर्ता के मामले को वापस लेने के अनुरोध की अनुमति देने से इनकार करते हुए एक रिट याचिका में नोटिस जारी किया, जिसमें उत्तराखंड के एक आईपीएस अधिकारी द्वारा कथित रूप से किए गए कई करोड़ बैंक घोटाले और एक व्हिसल ब्लोअर की कथित हत्या की जांच की मांग की गई थी।सीजेआई एनवी रमाना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने "आपने इस तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं" यह टिप्पणी तब की जब याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए याचिका...

सुनिश्चित करें कि माता- पिता के कर्ज के कारण कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चे संपत्ति से वंचित ना रहें : सुप्रीम कोर्ट का अधिकारियों को निर्देश
सुनिश्चित करें कि माता- पिता के कर्ज के कारण कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चे संपत्ति से वंचित ना रहें : सुप्रीम कोर्ट का अधिकारियों को निर्देश

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने, अन्य बातों के साथ-साथ, राज्य सरकार / केंद्र शासित प्रदेशों को उन बच्चों के संबंध में सामाजिक जांच रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया जिनकी पहचान मार्च, 2020 के बाद माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने के लिए की गई है और उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने को कहा है।मृत माता-पिता की वित्तीय देनदारियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट को जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण की सहायता लेने का निर्देश...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
"इस तरह की याचिकाओं की इस अदालत में बाढ़ न लाएं": सुप्रीम कोर्ट ने पिता से अपनी बेटी के गैंगरेप और मर्डर की निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट जाने के लिए कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को नाबालिग बेटी के अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली एक पिता की रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना (CJI NV Ramana) की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता पिता को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी।बेंच (जिसमें जस्टिस कृष्णा मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली) ने याचिकाकर्ता के पहले हाईकोर्ट जाने के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट जाने के दृष्टिकोण के खिलाफ कड़ी टिप्पणी...

सुप्रीम कोर्ट ने एलएलबी दाखिले के लिए बीसीआई की ऊपरी-आयु सीमा को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन बताया
सुप्रीम कोर्ट ने एलएलबी दाखिले के लिए बीसीआई की ऊपरी-आयु सीमा को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन बताया

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कानूनी शिक्षा हासिल करने के लिए 30 साल की ऊपरी आयु सीमा लगाकर "अपनी प्रभावी स्थिति का दुरुपयोग" करके प्रतिस्पर्धा अधिनियम का उल्लंघन किया है।याचिका एक अधिवक्ता द्वारा दायर की गई थी जिसमें दावा किया गया था कि अनुसूची III के खंड 28, नियम 11 से भाग IV- कानूनी शिक्षा नियम, 2008 को अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत (सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को छोड़कर, जिन्होंने कानूनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
मरने से पहले दिए गए बयान को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि तब पीड़ित के जीवन पर कोई खतरा नहीं था जब इसे दर्ज किया गया था: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मरने से पहले दिए गए बयान को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि उस समय पीड़ित के जीवन पर कोई अत्यधिक आपात स्थिति या खतरा नहीं था जब इसे दर्ज किया गया था।न्यायालय ने लक्ष्मण बनाम महाराष्ट्र राज्य (2002) 6 SCC 710 में तय की गई मिसाल का हवाला देते हुए कहा, "... कानून का कोई पूर्ण प्रस्ताव नहीं है कि ऐसे मामले में जब मरने से पहले दिया गया बयान दर्ज किया गया था, उस समय कोई आपात स्थिति और/या जीवन के लिए कोई खतरा नहीं था, मरने से पहले के बयान को पूरी तरह से खारिज...

हाईकोर्ट के एक ही वाक्य में जमानत याचिका खारिज करने के दृष्टिकोण की हम सराहना नहीं करते : सुप्रीम कोर्ट
हाईकोर्ट के एक ही वाक्य में जमानत याचिका खारिज करने के दृष्टिकोण की हम सराहना नहीं करते : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस बात पर चिंता जताई कि बार-बार इसके हस्तक्षेप करने के बाद भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जमानत अर्जी को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया था कि अपील पर ही सुनवाई होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के दृष्टिकोण से संबंधित हाईकोर्ट के समक्ष अपीलों की बढ़ती पेंडेंसी को देखते हुए कोई उद्देश्य हल नहीं होगा।"... जमानत की जांच करने के बजाय, इस आधार पर स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया कि अपील को ही सुना जाना चाहिए, इलाहाबाद हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में लंबित अपीलों को...

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली
'नियुक्ति अनियमित होने पर भी कर्मचारी द्वारा किए गए कार्य के लिए राज्य को वेतन देना होगा': सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक व्यक्ति की शिक्षक के रूप में नियुक्ति अनियमित पाए जाने पर उसे भुगतान किया गया वेतन उससे वापस लेने के निर्देश को रद्द किया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसकी नियुक्ति अनियमित होने के कारण उसकी सेवाओं को रद्द करने से पहले उस व्यक्ति ने लगभग 24 वर्षों तक एक शिक्षक के रूप में काम किया था।यह पाया गया कि वह चयन समिति के एक सदस्य के रिश्तेदार हैं और इसलिए उनकी नियुक्ति नियमों के विपरीत थी। राज्य सरकार ने उनकी नियुक्ति रद्द करते हुए उसे दिए गए वेतन की वसूली के भी निर्देश...

सुनवाई का नोटिस जारी होने के बावजूद संपत्ति जब्त करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को फटकार लगाई
सुनवाई का नोटिस जारी होने के बावजूद संपत्ति जब्त करने पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को फटकार लगाई

पीएमएलए के एक मामले के संबंध में जहां "मूल प्रश्न यह है कि क्या 3.6.2021 का प्रोविज़नल ज़ब्ती आदेश 180 दिनों की समाप्ति पर लागू होना बंद हो जाता है", सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्रीय एजेंसी पर याचिका की अग्रिम प्रति की सेवा की अनुमति देने और 1 अप्रैल को सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करने के न्यायालय के 28 मार्च के आदेश के बावजूद संपत्तियों को सील करने सांकेतिक कब्जे में लेने की कार्यवाही के लिए ईडी को फटकार लगाई।जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस एएस ओक की बेंच बॉम्बे हाईकोर्ट के 3 मार्च के...