'नियुक्ति अनियमित होने पर भी कर्मचारी द्वारा किए गए कार्य के लिए राज्य को वेतन देना होगा': सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
4 April 2022 8:31 AM IST
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक व्यक्ति की शिक्षक के रूप में नियुक्ति अनियमित पाए जाने पर उसे भुगतान किया गया वेतन उससे वापस लेने के निर्देश को रद्द किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसकी नियुक्ति अनियमित होने के कारण उसकी सेवाओं को रद्द करने से पहले उस व्यक्ति ने लगभग 24 वर्षों तक एक शिक्षक के रूप में काम किया था।
यह पाया गया कि वह चयन समिति के एक सदस्य के रिश्तेदार हैं और इसलिए उनकी नियुक्ति नियमों के विपरीत थी। राज्य सरकार ने उनकी नियुक्ति रद्द करते हुए उसे दिए गए वेतन की वसूली के भी निर्देश दिए थे।
व्यक्ति ने रद्द करने के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार किया। इससे नाराज होकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय को इस तथ्य की सराहना करनी चाहिए कि उसने लगभग 24 वर्षों तक काम किया है।
बेंच ने कहा,
"हम पाते हैं कि उच्च न्यायालय इस तथ्य पर विचार करने में विफल रहा है कि भले ही नियुक्ति अनियमित थी, लेकिन अपीलकर्ता ने कर्तव्यों का निर्वहन किया था और कर्तव्यों के बदले उसे भुगतान किया जाना था। राज्य वेतन का भुगतान के बिना किसी भी कर्मचारी से कोई काम नहीं ले सकता है।"
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय को "उचित परिप्रेक्ष्य" में तथ्यों की सराहना करनी चाहिए थी और हाईकोर्ट के निर्देश को रद्द किया।
तदनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिनांक 24.12.1998 को रद्द कर दिया और अधिकारियों को आदेश की तारीख यानी 24.12.1998 को अपीलकर्ता को सेवानिवृत्त मानने और प्रदान की गई सेवाओं के लिए उसे देय पेंशन लाभ, यदि कोई हो, का भुगतान करने का निर्देश दिया।
केस का शीर्षक : मान सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
प्रशस्ति पत्र : 2022 लाइव लॉ (एससी) 341
हेडनोट्स- सेवा कानून - नियुक्ति अनियमित होने पर भी अपीलकर्ता ने कर्तव्यों का निर्वहन किया था और कर्तव्यों के बदले उसे भुगतान किया जाना था। राज्य किसी भी कर्मचारी से बिना वेतन दिए कोई काम नहीं ले सकता है
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