हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
LiveLaw News Network
12 Dec 2021 8:00 PM IST
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (06 दिसंबर, 2021 से 10 दिसंबर, 2021) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
धारा 138 एनआई एक्ट के तहत शिकायत- "अभियुक्त को शिकायतकर्ता की ओर से दायर हलफनामे के आधार पर भी बुलाया जा सकता है": इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि अपर्याप्त कोष (धारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम) के लिए एक चेक बाउंस मामले में, शिकायतकर्ता की ओर से दायर शपथ पत्र के आधार पर भी एक अभियुक्त कोर्ट ने तलब किया जा सकता है।
जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में मजिस्ट्रेट को सीआरपीसी की धारा 200 और 202 के तहत गवाहों के बयान दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है और यदि आरोपी को शिकायतकर्ता की ओर से दायर शपथ पत्र के आधार पर बुलाया जाता है तो कोई अवैधता नहीं होगी।
केस शीर्षक - वीरेंद्र कुमार शर्मा बनाम यूपी राज्य और अन्य
बरी करने के आदेश के खिलाफ केवल सरकारी अपील लंबित होने के कारण पासपोर्ट आवेदन को रोक नहीं सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि किसी व्यक्ति के पासपोर्ट जारी करने के आवेदन को केवल इसलिए नहीं रोका जा सकता है, क्योंकि उस व्यक्ति के एक्विटल ऑर्डर के खिलाफ सरकार की अपील लंबित है।
जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक (एक आपराधिक मामले में) एक्विटल का आदेश रहता है, तब तक याचिकाकर्ता की बेगुनाही मानी जाएगी। कोर्ट प्रमोद कुमार राजभर की याचिका पर विचार कर रहा था, जिसने पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था, लेकिन सेशन्स ट्रायल में उसके पक्ष में पारित निर्णय और आदेश के खिलाफ राज्य की अपील के लंबित होने के कारण उसके आवेदन पर विचार नहीं किया गया था।
केस शीर्षक - प्रमोद कुमार राजभर बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य
पटना हाईकोर्ट ने YouTube पर न्यायालय की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की
गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उड़ीसा हाईकोर्ट के बाद अब पटना हाईकोर्ट YouTube पर न्यायालय की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने वाला देश का पांचवा हाईकोर्ट बन गया है।
न्यायमूर्ति चक्रधारी शरण सिंह और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने शुक्रवार को अपनी कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने ओपन कोर्ट अवधारणा के कार्यान्वयन को प्रभावी और व्यापक बनाने के उद्देश्य से यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की थी। इसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने यूट्यूब पर लाइव कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया था।
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एडवोकेट को पैनल में शामिल करना बैंक का विवेक, रिट कोर्ट आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी बैंक द्वारा एक वकील को पैनल में शामिल करना संबंधित बैंक के विवेक का मामला है। एक रिट कोर्ट आमतौर पर इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता और इसकी गहन जांच नहीं कर सकता।
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की एकल पीठ ने थिम्मन्ना द्वारा दायर एक याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, "सूचीबद्ध करना संबंधित बैंक के विवेक का मामला है; इस तरह के विवेक के प्रयोग में 'ग्राहक और वकील' के प्रत्ययी संबंध सहित कई कारक शामिल हैं; इस तरह के मामलों में एक रिट कोर्ट आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता है और एक गहरी जांच नहीं कर सकता है।"
केस शीर्षक: थिम्मन्ना बनाम यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
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सेशन कोर्ट सीआरपीसी के तहत अपने ही जमानत आदेश पर रोक नहीं लगा सकती : बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में माना है कि एक सेशन कोर्ट किसी आरोपी को आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत जमानत देने के अपने आदेश पर रोक नहीं लगा सकती है।
कोर्ट ने कहा, "जहां तक विद्वान सत्र न्यायाधीश की जमानत के अपने आदेश पर रोक लगाने की शक्ति का संबंध है, मेरे विचार में, दंड प्रक्रिया संहिता सत्र न्यायाधीश को जमानत देने के अपने आदेश के संचालन पर रोक लगाने का अधिकार नहीं देती है।"
जस्टिस एसके शिंदे ने अंबानी टेरर स्केयर केस में एक सट्टेबाज नरेश गौर को जमानत देने के अपने आदेश पर रोक लगाने के स्पेशल एनआईए कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए इस प्रकार फैसला सुनाया।
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किराया अधिनियम के प्रावधानों का सरफेसी अधिनियम के प्रावधानों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा ब्याज अधिनियम (SARFAESI) के प्रवर्तन के तहत एक सुरक्षित लेनदार के पास सुरक्षित संपत्तियों पर प्राथमिकता और पहला प्रभार है। इसके अलावा, किराया अधिनियम के प्रावधान सरफेसी के प्रावधानों को ओवरराइड नहीं करेंगे।
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने कहा, "एक सुरक्षित लेनदार जिसके पक्ष में सुरक्षा हित बनाया गया है, अन्य सभी शुल्कों पर बिक्री और भुगतान में प्राथमिकता है।"
केस शीर्षक: अब्दुल खादर बनाम सदाथ अली सिद्दीकी
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कालकाजी मंदिर : दिल्ली हाईकोर्ट ने श्रद्धालुओं के लिए अनाधिकृत अतिक्रमण हटाने के निर्देश जारी किए
दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के कालकाजी मंदिर के अंदर दुकानदारों और निवासियों द्वारा अनधिकृत अतिक्रमण को हटाने और भक्तों के लिए पोर्टेबल पेयजल सुविधाओं के संबंध में अतिरिक्त निर्देश जारी किए।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि जिन दुकानदारों ने अपना आवास बना लिया और धर्मशाला सहित दुकानों पर अनधिकृत कब्जा किया हुआ है, उन्हें वह स्थान खाली करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा, "यह भी स्पष्ट किया जाता है कि मंदिर परिसर से दुकानों और अनधिकृत कब्जाधारियों को हटाने के लिए प्रशासक 10 दिसंबर, 2021 से इस न्यायालय के पिछले आदेशों के अनुसार कार्रवाई करना जारी रखेंगे।"
शीर्षक: नीता भारद्वाज और अन्य बनाम कमलेश शर्मा
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यदि परिवार के बुज़ुर्गों के विरोध के कारण वह विवाह करने का वादा नहीं निभा पाया तो उसे बलात्कार का दोषी ठहराना गलत होगा : कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को बलात्कार के आरोप से एक व्यक्ति को यह कहते हुए बरी कर दिया कि बलात्कार के अपराध के लिए किसी को दंडित करना उस परिस्थिति में गलत होगा, जब यदि बाद के कुछ घटनाक्रम के कारण शादी करने का वादा पूरा नहीं हो पाया। जैसे परिवार के बुजुर्गों ने विवाह का विरोध किया, जिसके लिए आरोपी ज़िम्मेदार नहीं होगा।
न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति बिवास पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि वह व्यक्ति/अपीलकर्ता एक युवा व्यक्ति है और शादी का प्रस्ताव उसके परिवार के बड़ों (बुजुर्गों) के विरोध के कारण सफल नहीं हुआ और इसलिए यह शादी का वादा झूठा वादा करके रेप करने जैसा मामला नहीं दिखता।
केस का शीर्षक - सद्दाम हुसैन बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
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केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सबरीमाला दर्शन में अधिक भक्तों को शामिल करने के लिए उपलब्ध कराई गईं सुविधाओं का व्यापक प्रसारण के निर्देश दिए
केरल हाईकोर्ट ने राज्य और त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीबीडी) को निर्देश दिया कि वे सबरीमाला तीर्थयात्रियों को हाल ही में उपलब्ध कराई गई सुविधाओं को व्यापक रूप से प्रचारित करें ताकि मंदिर में अधिक भक्तों को प्रवेश की सुविधा मिल सके और दो महीने के तीर्थयात्रा के मौसम के दौरान दर्शन किया जा सके।
न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पी.जी. अजितकुमार की खंडपीठ ने सबरीमाला विशेष आयुक्त की रिपोर्ट के आधार पर लिए गए स्वत: संज्ञान मामले में अपने आदेश में कहा, "राज्य और त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) तीर्थयात्रियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं के बारे में प्रिंट और विजुअल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करेगा, ताकि अधिक संख्या में श्रद्धालु सबरीमाला दर्शन कर सकें। भक्तों को किसी भी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो संबंधित अधिकारियों के लिए उक्त तथ्यों को विशेष आयुक्त या कार्यकारी अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा ताकि वे इसे उचित आदेशों के लिए इस न्यायालय के ध्यान में ला सकें।"
केस का शीर्षक: सू मोटू बनाम केरल राज्य
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अनुच्छेद 233- न्यायिक अधिकारी जिला न्यायाधीशों के पद पर सीधी भर्ती के लिए आवेदन और प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 233 के तहत एक न्यायिक अधिकारी एक वकील के रूप में 7 साल के प्रैक्टिस के अपने पिछले अनुभव के आधार पर जिला न्यायाधीश के पद पर सीधी भर्ती के लिए आवेदन और प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता है।
न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति प्रिंकर दिवाकर की खंडपीठ ने आगे स्पष्ट किया कि न्यायिक अधिकारी का जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 233 के तहत बनाए गए नियमों और अनुच्छेद 309 के प्रावधान के अनुसार पदोन्नति के माध्यम से होगा।
केस का शीर्षक - शशांक सिंह एंड 4 अन्य बनाम इलाहाबाद में न्यायिक उच्च न्यायालय एंड अन्य
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मद्रास हाईकोर्ट ने स्पाइसजेट लिमिटेड को बंद करने का आदेश दिया, कंपनी की संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिए आधिकारिकारियों को निर्देश जारी किये
मद्रास हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि स्पाइसजेट लिमिटेड को बंद किया जाना चाहिए और संपत्ति को आधिकारिक परिसमापक (Liquidator) द्वारा एयरलाइंस का ऋण को चुकाने के लिए अपने अधिकार में लेना चाहिए।
न्यायमूर्ति आर. सुब्रमण्यम क्रेडिट सुइस एजी, स्विट्जरलैंड स्थित स्टॉक कॉरपोरेशन और एक लेनदार द्वारा दायर एक कंपनी याचिका पर निर्णय दे रहे थे। इन्होंने पूर्व में बकाया ऋणों का भुगतान करने के लिए प्रतिवादी एयरलाइंस की ओर से असमर्थ होने की बात कही थी।
केस शीर्षक: क्रेडिट सुइस एजी बनाम स्पाइसजेट लिमिटेड
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अदालत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 561-ए के तहत अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए धारा 164ए के तहत दर्ज बयान का आलोचनात्मक मूल्यांकन नहीं कर सकतीः जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि वह दंड प्रक्रिया संहिता, 1989 की धारा 561-ए (अब 482) के तहत अदालत की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए संहिता की धारा 164ए के तहत दर्ज अभियोक्ता के बयान का आलोचनात्मक मूल्यांकन नहीं कर सकता है।
राजीव कौरव बनाम बाई साहब (2020) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए जस्टिस रजनीश ओसवाल ने कहा कि रणबीर संहिता की धारा 376 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की याचिका को कायम नहीं रखा जा सकता है, "मैंने आवेदन की सामग्री के साथ-साथ धारा 164-ए सीआरपीसी के तहत दर्ज अभियोक्ता के बयान का भी अध्ययन किया है। याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप न केवल शादी के बहाने यौन संबंध बनाने के संबंध में हैं, बल्कि 10.02.2016 को प्रतिवादी संख्या 2 के घर में जबरन यौन संबंध बनाने के संबंध में भी हैं। यह न्यायालय, धारा 561-ए (अब 482) सीआरपीसी के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए धारा 164-ए सीआरपीसी के तहत दर्ज अभियोजन पक्ष के बयान का आलोचनात्मक मूल्यांकन नहीं कर सकता है।"
केस शीर्षक: संजीव कुमार बनाम जम्मू और कश्मीर राज्य और अन्य।
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घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत शिकायत आकस्मिक दौरे के स्थानों पर दायर नहीं की जा सकती, इन्हें अस्थायी या स्थायी निवास के स्थान पर दायर किया जाना चाहिएः बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा की शिकायत उस स्थान पर दर्ज नहीं की जा सकती है, जहां महिला केवल आकस्मिक (कभी-कभी) रूप से आती-जाती है और घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 27 के तहत कार्यवाही उसके अस्थायी या स्थायी निवास के स्थान पर ही शुरू की जानी चाहिए।
अदालत ने 'अस्थायी निवास' की व्याख्या की है, जिसके अर्थ में एक ऐसा स्थान जहां एक पीड़ित व्यक्ति ने अस्थायी रूप से अपना घर बनाने का फैसला किया है न कि एक लॉज या गेस्ट हाउस, जहां छोटी यात्राओं के दौरान निवास किया जाता है।
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बैंक कर्मचारियों द्वारा धोखाधड़ी एक वैश्विक समस्या, शून्य सहनशीलता होनी चाहिए: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि वित्तीय संस्थानों से जुड़े कर्मचारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी, भले ही नगण्य हो, को बहुत गंभीरता से देखा जाना चाहिए और ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने ग्राहकों के पैसे के दुरुपयोग के आरोपों के बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से बर्खास्त किए गए के सतीशचंद्र शेट्टी द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा, "बैंक कर्मचारियों द्वारा किए गए धोखाधड़ी अब एक वैश्विक समस्या बन गई है।"
केस का शीर्षक: के सतीशचंद्र शेट्टी बनाम यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
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'अधूरी केस डायरी न्याय प्रशासन में बाधा': मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस थानों को निर्देश जारी करने के आदेश दिए
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (ग्वालियर बेंच) ने अधूरी केस डायरी (Case Diary) या केस डायरी में भौतिक चूक की प्रवृत्ति को देखते हुए, जो न्याय प्रशासन में बाधा डालती है, हाल ही में पुलिस थानों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने के आदेश दिए।
न्यायमूर्ति आनंद पाठक की खंडपीठ सुरेंद्र रावत द्वारा दायर तीसरी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे जून 2021 में शिवपुरी पुलिस ने एनडीपीएस अधिनियम की धारा 8, 21 के तहत दर्ज एक मामले के संबंध में गिरफ्तार किया था।
केस टाइटल - सुरेंद्र रावत बनाम मध्य प्रदेश राज्य
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राजनेता खुद को कानून से ऊपर समझते हैं, इस खतरे से सख्ती से निपटने की जरूरत: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में यूपी विधानसभा में एक पूर्व विधायक की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। उक्त पूर्व विधायक को निचली अदालत ने लॉकअप में एक व्यक्ति पर हमला करने के लिए दोषी ठहराया था।
हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, "आजकल विधायिका और राजनीतिक व्यक्ति खुद को कानून से ऊपर सोच रहे हैं। इस खतरे को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। इससे सख्ती के साथ निपटा जाना चाहिए।"
केस का शीर्षक - हसरतुल्ला शेरवानी और आठ अन्य बनाम यूपी राज्य