हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
Shahadat
17 Dec 2023 10:00 AM IST
देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (11 दिसंबर 2023 से 15 दिसंबर 2023 ) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
टेलीग्राफ अथॉरिटी के रूप में नियुक्त लाइसेंसधारी बिजली ट्रांसमिशन लाइन स्थापित करने के लिए भूमि का उपयोग करने के लिए मुआवजा निर्धारित कर सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि टेलीग्राफ अथॉरिटी के रूप में नियुक्त ट्रांसमिशन लाइसेंसधारी के पास बिजली ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित करने के लिए भूमि का उपयोग करने के लिए मुआवजे का भुगतान करने की शक्ति के साथ-साथ मुआवजा राशि निर्धारित करने की भी शक्ति है।
जस्टिस अविनाश जी घरोटे ने कहा कि भारतीय टेलीग्राफ एक्ट, 1885 की धारा 10 (डी) के तहत मुआवजा देने की शक्ति में मुआवजा निर्धारित करने की शक्ति भी शामिल है, क्योंकि मुआवजे के निर्धारण के बिना कोई भुगतान नहीं हो सकता है।
केस टाइटल- महाराष्ट्र ईस्टर्न ग्रिड पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड बनाम बुलढाणा के कलेक्टर और अन्य।
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Motor Accident Claims | मुआवजे के उद्देश्य से वेतन की गणना में बकाया को शामिल नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि मोटर दुर्घटना के मुआवजे के उद्देश्य से किसी व्यक्ति के वेतन की गणना करते समय बकाया राशि पर विचार नहीं किया जा सकता।
जस्टिस शिवकुमार डिगे ने दुर्घटना में मृतक के परिवार को मुआवजा बढ़ाने को बरकरार रखते हुए मासिक आय की गणना करते समय उनके वेतन पर्ची में उल्लिखित बकाया राशि की कटौती की।
अदालत ने कहा, “यह वेतन पर्ची 8,900/- रुपये का बकाया दर्शाती है, लेकिन ट्रिब्यूनल ने इस राशि को मृतक का वेतन माना है। मेरी राय में एरियर को वेतन नहीं माना जा सकता। इसलिए मैं यह राशि मृतक के वेतन से काट रहा हूं।”
केस टाइटल- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम लॉरेटा शशि मोगले और अन्य।
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मुस्लिम लॉ के अनुसार 7 वर्ष की आयु पूरी होने तक मां बच्चे की कस्टडी की हकदार: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुहम्मद लॉ के अनुसार, एक मां अपने बेटे की 7 साल की उम्र पूरी होने तक उसकी कस्टडी (हिजानत) पाने की हकदार है।
जस्टिस करुणेश सिंह पवार की पीठ ने लगभग 3 साल और 7 महीने की उम्र के बंदी-तकबीर खान की मां (रेहाना) द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी की। अपनी याचिका में उन्होंने अपने बच्चे की कस्टडी की मांग की थी, जो वर्तमान में अपने पति (इंतियाज खान/प्रतिवादी नंबर 4) के साथ रह रही है।
केस टाइटल- तकबीर खान (माइनर)थ्रू उनकी मां रेहाना बनाम यूपी राज्य के माध्यम से. प्रिं. सचिव. होम लखनऊ और 3 अन्य [बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका नंबर - 256/2022]
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गर्भावस्था से महिलाओं की आकांक्षाओं पर बोझ नहीं पड़ना चाहिए; सार्वजनिक रोजगार नियमों को मातृत्व के कारण होने वाली कठिनाइयों का समाधान करना चाहिए: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सार्वजनिक रोजगार में अवसर प्राप्त करने के संदर्भ में, पुरुषों से जैविक भिन्नताओं के कारण महिलाओं को होने वाले नुकसान की चर्चा की। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक रोजगार से संबंधित नियमों में गर्भवती महिलाओं और युवा माताओं की चिंताओं को शामिल किया जाना चाहिए ताकि उन्हें भेदभाव का सामना न करना पड़े।
जस्टिस ए मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस शोबा अन्नम्मा ईपेन की खंडपीठ का विचार था कि, मामलों या सार्वजनिक रोजगार में अवसरों पर विचार करने के लिए पुरुषों के साथ समान स्तर पर खड़े होने के बावजूद महिलाओं के बीच जैविक अंतर जैसे कि मातृत्व, अक्सर अप्रत्यक्ष भेदभाव का परिणाम हो सकता है।
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Krishna Janmabhumi Dispute: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के निरीक्षण के लिए आयोग नियुक्त करने की याचिका स्वीकार की
मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमों में प्रार्थनाओं के भाग्य को प्रभावित करने की संभावना वाले महत्वपूर्ण आदेश में हाईकोर्ट ने मंगलवार को ईदगाह मस्जिद का निरीक्षण के लिए अदालत आयुक्त की नियुक्ति की मांग करने वाली याचिका स्वीकार कर ली।
जस्टिस मयंक कुमार जैन की पीठ ने मूल मुकदमे में वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के माध्यम से देवता (भगवान श्री कृष्ण विराजमान) और 7 अन्य द्वारा दायर आदेश 26 नियम 9 सीपीसी आवेदन पर यह आदेश पारित किया।
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क्या हिंदू धार्मिक नेताओं की हत्या अपने आप में आतंकवादी कृत्य होगी, यह बहस का विषय: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA Act) के तहत गिरफ्तार व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह सवाल बहस का विषय है कि क्या एक हिंदू धार्मिक नेता की हत्या करना अपने आप में आतंकवादी कृत्य होगा।
जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने कहा कि UAPA Act की धारा 15 के अनुसार, यह कार्य भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को धमकी देने या भारत में या किसी विदेशी देश में लोगों या लोगों के किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने के इरादे से या आतंक फैलाने की संभावना के साथ खतरे में डालने की संभावना के इरादे से किया गया होगा। वर्तमान मामले में अदालत ने कहा कि इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कोई सबूत नहीं है कि आतंकवादी कृत्य करने की साजिश थी।
केस टाइटल: आसिफ मुस्तहीन बनाम राज्य, 2023 की आपराधिक अपील नंबर 542
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने RTI Act के तहत दूसरी अपील के निपटान के लिए समय-सीमा तय करने का निर्देश दिया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग (SIC) से सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 9RTI Act) के तहत दायर दूसरी अपील और शिकायतों के त्वरित निपटान के लिए उचित समय सीमा स्थापित करने का आग्रह किया।
जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने एसआईसी को फरवरी 2024 के पहले सप्ताह तक रिक्तियां भरने के बाद अधिक कुशल कामकाज के लिए मानदंड विकसित करने को कहा।
केस टाइटल- शैलेश गांधी और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग
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परिवार के किसी सदस्य की 'समाधि' 'पूजा स्थल' नहीं, इसे अपवित्र करना/नुकसान पहुंचाना आईपीसी की धारा 295 के तहत अपराध नहीं: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि परिवार के किसी सदस्य की समाधिि का अपमान आईपीसी की धारा 295 के तहत पूजा स्थल या पवित्र वस्तु को अपवित्र करने का अपराध नहीं माना जाएगा।
जस्टिस जसजीत सिंह बेदी ने कहा, “परिवार के किसी सदस्य का समाधि व्यक्तियों के एक वर्ग द्वारा पवित्र माना जाने वाला पूजा स्थल नहीं बन सकता है। ऐसे समाधि के मामले में, उसके अपमान से परिवार के किसी सदस्य का अपमान होगा। किसी भी तरह की कल्पना से यह नहीं माना जा सकता कि विनाश क्षति या अपवित्रता किसी पीड़ित व्यक्ति के धर्म का अपमान होगी।''
केस टाइटलः कृष्णा देवी और अन्य बनाम लाल चंद और अन्य
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पॉक्सो एक्ट | आईओ के लिए पीड़िता की उम्र की जांच करना अनिवार्य; मेडिकल राय/स्व-मूल्यांकन का कोई निश्चित आधार नहीं: पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO अधिनियम) के तहत आने वाले मामलों में जांच अधिकारी को पीड़ित की उम्र का पता लगाना चाहिए। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति की उम्र निर्धारित करने के लिए केवल चिकित्सकीय राय और स्व-मूल्यांकन पर निर्भर रहना विश्वसनीय तरीका नहीं है।
जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस नानी टैगिया की खंडपीठ ने कहा, “जैसा भी हो, पीड़िता की उम्र को लेकर इस तरह के भ्रम के साथ, जांच अधिकारी का यह कर्तव्य था कि वह उस स्कूल से उसकी उम्र के बारे में पूछताछ करे जहां वह पढ़ती थी। मामले के रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि पीड़िता की उम्र का पता लगाने के संबंध में ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया था, जिससे यह पुष्टि हो सके कि जब उसने अपीलकर्ता के साथ यौन संबंध बनाए थे, तब उसकी उम्र 18 वर्ष से कम थी।
केस टाइटलः अविनाश कुमार रंजन बनाम बिहार राज्य
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एमएसएमईडी अधिनियम 2006 मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 और पार्टियों के बीच किए गए किसी भी समझौते को ओवरराइड करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के प्रावधानों का मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 और पार्टियों के बीच हुए किसी भी समझौते पर अधिभावी प्रभाव (Overriding Effect) होगा।
मेसर्स शिल्पी इंडस्ट्रीज बनाम केरल राज्य सड़क परिवहन निगम में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए, जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि एमएसएमईडी अधिनियम एक विशेष और लाभकारी कानून है, जिसका 1996 के अधिनियम पर अधिभावी प्रभाव होगा।
केस टाइटलः मार्सन्स इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज बनाम अध्यक्ष, मध्य प्रदेश विद्युत बोर्ड (मध्य प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड) और अन्य [[Appeal Under Section 37 Of Arbitration And Conciliation Act 1996 No. - 701 of 2023]
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घोषित अपराधी गिरफ्तारी पूर्व जमानत के विशेषाधिकार के हकदार नहीं: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
गिरफ्तारी पूर्व जमानत की असाधारण प्रकृति और इसके संयमित उपयोग पर प्रकाश डालते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में दोहराया है कि एक बार जब किसी व्यक्ति को घोषित अपराधी घोषित कर दिया जाता है तो वह गिरफ्तारी पूर्व जमानत की स्वतंत्रता का हकदार नहीं होता है।
जस्टिस राजेस्क कैंथला ने याचिकाकर्ता दिलदार खान उर्फ सोनू खान से जुड़े एक मामले में ये टिप्पणियां कीं, जिस पर एचआरटीसी बस में एक बैकपैक में व्यावसायिक मात्रा में हेरोइन (333.63 ग्राम) रखने का आरोप था। हालांकि, पुलिस द्वारा जांच शुरू करने के बाद खान फरार हो गया और अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया।
केस टाइटलः दिलदार खान @ सोनू खान बनाम एचपी राज्य
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पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकारी शिक्षकों को लाभ देने के लिए हाईकोर्ट के 2018 के निर्देशों के अनुपालन तक पंजाब के शीर्ष अधिकारियों का वेतन रोकने का निर्देश दिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव और वित्त विभाग के प्रधान सचिव के वेतन भुगतान को सरकारी शिक्षकों को लाभ देने से संबंधित अपने 2018 के आदेश के अनुपालन तक रोकने का निर्देश दिया है।
जस्टिस राजबीर सहरावत की पीठ ने कहा, "यह अदालत प्रतिवादियों की ओर से इस तरह की ढिलाई को बर्दाश्त नहीं कर सकती है; और ऐसे अनुचित कारणों से अदालत का समय बर्बाद नहीं किया जा सकता है। इसलिए, मामले में कठोर निर्देश अनिवार्य हो गए हैं।"
केस टाइटलः अनिल कुमार और अने बनाम जसप्रीत तलवार, आईएएस और अन्य
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मजिस्ट्रेट द्वारा मामला सेशन कोर्ट को सौंपा जाने पर ट्रायल नए सिरे से शुरू होना चाहिए: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि जब कोई मामला मजिस्ट्रेट द्वारा सेशन कोर्ट को सौंप दिया जाता है तो ट्रायल नए सिरे से शुरू करना होगा। जस्टिस अमित बंसल ने कहा कि सेशन कोर्ट पहले आरोप तय करेगा और फिर गवाहों की जांच के लिए आगे बढ़ेगा।
अदालत ने कहा, “जब कोई मामला मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा सेशन कोर्ट को सौंप दिया जाता है तो मजिस्ट्रेट कार्यात्मक अधिकारी बन जाता है और उसमें दर्ज किए गए किसी भी साक्ष्य को प्रतिबद्ध अदालत के समक्ष नए सिरे से सुनवाई के प्रयोजनों के लिए स्वीकार्य नहीं माना जा सकता है। इसलिए सबूतों को भी नए सिरे से दर्ज करना होगा।”
केस टाइटल: शंकर @ गोरी शंकर बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एवं अन्य राज्य।
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'पहले अनुदान के 2 साल के भीतर दूसरे मैटरनिटी बेनेफिट का दावा करने पर कोई रोक नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (Maternity Benefit Act) लाभकारी कानून का एक हिस्सा है, जो किसी संस्थान पर वित्तीय हैंडबुक के प्रावधानों को खत्म कर देगा। न्यायालय ने आगे कहा कि पहले मैटरनिटी बेनेफिट के दो साल के भीतर दूसरे मातृत्व लाभ का दावा करने पर कोई रोक नहीं है।
केस टाइटल: सोनाली शर्मा बनाम स्टेट ऑफ यूपी थ्रू. प्रिं. सचिव. विभाग दिव्यांगजन सशक्तीकरण लको. और 2 अन्य [WRIT - A No. - 9110 of 2023]
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जब ट्रायल लंबा चलने की आशंका हो तो केवल प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता जमानत अस्वीकृति को उचित नहीं ठहराती: पटना हाईकोर्ट
पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी प्रतिबंधित संगठन में केवल सदस्यता जमानत से इनकार करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं होना चाहिए, खासकर जब मुकदमा लंबे समय तक चलने का अनुमान हो।
जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस आलोक कुमार पांडे की खंडपीठ ने कहा, "केवल प्रतिबंधित संगठन का सदस्य होने के नाते जमानत अस्वीकार करना उचित नहीं होगा, जब मुकदमा लंबे समय तक चलने की संभावना हो।"
केस टाइटल: जलालुद्दीन खान @ मोहम्मद जलालुद्दीन बनाम भारत संघ
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ऐसा व्यक्ति सेल डीड का निष्पादन नहीं कर सकता, म्यूटेशन एंट्री में जिसके नाम पर पर रोक लगा दी गई हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में माना कि म्यूटेशन में जिस व्यक्ति पर भूमि धारक के रूप में रोक लगा दी गई हो, वह उक्त भूमि के लिए सेल डीड को निष्पादित नहीं कर सकता है।जस्टिस रजनीश कुमार ने एक मृत भूमि धारक की पत्नी की ओर से दायर याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि चूंकि विवादित भूमि के धारक के रूप में पत्नी का नाम दर्ज करने पर तहसीलदार ने रोक का आदेश दिया था, इसलिए उसे कोई अधिकार नहीं है कि वह भूमि पर तीसरे पक्ष का अधिकार बनाएं।
केस टाइटलः नीलम शुक्ला और 3 अन्य बनाम बालिका शुक्ला और 2 अन्य [MATTERS UNDER ARTICLE 227 No. - 5782 of 2023]
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व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में विदेश यात्रा करने और पासपोर्ट रखने का अधिकार भी शामिल: तेलंगाना हाईकोर्ट
तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट अधिकारी किसी व्यक्ति के पासपोर्ट नवीनीकरण का आवेदन इस आधार पर खारिज नहीं कर सकते कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित है।
जस्टिस सुरेपल्ली नंदा ने कहा, "इस न्यायालय का मानना है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित होना याचिकाकर्ता को पासपोर्ट के नवीनीकरण से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में न केवल विदेश यात्रा करने का अधिकार शामिल होगा बल्कि पासपोर्ट रखने का अधिकार भी शामिल होगा।"
केस टाइटल: रविकांति वेंकटेशम बनाम भारत संघ और अन्य, डब्ल्यू.पी. क्रमांक 32906 OF 2023
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मौद्रिक विवादों में जमानत कार्यवाही को वसूली कार्यवाही में नहीं बदला जा सकता: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दोहराया कि जमानत कार्यवाही का उपयोग मौद्रिक विवादों में वसूली के साधन के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने उक्त टिप्पणी यह मानते हुए की कि धन की वसूली का मुद्दा एक नागरिक मामला है और इसे उचित कानूनी चैनलों के माध्यम से संबोधित किया जाना चाहिए, न कि आपराधिक कार्यवाही में।
जस्टिस राकेश कैंथला ने आरोपियों/याचिकाकर्ताओं की जमानत याचिकाओं को अनुमति देते हुए कहा, “.. जमानत की कार्यवाही का उपयोग शिकायतकर्ता द्वारा अग्रिम राशि की वसूली के लिए नहीं किया जा सकता। स्टेटस रिपोर्ट से यह प्रतीत होता है कि सूचना देने वाले ने गीता के माध्यम से सोने में पैसा निवेश किया, लेकिन उसने अलग संस्करण पेश किया कि उसने गीता को पैसे अग्रिम मदद रूप से दिया था। यदि पैसा सहायता के रूप में दिया गया और वापस नहीं किया जा रहा है तो यह नागरिक दायित्व को पैदा करेगा, न कि आपराधिक दायित्व को।''
केस टाइटल: गीता कश्यप बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य (और संबंधित मामला)
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NDPS Act की धारा 37 पर प्रतिबंध के साथ-साथ मुकदमे में अनुचित देरी जमानत देने का आधार हो सकती: गुवाहाटी हाईकोर्ट
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने हाल ही में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) के तहत अपराध के लिए गिरफ्तार आरोपी को जमानत दे दी। कोर्ट नेे आरोपी को यह देखते हुए जमानत दी कि यह मानने का कोई प्रशंसनीय आधार नहीं है कि वह अपराध का दोषी है।
जस्टिस अरुण देव चौधरी ने याचिकाकर्ता-अभियुक्त की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि NDPS Act की धारा 37 द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के साथ-साथ मुकदमे में अनुचित देरी का आधार जमानत देने का आधार हो सकता है, भले ही अदालत को आना हो। संतोष है कि निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की कोई संभावना नहीं है।
केस टाइटल: अनिल मालाकार बनाम असम राज्य