एमएसएमईडी अधिनियम 2006 मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 और पार्टियों के बीच किए गए किसी भी समझौते को ओवरराइड करता है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
13 Dec 2023 3:48 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 के प्रावधानों का मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 और पार्टियों के बीच हुए किसी भी समझौते पर अधिभावी प्रभाव (Overriding Effect) होगा।
मेसर्स शिल्पी इंडस्ट्रीज बनाम केरल राज्य सड़क परिवहन निगम में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए, जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा कि एमएसएमईडी अधिनियम एक विशेष और लाभकारी कानून है, जिसका 1996 के अधिनियम पर अधिभावी प्रभाव होगा।
न्यायालय ने पाया कि 1996 अधिनियम की धारा 34 के तहत अपील की लंबितता के दौरान, अपीलकर्ता को एमएसएमईडी अधिनियम के तहत उद्योग आधार पंजीकरण मिला। अपीलकर्ता की कंपनी को प्रमाणपत्र की शुरुआत की तारीख 12.9.1971 के साथ लघु उद्योग के रूप में फिर से पंजीकृत किया गया था।
जिसके मुताबिक न्यायालय ने माना कि अपीलकर्ता के पंजीकरण की निरंतरता में कोई रुकावट नहीं थी। यह माना गया कि चूंकि अपीलकर्ता एक लघु उद्योग के रूप में पंजीकृत था, इसलिए इसे एमएसएमईडी अधिनियम के तहत 'आपूर्तिकर्ता' माना जाएगा।
एमएसएमईडी अधिनियम की धारा 32 पर भरोसा करते हुए, न्यायालय ने माना कि 1993 के अधिनियम के तहत सभी कार्यवाही एमएसएमईडी अधिनियम 2006 के तहत शुरू की गई मानी जाएगी।
"एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 की धारा 32 के अनुसार, 1993 अधिनियम को निरस्त करते समय यह स्पष्ट कर दिया गया था कि 1993 अधिनियम के तहत किया गया कुछ भी या कोई भी कार्रवाई एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के तहत की गई मानी जाएगी। इसलिए, सुविधा परिषद के समक्ष दायर किया गया आवेदन एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के प्रावधानों के तहत दायर किया गया माना जाता है।
न्यायालय ने माना कि एमएसएमईडी अधिनियम एक विशेष अधिनियम है जो मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 के साथ-साथ पार्टियों के बीच समझौते पर अधिभावी प्रभाव रखेगा। न्यायालय ने माना कि चूंकि एमएसएमईडी अधिनियम के तहत कार्यवाही कानपुर में सुविधा परिषद के समक्ष शुरू की गई थी, इसलिए, कानपुर में वाणिज्यिक न्यायालय के पास 1996 अधिनियम की धारा 34 के तहत अपील पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र है।
तदनुसार, मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत अपील की अनुमति दी गई, यानी, वाणिज्यिक न्यायालय, कानपुर के आदेश को रद्द कर दिया गया और सुविधा परिषद, कानपुर द्वारा पारित अवार्ड को बहाल कर दिया गया।
केस टाइटलः मार्सन्स इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज बनाम अध्यक्ष, मध्य प्रदेश विद्युत बोर्ड (मध्य प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड) और अन्य [[Appeal Under Section 37 Of Arbitration And Conciliation Act 1996 No. - 701 of 2023]