'पहले अनुदान के 2 साल के भीतर दूसरे मैटरनिटी बेनेफिट का दावा करने पर कोई रोक नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

12 Dec 2023 5:07 AM GMT

  • पहले अनुदान के 2 साल के भीतर दूसरे मैटरनिटी बेनेफिट का दावा करने पर कोई रोक नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (Maternity Benefit Act) लाभकारी कानून का एक हिस्सा है, जो किसी संस्थान पर वित्तीय हैंडबुक के प्रावधानों को खत्म कर देगा। न्यायालय ने आगे कहा कि पहले मैटरनिटी बेनेफिट के दो साल के भीतर दूसरे मातृत्व लाभ का दावा करने पर कोई रोक नहीं है।

    जस्टिस मनीष माथुर ने अनुपम यादव और अन्य बनाम यूपी राज्य एवं अन्य, अंशू रानी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य और सताक्षी मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य. 2022 लाइव लॉ (एबी) 410 मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के पहले के फैसलों पर भरोसा करते हुए कहा,

    “उपरोक्त तर्क को इस न्यायालय की समन्वय पीठों द्वारा अन्य दो निर्णयों में भी इस आशय से इंगित किया गया कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के प्रावधान लाभकारी कानून होने के कारण वित्तीय हैंडबुक के प्रावधानों पर अत्यधिक प्रभाव डालेंगे। यह विशेष रूप से माना जा रहा है कि प्रथम मैटरनिटी लीव के अनुदान से दो साल की अवधि के भीतर दूसरा मैटरनिटी लीव स्वीकार्य है।

    याचिकाकर्ता का दूसरी मैटरनिटी लीव का आवेदन खारिज कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दिव्यांगजन सशक्तीकरण निदेशालय, उत्तर प्रदेश को याचिकाकर्ता को पूर्ण वेतन के साथ 14.08.2023 से 09.02.2024 तक मैटरनिटी लीव देने का निर्देश देने की मांग की।

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि मैटरनिटी लीव के लिए उसका आवेदन केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि वित्तीय हैंडबुक खंड II भाग 2 से 4 के विनियमन 153 (1) के साथ पढ़े गए विनियमन 101 के अनुसार, यदि प्रथम मैटरनिटी लीव स्वीकृत होने की तिथि से दो वर्ष की अवधि के भीतर दूसरी बार मैटरनिटी लीव मांगी जाती है तो यह स्वीकार्य नहीं है।

    अनुपम यादव एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आयोजित किया था,

    “एक बार मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को यूपी राज्य द्वारा अपनाया गया है। जैसा कि इस न्यायालय द्वारा माना गया है, तब 1961 का उक्त अधिनियम वित्तीय हैंडबुक में निहित प्रावधानों के बावजूद पूरी ताकत से लागू होगा, जो कि केवल कार्यकारी निर्देश है और किसी भी मामले में संसद द्वारा बनाए गए कानून का सहायक होगा।

    न्यायालय ने महिला को दूसरी गर्भावस्था के लिए छुट्टी की स्वीकार्यता के संबंध में वित्तीय हैंडबुक खंड II से IV के नियम 153 (1) के प्रावधानों को पढ़ा, क्योंकि यह मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 द्वारा शासित होगा न कि वित्तीय हैंडबुक द्वारा।

    तदनुसार, न्यायालय ने माना कि पहली मैटरनिटी लीव के अनुदान के 2 साल के भीतर दूसरी मैटरनिटी लीव लेने पर कोई रोक नहीं है। कोर्ट ने निदेशक, दिव्यांगजन सशक्तीकरण निदेशालय, लखनऊ, यूपी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को सभी सेवा लाभों के साथ 14.08.2023 से 09.02.2024 तक मैटरनिटी लीव स्वीकृत करें।

    केस टाइटल: सोनाली शर्मा बनाम स्टेट ऑफ यूपी थ्रू. प्रिं. सचिव. विभाग दिव्यांगजन सशक्तीकरण लको. और 2 अन्य [WRIT - A No. - 9110 of 2023]

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