[दिल्ली दंगा मामला] दिल्ली हाईकोर्ट ने ताहिर हुसैन के सहयोगी इरशाद अहमद को जमानत दी

SPARSH UPADHYAY

10 Oct 2020 4:39 PM GMT

  • [दिल्ली दंगा मामला] दिल्ली हाईकोर्ट ने ताहिर हुसैन के सहयोगी इरशाद अहमद को जमानत दी

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार (07 अक्टूबर) को ताहिर हुसैन के कथित सहयोगी इरशाद अहमद को जमानत दे दी।

    दरअसल, न्यायमूर्ति सुरेश कैत की पीठ याचिकाकर्ता (इरशाद अहमद) द्वारा धारा 439 सीआरपी के तहत दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी (पुलिस थाना दयालपुर, दिल्ली में धारा 147/148/149/436/427/34 आईपीसी और धारा 3/4 पीडीपीपी अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मामले एफआईआर नंबर 80/2020 में जमानत देने के लिए)।

    एपीपी द्वारा दिए गए तर्क

    एपीपी ने वर्तमान याचिका का विरोध करते हुए कहा कि 25.02.2020 को, सह-आरोपी ताहिर हुसैन (मुख्य आरोपी) के घर की छत पर लगभग 100 लोग खड़े थे और वे हिंदू समुदाय के लोगों के घर पर पेट्रोल बम फेंक रहे थे।

    उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता (इरशाद अहमद) के नाम का खुलासा सह-अभियुक्त ताहिर हुसैन ने किया था। याचिकाकर्ता यहां उक्त आरोपियों का सहयोगी है।

    एक प्रत्यक्षदर्शी (रोहित) के बयान के अनुसार, याचिकाकर्ता की भूमिका और पहचान की पुष्टि की गयी है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता के मोबाइल फोन के स्थान से उसकी उपस्थिति का पता लगाया गया। इस प्रकार, वर्तमान याचिका खारिज होने के योग्य है।

    कोर्ट का विश्लेषण

    न्यायालय ने दर्ज किया कि यह तथ्य विवाद में नहीं है कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता को आरोपी ठहराने के लिए सीसीटीवी फुटेज या फोटो जैसे कोई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य मौजूद नहीं हैं।

    कॉन्स्टेबल पवन और कॉन्स्टेबल अंकित के बयान के अनुसार (दोनों चश्मदीद गवाह हैं और घटनास्थल पर मौजूद थे), उन्होंने याचिकाकर्ता और अन्य सह-आरोपियों की पहचान की थी।

    हालांकि, न्यायालय ने कहा कि उन्होंने घटना की तारीख, यानी 25.02.2020 पर कोई शिकायत नहीं की बल्कि प्राथमिकी 28.02.2020 को दर्ज की गई थी।

    इस प्रकार, अदालत ने कहा - "उक्त गवाह स्थापित किये गए (PLANTED) लगते हैं"।

    इसके अलावा, अदालत ने टिप्पणी की,

    "आरोप-पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। मामले के परीक्षण में पर्याप्त समय लगेगा। हालांकि मामले की मेरिट्स पर टिप्पणी किए बिना, यह अदालत याचिकाकर्ता को जमानत देने के लिए इच्छुक है।"

    तदनुसार, न्यायालय ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को 25,000 / - रुपये की राशि में एक व्यक्तिगत बांड प्रस्तुत करने पर ट्रायल कोर्ट / ड्यूटी जज की संतुष्टि के लिए समान राशि में एक ज़मानत के साथ रिहा किया जाएगा।

    याचिका को तदनुसार अनुमति दी गई थी और उसका निपटान किया गया।

    आदेश की प्रति देखें



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