सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह
LiveLaw News Network
5 Jun 2021 9:44 AM IST
31 मई 2021 से 4 जून 2021 तक सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
रिजल्ट की घोषणा की तारीख के समय के सीबीएसई के नियम प्रमाणपत्र सुधार में लागू होंगे: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिजल्ट की घोषणा की तारीख के समय के केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के उपनियम प्रमाणपत्रों में सुधार या परिवर्तन की मांग करने वाले आवेदन पर लागू होंगे। कोर्ट ने कहा कि सुधार या परिवर्तन के लिए आवेदन की तिथि पर मौजूद उपनियम प्रमाणपत्रों में परिवर्तन या सुधार पर विचार करने के लिए अप्रासंगिक होंगे। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने प्रमाणपत्र सुधार पर सीबीएसई उप-नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया।
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कोर्ट कई फैसले दे सकता है, लेकिन संसद यह कह सकती है कि वह इसे स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि यह लोगों के हित में नहीं है": अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने ट्रिब्यूनल मामले में सुप्रीम कोर्ट से कहा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर भारत सरकार केस हारती है तो वह विधि निर्माण का विषय बन जाएगा और वही अंतिम आदेश बन जाता है। पीठ ने आगे कहा कि सरकार अध्यादेश लाकर अपने आदेश के आधार पर कोर्ट के आदेश को समाप्त कर देती है। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस रवींद्र भट की पीठ ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) ऑर्डिनेंस 2021 को मद्रास बार एसोसिएशन की चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसके द्वारा केंद्र ने विधायी रूप से लगातार 2010 से ट्रिब्यूनल कैसे गठित किए जाएंगे इस पर सुप्रीम कोर्ट के स्टैंड को खारिज किया है।
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"अगर कोई पुरुष और महिला एक कमरे में हैं और पुरुष के अनुरोध को महिला स्वीकार करती है तो क्या हमें और कुछ कहने की आवश्यकता है" : सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार मामले में वरुण हिरेमठ को जमानत देने के खिलाफ दायर याचिका पर कहा
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 22 वर्षीय महिला से बलात्कार करने के आरोपी टीवी पत्रकार वरुण हिरेमठ को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी है। न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाश पीठ ने बलात्कार मामले की शिकायतकर्ता द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने प्रस्तुत किया कि बलात्कार के मामले में हाईकोर्ट द्वारा दी गई अग्रिम जमानत के खिलाफ यह याचिका दायर की गई है, जो कानून के उन वैधानिक बदलाव की अवहेलना करते हुए दी गई,जिनको सोच-समझकर किया गया था। उन्होंने कहा कि अदालत ने सीआरपीसी की धारा 164 के बयान के चुनिंदा हिस्से को पढ़ने के बाद वस्तुतः संदेह का लाभ प्रदान किया है।
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ट्रायल कोर्ट को कारावास की कई सजाएं देते समय स्पष्ट शब्दों में यह बताना होगा कि सजाएं साथ-साथ चलेंगी या एक के बाद एकः सुप्रीम कोर्ट
एक महत्वपूर्ण अवलोकन में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट को कारावास के कई दंड देते समय स्पष्ट शब्दों में यह निर्दिष्ट करना होगा कि दंड समवर्ती होंगे या क्रमानुगत। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि उक्त दायित्व को पूरा करने में कोई भी चूक पक्षों के खिलाफ अनावश्यक और परिहार्य पूर्वाग्रह का कारण बनती है। अदालत ने दोहराया कि यह बताने में चूक कि आरोपी को दी गई सजा समवर्ती होगी या क्रमानुगत, अनिवार्य रूप से आरोपी के खिलाफ कार्य करेगी। पीठ ने कहा कि सजा समवर्ती होगी, आदेश में यह बताने में चूक का नतीजा यह होता है कि सजाएं क्रमानुगत रूप से चलती हैं।
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एक नागरिक को सरकार की आलोचना का अधिकार, जब तक कि वह लोगों को हिंसा के लिए नहीं भड़काता: विनोद दुआ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा
एक नागरिक को सरकार और उसके पदाधिकारियों द्वारा किए गए उपायों की आलोचना या टिप्पणी करने का अधिकार है, जब तक कि वह लोगों को सरकार के खिलाफ हिंसा के लिए या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के इरादे से भड़काता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मामले को खारिज करते हुए उक्त टिप्पणी की। जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने कहा कि केवल तभी जब शब्दों या भावों में सार्वजनिक अव्यवस्था या कानून और व्यवस्था की गड़बड़ी पैदा करने की हानिकारक प्रवृत्ति या इरादा होता है, तो धारा 124 ए आकर्षित होती है।
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अदालत के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने पर ही अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि अदालत के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने पर ही अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा, "अवमानना क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने में प्राथमिक चिंता यह होनी चाहिए कि क्या कृत्य या चूक को उस पक्ष का अपमानजनक आचरण कहा जा सकता है, जिस पर न्यायालय के निर्णय और आदेश में दिए गए निर्देशों का पालन करने में चूक करने का आरोप लगाया गया है।"
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सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई/आईसीएसई को कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा की मूल्यांकन नीति तय करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सीबीएसई और आईसीएसई को कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा की मूल्यांकन नीति तय करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने मंगलवार (1 जून) को COVID-19 के कारण कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा रद्द करने का निर्णय लिया था। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की अवकाश पीठ ने जनहित याचिका (एडवोकेट ममता शर्मा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य) की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी, जिसमें कक्षा 12 की बोर्ड की परीक्षा को रद्द करने की मांग की गई थी।
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प्रत्येक पत्रकार केदारनाथ फैसले के तहत सुरक्षा पाने का हकदार है' : सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ देशद्रोह का मामला खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ देशद्रोह और अन्य अपराधों के लिए दर्ज प्राथमिकी को खारिज किया। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में एक स्थानीय भाजपा नेता ने दुआ के यूट्यूब शो में प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी करने के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने 6 अक्टूबर, 2020 को दुआ, हिमाचल प्रदेश सरकार और मामले में शिकायतकर्ता की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था।
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सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 वैक्सीन की भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय कीमतों का तुलनात्मक ब्योरा मांगा
इस बात का संज्ञान लेते हुए कि केंद्र सरकार ने छूट या किसी अन्य तरीके से वैक्सीन के उत्पादन में वित्तीय मदद तथा सहायता प्रदान की थी, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या यह कहना सटीक होगा कि निजी इकाइयों ने निर्माण का जोखिम और लागत अकेले वहन किया है। इसने कहा कि मैन्यूफैक्चरर्स को केंद्र सरकार द्वारा इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन दिया गया था, जिससे उनके जोखिम कम हुए, तो इसे मूल्य निर्धारण में शामिल किया जाना चाहिए था।
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संविधान की परिकल्पना यह नहीं है कि जब कार्यपालिका की नीतियां नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करे तो न्यायालय मूक दर्शक बना रहे: COVID वैक्सीन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा
केंद्र सरकार की COVID वैक्सीनेशन पॉलिसी पर कई सवाल उठाते हुए और पॉलिसी के कुछ पहलुओं को प्रथम दृष्टया "मनमाना और तर्कहीन" मानते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि वह शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं कर रहा है और वह केवल संविधान द्वारा परिकल्पित भूमिका निभा रहा है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ ने स्वत: संज्ञान मामले में कहा, "हमारा संविधान अदालतों को मूक दर्शक बने रहने की परिकल्पना नहीं करता है, जब नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कार्यकारी नीतियों द्वारा किया जा रहा हो।"
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"आइए ईश्वर से प्रार्थना करें कि सभी का वैक्सीनेशन हो जाए ताकि फिजिकल सुनवाई शुरू हो सके": जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बार और बेंच के बीच COVID-19 वायर से संबंधित सावधानी, मास्क और वैक्सीनेशन के संबंध में अनौपचारिक चर्चा हुई। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ सीबीआई-पश्चिम बंगाल कोयला खनन मामले पर विचार कर रही थी। मामले में एक आरोपी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने संकेत दिया कि चूंकि उन्होंने वह पहले भी वायरस से संक्रमित हो चुके है। इस दौरान उन्होंने जो कुछ पढ़ा है, उसे देखते हुए वह अपेक्षाकृत सुरक्षित महसूस करते हैं।
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तुच्छ मामले राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों की सुनवाई में से जजों का समय ले रहे हैं : जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि अवकाश पीठ के सामने लाए गए 95% मामले "तुच्छ" हैं, जो राष्ट्रीय महत्व के मामलों से न्यायाधीशों का समय और ध्यान हटा रहे हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने दो मामलों में टिप्पणियां कीं, क्योंकि अदालत ने उन याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया, जो इस आधार पर दायर की गई थीं कि वे तुच्छ थे। यहां तक कि उनके सामने पेश होने वाले वकील ने सुनवाई के लिए जोर दिया।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाई, जिसमें व्यक्तिगत उपयोग के लिए आयातित ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स पर लगाए गए IGST को असंवैधानिक घोषित किया गया था
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें व्यक्तिगत उपयोग के लिए आयातित ऑक्सीजन कॉन्सनट्रेटर्स पर लगाए गए एकीकृत वस्तु और सेवा कर (IGST) को असंवैधानिक घोषित किया गया था। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की अवकाश पीठ दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले (वित्त मंत्रालय बनाम गुरचरण सिंह) के खिलाफ वित्त मंत्रालय द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा कि मंत्रालय ने अपनी याचिका में "बहस योग्य सवाल उठाए हैं"। पीठ ने आदेश में कहा कि जीएसटी परिषद ने COVID-19 राहत के लिए GST छूट के मुद्दे पर विचार करने के लिए मंत्रियों के एक समूह का गठन किया है, और यह समूह 8 जून को अपनी रिपोर्ट देगा।
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COVID Vaccines: राज्यों को अधिक कीमत क्यों चुकानी पड़ रही है? कीमत एक समान होनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा
सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 से संबंधित मुद्दों (महामारी के दौरान आवश्यक सेवाओं और आपूर्ति के पुन: वितरण में) पर स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान कहा, "देश भर में COVID-19 टीकों के लिए एक कीमत होने की आवश्यकता है।" जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की तीन जजों की बेंच ने केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गई COVID-19 वैक्सीन की दोहरी कीमत और खरीद नीति के औचित्य पर केंद्र सरकार से कड़े सवाल किए।
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'लोगों को वैक्सीन स्लॉट नहीं मिल रहे हैं; लोग परेशान हो रहे हैं': सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीनेशन के लिए CO-WIN पर रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता पर सवाल उठाए
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को COVID-19 वैक्सीनेशन का एक स्लॉट बुक करने के लिए CO-WIN ऐप पर रजिस्ट्रेशन की अनिवार्य आवश्यकता पर गंभीर चिंता व्यक्त की, क्योंकि भारत की आबादी के एक बड़े वर्ग के पास स्मार्ट फोन और इंटरनेट की पहुंच नहीं है। देश में "डिजिटल डिवाइड" पर प्रकाश डालते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, "आप डिजिटल इंडिया, डिजिटल इंडिया कहते रहते हैं, लेकिन आप जमीनी हकीकत से अवगत नहीं हैं।"