सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Shahadat

12 Jun 2022 12:00 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

    सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (6 जून, 2022 से 10 जून, 2022 तक ) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।


    किस भूमि का अधिग्रहण करना है यह तय करने के लिए NHAI सर्वश्रेष्ठ जज : सुप्रीम कोर्ट ने NH-161 को चौड़ा करने के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ याचिका खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जहां तक ​​नए राजमार्गों के निर्माण और मौजूदा राजमार्गों के चौड़ीकरण, विकास और रखरखाव का संबंध है भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI) को यह तय करने के लिए सबसे अच्छा जज कहा जा सकता है कि राजमार्गों के निर्माण के प्रयोजन के लिए किस भूमि का अधिग्रहण किया जाए और किसकी नहीं।"

    तेलंगाना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अप्रैल, 2022 में NHAI की रिट अपील को अनुमति दी थी। NHAI की इस अपील में NH 161 को फोर लेन करने के उद्देश्य से कथित रूप से सड़क को चौड़ा करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा कथित रूप से स्वीकार की गई योजना के अनुसार अन्य भूमि अधिग्रहण किए बिना याचिकाकर्ताओं की संपूर्ण भूमि के अधिग्रहण करने की NHAI की कार्रवाई का विरोध करने वाली रिट याचिका को निपटाने वाली एकल पीठ के अप्रैल, 2018 के फैसले को चुनौती दी थी, जिसे खंडपीठ ने अनुमति दी थी।

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    "एडमिशन प्रोसेस अंतहीन नहीं हो सकती": सुप्रीम कोर्ट ने नर्सिंग कोर्स में खाली सीटों को भरने के लिए अतिरिक्त मॉप-अप राउंड की मांग खारिज की

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए नर्सिंग कोर्स में खाली रह गई सीटों को भरने के लिए टाइम शेड्यूल बढ़ाने और अतिरिक्त मॉप-अप राउंड आयोजित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थान में एडमिशन के लिए टाइम शेड्यूल का पालन करना होगा।

    पीठ ने आदेश में आगे कहा, "हाईकोर्ट ने याचिका पर विचार करने और खाली रह गई सीटों को भरने के लिए आगे के मॉप-अप राउंड में कोई राहत देने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं का यह निवेदन है कि जहां तक ​दो अन्य संस्थानों का संबंध है, इसे बढ़ाया गया है। अब हम न तो यहां के रहे हैं न ही वहां के। कोई नकारात्मक भेदभाव नहीं हो सकता। अन्य सभी संस्थानों के संबंध में टाइम लिमिट का पालन किया गया है। यहां तक ​​​​कि 15 मई की तारीख भी चली गई है। शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश की प्रक्रिया अंतहीन नहीं हो सकती है। समय सारिणी से कोई भी विस्तार या विचलन शिक्षा को प्रभावित कर सकता है।"

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    आय, उम्र, बड़ा परिवार बच्चों की कस्टडी के मामलों में एकमात्र मानदंड नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आय, उम्र, बड़ा परिवार बच्चों की कस्टडी के मामलों में संतुलन बनाने का एकमात्र मानदंड नहीं हो सकता है। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने पांच साल के बच्चे की कस्टडी दादा को देते हुए इस प्रकार कहा, जिसने कोविड के कारण अपने माता-पिता को खो दिया था।

    इस मामले में लड़के के दादा ने एक रिट याचिका (बंदी प्रत्यक्षीकरण) दायर कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि लड़के की मौसी उन्हें अपने बेटे और बहू के घर में प्रवेश नहीं करने दे रही है और उन्हें बच्चे से मिलने भी नहीं दिया। हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए मौसी को कस्टडी मंजूर कर ली। इससे नाराज दादा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    स्वामीनाथन कुंचू आचार्य बनाम गुजरात राज्य | 2022 लाइव लॉ (SC) 547 |सीआरए 898/ 2022 | 9 जून 2022

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    सुप्रीम कोर्ट ने भरत सिंह चौहान को 15 अगस्त तक अखिल भारतीय शतरंज महासंघ के सचिव पद पर बने रहने की अनुमति दी

    सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अंतरिम व्यवस्था के रूप में भरत सिंह चौहान को 15 अगस्त, 2022 तक अखिल भारतीय शतरंज महासंघ के सचिव के रूप में बने रहने की अनुमति दी। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने भारत में 2 जुलाई से 10 अगस्त तक होने वाले 44 वें विश्व शतरंज ओलंपियाड को ध्यान में रखते हुए चौहान को कर्तव्यों का निर्वहन करने की अनुमति दी।

    केस टाइटल: भरत सिंह चौहान बनाम रविंदर सिंह| एसएलपी (सी) 10500/2022

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    सीआरपीसी धारा 482 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट को आमतौर पर इस बात की जांच शुरू नहीं करनी चाहिए कि विश्वसनीय सबूत हैं या नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    यह दोहराते हुए कि "अदालत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आपराधिक कार्यवाही में , दुर्लभ और असाधारण मामलों में, सीआरपीसी के प्रावधानों को प्रभावी करने के लिए या किसी भी न्यायालय की प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए या अन्यथा न्याय के सिरों को सुरक्षित करने के लिए हस्तक्षेप करती है।"

    सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा है कि आपराधिक कार्यवाही को अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग के रूप में कहा जा सकता है" जब प्राथमिकी में आरोप किसी भी अपराध का खुलासा नहीं करते हैं या रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री है जिससे न्यायालय उचित रूप से इस निष्कर्ष पर पहुंच सकता है कि कार्यवाही न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रही है"

    केस: जगमोहन सिंह बनाम विमलेश कुमार एवं अन्य।

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    नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जैसे ट्रिब्यूनल हाईकोर्ट के अधीनस्थ हैं, विरोधी फैसले पारित करने से विषम परिस्थिति पैदा होगी : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जैसे ट्रिब्यूनल हाईकोर्ट के अधीनस्थ हैं। जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता है कि ऐसी स्थिति में, यह संवैधानिक न्यायालयों द्वारा पारित आदेश है, जो वैधानिक ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेशों पर प्रभावी होगा।"

    आंध्र प्रदेश राज्य बनाम रघु राम कृष्ण राजू कनुमुरु (एमपी) | 2022 लाइव लॉ (SC) 544 | सीए 4522-4524/ 2022 का | 1 जून 2022

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    पूरी तरह अविश्वसनीय गवाह की गवाही के एकमात्र आधार पर दोषसिद्धि नहीं हो सकती : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब अदालत को पता चलता है कि एक गवाह "पूरी तरह से अविश्वसनीय" है, तो ऐसे गवाह की गवाही के आधार पर न तो दोषसिद्धि हो सकती है और न ही बरी किया जा सकता है। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने महेंद्र सिंह, प्रीतम सिंह, संतोष, शंभू सिंह और लखन सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 148, 302 के साथ पठित धारा 149 के तहत दोषी ठहराया। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी।

    महेंद्र सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य | 2022 लाइव लॉ (SC) 543 | सीआरए 764/ 2021 | 3 जून 2022

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    जब कानून के तहत उपाय उपलब्ध हों तो हाईकोर्ट को रिट को हतोत्साहित करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब कानून के तहत उपचार उपलब्ध हों तो हाईकोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका दायर करने को हतोत्साहित करना है। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने सरफेसी मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेशों की आलोचना करते हुए ‌सिक्योर्ड क्रे‌डिटर द्वारा दायर एसएलपी पर विचार करते हुए यह टिप्पणी की।

    केस टाइटल: कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड बनाम दिलीप भोसले| SLP (C) 13241 of 2019

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