सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
Shahadat
15 Jan 2023 12:00 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (09 जनवरी, 2023 से 13 जनवरी, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
पुराने बसे भारतीयों को आयकर अधिनियम की धारा 10 (26एएए) में "सिक्किमी" की परिभाषा से बाहर करना असंवैधानिक : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 26.04.1975 को सिक्किम के भारत में विलय से पहले सिक्किम में स्थायी रूप से बसने वाले पुराने भारतीयों को आयकर अधिनियम की धारा 10 (26एएए) में "सिक्किमी" की परिभाषा से बाहर करना असंवैधानिक है। जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि ये पुराने भारतीय बसने वाले, चाहे उनका नाम सिक्किम विषय विनियम, 1961 के साथ पठित सिक्किम विषय नियम, 1961 के तहत बनाए गए रजिस्टर में दर्ज है या नहीं, इस छूट के हकदार हैं।
केस विवरण- एसोसिएशन ऑफ ओल्ड सेटलर्स ऑफ सिक्किम बनाम भारत संघ | 2023 लाइवलॉ (SC) 28 | डब्ल्यूपी(सी) 59/ 2013 | 13 जनवरी 2023 | जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना
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लगाया गया अतिरिक्त विशेष सड़क टैक्स नियामक है, जुर्माना नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने धारा 3ए(3) एचपीएमवीटी को बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन कराधान अधिनियम, 1972 की धारा 3ए(3) के तहत अतिरिक्त विशेष सड़क कर लगाने की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्च की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि धारा 3ए(3) के तहत लगाया गया कर प्रकृति में नियामक है और जुर्माना नहीं है।
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि इस तरह के अतिरिक्त विशेष सड़क कर को लागू करना केवल परिवहन वाहन संचालकों पर वैधानिक प्रावधानों के अनुसार अपने वाहनों का उपयोग करने के लिए एक जांच या अनुशासन रखने के लिए लगाया गया था।
केस विवरण- हिमाचल प्रदेश बनाम गोयल बस सेवा कुल्लू | 2023 लाइवलॉ (SC) 27 | सीए 5534-5594/2011 | 13 जनवरी 2023 | जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ
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नाबालिग मुस्लिम लड़की को शादी की अनुमति देने के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को मिसाल के तौर पर न लें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जावेद बनाम हरियाणा राज्य और अन्य मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को मिसाल के तौर पर न लें। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि प्यूबर्टी प्राप्त कर चुकी 15 साल की मुस्लिम लड़की पर्सनल लॉ के तहत शादी कर सकती है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका में नोटिस जारी करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।
केस टाइटल : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) बनाम जावेद और अन्य डायरी संख्या 35376-2022
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जब आरोपी बताता है कि मामले की जांच किसे करनी चाहिए, तो यह गंभीर सवाल खड़ा करता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टिप्पणी की कि जब आरोपी बताता है कि मामले की जांच किसे करनी चाहिए, तो यह गंभीर सवाल खड़ा करता है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा, "जब आरोपी बताता है कि मामले की जांच कौन करेगा, तो यह एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।"
अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दायर एसएलपी पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दहेज-हत्या मामले की जांच ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया था।
केस टाइटल: सीबीआई बनाम देशराज सिंह और अन्य | एसएलपी (सीआरएल) संख्या 9275/2019
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दहेज की मांग की आपराधिक कार्यवाही को केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता है क्योंकि तलाक की याचिका लंबित है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि दहेज की मांग की आपराधिक कार्यवाही को केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता है क्योंकि तलाक की याचिका लंबित है। इस मामले में पति ने इस आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की कि पत्नी एड्स रोग से पीड़ित है। इसके बाद पत्नी ने पति पर दहेज में लग्जरी कार की मांग करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया कि पति द्वारा दहेज की मांग के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत स्वाभाविक रूप से असंभव है और यह एक संगीन अभियोजन की श्रेणी में आती है।
एक्स बनाम उत्तर प्रदेश राज्य | 2023 लाइव लॉ (SC) 26 | सीआरए 25 ऑफ 2023 | 4 जनवरी 2023 | जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार
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शहरी विकास के लिए पर्यावरण पर होने वाले प्रभाव का आकलन अनिवार्य करें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 'कार्बुसियर' चंडीगढ़ की विरासत को संरक्षित करने के निर्देश जारी करते हुए केंद्र और राज्यों के विधायिका और कार्यकारी अंगों से आग्रह किया कि वे 'बेतरतीब' शहरी नियोजन के हानिकारक प्रभावों पर विचार करें और यह सुनिश्चित करने के लिए कम करने वाले उपाय करें। विकास की वेदी पर पर्यावरण की बलि नहीं चढ़ाई जाती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "इसलिए हम केंद्र के साथ-साथ राज्य स्तर पर विधायिका, कार्यपालिका और नीति निर्माताओं से शहरी विकास की अनुमति देने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन अध्ययन करने के लिए आवश्यक प्रावधान करने की अपील करते हैं।"
केस टाइटल- रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और अन्य बनाम केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और अन्य। | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) नंबर 4950/2022
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मध्यस्थता अधिनियम में धारा 34(3) परिसीमा के लिए प्रारंभिक बिंदु स्वत: संज्ञान से अवार्ड में सुधार है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्वत: संज्ञान से अवार्ड में सुधार के मामले में धारा 34(3) मध्यस्थता और समझौता अधिनियम के तहत परिसीमा के लिए प्रारंभिक बिंदु वह तिथि होगी जिस पर सुधार किया गया था और पक्षकार द्वारा सही अवार्ड प्राप्त किया गया था। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि एक बार मध्यस्थता अवार्ड में संशोधन या सुधार हो जाने के बाद, यह सही अवार्ड है जिसे चुनौती दी जानी चाहिए, न कि मूल अवार्ड को।
केस विवरण- यूएसएस एलायंस बनाम उत्तर प्रदेश राज्य | 2023 लाइवलॉ (SC) 20 | एसएलपी (सी) 23676/2022 | 6 जनवरी 2023 | जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश
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प्रतिवादी अपना स्वामित्व स्थापित नहीं कर सके, केवल इसलिए कब्जे का फैसला वादी के पक्ष में नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वादी के पक्ष में कब्जे का हुक्मनाम केवल इसलिए पारित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि प्रतिवादी संपत्ति में अपने अधिकार, स्वामित्व और हित को पूरी तरह से स्थापित करने में सक्षम नहीं थे।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि बचाव पक्ष की कमजोरी मुकदमे में आदेश पारित करने का आधार नहीं हो सकती है। अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों को तब तक बेदखल नहीं किया जा सकता जब तक कि वादी ने वादी की संपत्ति पर बेहतर स्वामित्व और अधिकार स्थापित नहीं किया हो।
केस डिटेलः स्मृति देबबर्मा (डी) बनाम प्रभा रंजन देबबर्मा | 2022 लाइवलॉ (SC) 19 | CA 878 Of 2009 | 4 जनवरी 2023 | जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जेके माहेश्वरी
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विशिष्ट अदायगी - एक वादी के खिलाफ महज इसलिए प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता क्योंकि उसने अपनी बैंक पासबुक पेश नहीं की : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विशिष्ट अदायगी के एक मुकदमे में किसी वादी के खिलाफ उसकी पासबुक पेश न करने के लिए प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है, जब तक कि उसे पासबुक पेश करने के लिए न कहा गया हो। इस मामले में, ट्रायल कोर्ट ने विशिष्ट अदायगी का आदेश दिया। अपील में, हाईकोर्ट ने डिक्री को मुख्य रूप से इस आधार पर रद्द कर दिया कि वादी अनुबंध के अपने हिस्से के करार को पूरा करने के लिए न तो तैयार था, न इच्छुक। हाईकोर्ट के अनुसार, वादी ने यह साबित नहीं किया कि उसके पास नकद और/या राशि और/या पर्याप्त धन/साधन शेष बिक्री प्रतिफल का भुगतान करने के लिए था, क्योंकि कोई पासबुक और/या बैंक खाते प्रस्तुत नहीं किए गए थे।
केस विवरण- बसवराज बनाम पद्मावती | 2023 लाइवलॉ (एसी) 17 | सीए 8962-8963/2022 | 5 जनवरी 2023 | जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना
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जोशीमठ संकट- ‘हर मसला कोर्ट में क्यों, इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक संस्थाएं हैं’: सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर कहा
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जोशीमठ (Joshimath Crisis) में जमीन धंसने की घटनाओं से संबंधित धार्मिक नेता स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की जनहित याचिका को 16 जनवरी 2023 को सूचीबद्ध किया। जनहित याचिका जोशीमठ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और एनडीएमए को जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने का निर्देश देने की मांग करती है। याचिका में जोशीमठ के निवासियों को वित्तीय सहायता और मुआवजे के लिए भी प्रार्थना की गई है।
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सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप को अपवाद की श्रेणी में रखने के खिलाफ याचिका पर नोटिस जारी किया
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मैरिटल रेप को अपवाद की श्रेणी में रखने की वैधता को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका में नोटिस जारी किया। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप को अपवाद की श्रेणी में रखने की वैधता से संबंधित मामलों को जनवरी 2023 के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध किया था।
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क्या सार्वजनिक पहुंच के लिए चार्जशीट ऑनलाइन अपलोड की जानी चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर नोटिस जारी करने या नहीं करने पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें पुलिस और सीबीआई, ईडी आदि जैसी जांच एजेंसियों को आम जनता की आसान पहुंच के लिए मामलों में दायर चार्जशीट पब्लिक प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान इस विचार के बारे में कुछ आपत्तियां व्यक्त कीं। बेंच ने टिप्पणी की कि अगर चार्जशीट जनता के लिए उपलब्ध कराई जाती है तो उनका दुरुपयोग होने की संभावना है।
केस टाइटल : सौरव दास बनाम भारत संघ |W.P.(C) नंबर 1126/2022