दहेज की मांग की आपराधिक कार्यवाही को केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता है क्योंकि तलाक की याचिका लंबित है: सुप्रीम कोर्ट

Brij Nandan

12 Jan 2023 10:34 AM GMT

  • Supreme Court

    Supreme Court

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि दहेज की मांग की आपराधिक कार्यवाही को केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता है क्योंकि तलाक की याचिका लंबित है।

    इस मामले में पति ने इस आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की कि पत्नी एड्स रोग से पीड़ित है। इसके बाद पत्नी ने पति पर दहेज में लग्जरी कार की मांग करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया कि पति द्वारा दहेज की मांग के खिलाफ दर्ज की गई शिकायत स्वाभाविक रूप से असंभव है और यह एक संगीन अभियोजन की श्रेणी में आती है।

    पत्नी द्वारा दायर अपील में, सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि जिस समय हाईकोर्ट ने यह आदेश पारित किया था, उस समय अभियुक्त के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला पाए जाने पर अभियुक्त के खिलाफ चार्जशीट दायर किया गया था।

    जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा,

    "केवल इसलिए कि पत्नी एड्स रोग से पीड़ित है और/या तलाक की याचिका लंबित है, यह नहीं कहा जा सकता कि दहेज की मांग के आरोप अत्यधिक/स्वाभाविक रूप से असंभव हैं और उक्त कार्यवाही को फर्जी कार्यवाही है। इसलिए, आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए तर्क उचित नहीं हैं।"

    अदालत ने आगे कहा कि हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्तियों के प्रयोग में आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए गंभीर रूप से चूक की है और धारा 482 सीआरपीसी के तहत अपने अधिकार क्षेत्र में उल्लंघन किया है।

    पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा,

    "एक बार जांच के बाद प्रथम दृष्टया मामला पाए जाने के बाद चार्जशीट दाखिल होने के बाद यह नहीं कहा जा सकता कि अभियोजन फर्जी था। इन परिस्थितियों में, हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्णय और आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का आदेश बरकरार नहीं रखा जा सकता है।"

    केस टाइटल

    एक्स बनाम उत्तर प्रदेश राज्य | 2023 लाइव लॉ (SC) 26 | सीआरए 25 ऑफ 2023 | 4 जनवरी 2023 | जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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