ताज़ा खबरें

सालों से हाउस टैक्स भर रहे हैं, आधार कार्ड है’: हल्द्वानी के निवासियों ने रेलवे की जमीन से बेदखल करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कहा
'सालों से हाउस टैक्स भर रहे हैं, आधार कार्ड है’: हल्द्वानी के निवासियों ने रेलवे की जमीन से बेदखल करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कहा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कल सुनवाई होने की संभावना है, जिसके आधार पर हल्द्वानी में कई लोगों के घरों को तोड़ा गया था।एडवोकेट प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया गया था।याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता गरीब लोग हैं जो 70 से अधिक वर्षों से हल्द्वानी जिले के मोहल्ला नई बस्ती के वैध निवासी हैं।याचिकाकर्ता के अनुसार, उत्तराखंड...

हल्द्वानी बेदखली मामला  :सुप्रीम कोर्ट  उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर कल सुनवाई करेगा
हल्द्वानी बेदखली मामला :सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका पर कल सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसके आधार पर हल्द्वानी में तोड़फोड़ की गई। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष एडवोकेट प्रशांत भूषण ने इस मामले का उल्लेख किया।एडवोकेट भूषण ने यह उल्लेख करते हुए कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका गुरुवार को सूचीबद्ध है, अपनी याचिका को भी इसके साथ टैग करने का अनुरोध किया।उन्होंने अनुरोध किया,"इस मामले से मिलता-जुलता एक मामला है जिसे कल सूचीबद्ध...

Azam Khan
आजम खान ने यूपी में निष्पक्ष ट्रायल नहीं होने का आरोप लगाया; सुप्रीम कोर्ट ने केस को दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने की मांग वाली उनकी याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के अपने मामलों को उत्तर प्रदेश राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।इस मामले की सुनवाई सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अब्दुल नज़ीर की बेंच ने की।आजम खान की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में यूपी राज्य में निष्पक्ष ट्रायल नहीं होगा।कथित पक्षपात के प्वाइंट को स्पष्ट करने के लिए सिब्बल ने कहा कि अतिरिक्त सबूत पेश करने के...

Supreme Court
क्या राज्य पहाड़ी क्षेत्रों और मैदानी राजस्व क्षेत्रों में नए जिले बना सकता है? सुप्रीम कोर्ट 20 फरवरी को सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) 20 फरवरी को मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करेगा। इसमें कहा गया था कि राज्य सरकार के पास "पहाड़ी क्षेत्रों" और "मैदानी राजस्व क्षेत्रों" में नए जिले बनाने के लिए पर्याप्त शक्ति है।2016 में, राज्य सरकार ने मणिपुर सरकार (आवंटन) नियम 2009 के व्यवसाय के नियम 30 के तहत एक अधिसूचना जारी की। इसमें सात नए जिले बनाए गए, जिनमें से पांच प्रस्तावित जिले कांगपोकपी, टेंग्नौपाल, कामजोंग, फेरज़ावल और नोनी पहाड़ी क्षेत्रों का क्षेत्राधिकार...

10वीं कक्षा में अनिवार्य तमिल पेपर को चुनौती देने वाली याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया
10वीं कक्षा में अनिवार्य तमिल पेपर को चुनौती देने वाली याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को तमिलनाडु राज्य को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया, जिसमें 2014 के सरकारी आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।सरकारी आदेश में राज्य में सभी छात्रों के लिए कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा में तमिल पेपर अनिवार्य कर दिया गया है।याचिकाकर्ता संगठन, लिंग्विस्टिक माइनॉरिटीज फोरम ऑफ तमिलनाडु की ओर से पेश वकील ने जस्टिस एस.के. कौल और जस्टिस ए.एस. ओका के समक्ष प्रस्तुत किया कि राज्य सरकार ने मामले...

सरकारी अनुबंध सामान्य रूप से टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से दिये जाने चाहिए, इससे जाना उचित ठहराया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
सरकारी अनुबंध सामान्य रूप से टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से दिये जाने चाहिए, इससे जाना उचित ठहराया जाना चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए कि सार्वजनिक धन खर्च करते समय राज्य के पास पूर्ण विवेक नहीं है, दोहराया कि सरकारी अनुबंधों को सामान्य रूप से निविदा प्रक्रिया के माध्यम से दिया जाना चाहिए। चूंकि निविदाओं को आमंत्रित करने की प्रक्रिया प्रतिस्पर्धी संस्थाओं के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित करती है, इसलिए निविदा मार्ग से जाना"अनुचित या भेदभावपूर्ण नहीं होना चाहिए।”अदालत ने बिना टेंडर जारी किए आयुर्वेदिक दवाओं के लिए खरीद आदेश देने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य की गलती ढूंढते हुए ऐसा कहा।सीजेआई डी वाई...

Cinema Tickets
लोकेशन और थिएटर की सुविधाओं की परवाह किए बिना सिनेमा टिकटों की एक समान कीमत तय करने का आदेश अनुचित: सुप्रीम कोर्ट

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने सिनेमा टिकटों की एक समान कीमत तय करने के आदेश को अस्वीकार किया।पीठ ने कहा कि थिएटर में प्रदान की जाने वाली सुविधाओं और लोकेशन की परवाह किए बिना हर थिएटर में टिकट की कीमत एक समान तय करना अनुचित होगा।यह मुद्दा जम्मू- कश्मीर हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर एक अपील में उठा। इसमें हाईकोर्ट ने निर्देश दिया गया था कि लाइसेंसिंग प्राधिकरण/राज्य के प्रत्येक जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करना है कि जम्मू और कश्मीर सिनेमा (विनियमन) नियम,...

संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप न होने वाली राय रखने के लिए किसी को दंडित नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप न होने वाली राय रखने के लिए किसी को दंडित नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को दिए गए अपने फैसले में टिप्पणी की कि संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप न होने वाली राय रखने के लिए किसी पर न तो टैक्स लगाया जा सकता है और न ही उसे दंडित किया जा सकता है।संविधान पीठ (बहुमत 4:1) ने यह मानते हुए कि एक मंत्री द्वारा दिया गया बयान, संविधान के भाग III के तहत एक नागरिक के मौलिक अधिकारों के साथ असंगत है, संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हो सकता है और ना ही संवैधानिक क्षति यानी अपकृत्य के तहत कार्रवाई योग्य हो सकता है।कौशल किशोर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में संविधान पीठ...

केवल मौद्रिक मांग पर विवाद आईपीसी की धारा 405 के तहत आपराधिक विश्वासघात का अपराध नहीं बनता : सुप्रीम कोर्ट
केवल मौद्रिक मांग पर विवाद आईपीसी की धारा 405 के तहत आपराधिक विश्वासघात का अपराध नहीं बनता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल मौद्रिक मांग पर विवाद आईपीसी की धारा 405 के तहत आपराधिक विश्वासघात का अपराध नहीं बनता है।इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपी जेआईपीएल द्वारा 6,37,252 रुपये 16 पैसे की जाली मांग की गई। इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 405, 420, 471 और धारा 120बी के तहत रिपोर्ट की।। हालांकि, मजिस्ट्रेट ने आईपीसी की धारा 406 के तहत ही समन जारी करने का निर्देश दिया, न कि आईपीसी की धारा 420, 471 या धारा 120 बी के तहत। समन के इस आदेश को इलाहाबाद...

Supreme Court
प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री का अन्य मंत्रियों पर अनुशासनात्मक नियंत्रण नहीं होता: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का मंत्रिपरिषद के सदस्यों पर अनुशासनात्मक नियंत्रण नहीं होता है।सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया है कि मंत्रियों के बयानों के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।संविधान पीठ ने यह अवलोकन करते हुए कहा कि एक मंत्री द्वारा दिया गया बयान, भले ही राज्य के किसी भी मामले या सरकार की रक्षा के लिए दिया गया हो, सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करके सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।इस...

Supreme Court
सिनेमा हॉल बाहरी खाद्य सामग्री पर रोक लगा सकते हैं, हालांकि उन्हें मुफ्त में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे, ने कहा कि सिनेमा हॉल मालिक सिनेमा दर्शक को सिनेमा हॉल के भीतर भोजन और कोल्‍ड ड्रिंक ले जाने से रोक सकता है। हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि सिनेमा मालिकों को सिनेमाघरों में दर्शकों को मुफ्त स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना चाहिए।इसके अलावा, कोर्ट ने यह नोट किया कि जब कोई शिशु या बच्चा माता-पिता के साथ सिनेमा हॉल जाता है तो उनके लिए उचित मात्रा में भोजन थिएटर में ले जाया जा सकता है।यह मुद्दा तब उठा जब...

मजिस्ट्रेट को आरोपी को समन भेजने से पहले ये परीक्षण करना चाहिए कि कहीं शिकायत सिविल गलती का गठन तो नही करती : सुप्रीम कोर्ट
मजिस्ट्रेट को आरोपी को समन भेजने से पहले ये परीक्षण करना चाहिए कि कहीं शिकायत सिविल गलती का गठन तो नही करती : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 204 के तहत समन आदेश को हल्के में या स्वाभाविक रूप से पारित नहीं किया जाना चाहिए। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस जे के माहेश्वरी की पीठ ने कहा, "जब कथित कानून का उल्लंघन स्पष्ट रूप से बहस योग्य और संदिग्ध है, या तो तथ्यों की कमी और तथ्यों की स्पष्टता की कमी के कारण, या तथ्यों पर कानून के आवेदन पर, मजिस्ट्रेट को अस्पष्टताओं का स्पष्टीकरण सुनिश्चित करना चाहिए।" इस मामले में शिकायतकर्ता ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 405, 420, 471 और 120बी लगाई थी।...

“सभी धर्मांतरणों को अवैध धर्मांतरण नहीं कहा जा सकता है” : सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन के लिए घोषणा के प्रावधान के खिलाफ एमपी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया
“सभी धर्मांतरणों को अवैध धर्मांतरण नहीं कहा जा सकता है” : सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन के लिए घोषणा के प्रावधान के खिलाफ एमपी हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश राज्य द्वारा हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें सरकार को मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 की धारा 10 का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया गया है जिसके तहत धर्म परिवर्तन के इच्छुक व्यक्ति को इस संबंध में जिलाधिकारी को एक घोषणापत्र देना होगा।हालांकि, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।इस प्रावधान...

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष  मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट ने सुनवाई से जस्टिस एमआर शाह को अलग करने की मांग की
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले में पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट ने सुनवाई से जस्टिस एमआर शाह को अलग करने की मांग की

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने आवेदन दायर कर जस्टिस एमआर शाह को उनकी याचिका पर सुनवाई से अलग करने की मांग की। इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट में दोषसिद्धि के खिलाफ सुनवाई तब तक टालने की मांग की गई है, जब तक कि अतिरिक्त सबूत पेश करने की याचिका पर फैसला नहीं हो जाता।आवेदन में कहा गया कि वर्तमान याचिका की विषय वस्तु पर पहले जस्टिस शाह ने फैसला किया था, जब वह गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे।आवेदन में कहा गया,"... कुछ मुद्दे जो इस विशेष अनुमति याचिका की विषय वस्तु हैं, उसका...

अटॉर्नी जनरल ने लॉटरी रेगुलेशन एक्ट के प्रावधान को चुनौती देने वाली मेघालय राज्य के मुकदमे की स्थिरता पर सवाल उठाए
अटॉर्नी जनरल ने लॉटरी रेगुलेशन एक्ट के प्रावधान को चुनौती देने वाली मेघालय राज्य के मुकदमे की स्थिरता पर सवाल उठाए

भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को सूचित किया कि केंद्र को लॉटरी (विनियमन) अधिनियम 1998 की धारा 5 को चुनौती देने वाले मुकदमे की स्थिरता पर प्रारंभिक आपत्तियां हैं।मेघालय और सिक्किम राज्यों ने अन्य राज्यों में अपने राज्य की लॉटरी पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।मुकदमे का संदर्भ यह है कि अधिनियम की धारा 5 के अनुसार, केंद्र ने राज्य सरकारों को अधिकृत किया है कि वे किसी अन्य राज्य द्वारा आयोजित, संचालित या प्रचारित लॉटरी के...

सुप्रीम कोर्ट 6 जनवरी को सेम सैक्स मैरिज को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट 6 जनवरी को सेम सैक्स मैरिज को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह भारत में सेम सैक्स मैरिज के मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट और केरल हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग वाली दो याचिकाओं को सुनवाई के लिए 6 जनवरी को सूचीबद्ध करेगा।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी और एडवोकेट करुणा नंदी द्वारा ट्रांसफर याचिकाओं का उल्लेख किया गया।एडवोकेट करुणा नंदी ने प्रस्तुत किया कि सेम सैक्स मैरिज से संबंधित याचिकाएं 6...

Justice BV Nagarathna
हेट स्पीच संविधान के मूलभूत मूल्यों पर हमला है; राजनीतिक पार्टियों को अपने सदस्यों के भाषणों पर नियंत्रण रखना चाहिए: जस्टिस बीवी नागरत्ना

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने एक मंत्री द्वारा दिए गए एक बयान के लिए सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी ठहराते हुए एक असहमतिपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि हेट स्पीच स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के प्रस्तावना लक्ष्यों पर हमला करता है, जो हमारे संविधान में निहित मूलभूत मूल्य हैं।सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करके राज्य के किसी भी मामले या सरकार की सुरक्षा के लिए पता लगाने योग्य। जबकि संविधान पीठ के अन्य चार न्यायाधीश, जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर, जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, और...

ब्रेकिंग- ‘मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की बोलने की स्वतंत्रता पर अधिक प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता’: सुप्रीम कोर्ट
ब्रेकिंग- ‘मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की बोलने की स्वतंत्रता पर अधिक प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता’: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की संविधान पीठ ने कहा कि मंत्रियों, सांसदों और विधायकों की बोलने की स्वतंत्रता पर अधिक प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 19(2) पहले से बोलने की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।कोर्ट ने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए अनुच्छेद 19 (2) में उल्लिखित आधार संपूर्ण हैं।कोर्ट ने यह फैसला 4:1 बहुमत के साथ सुनाया। पांच जजों की संविधान पीठ में केवल एक जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने अलग फैसला सुनाया। जस्टिस अब्दुल नज़ीर, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस...

सुप्रीम कोर्ट ने अपने दो बेटों की हत्या के आरोपी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा, मानसिक अक्षमता की दलील खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने अपने दो बेटों की हत्या के आरोपी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा, मानसिक अक्षमता की दलील खारिज

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मानसिक अक्षमता की दलील को खारिज करते हुए अपने दो बेटों की हत्या के आरोपी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा।जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने एक आपराधिक अपील को खारिज करते हुए कहा,"जहां अभियुक्त पर हत्या का आरोप लगता है तो यह साबित करने का भार बचाव पक्ष पर है कि मानसिक विकार के परिणामस्वरूप अभियुक्त ने यह कृत्य किया। अपने कृत्यों के परिणामों को जानने में असमर्थ था।"अदालत ने पाया कि वह न तो किसी चिकित्सकीय रूप से निर्धारित मानसिक बीमारी से...