प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री का अन्य मंत्रियों पर अनुशासनात्मक नियंत्रण नहीं होता: सुप्रीम कोर्ट

Brij Nandan

4 Jan 2023 2:32 AM GMT

  • Supreme Court

    Supreme Court

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का मंत्रिपरिषद के सदस्यों पर अनुशासनात्मक नियंत्रण नहीं होता है।

    सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से फैसला सुनाया है कि मंत्रियों के बयानों के लिए सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

    संविधान पीठ ने यह अवलोकन करते हुए कहा कि एक मंत्री द्वारा दिया गया बयान, भले ही राज्य के किसी भी मामले या सरकार की रक्षा के लिए दिया गया हो, सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत को लागू करके सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

    इस संबंध में वकील कलेश्वरम राज ने सुझाव दिया कि भारत सरकार के मंत्री के मामले में प्रधानमंत्री और राज्य के मंत्री के मामले में मुख्यमंत्री को हेट स्पीच देने वाले मंत्री खिलाफ उचित कार्रवाई करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इस सुझाव को "काल्पनिक" कहकर खारिज कर दिया।

    जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन ने फैसला सुनाया,

    "प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का मंत्रिपरिषद के सदस्यों पर अनुशासनात्मक नियंत्रण नहीं होता है। यह सच है कि व्यवहार में, एक मजबूत प्रधान मंत्री या मुख्यमंत्री किसी भी मंत्री को मंत्रिमंडल से बाहर करने में सक्षम होगा। लेकिन हमारे जैसे देश में जहां बहुदलीय व्यवस्था है और जहां अक्सर गठबंधन सरकारें बनती हैं, वहां प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री के लिए यह संभव नहीं है कि जब भी मंत्रिपरिषद में किसी के द्वारा बयान दिया जाए तो वह व्हिप ले ले। सरकारें जो बहुत कम बहुमत पर बनती हैं (जिनमें से हमने काफी कुछ देखा है), कभी-कभी अलग-अलग मंत्री होते हैं जो ऐसी सरकारों के अस्तित्व को तय करने के लिए पर्याप्त मजबूत होते हैं। यह समस्या हमारे देश के लिए अद्वितीय नहीं है।"

    अदालत ने आगे विभिन्न प्राधिकरणों का उल्लेख करते हुए कहा कि (i) सामूहिक जिम्मेदारी की अवधारणा अनिवार्य रूप से एक राजनीतिक अवधारणा है; (ii) सामूहिक उत्तरदायित्व मंत्रिपरिषद का है; और (iii) कि इस तरह की सामूहिक जिम्मेदारी लोक सभा/राज्य की विधान सभा की है। आम तौर पर, इस तरह की जिम्मेदारी (i) लिए गए निर्णयों से संबंधित होती है; और (ii) किए गए चूक के लिए। सामूहिक उत्तरदायित्व की इस अवधारणा को लोक सभा/विधान सभा के बाहर किसी मंत्री द्वारा मौखिक रूप से दिए गए किसी भी वक्तव्य तक विस्तारित करना संभव नहीं है।

    कोर्ट ने कहा,

    "जैसा कि इस मुद्दे पर सभी साहित्य दिखाते हैं, सामूहिक जिम्मेदारी मंत्रिपरिषद की होती है। प्रत्येक व्यक्तिगत मंत्री मंत्रिपरिषद द्वारा सामूहिक रूप से लिए गए निर्णयों के लिए जिम्मेदार होता है।“

    केस

    कौशल किशोर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य | 2023 लाइव लॉ (SC) 4 | डब्ल्यूपी (सी) 2016 ऑफ 113 | 3 जनवरी 2023 | जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना



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