S. 389 CrPC | अभियुक्त के खिलाफ एक और ट्रायल लंबित होने के कारण सजा के निलंबन से इनकार नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-10-05 14:12 GMT

सुप्रीम कोर्ट कहा कि अभियुक्त के खिलाफ एक मामले में मुकदमा लंबित होना उसे सजा के निलंबन का लाभ देने से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता।

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने हत्या के एक मामले में दोषी ठहराए गए अभियुक्तों को राहत दी। उक्त अभियुक्तों को हाईकोर्ट द्वारा सजा के निलंबन का लाभ देने से इनकार किया गया था।

अभियुक्तों ने अन्य सह-अभियुक्तों के साथ समानता की मांग की, जिन्हें सजा के निलंबन का लाभ दिया गया। अभियुक्तों में से एक की सजा के निलंबन की याचिका का राज्य द्वारा इस आधार पर विरोध किया गया कि उसके खिलाफ एक अन्य आपराधिक मामले में मुकदमा लंबित है।

हालांकि, अभियुक्त/अपीलकर्ता द्वारा यह तर्क दिया गया कि केवल मुकदमे के लंबित होने के कारण अपीलकर्ता-नरेंद्र सिंह की सजा के निलंबन की प्रार्थना पर विचार करने में इस न्यायालय के आड़े नहीं आना चाहिए।

हाईकोर्ट के निर्णय को दरकिनार करते हुए न्यायालय ने अपीलकर्ता की दलील स्वीकार की और उसे सजा के निलंबन का लाभ प्रदान किया।

न्यायालय ने टिप्पणी की,

“इसके अलावा, केवल दूसरे मुकदमे के लंबित रहने के कारण जिसमें अपीलकर्ता-नरेंद्र सिंह एक अभियुक्त (जमानत पर) है, उसे इस मामले में सजा के निलंबन का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता। आखिरकार, उसे दोषी पाए जाने तक निर्दोष माना जाता है।”

न्यायालय ने कहा,

“उपर्युक्त कारकों को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना ​​है कि अपीलकर्ताओं ने सेशन कोर्ट द्वारा लगाए जाने वाले नियमों और शर्तों पर सजा के निलंबन और जमानत पर रिहा करने के लिए पर्याप्त आधार बनाए हैं।”

अपील स्वीकार की गई।

केस टाइटल: जितेन्द्र और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

Tags:    

Similar News