सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2024-07-07 06:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (01 जुलाई, 2024 से 05 जुलाई, 2024 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

आजीवन कारावास की सजा तभी निलंबित किया जा सकता है जब दोषसिद्धि टिकाऊ न हो: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजीवन कारावास की सजा पाने वाले दोषी को सजा के निलंबन का लाभ केवल तभी दिया जा सकता है, जब प्रथम दृष्टया ऐसा लगे कि दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है और दोषी के पास दोषसिद्धि के खिलाफ अपील में सफल होने की उच्च संभावना है। कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि दोषसिद्धि कानून में टिकाऊ नहीं है तो दोषी को सजा के निलंबन का लाभ नहीं दिया जा सकता।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने कहा कि कोर्ट निश्चित अवधि की सजा के निलंबन की याचिका पर फैसला करते समय दोषी को जमानत पर रिहा करने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन आजीवन कारावास की सजा के निलंबन की याचिका पर फैसला करते समय इस तरह के विवेक का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

केस टाइटल: भूपतजी सरताजी जबराजी ठाकोर बनाम गुजरात राज्य, डायरी नंबर 27298/2024

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हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट भूल गए कि सजा के तौर पर जमानत नहीं रोकी जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

देश भर की अदालतों को महत्वपूर्ण संदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस बात पर अफसोस जताया कि हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट भूल गए हैं कि सजा के तौर पर जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा, "समय के साथ ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट कानून के एक बहुत ही सुस्थापित सिद्धांत को भूल गए हैं कि सजा के तौर पर जमानत नहीं रोकी जा सकती।"

केस टाइटल: जावेद गुलाम नबी शेख बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 3809/2024

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विवाह समानता मामले में पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को विचार करेगा

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार करने वाले फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाएं 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध हैं। उल्लेखनीय है कि पुनर्विचार याचिकाओं पर नई बेंच द्वारा विचार किया जाएगा, क्योंकि फैसला सुनाने वाली 5 जजों की बेंच के दो जज- जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एस रवींद्र भट- अब रिटायर हो चुके हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीवी नागरत्ना बेंच के रिटायर सदस्यों की जगह लेंगे। अन्य जज चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा हैं।

केस टाइटल: सुप्रियो @ सुप्रिया चक्रवर्ती और अन्य बनाम भारत संघ | आरपी (सी) 1866/2023 और संबंधित मामले

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यदि अभियोजन एजेंसी त्वरित सुनवाई सुनिश्चित नहीं कर सकती तो उन्हें अपराध की गंभीरता का हवाला देते हुए जमानत का विरोध नहीं करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 (UAPA Act) के तहत मामले में मुकदमे में देरी के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि अभियोजन एजेंसी किसी आरोपी के त्वरित सुनवाई के अधिकार की रक्षा नहीं कर सकती है तो वे इस आधार पर उसकी जमानत याचिका का विरोध नहीं कर सकते कि अपराध गंभीर था।

कोर्ट ने कहा, "चाहे कोई अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो, आरोपी को भारत के संविधान के तहत त्वरित सुनवाई का अधिकार है।"

केस टाइटल: जावेद गुलाम नबी शेख बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 3809/2024

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सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर जेल में बंद कुकी अंडरट्रायल कैदी को मेडिकल उपचार के लिए असम ले जाने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने (3 जुलाई को) ऐसे मामले में अपनी निराशा व्यक्त की, जिसमें मणिपुर सेंट्रल जेल में बंद आरोपी को मेडिकल जांच के लिए बाहर नहीं ले जाया जा सका, क्योंकि वह कुकी समुदाय से है।

कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया कि वह आरोपी को असम के गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले जाने और वहां उसकी जांच कराने के लिए तुरंत आवश्यक व्यवस्था करे।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट प्राप्त करने और 15 जुलाई, 2024 को या उससे पहले कोर्ट के समक्ष पेश करने का आदेश दिया। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि सभी खर्च राज्य द्वारा वहन किए जाएंगे।

केस टाइटल: लुनखोंगम हाओकिप बनाम मणिपुर राज्य और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 4759/2024

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सुप्रीम कोर्ट ने विचाराधीन कैदी की जमानत को 2 महीने तक सीमित करने के हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 जुलाई) को स्थापित कानूनी स्थिति को दोहराया कि अभियुक्त का त्वरित सुनवाई का अधिकार मौलिक अधिकार है। यह जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से निकटता से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश की निंदा की जिसमें उक्त सिद्धांत की अनदेखी की गई और याचिकाकर्ता को केवल दो महीने के लिए जमानत पर रिहा कर दिया गया, जबकि मुकदमे को समाप्त होने में काफी समय लगेगा।

कोर्ट उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा दिए गए जमानत आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। विवादित आदेश के अनुसार, याचिकाकर्ता को केवल दो महीने के लिए जमानत पर रिहा किया गया, जबकि यह ध्यान में रखा गया कि वह 11 मई, 2022 से हिरासत में है और अब तक केवल एक गवाह से पूछताछ की गई। याचिकाकर्ता पर लगाए गए आरोप NDPS Act की धारा 20(b)(ii)(c) के तहत भांग के संबंध में उल्लंघन के अपराध के लिए हैं।

केस टाइटल: किशोर करमाकर बनाम ओडिशा राज्य विशेष अपील अनुमति (सीआरएल) संख्या 8263/2024

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NEET UG 2024| अकेले व्यक्ति के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित किए जाने की उम्मीद न करें: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई स्थगित की। उक्त याचिका में अन्य बातों के अलावा, NEET-UG परीक्षा की OMR Sheet में हेरफेर करने में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप लगाया गया था।

जस्टिस सी.टी. रविकुमार और जस्टिस मनोज मिश्रा की वेकेशन बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए सवाल किया।

केस टाइटल: सबरीश राजन बनाम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) और अन्य, डायरी नंबर 27585-2024

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NEET-UG 2024 | क्या OMR Sheet के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की कोई समय-सीमा है? सुप्रीम कोर्ट ने NTA से पूछा

NEET-UG 2024 के संबंध में जाइलम लर्निंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने OMR Sheet के संबंध में शिकायत दर्ज करने की समय-सीमा पर NTA से जवाब मांगा है। याचिका में अन्य बातों के अलावा, परीक्षा में बैठने वाले स्टूडेंट को OMR Sheet दिए जाने को लेकर चिंता जताई गई।

कार्यवाही की शुरुआत में ही जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की वेकेसन बेंच ने कहा कि वर्तमान रिट याचिका एक कोचिंग सेंटर के कहने पर दायर की गई।

केस टाइटल: जाइलम लर्निंग बनाम एनटीए, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 389/2024

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