1 जुलाई 2024 के बाद दायर सभी आपराधिक याचिकाएं BNSS द्वारा शासित होंगी: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने तय किया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) (01 जुलाई 2024) के शुरू होने से पहले से लंबित अपील, आवेदन, ट्रायल या जांच को CrPC के प्रावधानों के अनुसार जारी रखने की अनुमति है।
जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की खंडपीठ ने संदर्भ प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा,
"यदि IPC के तहत पंजीकृत अपराध के संबंध में जांच विचाराधीन है तो संबंधित प्रक्रियात्मक कानून, जो उस पर लागू होना है, लेकिन पूर्व CrPC है। इसके बाद जब CrPC के संचालन की निरंतरता होती है तो जांच के संबंध में जो पूर्व आईपीसी में निहित अपराध के संबंध में शुरू हो जाती है। इसलिए इसके आगे का अनुक्रम लेकिन यह है कि संबंधित मूल और प्रक्रियात्मक कानूनों के लागू होने की तारीख यानी 01.07.2024 के मुकाबले कट ऑफ तारीख, लेकिन स्वाभाविक रूप से कोई प्रासंगिकता नहीं है।"
न्यायालय ने कहा,
"इसके विपरीत, प्रासंगिक रूप से अपराध की तिथि या FIR दर्ज करने की तिथि, अपील, पूछताछ, ट्रायल, जांच की निरंतरता सहित सभी प्रासंगिक उद्देश्यों के लिए प्रासंगिकता और महत्व रखती है। साथ ही अंतरिम राहत का दावा करने वाले आवेदनों की निरंतरता के संबंध में भी ऐसे आवेदन BNSS के लागू होने के बाद दायर किए जाने से बचती है।"
खंडपीठ ने कहा,
"इसलिए CrPC के तहत विचाराधीन अपील, ट्रायल, पूछताछ या जांच, अब लागू प्रक्रियात्मक कानून यानी BNSS के आवेदन से बच जाती है। इसके अलावा, कट ऑफ तिथि (सुप्रा) के बावजूद, बचत खंड की चौड़ाई का विस्तार किया जाना चाहिए, जिससे उन आवेदनों को भी कवर किया जा सके, जो हालांकि BNSS के लागू होने के बाद लंबित नहीं हैं, लेकिन कट ऑफ तिथि (सुप्रा) के बाद दायर किए गए, फिर भी पूर्व दंड कानून यानी IPC के तहत पंजीकृत अपराध के संबंध में हैं।"
न्यायालय BNSS की प्रयोज्यता के मुद्दे पर सुनवाई कर रहा था, जिसे विभिन्न एकल जजों की परस्पर विरोधी राय के कारण बड़ी पीठ को भेजा गया।
RXXXX बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य में एकल पीठ ने AXXX बनाम यूटी चंडीगढ़ में दी गई राय से असहमति जताई, जहां अन्य एकल जज ने कहा था कि यदि IPC के तहत FIR दर्ज की जाती है, लेकिन इसके संबंध में आवेदन या याचिका 01 जुलाई के बाद दायर की जाती है तो BNSS के प्रावधान लागू होंगे।
AXXX बनाम यूटी चंडीगढ़ में एकल पीठ ने कहा कि यदि IPC के तहत FIR दर्ज की जाती है, लेकिन इसके संबंध में आवेदन या याचिका 01 जुलाई के बाद दायर की जाती है तो BNSS के प्रावधान लागू होंगे, जिसने दंड प्रक्रिया संहिता का स्थान ले लिया।
हालांकि, Rxxx मामले में न्यायालय ने कहा कि आपराधिक संहिता के आवेदन के लिए प्रासंगिक निर्धारण कारक घटना की तारीख और वह तारीख होगी, जब आपराधिक कानून तंत्र को गति दी गई, यानी जब पुलिस या क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत की गई (न कि जब याचिका/आवेदन दायर किया गया था), जिसका अर्थ है कि BNSS के प्रावधान लागू होंगे।
केस टाइटल: राम चंद्र बनाम हरियाणा राज्य और अन्य