हाईकोर्ट वीकली राउंड अप : पिछले सप्ताह के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र

Update: 2021-12-19 05:30 GMT

देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पिछले सप्ताह (13 दिसंबर, 2021 से 17 दिसंबर, 2021) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं हाईकोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह हाईकोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।

"नियुक्ति के लिए जाली जाति प्रमाण पत्र का जमा किया गया": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी शिक्षक की सेवा की समाप्ति के आदेश को बरकरार रखा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा एक महिला सरकारी शिक्षक की सेवा समाप्त करने के आदेश को बरकरार रखा, जिसने अपनी नियुक्ति के लिए जाली जाति प्रमाण पत्र का जमा किया था।

यह देखते हुए कि अपने आवेदन में, एक महिला सरकारी शिक्षक ने अपनी जाति को 'अंसारी' बताया था, लेकिन उसने नियुक्ति हासिल करते समय अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित जाति प्रमाण पत्र जमा कर दिया था, न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने उसके बर्खास्तगी आदेश को बरकरार रखा।

केस का शीर्षक - मुन्नी रानी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा एवं अन्य

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पीड़िता की गवाही में पेनेट्रेशन के संकेत के बिना ‌दिए गए अस्पष्ट बयान बलात्कार का सबूत नहीं: केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि पीड़िता का यह बयान कि आरोपी ने पेनेट्रेशन के संकेत के बिना उसे गले लगाया था, आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार के अपराध को आकर्षित नहीं करेगा।

जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि एक अस्पष्ट बयान उक्त धारा में निहित वैधानिक जनादेश का विकल्प नहीं होगा, "पीड़ित द्वारा सबूत के रूप में केवल बयान कि 'आरोपी ने मुझे गले लगाया और मुझे गर्भवती किया', पेनेट्रेशन के पहलू के संकेत के बिना, बलात्कार के अपराध को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।"

केस शीर्षक: रंजीत बनाम केरल राज्य

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राज्य सरकार अगले आदेश तक डिग्री कोर्सेस में कन्नड़ भाषा को अनिवार्य नहीं करेगी: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अगले आदेश तक उन छात्रों को बाध्य न करे जो डिग्री कोर्सेस के दौरान कन्नड़ भाषा को अनिवार्य विषय के रूप में नहीं लेना चाहते हैं।

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सचिन शंकर मगदुम की खंडपीठ ने कहा, "हमने सबमिशन पर विचार किया है। हमारा प्रथम दृष्टया विचार है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर कन्नड़ भाषा को उच्च अध्ययन में अनिवार्य भाषा बनाने के संबंध में एक प्रश्न है जिस पर विचार करने की आवश्यकता है। इस स्तर पर राज्य सरकार भाषा को अनिवार्य बनाने पर जोर देती हैं। जिन छात्रों ने अपनी पसंद के आधार पर कन्नड़ भाषा ली है, वे ऐसा कर सकते हैं। इसके अलावा, वे सभी छात्र जो कन्नड़ भाषा नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें अगले आदेश तक कन्नड़ भाषा का अध्ययन करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।"

केस शीर्षक: संस्कृत भारती कर्नाटक ट्रस्ट बनाम भारत संघ

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इंटरफेथ मैरिज से पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण देने के लिए पिता कानूनी रूप से बाध्यः केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि एक इंटरफेथ मैरिज से पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण देने के लिए बच्चे का पिता कानूनी रूप से बाध्य है।

न्यायमूर्ति ए. मोहम्मद मुस्तक और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने कहाः ''हमें एक अंतर-धार्मिक ( इंटरफेथ) कपल से पैदा हुए बच्चों को उसके पिता से भरण-पोषण का दावा करने के कानूनी अधिकार से वंचित करने का कोई कारण नहीं दिख रहा है, वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि ऐसे पिता को अपने बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य करने वाला कोई विशिष्ट वैधानिक प्रावधान नहीं है। एक पिता के माता-पिता के तौर पर कर्तव्य को निर्धारित करने के लिए जाति, आस्था या धर्म का कोई तर्कसंगत आधार नहीं हो सकता है। माता-पिता द्वारा अपनाए गए अलग-अलग धर्म या आस्था के बावजूद सभी बच्चों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।''

केस का शीर्षक- जे.डब्ल्यू. अरागदान बनाम हाशमी एन.एस व अन्य

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पॉक्सो एक्ट का मकसद नाबालिगों को अलग वर्ग मानना, ताकि यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ के मामले में गंभीर और कठोर नतीजे हों: दिल्ली ‌हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पॉक्सो एक्ट का मकसद नाबालिगों को एक अलग वर्ग मानना है ताकि यौन उत्पीड़न या छेड़छाड़ या दुर्व्यवहार के मामले में गंभीर और कठोर नतीजे भुगतने पड़े।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने धारा 376, 376डी, 506 आईपीसी और 34 सहपठित पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत दर्ज एक मामले में दो आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की। मामले के तथ्य यह थे कि 17 वर्षीय शिकायतकर्ता की आरोपी सूरज से एक अन्य याचिकाकर्ता लाल मोहम्मद और उसकी भाभी के माध्यम से मुलाकात हुई थी। दोनों में दोस्ती हो गई, जिसके 2 से 3 महीने बाद सूरज उसे जंगल में ले गया और उसके साथ बलात्कार किया।

शीर्षक: सूरज बनाम राज्य

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साझेघर में निवास के मामले में सास को मालकिन होने के नाते बहू के खिलाफ बेदखली का दावा करने से नहीं रोका गया : दिल्ली हाईकोर्ट

संपत्ति पर कब्जे के एक मामले के तथ्यों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि सास पर संपत्ति की मालकिन होने के नाते अपनी बहू के खिलाफ बेदखली का दावा करने के संबंध में कोई रोक नहीं है, भले ही निवास एक साझा घर है।

न्यायमूर्ति आशा मेनन ने कहा, ' 'यहां एक निवास स्पष्ट रूप से एक साझा घर है, यह मालिक, वादी को अपनी बहू के खिलाफ बेदखली का दावा करने से नहीं रोकता है(अगर हालात ऐसे बन जाते हैं)।'' बेंच ने इस प्रकार एक सास के पक्ष में और बहू और उसकी मां के खिलाफ कब्जा करने का एक आदेश दिया है। जबकि बहू व उसकी मां को परिसर खाली करने के लिए तीन महीने का समय दिया गया है।

केस का शीर्षक-मदालसा सूद बनाम मौनिका मक्कड़ व अन्य

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POCSO मामलों में जिरह के दौरान चूक को चिह्नित करने में विफल रहने पर गवाह को फिर से नहीं बुला सकते : केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि पॉक्सो मामलों में जिरह के दौरान एक गवाह के पिछले बयानों की चूक (ओमिशन) को चिह्नित करने में विफल रहना हमेशा उन गवाहों को फिर से बुलाने का एक वैध आधार नहीं होता है।

हालांकि, याचिका का निपटारा करने से पहले, न्यायमूर्ति एमआर अनीथा ने स्पष्ट किया है किः ''मैं यह भी स्पष्ट करती हूं कि मैं इसे एक मिसाल के रूप में नहीं बनाना चाहती हूं कि गवाहों से जिरह के दौरान महत्वपूर्ण चूक को चिह्नित करने की आवश्यकता नहीं है।''

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बेटी की भलाई के लिए माता-पिता द्वारा दिए गए उपहार दहेज के दायरे में नहीं : केरल हाईकोर्ट

एक महत्वपूर्ण फैसले में, केरल हाईकोर्ट ने माना है कि शादी के समय दुल्हन को उसकी भलाई के लिए दिए गए उपहारों को दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के दायरे में दहेज के रूप में नहीं माना जाएगा।

एक पीड़ित पति की तरफ से दायर याचिका को अनुमति देते हुए, न्यायमूर्ति एम.आर. अनीथा ने कहाः ''...विवाह के समय दुल्हन को बिना किसी मांग के दिए गए उपहार और जो इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार बनाई गई सूची में दर्ज किए गए हैं,वो धारा 3(1) के दायरे में नहीं आएंगे,जो दहेज देने या लेने पर रोक लगाती है।''

केस का शीर्षक- विष्णु आर. बनाम केरल राज्य व अन्य

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स्त्री धन की वसूली के एकमात्र आधार पर आईपीसी की धारा 498A,406 के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता : दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल यह तथ्य कि स्त्री धन की वसूली किसी व्यक्ति से की जानी है, उसे धारा 498-ए (दहेज की मांग से संबंधित) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है।

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस को सीआरपीसी के तहत आरोपी के परिसरों की तलाशी लेने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा, "याचिकाकर्ता से हिरासत में पूछताछ की मांग केवल स्त्री धन की वसूली के लिए की जा रही है। केवल स्त्री धन की वसूली याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत से इनकार करने का कारण नहीं हो सकती है। पुलिस के पास सीआरपीसी के तहत परिसरों की तलाशी करने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं।"

केस शीर्षक: पूरन सिंह बनाम दिल्ली राज्य

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सीपीसी आदेश XII नियम 6 : स्वीकारोक्त पर निर्णय के लिए आवेदन सूट के किसी भी चरण में दायर किया जा सकता है: कर्नाटक हाईकोर्ट

कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि मुकदमे के किसी भी चरण में नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश XII नियम 6 के तहत एक डिक्री पारित की जा सकती है, जहां या तो दलीलों में या अन्य तरीके से तथ्यों को स्वीकार कर लिया गया हो।

न्यायमूर्ति के.एस. मुदगल ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसके द्वारा उसने प्रतिवादियों की याचिकाओं में स्वीकारोक्ति के आधार पर याचिकाकर्ताओं की किराए की संपत्ति के कब्जे के लिए आदेश XII नियम 6 के तहत दायर आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि उठाए गए प्रश्नों की उचित ट्रायल की आवश्यकता है।

केस शीर्षक: स्वर्गीय इंद्रावती श्रीनिवासन बनाम डॉ सुनीता वेणुगोपाल

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शांतिपूर्ण माहौल में काम करने का अधिकार एक बुनियादी अधिकार, यौन उत्पीड़न की शिकायतों से निपटने में प्रशासनिक चूक को स्वीकार नहीं किया जा सकता: मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, कलपक्कम के एक अधिकारी के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसले में शिकायतों को जल्द से जल्द निस्तारण में प्रशासन की जिम्मेदारी को रेखांकित किया है।

अदालत ने कहा कि शिकायत की स्थापना के बाद से पर्याप्त समय बीतना और मामले में अंतिमता का अभाव महिला कर्मचारियों की दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। समय का प्रवाह अनिवार्य रूप से उन पर प्रभाव डालेगा, जब वे उसी ही स्थान पर कार्य जारी रखेंगी। अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले ने उसे मानसिक पीड़ा भी दी है।

केस नंबर: WPNos.6995/2014, 27067 & 27068/2013 & MPNos.2/2014, 1& 2/2013

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